“रामसं पैघ रामकें नाम”

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— आभा झा।                           

# हमर _ राम
“भगवान रामक आदर्श व्यक्तित्व ”
राम केवल एक नाम नहिं अछि। राम हिन्दुक एकता और अखंडताक प्रतीक अछि। राम सनातन धर्मक पहचान अछि।राम केवल दू अक्षरक नाम नहीं,
राम तऽ प्रत्येक प्राणी में रमल छथि,राम चेतना और सजीवताक प्रमाण छथि। अहि नाम में ओ शक्ति अछि जे हजार
लाखक मंत्रक जाप में सेहो नहीं अछि।
हिन्दु धर्म में भगवान विष्णुक दशावतारक उल्लेख अछि। राम भगवान विष्णुक सातम अवतार मानल गेल छथि। मत्स्य,कूर्म,वराह,नृसिंह,वामन
परशुराम,राम,कृष्ण,बुद्ध और कल्कि।
रामक जीवनकाल एवं पराक्रम महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायणक रूप में लिखल गेल अछि। बाद में तुलसीदास सेहो भक्ति काव्य श्री रामचरितमानसक रचनाकार राम के आदर्श पुरूष कहलखिन।रामक जन्म त्रेतायुग में भेल छलनि। भगवान राम आदर्श व्यक्तित्व के प्रतीक छलाह। परिदृश्य अतीतक हो या वर्तमानक जनमानस हुनकर आदर्श के खूब बुझैत छलनि। रामक पूरा जीवन आदर्श,संघर्ष सँ भरल अछि। राम खाली एक आदर्श पुत्रे टा नहीं,आदर्श पति और आदर्श भाई सेहो छलाह। रामक आदर्श लक्ष्मण रेखाक ओहि मर्यादाक समान अछि जे लांघलौं तऽ अनर्थ ही अनर्थ और सीमाक मर्यादा में रहलौं तऽ खुशहाल और सुरक्षित जीवन।
राम जाति वर्ग सँ परे छथि। नर हो या वानर,मानव हो या दानव सब सँ हुनकर
करीबी संबंध छल। निषादराज छी या सुग्रीव,शबरी छी या जटायु सबहक संग चलै वाला ओ देव छथि। भरतक लेल आदर्श भाई। हनुमानक लेल स्वामी। प्रजाक लेल नीतिकुशल न्यायप्रिय राजा छलाह। परिवार नामक संस्था में ओ नब संस्कार जोड़लनि। पति पत्नी के प्रेमक नब परिभाषा देलनि। एहेन समय जखन खुद हुनकर पिता तीन विवाह केने छलखिन।मुदा राम अपन दृष्टि सिर्फ एक स्त्री तक सीमित रखलेन। ओहि नजरि सँ कोनो दोसर स्त्री के कखनो देखलेन नहीं।
वर्तमान संदर्भ में सेहो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामक आदर्शक जनमानस पर गहींर प्रभाव अछि। त्रेतायुग में भगवान राम सँ श्रेष्ठ कोनो देवता नहिं,हुनका सँ उत्तम कोनो व्रत नहिं,
कोनो श्रेष्ठ योग नहिं,कोनो उत्कृष्ट अनुष्ठान नहिं। हुनकर महान चरित्रक उच्च वृति जनमानस के शांति और आनंद उपलब्ध करबैत अछि। संपूर्ण भारतीय समाज हुनका एक आदर्शक रूप में भगवान राम के उत्तर सँ दक्षिण तक संपूर्ण जनमानस स्वीकार केने छथि। हुनकर तेजस्वी एवं पराक्रमी स्वरूप भारतक एकता के प्रत्यक्ष चित्र उपस्थित करैत अछि।
रामक जीवन आम आदमीक जीवन अछि। आम आदमीक समस्या हुनकर समस्या अछि। ओ लंका विजय के बादो ओतऽ के राज विभीषण के सौंप दैत छथि। सीता हरणक प्रसंग में सेहो उद्विग्न नहीं होइत छैथ। वनवास भेटला पर ओकरो सहजता सँ स्वीकार करैत छथि और पिताक आज्ञा मानि कऽ वनक लेल प्रस्थान करैत छथि। हुनकर मोन में विमाता कैकयी और भाई भरतक लेल स्नेह बनल रहैत अछि। हुनकर हृदय करूणा सँ ओत-प्रोत अछि। लौकिक जीवनक मर्यादा एवं राजधर्मक निर्वाहक लेल धोबी के ताना सुनि कऽ सीताक परित्याग करि दैत छथि। हुनक अपन जीवनक खुशी सँ बढ़ि कऽ लोकक जीवनक चिंता छलनि।
आदिकवि हुनका संबंध में लिखने छथि कि ओ गांभीर्य में उदधि (सागर)के समान और धैर्य में हिमालयक समान छथि। रामक चरित्र में पग-पग पर मर्यादा,त्याग,प्रेम और लोव्यवहारक दर्शन होइत अछि। हुनकर पवित्र चरित्र लोकतंत्रक प्रहरी,उत्प्रेरक और निर्माता सेहो अछि। ताहि दुवारे तऽ भगवान रामक आदर्शक जनमानस पर एतेक गहींर प्रभाव अछि और युग-युग तक रहत। जय मिथिला जय जानकी।🙏
आभा झा (गाजियाबाद)