मिथिलावादी राजनीति मात्र भ्रम आ कुप्रचार केँ ध्वस्त कय सकत

विशेष सम्पादकीय

सन्दर्भः मिथिला लेल राजनीति – विभिन्न प्रकारक भ्रम सँ ऊबारक एकमात्र अन्तिम विकल्प

आदर्शक बात मिथिला मात्र कय सकैत अछि

समाजवादक काज मिथिला मात्र कय सकैत अछि

ओना त मैथिली भाषा केँ आभिजात्य वर्गक भाषा बनेबाक आ मिथिला केवल एकल जातिक पहचान हेबाक जेहेन अनेकों कुत्सित आ कुटिल भ्रम पसारबाक काज विगत कइएक दशक सँ भारत मे आ आब २०१५ ई. मे नया संविधान बनि जेबाक बाद नेपाल मे मैथिली-मिथिलाक स्थिति मजबूत होइत देखि अपन राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि मे मिथिलाक नाम सँ घबराहट पेनिहार कतेको राजनीतिक शक्ति द्वारा भ्रम पसारिकय ‘कनही गाय के अलगे बथान’ वाली स्थिति बना देल गेल अछि।

एहि सम्पूर्ण भ्रम केँ दूर करबाक लेल समय-समय पर छोटछिन संस्था, समूह, कलाकर्म, भाषा अभियान, संस्कृति संरक्षण आदिक प्रयास द्वारा कयल जाइत रहल अछि; लेकिन आखिरकार २२ जिलाक मधेश आ समग्र मधेश एक प्रदेश केर महत्वपूर्ण मुद्दा जखन हारि जाइत अछि, नेपालक संघीयता मे प्रदेश २ केर अवधारणा (सीमांकन) विशुद्ध मिथिलाक्षेत्र लेल मात्र कयल जाइत अछि, तखन प्रथम प्रदेश सभा आ मधेशवादी राजनीतिक दल संग अन्य परम्परावादी राजनीतिक दल द्वारा दुइ तिहाई बहुमत सँ प्रदेशक नाम ‘मधेश प्रदेश’ राखि देल जाइछ त वैह बात सिद्ध होइछ जे ई राजनीतिक शक्ति द्वारा मिथिला केँ केवल धार्मिक, भाषिक पहिचान मानि सदा-सदा लेल राजनीतिक तौरपर मृत्युदान करबाक मनसाय बना लेल गेल अछि। एहेन अवस्था मे मिथिला लेल आब आन कोनो उपाय कारगर सिद्ध नहि भऽ सकैत अछि सिवाये राजनीतिक संघर्ष के। आर एहि लेल काल्हि शनि दिन २२ जनवरी २०२२ एकटा जूम बैसार कयल गेल छल जाहि मे खुल्ला सहभागिताक आमंत्रणा संग मिथिला लेल राजनीति विषय पर विमर्श कयल गेल। मीटिंग केर पहिल राउन्ड दिन मे १ बजे सँ भेल छल, जेकर प्रतिवेदन हम फेसबुक पर पोस्ट कएने रही। मैथिल महासंघ नेपाल केर मटिहानी बैसार आ ओतय के घोषणापत्र एवं २०५६ वि. सं. सालहि मे राजनीतिक दल के रूप मे मिथिला लेल राजनीतिक संघर्ष केर निर्णय बहुत सारगर्भित रूप सँ एबाक बात साझा कयने रही। पुनः दोसर राउन्ड के मीटिंग वैह विषय पर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक लोकनिक संग भेल छल, जेकर प्रतिवेदन आइ प्रकाशित करब।

