विद्यापति स्मृति प्रति स्वीकार्यता बढबाक महत्वपूर्ण कारण

आलेखः विद्यापति स्मृति पर्व समारोह प्रति बढैत स्वीकार्यता

– प्रवीण नारायण चौधरी

महाकवि विद्यापति केर स्मृति मे समारोहक आयोजन आब नेपाल आ भारतहि केर मैथिल टा मे नहि बल्कि आरो-आरो देश मे मनेबाक दृष्टान्त देखाय लागल अछि। हालहि कतारदेशक राजधानी दोहा मे प्रवासी मैथिल सब साँझक चौपाड़ि केर मासिक आयोजन केँ निरंतरता दैत लगातार दोसर बेर ई समारोह मनौलनि। तहिना बेलायत मे अवस्थित मैथिल समाज द्वारा महाकवि केर स्मृति दिवस हरेक वर्ष मनेबाक समाचार सब पढिते छी। अमेरिका मे सेहो हिनक स्मृति दिवस पर मैथिल समाज एकजुट होएत छथि। हालहि एकटा आरो उत्साहवर्धक समाचार दोहा सँ विन्देश्वर ठाकुर पठौलनि जे अन्तर्राष्ट्रीय नेपाली साहित्य संस्था द्वारा सेहो महाकवि कोकिल विद्यापति केर स्मृति मे समारोहक आयोजन दोहा मे कैल जायत। एहि तरहें विद्यापति प्रति स्वीकार्यता आब विश्वस्तर पर प्रसिद्धि पाबि रहल अछि, ई कहनाय कोनो अतिश्योक्ति नहि होयत। हालहि संपन्न ब्राह्मण महासभा सुपौल केर आयोजन मे चित्तौड़गढ (राजस्थान) सँ सांसद सी. पी. जोशी मंच पर घोषणा कएलनि जे स्वयं अपरिचित रहितो आइ जाहि तरहक आयोजन महाकविक नाम पर आयोजित भेल जाहि मे ओ सहभागिता देलनि ई बात हुनका बहुत प्रभावित केलक आर ई संस्कार ओ राजस्थानक लोकमानस मे सेहो पहुँचेता।

vidyapatidham-lachhminiyaदोसर दिस अपने मिथिलाक भीतर आत्मालोचना सेहो कैल जाएत अछि जे विद्यापति स्मृति पर्व समारोह केर औचित्य कि आर मात्र विद्यापति केर स्मृति कियैक? आयोजन पर कैल जा रहल करोड़ों केर खर्चक सार्थकता आखिर समाज केँ कि दय रहल अछि। विद्यापति केर नाम पर आयोजक अपन स्वार्थ सिद्धिपर बेसी फोकस करैत अछि। दारू, माछ, फूहर गीत-संगीत-नृत्य आदिक प्रयोग सेहो देखल जाएछ। सब तरहें एकर औचित्य पर कतेको ठाम प्रश्न देखल, एतय सहज रूपमें औचित्यपर किछु प्रकाश देबय लेल चाहब।

विद्यापति स्मृति समारोह केर सार्थक अर्थ होएत छैक – विद्वानक स्मृति, विद्याधन केर महत्त्वक गान, आबयवाला पीढीमें विद्या अर्जन हेतु सचेतनाक जागृति, संस्कृतिक महत्त्व प्रस्तुत करयवला प्रदर्शन, भाषिक-सांस्कृतिक पहिचान केँ बुझब आ ओकरा मजबूती प्रदान करब, इत्यादि!

