राम सँ पैघ राम केर नाम – तुलसीदास जी केर अति सुन्दर आ मननीय आ अनिवार्य पठनीय तर्क

स्वाध्यायः रामचरितमानस सँ सीख – १४

आजुक १४म भाग केर रामचरितमानस सँ सीख शृंखला मे बड पैघ महत्वपूर्ण बात सोझाँ आयल अछि। कतेको जगह सुनैत रहैत छी हम सब – “राम से बड़ा राम का नाम” अर्थात् राम सँ पैघ होएछ राम केर नाम, यानि नाम केर प्रभाव स्वयं सगुण राम जिनकर जीवन लीला पर रामायण लिखल गेल अछि तिनका सँ बहुत ऊपर अछि। महाकवि तुलसीदास अपन सहज शैली मे एकरा जेना दृष्टिगोचर करबैत मानसपटल पर रखबाक सुकाज केलनि अछि ताहि पर दृष्टिपात करब हमरा लोकनि।

रामचरितमानस सँ सीख – १४
 
१. श्रीरामचन्द्रजी भक्तक हित खातिर मनुष्यशरीर धारण कय केँ स्वयं कष्ट सहियोकय साधू लोकनि केँ सुखी कएलनि; लेकिन भक्तगण प्रेम संग नामक जप करैत मात्र सहजहि आनन्द आर कल्याणक घर बनि जाएत छथि।
 
२. श्रीरामचन्द्रजी एक तपस्वीक स्त्री अहल्या टा केँ तारि देलनि, मुदा नाम त करोड़ों दुष्टक बिगड़ल बुद्धि केँ सुधारि देलक।
 
३. श्रीरामचन्द्रजी विश्वामित्र ऋषिक हित वास्ते एक सुकेतु यक्षक कन्या ताड़काक सेना आर पुत्र सुबाहु सहित अन्य राक्षस केँ समाप्त कएलनि, मुदा नाम अपन भकक दोष, दुःख आ दुराशा सब केँ एहि तरहें नाश कय दैत छैक जेना सूर्य रात्रि केँ।
 
४. श्रीरामचन्द्रजी स्वयं त शिवजीक धनुष केँ तोड़लनि, मुदा नामक प्रभाव संसारक सब भय केँ नाश करयवला अछि।
 
५. श्रीरामचन्द्रजी त दंडक वन केँ सुहाओन बनौलनि, मुदा नाम त असंख्य मनुष्य केँ पवित्र कय देलक।
 
६. श्रीरामचन्द्रजी राक्षसक समूह केँ मारलनि, मुदा नाम त कलियुग केर पाप केँ जैड़ सँ उखाड़ि दैछ।
 
७. श्रीरामचन्द्रजी त शबरी, जटायू आदि उत्तम सेवक टा केँ मुक्ति देलनि, मुदा नाम त अनगिनत दुष्टहु केर उद्धार कय देलक। नामक गुण केर कथा वेद मे प्रसिद्ध अछि।
 
८. श्रीरामचन्द्रजी त सुग्रीव आ विभीषण पर कृपा केलनि, मुदा नाम त अनेक गरीब पर कृपा केलक।
 
९. श्रीरामचन्द्रजी भालू आ बानर केर सेना संङ्गोरैत समुद्रपर पूल बन्हबाक लेल कनिको परिश्रम नहि कएलनि, मुदा नाम लैत देरी संसार समुद्र स्वतः सुखा जाएत छैक।
 
(ई विचारणीय अछि जे राम आर हुनक नाम, दुनू मे कोन पैघ भेल!) 🙂
 
१०. श्रीरामचन्द्रजी रावण एवं ओकर परिवारक अन्य राक्षस सबकेँ युद्ध मे मारलनि फेर सीताजीक संग अयोध्या पहुँचि ओतय राजा भेलाह, देवता आर मुनि सुन्दर वाणी सँ हुनकर गुण गबैत अछि। मुदा सेवक या भक्त प्रेमपूर्वक नाम केर स्मरण मात्र सँ बिना परिश्रम मोहक प्रबल सेना केँ जीतिकय प्रेम मे मग्न भेल अपनहि सुख मे विचरण करैत अछि।
 
(नामक प्रसाद सँ भक्त केँ सपनो मे कोनो चिन्ता नहि सतबैत छैक।) 🙂
 
११. श्रीरामचन्द्रजीक नाम निर्गुण ब्रह्म आर सगुण ब्रह्म (राम) दुनू सँ पैघ अछि, जे वरदान देनिहार (देवता) सब छथि तिनको ई (नाम) वरदान दैत अछि। श्रीशिवजी अपन हृदय मे यैह बात जानिकय सौ करोड़ रामचरित्र मे सँ एहि ‘राम’ नाम केर साररूप केँ चुनिकय ग्रहण केने छथि।
 
हरिः हरः!!