भिखारी ठाकुर भोजपुरी भाषा आ मिथिला
– प्रवीण नारायण चौधरी
जेना-जेना लोकसंस्कृति कोश (मिथिला खंड) पढैत जा रहल छी, बहुत रास ज्ञानवर्धन होयबाक संग-संग जिज्ञासा सेहो बढैत अछि आर ताहि मुताबिक स्वाध्यायक मात्रा स्वस्फूर्त बढल जा रहल अछि। जीवन मे स्वाध्यायक लाभ केँ आत्मसात कएनिहार जरुर हमर मनक अन्तर्भाव केँ बुझि सकब। प्रसंगवश आइ सोझाँ आयल छथि भोजपुरी भाषाक शेक्सपियर कहेनिहार ‘भिखारी ठाकुर’। डा. लक्ष्मीप्रसाद श्रीवास्तव द्वारा ‘विदेशियानाच’ केर परिचय दैत एहि विधाक संस्थापक भिखारी ठाकुर केर व्यक्तित्व परिचय मे मिथिलाक सन्दर्भ पर चर्चा करब।
मिथिला मे विदेशिया नाच
भोजपुरी भाषा मे प्रचलित नाच केर विधा थिक ‘विदेशिया नाच’ जे मिथिलाक्षेत्र मे बहुत पूर्वकाल सँ लोकप्रिय अछि। एहि नाट्य केर रचयिता लोककवि भिखारी ठाकुर थिकाह। हिनक परिचय हिनकहि शब्द मेः
“जाति के हजाम और कुतुबपुर ह मोकाम,
छपरा से तीन मील दियरा मे बाबूजी
पूरब के कोना पर गंगा के किनारे
जाति पेशा बाटे केशकट्टी हो बाबूजी।”
प्रतिभापुत्र भिखारी केर एहि सारस्वत गीत मे जीवनक तीव्र अनुभूति सभक अविकल प्रवाह देखायल गेल अछि। एकर मूल कारण छैक भिखारी ठाकुर केर अनपढ होयब। ‘विदेशिया’ केर कथाभूमि सेहो यैह थिक। एकटा ग्राम्यकवि द्वारा लिखल गेल ई ग्राम्यभाषाक काव्य कलातीत आलंबन केर कारण सार्वकालिक अछि आर सार्वदेशिक सेहो। एकर कथासार मात्र एतबे अछि जे जीविकोपार्जन लेल नायक परदेश जाएत अछि। ग्राम्यजन मे परदेश शब्द केर सीमित अर्थ होएत छैक आर दूरीक लेहाज सँ एकर कमतर स्थिति एहेन होएत छैक जे परदेश सँ रोज एनाय-गेनाय संभव नहि होएत छैक। दूरी आरो बेसी होएत छैक त महीनों-महीना धरि मे वापस एनाय संभव नहि होएत छैक। एहेन परदेशी व्यक्ति जँ अपन पत्नी केँ बिदागरी (गौना) कराकय घर आनि लैत अछि आर अपने परदेश चलि जाएत अछि त ओकर घरवालीक स्थिति कतेक दुखार्त्त होएत छैक, विदेशिया नाच मे एहि कल्पना केँ जीवन्त प्रस्तुति देल जाएछ।
वर्तमान समय मे लोकपलायनक स्थिति मे भिखारी ठाकुरक परदेशिया नाचक प्रासंगिकता कतेक बढि गेल छैक ई कहबाक जरुरत नहि। आइयो गाम-घर सँ अधिकांश पुरुष समाज परदेश कमाय लेल जाएत अछि। हलांकि आब पुरुषक संग महिला सेहो परदेश जाय सँ नहि डेराएत अछि, मुदा तैयो आम गरीब-गुरबा पिछड़ा वर्गक जनसमुदाय मे परदेश बेसी पुरुषे जाएत अछि आर ‘परदेशिया नाच’ मे उल्लेखित विरह आ अपन लोक-वेद सँ बढल दूरीक मर्म ओतबे सजीव व प्रासंगिक अछि आइयो। दुःखक बात एतबे जे आइ यैह मीठ भोजपुरी विदेशिया नाचक बदला अभद्र आ अश्लील गीत आ डीजे केर कनफोड़ू आवाज पर मिथिलाक वैह लोकसमाज अपन मौलिक संस्कार केँ बिसैरकय स्वयं सेहो विदेशिया जेकाँ व्यवहार करय लागल अछि जे कोनो सभ्यताक अन्तक द्योतक थिक।
भिखारी ठाकुर केर अन्य परिचयः