मैथिली भाषाक नव संचार माध्यम (प्रिन्ट मीडिया मे मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश) मार्फत काल्हिक बैसार केँ हेडलाइन बनायल गेल अछि, ई जनतब एखनहि कनिकाल पूर्व कार्यकारी सम्पादक किसलय कृष्ण देलनि। यैह अभाव छलय, एखनहुँ धरि किछु हद तक अछिये मैथिली-मिथिला लेल… अपन संचार माध्यम मजबूत नहि हेबाक कारण कुम्हर बतिया बुझि जे-से मैथिली-मिथिला पर कुत्सित बयान आ आरोप-प्रत्यारोप करय लगैत अछि। लोक मे भ्रम उत्पन्न भ’ गेल करैत छैक जे सही मे कहीं ई आरोप सही त नहि! लेकिन ‘मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश’ केर हम हृदयतल सँ धन्यवाद करय चाहब जे हमर प्रयास केँ हेडलाइन्स मे स्थान देबाक काज कयलनि। बेर-बेर धन्यवाद।

हम एखनहुँ बुझि रहल छी जे मिथिला के नाम पर राजनीति लेल हमरा लोकनिक सामर्थ्य मे कय तरहक समस्या अछि। सीना फुलाकय ई बाजयवला स्थिति नहि रहि गेल अछि आजुक समय मे जे मिथिला लेल राजनीति सफल होयत आ राजनीति करबाके टा चाही। कारण बहुत अछि। हम मैथिल सच मे छिड़ियायल आ अनार्किज्म (अराजक अवस्थाक मिथिला राज्य निवासी) छी। इतिहास कहैत अछि जे ५७वाँ राजा जनक (कीर्ति कराल) केँ जनता विद्रोह कय गद्दी सँ अपदस्थ कय देलक आ तेकर बाद सैकड़ों वर्ष धरि मिथिला अनार्कीज्म के शिकार रहल। बाद मे गोपाल वंश, लिच्छवी वंश, सेन वंश, मगधक आधिपत्य, छोट-छोट रियासत मे बँटल मिथिला येन-केन प्रकारेण चलैत रहल अछि। पुनः सुगौली सन्धि सँ दुइ देशक हिस्सा होयब, फेर ब्रिटिशकालीन भारतक उपनिवेश मे मिथिलाक दीन अवस्था, गोटेक राजा-महाराजा द्वारा कदाकिञ्चित मैथिली-मिथिला लेल योगदान, एम्हर नेपाल मे सेहो मल्लकालीन शासन मे राजकाजक भाषा होयबाक शिखर उपलब्धि हासिल कयल मैथिली, नान्यदेव व कर्णाटकालीन मिथिलाक राजधानी सिमरौनगढ़, सिन्धुलीगढी आ मकवानपुर राजा संग-संग विजयपुर, भेड़ियारी (भीम कैवर्त्यक राजधानी) तक केर इतिहास सम्बद्ध मिथिला वर्तमान संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र धरि अबैत-अबैत नेपालक सर्वथा महत्वपूर्ण आ उच्च मूल्यक ‘मधेश उत्पीड़न-दमन विरूद्धक मधेशवादी राजनीति’ केर तहत अत्यन्त ऐतिहासिक आ अविस्मरणीय ‘मधेश आन्दोलन’ तक देखैत ‘मधेशी पहचान’ केर राजनीतिक तौर पर प्रदत्त एथनिक आइडेन्टिटी केर संघर्ष मे अपन निजताक बलिदान दय कय संग दैत आखिरकार नव संविधान प्रदत्त प्रदेश २ केर नामकरण आ संविधानप्रदत्त भाषा आयोग केर सिफारिश उपरान्तहु एखन धरि प्रदेश-२ मे मैथिली सहित अन्य सिफारिश भेल भाषा केँ कामकाजक भाषा तक नहि बनेनाय – स्पष्टतः मौलिकताक हत्याक संकेत दय रहल अछि। आर तेँ, आब त मिथिलावादी राजनीति एतय हेबाके टा चाही। मधेशवादी राजनीति केर चरित्र आ छली प्रवृत्ति विरूद्ध बिगुल बजबाके टा चाही, यैह सोचि काल्हिक खुल्ला विमर्श आयोजित भेल छल जे काफी समय-सान्दर्भिक आ सारगर्भित चर्चाक संग सम्पन्न भेल।

