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Deepika Jha

“प्राकृतिक आपदाक मारल मिथिला किलोल काटि रहल अछि।”

— कीर्ति नारायण झा।      मिथिला में एकटा कहबी छैक जे शुद्ध अर्थात सज्जन लोक के मुँह कुकूर चाटय, सेएह छैक अपना सभक ओहिठाम। सभ दिन सँ प्रशासनिक उपेक्षा के शिकार मिथिला जेकर कियो नहि देखनिहार आ उपर सँ प्राकृतिक आपदा के मारल मिथिला सभ दिन सँ किलोल काटि रहल अछि। दुर्भाग्य एहेन मिथिला “प्राकृतिक आपदाक मारल मिथिला किलोल काटि रहल अछि।”

“देशक स्वतंत्रता लेल सभतरहक बलिदान देलाक बावजूद मैथिल समाज देश सँ अपन मिथिला राज्य नहि माँगि सकल।”

— इला झा।    एगारहम शताब्दीसँ मुस्लिम आक्राँता सब भारतवर्ष के लूट’ आब’ लागल। आगु चलिक यैह सब एतुका सुल्तान बनि बैसल। समय-समय पर अहि विदेशी आक्रांताक विरोध मे छिटपुट संघर्ष भेल, मुदा शनै-शनै प्रायः सम्पूर्ण देश गुलाम बनि गेल, जाहि मे मिथिला सेहो शामिल छल। आगु चलि भारत मुगलवंशक अधीन भ’ गेल आ ताहि “देशक स्वतंत्रता लेल सभतरहक बलिदान देलाक बावजूद मैथिल समाज देश सँ अपन मिथिला राज्य नहि माँगि सकल।”

“मिथिला अनेको स्वतंत्रता सेनानी सभक जन्मभूमि आ कर्मभूमि रहल अछि।”

— दिलिप झा।    सर्व प्रथम कहs चाहब जे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन राष्ट्रीय वा क्षेत्रीय आह्वान, उत्तेजना आ प्रयत्न सब सs प्रेरित, भारतीय राजनैतिक संगठन सभक द्वारा संचालित अहिंसावादी आन्दोलन छल। जेकर एक मात्र उद्देश्य, अंग्रेजक शासन सs भारतीय उपमहाद्वीप के मुक्त करैब छल। जकर सुरुआत १८५७ के सिपाही विद्रोह मानल जा सकैत अछि। अतः “मिथिला अनेको स्वतंत्रता सेनानी सभक जन्मभूमि आ कर्मभूमि रहल अछि।”

“स्वतंत्रता आन्दोलनमे मिथिलाक योगदान”

— पीताम्बरी देवी।      मिथिला आर मैथिल हमेशा से संघर्षरत रहला हे। हमर मिथिला में अपन देश लेल अनेकों आंन्दोलनि सब भेला।अपन देश के स्वतंत्रत करय लेल कतेको मैथिल अपन जान गमौने छथि।कहल जाईत अछि जे एक बेर सब अंग्रेजी सासन हटेवा लेल रेल के पटरी पर सूति रहला आर अंग्रेज हुनका सब के “स्वतंत्रता आन्दोलनमे मिथिलाक योगदान”

“स्वतंत्रता आंदोलनमे मिथिलाक भूमिका।”

— आशीष अकिंचन।  मधुबनी जिला जे मिथिला के गढ मानल जाईत अछि, स्वतंत्रता प्राप्तिक आंदोलन मे अपन अहम योगदान देने छल। एहि क्रम मे हमर नानाजी स्व० पं तेजकांत झाक किछु साक्षात सुनायल स्मरणित याद जे हमरा सँ साझा कय गेल छथि अपने सभहक समक्ष राखि रहल छी। सौऊंसे देश मे स्वतंत्रताक लेल आंदोलन छिड़ल “स्वतंत्रता आंदोलनमे मिथिलाक भूमिका।”

“स्वतंत्रता संग्रामक इतिहास स्त्रीगणक साहस, त्याग आ बलिदानसँ रंगल अछि।”

— कीर्ति नारायण झा।      “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है।” पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के एहि आह्वान पर अपन देश के स्त्री पुरुष सभ स्वतंत्रता आन्दोलन के आगि में कुदि गेल रहैथि। कोनो काज समग्र रूप सँ तखने पूर्ण भऽ सकैत अछि जखन समाज “स्वतंत्रता संग्रामक इतिहास स्त्रीगणक साहस, त्याग आ बलिदानसँ रंगल अछि।”

“मिथिलामे माछक महत्व “

— दिलिप झा।      मैथिल सभ्यता में माछक बड्ड पैघ सांस्कृतिक आ पारंपरिक महत्व अछि। मैथिल समाज माछ देख क’ यात्रा करब शुभ मानैत छैथ। एतबे नहि दरभंगा महाराजाक सभ राजकीय कागज पर जोड़ा माछक आकृति मुदृत छलैन्ह आ संगहि राज दरभंगा द्वारा निर्मित सभ लौह-गेट पर जोड़ा माछक आकृति बनल भेटैत अछि जे “मिथिलामे माछक महत्व “

“पग-पग पोखरि माछ मखान”

— अखिलेश कुमार मिश्र।        पग पग पोखड़ि माछ मखान मुँह में दबउने खिल्ली पान मधुर बोल चौबनिया मुस्कान ऐह तs भेल मिथिला-मैथिलक पहिचान। माछ, ओह्ह इ तs एहेन शब्द अछि जे सुनितहि मुँह पानि सँ लबालब भरि जाइत अछि। मिथिला में माछ तs एतबे महत्वपूर्ण अछि जे एकर सम्बन्ध व्यक्ति सँ छठिहारी “पग-पग पोखरि माछ मखान”

“हमर जन्मोमे माछ, हमर मरणोमे माछ।”

— ज्ञानदा झा।    हमर जन्मोमे माछ, हमर मरणोमे माछ। हमर बियाहो दुरागमनमे, माछे आ माछ। हम सगुनोमे माछे संठलियै हम त माछेके गुणगान केलियै। । मिथिलामे माछक ओ महत्व छै जकर वर्णन करमे किताब कम परि जायत। मिथिलाक पहचान अछि माछ, सब देशके अपन ध्वज होइछ आ ओकर विशेष चिन्ह होइछ आ अपन मिथिलाक “हमर जन्मोमे माछ, हमर मरणोमे माछ।”

“मिथिलामे माछ बहुत शुभ मानल जाइत अछि।”

— पीताम्बरी देवी।        अपन सब के मिथिला में माछ बहुत शुभ मानल जाईत अछि।यात्रा काल माछ देखा गेद ते यात्रा शुभ मानल जाईत अछि। पहिले विवाह करय वर जाईत काल माछ लय के मलाह ठाढ़ रहैत छल। कनिया द्विरागमन कय के अबै छलि ते जाल से सबारी के झांपि लै छल मलाह “मिथिलामे माछ बहुत शुभ मानल जाइत अछि।”