मैथिली मे बाल-पत्रिका ‘बाल-बंधु’ केर प्रकाशन ३० जून सँ, विज्ञापन लेल आह्वान

पटना, जून २४, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!

नवारम्भ प्रकाशन द्वारा मैथिली बाल पत्रिका प्रकाशन करबाक निर्णय, मासिक ‘बाल-बंधु’ केर प्रकाशन ३० जून सँ

*अत्यन्त सस्ता दर पर मैथिल उत्पादनक विज्ञापन करबाक गारंटी

*हरेक शिक्षण संस्थान आ रेलवे स्टाल पर भेटत ई बालोपयोगी पत्रिका
*भाषा-साहित्यक अलावे सामान्य ज्ञान आ विज्ञान सँ जुड़त बच्चा-बच्चा
*मिथिलाक इतिहास पर खिस्सा-पिहानीक भेटत अम्बार

*ग्लोबल दुनिया सँ जुड़त मिथिलाक धियापुता

मैथिली भाषा केँ जाहि तरहें राज्य पक्ष आर खुद मिथिलाक जनप्रतिनिधिक निकम्मापंथ सँ मृत्युदान देबाक बात निस्तुकी भऽ रहल अछि, ताहि समय एकर प्राणरक्षा हेतु खुद मैथिलीभाषी किछेक समर्पित लेखक, साहित्यकार, स्वयंसेवी, अभियानी आ कमौआ सपुत लोकनि आगू आबिकय प्रकाशन सँ लैत विभिन्न शोध कार्य पर्यन्त पूरा करैत छथि।
 
सूचना भेटल अछि जे बाल-बंधु (Child’s Friend) मैथिली मासिक पत्रिका बहुचर्चित नवारम्भ प्रकाशन द्वारा ३० जून केँ प्रकाशित कएल जायत। संपादक अजित आजाद जनतब दैत कहलैन अछि जे बाल पत्रिकाक खगता केँ देखैत नवारम्भ द्वारा ई प्रयास आरम्भ कएल जा रहल अछि। पत्रिका लेल अपन रचना अथवा अपन परिवारक बच्चा सभक रचना, चित्र, कार्टून आदि पठाबी। अहाँ सभ अपन संस्थान/व्यवसाय आदिक विज्ञापन सेहो दी। सस्ता दर पर विज्ञापन प्रकाशित करब हमरा सभक अभीष्ट अछि। कृपया सहयोग करी।
 
सच मे भाषा बिना पहिचानक रक्षा करब असंभव छैक। जे कियो अपन भाषा छोड़लक ओकर हालत शुरु मे त विभिन्न चमकैत आ विकसित – अतिविकसित भाषा केँ अपनेबाक चमक-दमक मे लोक डूबल बुझि नहि पबैत छैक, मुदा धीरे-धीरे भाषा-विस्मृतिक कारण मनुष्य मे ओकर मौलिक संस्कार सेहो गौण होएत अन्ततोगत्वा ओकर हालत हिन्दी कहावत ‘धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का’ जेकाँ भऽ जाएत छैक। मैथिलीभाषी लेल एहेन बहुत उदाहरण द्रष्टव्य छैक जे भाषा विस्मृति सँ किछुए सौ वर्षक कालान्तर मे लोक अपन मौलिकता केर प्राप्तिक लेल नाम मे ‘मैथिल’ टाइटिल जोड़ि आर मिथिलाक लोकमानस सँ परस्पर सम्पर्क कय पुनः वैवाहिक सम्बन्ध निर्माण करबाक बात करैत छैक। एहि मे ब्रजस्थ मैथिल भारतीय राजधानी क्षेत्र व आसपास केर आ नेवारी मैथिल नेपालीय राजधानी क्षेत्रक आसपास देखला जाएत छैक।
 
सच ईहो छैक जे स्वयं मिथिलाक भूमि पर रहनिहार अपन धिया-पुता संग हिन्दी आ अंग्रेजी मे गप करैत ई प्रदर्शन करैत छैक जे देखू हमर धिया-पुता कतेक तेज अछि, ई सब हिन्दी-अंग्रेजी सँ नीचां दोसर कोनो भाषा मे बाते नहि करैत अछि। बिल्कुल तहिना नेपालील मिथिला भूभाग मे मैथिलीभाषी बहुल्यजन जानि-बुझि अपन भाषा सँ इतर नेपाली भाषा आ अंग्रेजी मे अपन धियापुता संग बात करैत अछि तखनहि ओकरा संतोष होएत छैक जे बच्चा सभक शिक्षा पर कएल गेल खर्च सही आ सार्थक भऽ रहल अछि। लेकिन वैज्ञानिक शोध बेर-बेर चेतावनी दैत आबि रहल अछि जे बच्चा मे अपन भाषा – मौलिक संस्कार सँ कखनहु माता-पिता केँ दूर नहि करबाक चाही। एतेक तक कि संविधान मे सेहो मातभाषा मे शिक्षाक अधिकार केर गारंटी करैत एहि अति-जरुरी बात सँ जन-जन केँ जुड़बाक व्यवस्था कएल गेल छैक। दुनियाक जतेक विकसित देश अछि ओ मातृभाषा केर अध्ययन ‘अनिवार्य विषय’ केर रूप मे विद्यालय मे कएने अछि। भारतक ओ राज्य जतय मातृभाषा केँ चापिकय आन भाषा लादल गेलैक अछि ओतुका आर्थिक आ सांस्कृतिक विकासक्रम बहुत कमजोर छैक जाहि मे खुद बिहार एकटा बदनाम प्रदेशक रूप मे कुख्यात अछि।
 