निरपेक्ष तौर पर नेपाल या भारत या पूरे संसार मे वर्तमान समय राजनीति जनताक सुख-सुविधा आ परस्पर सहयोग-समृद्धिक नीति सँ इतर अपन-अपन डफली, अपन-अपन राग केर आलाप-प्रलाप पर चलि रहल देखाइत अछि। हम त स्पष्ट छी जे राजनीति आइ ‘कारपोरेट और्गनाइजेशन’ केर मैनेजमेन्ट वला फन्डा पर विशुद्ध व्यवसायिक व्यवस्थापन मात्र थिक। Pure Commercial Management केर तौर पर राजनीति जँ कोनो आन राजनीतिक आधार पर चलि सकैत अछि जाहि मे राष्ट्रवाद, मधेशवाद, समाजवाद, पूँजीवाद, साम्यवाद आदि कोनो तरहक वाद (इज्म) लागू होइछ त ‘मिथिलावाद’ केँ सब सँ ऊपर स्थान भेटबाक चाही। एहि क्रम मे हम महाभारतक शान्तिपर्व मे पुरोधा युधिष्ठिर, भीष्म पितामह, व अन्य बीच याज्ञवल्क्य, कपिल, जनकादिक सन्दर्भ आ मिथिलाक वैशेषिक, न्याय, मीमांसा आ सांख्य दर्शनक चर्चाक सन्दर्भ लिखैत यैह कहब जे ‘आदर्शवाद आ समाजवाद’ केर जनककालीन सिद्धान्त जाहि पर एतुका जीवन प्रणाली आइ दरि वेदान्त अनुरूप चलबाक मान्यता अछि, यैह टा समाजक मूलभूत संरचना आ प्रचलित जीवन पद्धति अनुरूप शुद्धतावादी राजनीति संचालित कय सकैत अछि। तेँ, मिथिला दल केर स्थापनाक मटिहानी घोषणापत्र पर अमल करबाक बेर भ’ गेल अछि।
दोसर बात – मिथिला राज्य संघर्ष समिति आ एकर अन्तिम समय केर आन्दोलन, नेपाल सरकार संग ५-बुन्दे समझौता जाहि मे मधेशक समग्रता प्रति समर्पण केर भाव संग मिथिला राज्य केर सन्दर्भ मे ऐतिहासिक समझौता भेल अछि, ताहि सभक आधार पर मात्र ५ शहीदहि केर बल सँ मिथिलाक जन-जन बीच जाय कय अनेरक कुप्रचार-कुत्सित-कुटिल भ्रम केँ समाप्त करैत जनहित-जनकल्याणक आ जनकहि केर समाजवाद आधारित राजनीति केँ प्रश्रय देल जेबाक चाही, ई हमर सोच अछि। एहि दिशा मे अनेकानेक वरिष्ठजन सब सँ निरन्तर चर्चा चलि रहल अछि। आइयो अग्रज श्यामसुन्दर शशि भाइजी संग चर्चा भेल। वृहत् विमर्श मे हमरा सभक सोच मे एकता अभरल। सब कियो विजन डकुमेन्ट लिखथि। कोनो हड़बड़ी नहि, कोनो आक्रोशित प्रतिक्रिया नहि, चरैवेति-चरैवेति केर मूल सिद्धान्त पर ‘निजता’ केर रक्षार्थ अत्यन्त बुनियादी विचारधारा पर आगू बढल जाय। बस ध्यान ई रखबाक अछि जे जमीनी जनता के अलावा आकाशी विज्ञ केर अन्हेरक महत्व बिना देने काज कयल जाय। राजनीति करबाक अधिकार सब के पास छैक, मिथिलावाद लेल सेहो राजनीति हेबाके टा चाही। यैह सूत्र सब भ्रम आ कुप्रचार केँ ध्वस्त करैत मिथिलाक पहचान केँ जियाओत।
हरिः हरः!!