भिखारी ठाकुर (१८ दिसम्बर १८८७ – १० जुलाई सन १९७१) भोजपुरी केर समर्थ लोक कलाकार, रंगकर्मी लोकजागरण केर सन्देशवाहक, नारी विमर्श एवं दलित विमर्श केर उद्घोषक, लोकगीत तथा भजन-कीर्तन केर अनन्य साधक छलाह। ओ बहुआयामी प्रतिभाक व्यक्तित्व छलाह। ओ भोजपुरी गीत आर नाटकक रचना तथा अपन सामाजिक कार्य लेल प्रसिद्ध छलाह। ओ एक महान लोक कलाकार छलाह जिनका ‘भोजपुरी केर शेक्शपीयर’ कहल जाएत छन्हि।
ओ एक्के संगे कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता छलाह। भिखारी ठाकुर केर मातृभाषा भोजपुरी छलन्हि और ओ भोजपुरी केँ टा अपन काव्य ओ नाटक केर भाषा बनल।
जीवनी
भिखारी ठाकुर केर जन्म १८ दिसम्बर १८८७ केँ बिहारक सारन जिलाक कुतुबपुर (दियारा) गाम मे एक नौआ परिवार मे भेल छल। हुनक पिताजीक नाम दल सिंगार ठाकुर व माताजीक नाम शिवकली देवी छल।
ओ जीविकोपार्जन वास्ते गाम छोड़िकय खड़गपुर चलि गेलाह। ओतय ओ बहुत पाइ कमेलनि मुदा अपन कार्य सँ संतुष्ट नहि छलाह। रामलीला मे हुनकर मन बसि गेल छलन्हि। एकरा बाद ओ जगन्नाथ पुरी चलि गेलाह।
बाद मे अपन गाम वापसी करैत एकटा नृत्य मण्डली बनेलनि आर रामलीला खेलाय लगलाह। एकरा संग-संग ओ गाना गबैथ आर सामाजिक कार्य मे सेहो जुड़िकय योगदान दैथ। एहि सभक संग ओ नाटक, गीत आर पोथी आदि लिखब सेहो शुरु कय देलनि। हुनकर रचित पोथीक भाषा बहुत सरल छल जेकरा पढि बेसी लोक आकृष्ट भेल। हुनकर लिखल किताब वाराणसी, हावड़ा आर छपरा सँ प्रकाशित भेलनि।
१० जुलाई सन् १९७१ मे चौरासी वर्षक उमेर मे हुनक निधन भऽ गेलनि।
हिनकर मुख्य रचना मे लोकनाटक, बिदेशिया, भाई-बिरोध, बेटी-बियोग या बेटि-बेचवा, कलयुग प्रेम, गबर घिचोर, गंगा स्नान (अस्नान), बिधवा-बिलाप, पुत्रबध, ननद-भौजाई, बहरा बहार, राधेश्याम-बहार, बिरहा-बहार, नक़ल भांड अ नेटुआ के, आदि मुख्य अछि। तहिना शिव विवाह, भजन कीर्तन: राम, रामलीला गान, भजन कीर्तन: कृष्ण, माता भक्ति, आरती, बुढशाला के बयाँ, चौवर्ण पदवी, नाइ बहार, शंका समाधान, विविध रचना प्रसिद्ध अछि। हिनकर आजीवन योगदान पर कतेको विद्वान आ शोधकर्ता लोकनि अनेकानेक पोथी लिखने छथि जाहि मध्य भिखारी ठाकुर (भोजपुरिया-डॉट-कॉम् पर, अंग्रेजी में), भिखारी ठाकुर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर समर्पित जाल स्थल (bidesia.co.in), सूत्रधार (भिखारी ठाकुर के जीवन पर सुप्रसिद्ध कथाकार संजीव का उपन्यास), भिखारी ठाकुर कृत बिदेसिया नाटक (pdf file), भिखारी ठाकुर का एकमात्र प्रकाशित साक्षात्कार (बिदेसिया, 1987 में प्रकाशित), लोक कला मर्मज्ञ और सुप्रसिद्ध नाटककार जगदीश चंद्र माथुर का भिखारी ठाकुर पर संस्मरण (1971 में प्रकाशित), एंजोय डर्टी पिक्चर, वी कांट टॉलरेट लौंडा (परिचयात्मक आलेख), ब्रेख्त, भिखारी, बादल और बोल (भिखारी ठाकुर के रंगमंचीय अवदान पर तुलनात्मक आलेख), आदि प्रमुख अछि। (स्रोतः विकिपेडिया)