मैथिली दिवस – ८ जनवरी कियैक आर कोना

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दिवस विशेष आलेख

– प्रवीण नारायण चौधरी

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करोड़ों मैथिलीभाषी लेल आजुक दिन विशिष्ट एहि वास्ते अछि जे औझके दिन भारतीय संविधानक ८म् अनुसूची मे मैथिली भाषा केँ शामिल करबाक घोषणा भारतीय राज-पत्र (गजेट) मे प्रकाशित कैल गेल। आउ, पूरा प्रक्रिया पर एक दृष्टि दी।

संविधान मे मैथिली

भारतीय संविधानक ९२वाँ संशोधन जेकरा ‘संविधान (९२वाँ संशोधन) अधिनियम, २००३’ कहल जाएछ ताहि द्वारा बोडो, डोगरी, संथाली आर मैथिली केँ संविधान द्वारा मान्य भाषाक सूची मे जोड़ल गेल आर एहि तरहें कुल २२ भाषा अनुसूची मे मान्य भाषाक रूप मे दर्ज भऽ चुकल। ८म अनुसूची मे भाषा केँ सूचीकृत करबाक मतलब भारत सरकार ओहि भाषा केर विकास लेल उत्तरदायी होयब होएत अछि।

सरकार पर सवाल – मैथिलीभाषी पर सवाल

सन्दर्भवश, ई एकटा इतर प्रश्न ठाढ अछि जे आखिर भारत सरकार आइ २००४ सँ २०१७ कुल १३ वर्ष बीत गेलाक बाद कतेक विकास केर काज केलक। संगहि स्वयं मैथिलीभाषी अपन भाषिक अधिकार लेल कतेक सजग पहिने छलाह आर एहि बीच मे हुनका सब केँ कि सब फायदा भेटलनि, कि आरो भेटबाक चाही, ताहि सब पर कतेक जागरुक आ सजग छथि – ईहो विषय अलग सँ मनन योग्य अछि।

८म अनुसूचीक इतिहास

शुरु मे संविधानक आठम अनुसूची मे मात्र १४ टा भाषा दर्ज छल। २१वाँ संशोधन सँ सिन्धी १९६७ सँ लागू भेल; तहिना ७१वाँ संशोधन सँ कोंकणी, मणिपूरी आ नेपाली केँ १९९२ सँ लागू कैल गेल। आर २००३ केर ९२वाँ संशोधन सँ पुनः ४ गोट भाषा सहित कुल २२ भाषा केँ जोड़ल जा चुकल अछि। किछु आरो भाषा सब केँ जोड़बाक मांग जोरदार तरीका सँ उठैत रहल अछि। पुनः भाषा सम्बन्धी संशोधन अति शीघ्र घोषित होयत, सूत्र सँ जानकारी भेटैत अछि। भोजपुरी भाषा केँ सेहो एहि बेरक संशोधन सँ समेटबाक पुख्ता जनतब सूत्र मार्फत भेटल अछि।

प्रस्ताव आ लागू करबाक संछिप्त इतिहास

सर्वप्रथम १८ अगस्त २००३ केँ भारतक तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा संविधान (१००वाँ संशोधन) बिल, २००३ (सालक ६३वाँ बिल) केर रूप मे लोक सभा मे प्रवेश कराओल गेल जाहि मे ८म अनुसूची मे संशोधनक प्रस्ताव छल। प्रस्ताव मुताबिक स्पष्ट कहल गेल छल जे संविधानक ८म अनुसूची मे किछु आरो भाषा जोड़बाक मांग कैल गेल अछि, अतः प्रस्ताव राखि रहल छी जे बोडो भाषा केँ संविधानक आठम अनुसूची मे जोड़ल जाय।

आर बिल प्रस्तुत भेलाक बाद गृह मंत्रालयक स्थायी समिति (स्टैन्डिंग कमिटी) केँ पठाओल गेल जे पुनः अपन प्रतिवेदन (रिपोर्ट) राज्य सभा मे पठबैत बिल केँ प्रस्तुत रूप मे पास करबाक सिफारिश कैल गेल। पुनः ओ रिपोर्ट ५ दिसम्बर, २००३ केँ लोकसभा केर मंच पर पहुँचल। एहि पर २२ दिसम्बर, २००३ केँ लोकसभा मे चर्चा भेल आर ओही दिन एकरा पास सेहो कैल गेल लेकिन किछु औपचारिक संशोधनक संग – यथा, १००वाँ संशोधनक जगह ९२वाँ संशोधन शीर्षक मे उल्लेख कैल गेल। सदन द्वारा बिल केँ विचाराधीन रखबाक काल-क्रम मे पुनः लालकृष्ण आडवाणी अन्य तीन भाषा – संथाली, मैथिली आ डोगरी केँ आठम अनुसूची मे जोड़बाक संशोधन प्रस्ताव सेहो राखि चुकल छलाह। सदन ताहि संशोधन केँ सेहो स्वीकार केने छल आर एहि तरहें नव प्रतिस्थापित धारा २ अन्तर्गत बोडो केँ क्रम संख्या ३, डोगरी केँ क्रम संख्या ४, मैथिली केँ क्रम संख्या १० आर संथाली केँ क्रम संख्या १८ आ तदनुसार प्रभावित अन्य-अन्य भाषा केँ नव क्रम मे राखैत लोकसभा सँ २२ दिसम्बर, २००३ केँ आर राज्य सभा सँ २३ दिसम्बर, २००३ केँ पास कैल गेल छल।