एहेन समय मे बाल-बंधु पत्रिकाक प्रकाशन नव उम्मीद जगबैत अछि। लेकिन सब सँ पैघ चुनौती छैक ‘पूँजी व्यवस्थापन’। मैथिल जनमानस संग जखन कि आब पूँजीक अभाव एकदम नहि छैक, लेकिन खर्च करबाक तत्परता जेकरा अंग्रेजी मे ‘willingness to purchase’ कहि अर्थशास्त्र व्याख्या करैत अछि तेकर घोर अकाल अपनहि मातृभाषा आ मातृभूमि लेल देखल जायब निश्चित पैघ चिन्ताक विषय थिक। तथापि, स्वयंसेवी भावना सँ कमौआ सपुत आर जेकरा बेर-बेर हम सब ‘मिथिला ब्रान्ड ओनर’ कहैत आबि रहल छी ओकरा लोकनिक योगदान सँ मैथिली केँ नव प्राण देबाक जरुरत छैक। बाल-बंधु ३० जून केँ प्रकाशित करबाक नियार छैक, मुदा आइ २४ जून धरि एहि मे विज्ञापन दय सहयोग कएनिहारक संख्या आंगूर पर गानय जोग मात्र छैक। जखन कि मैथिली भाषाक कोनो पत्र-पत्रिका-पोथी आदि मे विज्ञापनक प्रभावकारिता अन्य भाषा सँ १ आ १०० केर अनुपात मे लाभदायक होएछ। मैथिल उत्पाद आ ब्रान्ड दुनू अपन लोकक बीच मे लोकप्रिय भेला सँ आर्थिक लाभक अलावे आत्मसंतोष सेहो भेटैत छैक। आर, देखिते छी हम सब, कोना सफल उद्यमी मैथिल आब अपन मूल भूमि मिथिला मे संस्थान खोलिकय मिथिलाक बाजारक उत्पादकत्व बढा रहल छथि। आर बाल-बंधु पत्रिका केर जीवन लेल सर्वथा एहि नव ब्रान्ड मालिक सभक विज्ञापन भेटला सँ द्विपक्षीय लाभ सुनिश्चित छैक। भाषाक प्राण रक्षा होयबाक संग-संग संस्थानक परिचय आ ब्रान्ड वैल्यू सँ मिथिलाक जनमानस परिचित होयत ई अपेक्षा नहि बल्कि सुनिश्चित आकलन अछि।
 
विज्ञापन दर केर विषय मे संपादक अजित आजाद कहैत छथि जे एकदम न्युनतम राशि पर विज्ञापन कार्य करब हमरा सभक लक्ष्य अछि। एखन शुरु मे १० हजार प्रति लगभग प्रकाशित होयत आर विज्ञापन दर निम्न होयतः
 

बैक कवर रंगीन १२ (बारह) हज़ार रुपया

कवरक भीतर रंगीन १० (दस) हज़ार रुपया
अन्य पृष्ठ पूरा ब्लैक/व्हाइट ५ (पाँच) हज़ार रुपया
आधा पृष्ठ २,५०० (दुइ हजार पाँच सय) रुपया
एक चौथाइ पृष्ठ १,२५० (एक हजार दुइ सय पचास) रुपया
मुख्य पृष्ठ पर रंगीन पैनल ५ (पाँच) हजार रुपया
लेखक लोकनि अपन पोथीक विज्ञापन अथवा शुभकामना सन्देश केवल ५०० (पाँच सौ) रुपया मे क’ सकैत छथि।
धिया-पुताक जन्मदिन पर शुभकामना सन्देश फोटो सहित ५०० (पाँच सौ) रुपया मे देल जा सकैछ।
 
बाल बंधु मासिक पत्रिकाक संपादक अजित आज़ाद केर अलावे कार्यकारी संपादक चन्दन कुमार झा संपादन सहयोग ऋषि वशिष्ठ आ प्रणव नार्मदेय केर रहतनि। सम्पर्क लेल 8434680149 आर 9631459988 व्हाट्स एप्प रहत, जखन कि ईमेल navarambhprakashan @gmail.com. बालोपयोगी कथा-वस्तु, लेख, विज्ञान आ चमत्कार, सामान्य ज्ञान, धिया-पुताक लिखल कविता, चित्रकला, कार्टून, लेख आदि सेहो एहि मे प्रकाशित कएल जायत। मैथिलीक असल भविष्य धियेपुता मे देखैत बाल-बंधु पत्रिका घर-घर मे पहुँचत, हरेक विद्यालय मे पहुँचत आ एकरा मिथिला-क्षेत्रीय समस्त रेलवे स्टेशनक स्टाल पर सेहो उपलब्ध करायल जायत, एहि तरहक मार्केटिंग रणनीति सँ मैथिलीक ई बाल पत्रिका सफलता हासिल करय, एहि मे सभक सहयोग लेल आह्वान कएल गेल अछि।
 
हरिः हरः!!