“समाज और राष्ट्र के समृद्धि के आधार”

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– आभा झा।                           

“सहयोग”
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी अछि,जेकर उन्नति सामाजिक बुनियाद पर निर्भर अछि। जाहि तरहें ईंटा सँ ईंटा जोड़ि कऽ विशाल भवन बनैत अछि,पइन के एक-एक बूंद सँ सागर बनैत अछि। तहिना अनेक व्यक्ति के परस्पर सहयोग सँ ही मनुष्य के विकास संभव अछि। समाज और राष्ट्र के समृद्धि परस्पर सहयोग पर निर्भर अछि। आपसी सहयोग भेनाइ बहुत जरूरी अछि। सहयोग जीवनक आधार अछि। सहयोग शब्द सह +योग दू शब्दक मेल सँ बनल अछि।एकर अर्थ अछि एक दोसर के संग देनाइ या हाथ बंटेनाइ। सहयोग सँ मानवक शक्ति कतेक गुणा बढ़ि जाइत छैक।
अपन सबहक शरीरक सब अंग सहयोग सँ ही शरीर के चलबैत अछि। जेना शरीर के स्वस्थ राखै के लेल अंग परस्पर सहयोग करैत अछि,ओहि तरहें समाजक विकास के लेल मनुष्यक आपसी सहयोग अनिवार्य अछि। सहयोग ओ पारस अछि जाहि सँ लोहा सेहो सोना बनि जाइत अछि। हितोपदेश में ई कथा अछि,कपोतराज चित्रग्रीव के संग बहुत रास कबूतर आकाश में उड़ि रहल छल।थरती पर अन्नक दाना देख सब कबूतर नींचा उतरि गेल किन्तु कपोतराज नहिं उतरल। सब कबूतर शिकारी के जाल में फंसि गेला संकट के समय कपोतराज चित्रग्रीव हुनका मिलि कऽ उड़य लेल कहलनि।कबूतर सब मिलि कऽ जोर लगेलक और जाल के सेहो लऽ उड़ल।शिकारी हाथ मलैत रहि गेला।सहयोगक ई श्रेष्ठ उदाहरण अछि। जीवनक कोनो अवस्था हो चाहे बचपन,जवानी या बुढ़ापा।सहयोगक बिना हम कखनो आगू बढ़ि नहिं सकैत छी। हमरा सबके समाज में एक दोसर के सहयोग करबाक चाही। विवाह संस्कार या उपनयन,मुड़न या कोनो तरहक यज्ञ बिना समाजक
सहयोग के असंभव अछि। पैघ सँ पैघ विपत्ति के मुकाबला सहयोग द्वारा कैल जा सकैत अछि।
एखन कोरोना महामारी सँ कतेक परिवार जूझि चूकल अछि। एहि महामारी में सेहो अहाँ जाहि ठाम रही रहल छी वैह समाज अहाँक सहयोग करैत अछि। एहेन स्थिति में कतेको परिवार में खेनाइ पर आफत छल मुदा आस-पड़ोस के लोकक सहयोग सँ हुनका खेनाइ,दवाई उपलब्ध करायल जाइत छल। कतेक परिवार बेरोजगार भऽ गेल। हुनका सबके जेना संभव आर्थिक,शारीरिक सहयोग जरूरी छल। सहयोग कोनो जरूरी नहीं कि अहाँ खाली पाइ सँ करी अहाँ शारीरिक,मानसिक सहयोग सेहो कऽ सकैत छी।
आइ काल्हि लोक में सहयोगक भावना कम भेल जा रहल अछि।बहुत लोक अपने में सीमटि कऽ रहि गेल अछि। परिवारक यैह मूलमंत्र अछि कि सब सदस्य एक दोसर के आपसी सहयोग और सम्मान के महत्व दी। पैघ छोट के स्नेह और सहयोग करी और पैघ छोट के विश्वास,आदर और सम्मान करी। सहयोगक आदत मनुष्य में मैत्री भावना के विकास करैत अछि।जेना हमर सबहक दहेज मुक्त मिथिला समूहक ई अभियान लोकक सहयोगक बिना असंभव अछि।’निर्धन कन्या सहायता अक्षय कोष’सेहो लोकक सहयोग सँ ही संभव अछि। लोकक सहयोग सँ ही एहि अभियान के नीक दिशा भेटत।सृजन के आइना अछि परस्पर सहयोग। मदर टेरेसा के कहनाइ छलनि कि”अहाँ सौ लोकक सहायता नहीं करि सकैत छी तऽ सिर्फ एकटा के सहायता कऽ दियौ।”व्यक्ति और व्यक्तिवादक मानसिकता के छोड़ि कऽ सहयोगक महत्व के बुझैत ओकरा जीवनक अहम हिस्सा बना लिय।सहयोगक भावना के एक शुरूआत सँ ही “वसुधैव कुटुम्बकम् “के भावना सजीव होइत अछि।
किछ हम करी किछ अहाँ करू
जतेक भऽ सकै सहयोग करू
बहुमूल्य अछि सांस
जरूरतमंदक मदद करू।
आभा झा
गाजियाबाद