कन्या भ्रूण हत्याक यथार्थ स्थिति आ नेपाल मे सामाजिक तथा संवैधानिक प्रचलन

समाचार-आलेखः कान्तिपूर नेपाली (लेखकः लिला श्रेष्ठ)

अनुवादः प्रवीण नारायण चौधरी
 
फाल्गुन २३, २०७३ – भक्तपुर १५, इताछें केर ३३ वर्षीया रंजिता (नाम परिवर्तन) केर १० आर ७ वर्षक दुइ गोट बेटी छन्हि। एक–एक बेटा-बेटीक इच्छा रखनिहारि रंजिता दम्पती केँ सोच अनुरूप नहि भ सकलैन। पहिल सन्तान बेटी भेला धरि हुनकर परिवार मे हँसी-खुशी छल। दोसर सन्तानक रूप मे पुनः बेटीक आगमन भेलाक बाद खिन्नता शुरु भऽ गेलैक। परिवार आर पर-पड़ोसी सेहो ‘बेटिये भेलैक’ कहय लगलैक।
 
पति तथा घरपरिवार सेहो ‘वंश जोगेबाक लेल त बेटे चाही’ कहय लगलाक बाद तेसर सन्तान जन्मेबाक सहमति होयबाक बात ओ सुनेलनि। तेसर गर्भ सेहो ठहरल। गर्भवती भेलाक किछुए सप्ताह मे बेटा होयत त राखब, बेटी होयत त गर्भपतन करेबाक सहमति अनुरूप भ्रूणक लिंग परीक्षण करायल गेल। लिंग परीक्षण केला सँ बेटी होयबाक बातपर गर्भपतन करेबाक लेल बाध्य होयबाक बात सेहो ओ स्वीकारली। वैधानिकताप्राप्त गर्भपतन केन्द्रक चिकित्सकक सल्लाह मे भ्रूण परीक्षण करबाककय गर्भपतन करेबाक बात ओ कहली। हाल धरि परिवारक सहमति मे तेसर बेर भ्रूणहत्या करेबाक आर आगु सेहो परिवार द्वारा कुल तथा वंश जोगेबाक लेल बेटा जन्माबहिये पड़त दबाव दैत एबाक ओ उपराग सेहो देली।
 
पैसाक लोभ मे वैधानिकता पेने चिकित्सक द्वारा भ्रूणक पहिचान करबैत गर्भपतन करेबाक समान अवैधानिक कार्य करेबाक प्रचलन रहल देखल गेल अछि। ‘बाध्य भेलाक बादे तेसर गर्भक भ्रूण हत्या करय पड़ल’, रंजिता अपन दुःख सुनौलनि, ‘बेटा जन्मेबाक बातमे पति, घरपरिवारक दबाव बहुते भेल।’
रंजिते जेकाँ सूर्यविनायक, कटुञ्जेक सारिका (नाम परिवर्तन) केर ५ आर ३ वर्षक बेटी छन्हि। पहिल आर दोसर सन्तान बेटिये भेलापर ३ वर्षक बाद तेसर सन्तानक रूपमे बेटा जन्मेबाक सहमति मे गर्भवती भेली। मुदा, परीक्षण करेलापर बेटी रहबाक परिणाम सुनि परिवारक दबाव मे गर्भपतन करेबाक बात ओ बतौलनि।
 
गर्भ मे रहल भ्रूणक लिंग पुरुष वा स्त्री केर पहिचान करौनाय अबैध होएछ। भ्रूणक लिंग परीक्षण कानुनद्वारा निषेधित छैक। ‘गर्भ मे रहल बच्चा आर मायक स्वास्थ्य अवस्था सम्बन्ध मे जानकारी लेबाक लेल भिडियो एक्स–रे (अल्ट्रासाउन्ड) करा सकैत छी’, महिला कानुन तथा विकास मञ्चक अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मीरा ढुंगाना कहली, ‘मुदा, अल्ट्रासाउन्ड कराकय भ्रूणक लिंग बेटा आ कि बेटी पहिचान नहि करा सकैत छी। एहेन कार्य कएल गेल त अपराध भेल।’
 
