कोशी आरती – मैथिली कवि अरविन्द मिश्र नीरज कृत्

१० जनवरी २०२२ । मैथिली जिन्दाबाद!!

मैथिली भाषा जनगणना मे दर्ज कराउ, संविधान मे अपन मिथिला राज्य केँ लाउ – एहि आह्वान संग मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा आयोजित मिथिला पुनर्जागरण यात्रा केर दोसर चरण मे मिथिलाक एक सुप्रसिद्ध कारू खिरहर स्थान मे प्रथम दिनक विश्राम आयोजित भेल छल। एहि क्रम मे कारू बाबाक भव्य मन्दिर केर एकदम बगल सँ बहि रहल कोशीक अविरल धारा केँ भोर-साँझ आरती करबाक प्रस्ताव सेहो पारित कयल गेल रहय। आरतीक रूप मे मैथिली कवि (गीतकार) अरविन्द मिश्र नीरज केर रचित ई गीत उपलब्ध भेटल अछि। एहि आरती केँ रूपम हृदय अपन सुमधुर आवाज मे गायन कयलीह अछि। नीलम कैसेट्स दिल्ली एकर रेकर्डिंग कय रहल अछि आर ई शीघ्रहि आम श्रोता आ कोशी-श्रद्धालू लोकनि लेल उपलब्ध होयत।

जय सुरसरि कोशी, मैया जय सुरसरि कोशी।

अँही अयोध्या मथुरा अँही हमर काशी॥

जय सुरसरि कोशी….॥

अँहि गंगा अँहि यमुना सरयुग अवधेशी।

अन्तः सलिला सरस्वती छी निर्मल जल रासी॥

जय सुरसरि कोशी….॥

गाधीमुनि तनया तू विश्वामित्र भगिनी।

जानि सकत के महिमा अविवेकी प्राणी॥

काश पटेरक बीच बसी, जय सदा मुक्त केशी।

अँही अयोध्या मथुरा अँही हमर काशी॥

जय सुरसरि कोशी…..॥

प्रण प्रबल अहाँके तोड़ि सकल नहि, कोनो पराक्रम धारी ।

ऋचीक भार्या कहाकेँ देवी, रहलौं अहाँ कुमारी॥

छी स्वछन्द के रोकि सकै अछि, तिहूलोक बासी।

अँही अयोध्या मथुरा अँही हमर काशी॥

जय सुरसरि कोशी…..॥

मकड़पृष्ठ पर राजित छी अँहा क्षिप्र गती धारी।

उमरि घुमरि घहराबी लहराबी चुनरी॥

क्षमा मंगै छी पद स्पर्शक हम सभ छी दोषी।

अँही अयोध्या मथुरा अँही हमर काशी॥

जय सुरसरि कोशी….॥

निःसरित हिमालय सँ नित नित सिंचित करि धरती।

उर्वर शक्ति पवै अछि ऊसर भेल परती॥

अँहीक कृपासँ मुदित रहै छथि अहाँक तट बासी।

अँही अयोध्या मधुरा अँही हमर काशी॥

जय सुरसरि कोशी….॥

भगवती कोशीक आरती जे कियो जन गाबय।

कह अरविंद हृदय स्वर सँ ओ सुख सम्पति पाबय॥

आबाल वृद्ध सभ नर नारी अछि बनल दास दासी।

अँही अयोध्या मथुरा अँही हमर काशी॥

जय सुरसरि कोशी….॥