एक विद्यापति अपन सर्वहिताय-सर्वसुखाय सिद्धान्तकेर चलते जनकवि बनि गेलाह आ हुनकर सोच-दर्शन में प्रजाप्रेम, जनकल्याण, ईशक मान व सद्भक्तिसम्पन्नता आ नहि जानि कतेको गुण देखल जाएत अछि। हिनक स्मृति दिवस केर माने कदापि ई नहि जे बस दस गो गीत सुनू आ फूहरताक शिकार आधुनिक मंचसँ अपन एकजूटता मात्रकेर प्रदर्शन करैत नामकरण करू कि विद्यापति स्मृति पर्व समारोह वा आइ-काल्हिक नाम मिथिला विभूति सम्मान दिवस आदिक रूपमें मना लेल।

एकर औचित्य केर बहुतो रास सार्थक संदेश छैक। जेना:

*विद्वान्‌ प्रति श्रद्धाञ्जलि अर्पण
*विद्याक प्रभाव सम्बन्ध में वर्तमान पीढीमें प्रेरणा वितरण
*विद्याधन सँ अलंकृत होयबाक संदेश
*संस्कृति आ सभ्यता केर विरासत पर प्रकाश
*कवि कोकिल वा अन्य विभूतिक योगदान पर चर्चा
*एक कवि द्वारा समाजक दिशा व दशा निर्धारणमें कतेक महत्त्वपूर्ण योगदान होएछ ताहि पर चिन्तन-मनन
*विद्यापति एक: गुण अनेक – हुनक जीवन-चरित्र सँ सार्थक सन्देश लेब
*समर्पित शरणागत तत्त्वक विश्लेषण
*महादेव भगवान् सेहो भक्तकेर मान रखलन्हि, उगना सेवक बनिकय भक्त विद्यापतिक संग रहलाह

*तकनीकी फायदा – कार्यक्रम आयोजन-संयोजनसँ एकजुटताक संदेश, सामूहिक प्रयास सँ चुनौतीपूर्ण आ कठिन टास्क पूरा करबाक सामर्थ्य बनैछ
*संगठन निर्माण होएछ आर सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक कार्य करबाक सम्बल भेटैछ
*समाजिक शक्ति निर्माण
*गीत-संगीत-नाटकसँ संस्कृतिक भूत, वर्तमान व भविष्यक चर्चा
*ताजापनके प्रवेश
*नाटक सँ समाजिक कूरीति पर प्रहार, चेतनामूलक संदेशकेर प्रसार
*समाजिक-प्रादेशिक-राष्ट्रीय एवं मानवीय हर स्तर पर सुधार व विकास लेल संकल्प
*समारोह द्वारा अपन पहचान स्थापित करब
*समग्र विकासमें एवं मानवीय सभ्यताके संभारणमें अपन सहभागिता प्रति संसारकेँ संदेश-संवाद प्रवाह

कतेक सार्थक बात गनाओ? एकर अन्त नहि अछि। लेकिन एहि लेल हमरा-अहाँमें एहि तरहक कर्मठ प्रतिबद्धता रहबाक चाही। धन्य विद्यापति पर्व समारोह जे आइयो मिथिलत्त्व संसारमें बाँचल अछि। अंशतः सही, मिथिलाके प्राण रक्षा करबा में एहि समारोह के जतेक योगदान छैक आन कथुओ के नहि!

आब तऽ विकृति एतेक हावी छैक जे स्वयं मैथिल अपन भाषा, भुषा आ भूषण के परित्याग करय में रत छथि आ छाती फूलाके बजैत छथि जे आब मिथिला-मैथिलीमें बचल कि अछि… बूड़ि नहितन! 🙂 लेकिन धन्य ई समारोह जे संसारमें मिथिलाक जयकारा आइयो लगा दैत अछि। ई त सत्य छैक जे जहिना धार्मिक पूजा-पाठ मे छैठ मनेबाक परंपरा आइ विश्व केर आनो-आन समुदाय मे लोकप्रियता हासिल करैत सब तैर मनायल जाय लागल अछि, किछु वर्ष मे विद्यापति केर स्मृति मैथिल केर अतिरिक्त गैर मैथिलजन सेहो मनाबय लगता कारण एकर प्रासंगिकताक जैड़ मे विद्या-वैभव केर गान छैक जे अमरतत्त्वक कार्य कय रहल अछि।

हरिः हरः!!