दुर्गम क्षेत्र सँ बेसी सुगम, शहरी आर शिक्षित क्षेत्रक परिवार द्वारा भ्रूण हत्या केँ सामान्य रूपमे लेल जेबाक बात सरोकारवाला सब बतबैत छथि। ‘पहिचान कयकेँ भ्रूण हत्या करेबाक संख्या विकराल बनैत जा रहल अछि’, डा. इवामुरा मेमोरियल अस्पतालक स्त्रीरोग विशेषज्ञ डा. शोभा मारिखु श्रेष्ठ बतौलनि, ओ कहलनि, ‘पढल-लिखल व्यक्ति सब केँ बेटा जन्मेबाक चक्कर मे बेटीक भ्रूण हत्या करैत अछि।’
 
कतिपय दम्पति कतहु बाहरे कोनो क्लिनिक मे भ्रूणक लिंग पहिचान करेलाक बाद गर्भपतन करेबाक लेल अस्पताल आयल करैत अछि ओ कहली। लिंग पहिचान करेनाइये अपराध होयबाक आर लगातारक गर्भपतन सँ महिलाक स्वास्थ्य व शारीरिक एवम् मानसिक रूप मे असर करबाक बात कहलोपर उल्टे जतेको पाइ खर्च करैत गर्भपतन कराबय लेल लोभायल रहबाक बात सेहो ओ सुनौली। कतिपय स्वास्थ्य क्षेत्र मे कार्यरत सेहो लिंग पहिचान कराकय भ्रूण हत्या करेबाक सेहो उदाहरण रहबाक बात डा. श्रेष्ठक कहब छल।
 
कतिपय महिला द्वारा बाहरक कोनो क्लिनिक मे भ्रूणक लिंग पहिचान करेलाक बाद औषधि पसल मे गर्भपतन कराबयवला दबाइ कीनकय सेवन कएल जेबाक उदाहरण सेहो देखल गेल अछि। ‘बाहरे दोकान मे कीनल दबाइ खाकय सामान्य ब्लिडिङ भेलापर गर्भपतन भऽ गेल ई बुझिकय लोक रहि जाएत अछि। बाद मे गर्भ मे बच्चा चलय लगलापर ५/६ महीनाक गर्भपतन करेबाक लेल पर्यन्त आयल करैत अछि’, डा. श्रेष्ठ बतौलनि।
 
सम्पन्न, शिक्षित आर शहरी दम्पति द्वारा बेसी मात्रा मे लिंग पहिचान कएला उपरान्त बेटीक भ्रूण हत्या करायल जेबाक बात अधिवक्ता ढुंगाना सेहो कहलनि। परिवारक सहमति मे पहिचानक बाद गर्भपतन करेबाक काज केलाक बादो उचित शिकायत भेलापर कानुनी दायरा सँ बाहरे भऽ रहल एहेन आपराधिक घटना घटबाक क्रम बढत ओ बतौलनि। ग्रामीण क्षेत्रक अशिक्षित, निम्न आयस्रोतक आर पिछडल वर्गक महिला बेसी पिसेबाक आर कानुनी दायरामे पड़ि जेबाक बात सेहो ओ बतौलनि। एहि तरहें लिंग पहिचान करेबाक आधार मे कानुनी दायरा मे आयल घटना तैयो अत्यन्त कम देखाएत अछि।
 
बेटे जन्म देबाक दबावक कारण कतेको महिला शारीरिक तथा मानसिक रोग सभक शिकार होयबाक उदाहरणक कमी नहि छैक। वीरेन्द्रनगरक ४० वर्षीया राधा (नाम परिर्वतन) दुइ गोट बेटी जन्म देलनि। बेटाक जन्म हो ई परिवार आर श्रीमान् (पति) बेर-बेर दबाव देबय लगलखिन। ‘बेटा पैदा कय केँ देखा’ कहैत देल गेल बहुते दबावक कारण ओ मानसिक रूप सँ विचलित भऽ गेलीह। ओ कतेको समय धरि अस्पताल मे भर्ती भऽ मानसिक औषधि सेवन करय लेल बाध्य भेलीह। उमेर ४० कटि गेलाक बादो बेटाक जन्म देबाक दबाव रहबाक आर अपने घर रहैत आन ठाम भाड़ाक घर मे ओ रहि रहल छथि कहली। 
 