सदन केर पटलपर के सब चर्चा मे कि-कि बजलाह

२२ दिसम्बर केँ आडवाणी बोडो भाषा केँ आठम अनुसूची मे स्थान देबाक मुख्य आधार त्रिपक्षीय समझौता जे बोडो समुदाय, आसाम राज्य सरकार आ भारत सरकार बीच भेल छल ताहि मुताबि राखल जेबाक बात कहलनि। ओहि समझौता मे भारत सरकार गछने छल जे बोडो भाषा केँ संविधानक आठम अनुसूची मे स्थान देल जायत।

जनेश्वर मिश्रा, समाजवादी पार्टीक राज्य सभा सांसद कहलैन जे अंग्रेजीक स्थान जा धरि एहि अनुसूची मे रहत ता धरि कोनो भारतीय भाषाक फूलित-फलित नहि भऽ सकैत अछि। अंग्रेजी केँ प्रतिस्थापित करबाक मांग पर प्रतिक्रिया दैत आडवाणी बजलाह जे देश मे एकता-अखंडता लेल हिन्दी आ अंग्रेजी दुनू भाषाक सह-अस्तित्व आवश्यक अछि, राष्ट्रीय एकता भाषाक मुद्दा सँ बेसी महत्वपूर्ण अछि। ओ आगू ईहो कहला जे अंग्रेजी सँ दूरी बनायब नीक नहि होयत, हुनकर अनुभूति मे अंग्रेजीक ज्ञान होयब भारत केँ चीन सँ सूचना प्राद्यौगिकीक क्षेत्र मे आगू रखैत अछि।

लक्ष्मी मल्ल सिंहवी, भाजपा राज्यसभा सांसद कहलैन जे एहि विधानक मार्फत आठम अनुसूची मे आरो भाषा केँ जोड़ब कथमपि हिन्दीक प्रभाव वा स्वीकार्यता केँ कम करब नहि अछि।

काँग्रेस सदस्य प्रणब मुखर्जी अपन मन्तव्य दैत कहला जे आठम अनुसूची मे कोनो भाषा केँ जोड़बाक बातक विरोध नहि अछि लेकिन सरकार केँ एहि सम्बन्ध मे पहिने स्थायी समिति सँ सल्लाह कय लेबाक चाहैत छल जाहि सँ आरो वृहत् आर बेसी नीक सोचल-विचारल विधान आनल जा सकैत छल। एना टुकड़ा-टुकड़ा मे आनल गेल आन भाषा जोड़बाक प्रस्ताव सँ देश मे अनावश्यक असन्तुष्टिक माहौल बनत, ई नव विवाद केँ जन्म देत।

सीपीआइ (एम) सदस्य चन्द्रकला पाण्डे एक दर्जन सँ बेसी भाषाक नाम लेलनि जे हुनका हिसाबे आठम अनुसूची मे शामिल करय योग्य छल। समाजवादी पार्टी सदस्य रमाशंकर कौशिक अपन विचार रखैत सरकार केँ भाषा आर बोली मे फरक केँ बुझबाक आवश्यकता पर जोर दैत कहलैन जे जँ अहाँ भाषा आर बोलीक अन्तर केँ बुझय मे चूक करैत छी त हिन्दी जे राजभाषाक रूप मे अछि तेकर महत्व केँ कम करैत छी आर ई भाषाक आधार पर तनावक स्थिति बनायत।

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव अपन विचार रखैत कहलैन जे कोनो भाषा या बोली केँ संविधानक आठम अनुसूची मे जोड़बाक काज अत्यन्त सावधानीपूर्वक आर वृहत् चिन्तन जाहि सँ ई सुनिश्चित कैल जाय जे परीक्षाक माध्यम भाषा, शिक्षक तकबाक काज तथा रेडियो-टेलिविजनपर कार्यक्रम प्रसारण आदि मे कतहु विवाद नहि हो।

डीएमके सदस्य एस. विदुतलाई विरुम्बी हिन्दी केँ बहुल्यजनक भाषा नहि होयबाक बात कहैत एकरा सँ राजभाषाक दर्जा हँटा लेबाक मांग केलनि, संगहि हरेक राज्य केर भाषा केँ राजभाषाक रूप मे जोड़ल जाय सेहो मांग केलनि। विरुम्बीक बात केँ रोकैत समाजवादी सदस्य अमर सिंह हिन्दी विरोध केर पूरजोर विरोध करैत कहलैन जे हम तमिल केँ सम्मान दैत छी मुदा हिन्दीक विरोध सही नहि अछि।

राष्ट्रपति द्वारा पास कैल गेल बिल केँ अधिनियम रूप मे स्वीकार

अन्ततोगत्वा राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा ७ जनवरी, २००४ केँ उपरोक्त बिल पर हस्ताक्षर कैल गेल आर ओही दिन सँ ई लागू सेहो भऽ गेल। भारतीय राज-पत्र मे एकर घोषणा ८ जनवरी, २००४ केँ कैल गेल।

आजुक दिन ८ जनवरी अत्यन्त विशिष्ट

मैथिली भाषा अधिकारकर्मी लोकनि एहि पर हर्ष व्यक्त करैत आजुक दिवस केँ ‘मैथिली दिवस’ केर रूप मे मनबैत छथि। तहिना संथाली, बोडो व डोगरीभाषी सेहो आजुक दिन केँ अत्यन्त विशिष्ट आर संवैधानिक सम्मान सँ आत्मसम्मानक बोध हेबाक चलते विभिन्न कार्यक्रम आदिक आयोजन संग मनबैत छथि। मैथिली दिवस पर संपूर्ण मैथिलीभाषी केँ मैथिली जिन्दाबादक तरफ सँ शुभकामना – सदैव अपन भाषाक सम्मान करू आर मिथिला समान अति प्राचीन ओ सुसभ्य सभ्यता केँ चमकाकय राखू।

हरिः हरः!!