आबक समय बेटा–बेटीमे भेदभाव नहि छैक। कुल/वंशजक नाम मे बेटा जन्माबहिये पड़त से मान्यता लेकिन नहि घटबाक बात भक्तपुरक पूर्णबहादुर सुवालक अनुभूति कहैछ। सुवाल दम्पति बेटाक आशा मे ५ गोट बेटीक जन्म देलनि। ‘बेटा जन्म लेबाक आशा मे बेटिये-बेटी जन्म लैत रहल, लेकिन भ्रूण हत्या नहि करेलहुँ,’ सुवाल कहला, ‘लिंग पहिचान कएला बाद भ्रूण हत्या करब पाप आर अपराध होएछ। समाजक लेल सेहो बेटाक जन्म देनाय बाध्यता भेल। बेटा सँ होयत त किछुओ नहि मुदा हमरा लोकनिक समाज द्वारा बेटिये-बेटी भेल परिवार केँ देखबाक दृष्टिकोण कमजोर अछि।’ हिनका लोकनिक बेटा सेहो जन्म लेलक अछि। 
 
गोटेक मान्यता लेकिन फरक छैक। बेटाक जन्म हो ताहि लेल बिस्केट यात्रा मे ठाढ अष्टमातृका सहितक ५५ हाथक लिंग केर मुंहपर बान्हल फूल तथा प्रसाद उठेबाक मान्यता एखनहु रहबाक बात सुवाल कहलनि। हजारौंक भीड़ सँ डोरी मे झुलैत जानक बाजी राखि लिंग मे बान्हल फूल तोड़िकय अनला सँ बेटाक जन्म होयबाक कहबी प्रचलित छैक। तहिना, सेतो मच्छिन्द्रनाथक लिंग ऊपर चढायल गेल नारियल पुजारी द्वारा भुइयाँ पर खसेबाक समय ओ उठाकय फेर सँ मच्छिन्द्रनाथ केँ चढा सकब त पक्का बेटा होयत ईहो जनविश्वास रहबाक बात ओ सुनेलनि।
 
हिन्दु परम्परानुसार मृत्युक बाद बेटे टा काज-किरिया करत आर कुल/वंशज ओकरहि सँ निर्वहन होयबाक मान्यताक कारण बेटाक जन्म देबाक होड़ कम नहि होयबाक धारणा अछि। कतिपय व्यक्ति त बेटाक जन्म लेल भाग्य सँ तूलना करबाक आ देखेबाक लेल आयल करैत छथि से ज्योतिषी रत्न न्हेमरू बतेलनि। वर्ष मे डेढ सय सँ बेसी लोक बेटा होयत कि नहि से पूछैत हाथ देखाबय लेल आयल करैत छथि कहलैन। 
 
मुलुकी ऐन केर ज्यान सम्बन्धी महल (२८) ‘ग’ मे गर्भ मे रहल भ्रूणक लिंग पहिचान मात्र करेनिहार केँ सेहो तीन सँ छ महीना धरिक कैद आर पहिचान केला उत्तर गर्भपतन करेनिहार केँ छ महीना सँ दुई वर्ष धरिक कैद केर व्यवस्था रहबाक बात वरिष्ठ अधिवक्ता ढुंगाना द्वारा जानकारी भेटल। परिवार आर श्रीमानकेर सल्लाह सँ गर्भपतन करेबाक कारण अहु विरुद्ध कियो उजुरी (शिकायत) नहि दैछ मुदा गर्भपतनक बाद विभिन्न शारीरिक समस्या एलापर सेहो महिला पिसाएत रहबाक प्रवृत्ति कायमे रहैछ हुनकर कथन छन्हि।
 

महिलाक स्वनिर्णय मे १२ सप्ताह धरिक गर्भपतन करायल जा सकैछ, गर्भ हाडनाता (अबैध शारीरिक सम्बन्ध) वा बलात्कार सँ रहि जेबाक बात प्रमाणित भेलापर अभिभावकक मन्जुरी मे गर्भपतन करायल जा सकैछ, माय तथा बच्चा मे कोनो जोखिम देखल गेल पर सम्बन्धित चिकित्सकक सल्लाह मुताबिक मात्र गर्भपतन करायल जेबाक प्रावधान छैक। एकर अलावे भ्रूणक लिंग पहिचान धरि नहि करा सकैत छी।

प्रकाशित: फाल्गुन २३, २०७३ ।