आशा केर कोर्ही – निराशा केर फूल

सुभाषचंद्र झा, सहरसा। जुन १४, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

सहरसाक संजय गाँधी जैविक उद्यान केर किछु दृश्य प्रस्तुत अछि । एहि कोसी क्षेत्र मे जैविक उद्यानक परिकल्पना पर भेल राज्य द्वारा कार्य स्वयं अपन दुर्दशा आ अधूरा कार्य प्रगतिक अनेको खिस्सा सुना रहल अछि।

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एतय फव्वारा निर्माणकालहि सँ आइ धरि खराब पड़ल अछि। जगह-जगह अनेरुआ घास केर संग काश उगल अछि जे रख-रखाव केर लापरवाही केँ बयाँ करैत अछि। फूलकेर किछु गाछ सब टा खाली कतहु-कतहु लगायल गेल अछि जे शायद पार्क केर नाम पर कागज मे काज देखेबाक आ सरकारी खजाना केँ चपत लगेबाक लेल कैल गेल प्रतीत होइछ।

कहबा लेल तीन टा पार्क छैक मुदा जयप्रकाश उद्यान वन विभाग केर कब्ज़ा  मे आ बाल उद्यान परती पड़ल अछि। एहिना सनक स्थिति मे एहि पार्कक सौन्दर्यीकरण आवश्यक अछि। समुचित रख-रखाव लेल जिम्मेवार जिला प्रशासन आ नागरिक समाजक संग समस्त सरोकारवाला केँ अपन शहरक सुन्दरता पर ध्यान देबाक आवश्यकता अछि।

एहि दिशा मे जनप्रतिनिधि लोकनिक संग-संग निजी संस्था सबकेँ सेहो आगू बढिकय स्वयंसेवाक माध्यम सँ उचित रखरखाव पर ध्यान देबाक आवश्यकता अछि। एक तरफ अगबे ढकोसलापूर्ण राजनीतिक माँग उठैत अछि जे सहरसा, दरभंगा आ पुर्णियां केँ स्मार्ट सिटी मे शामिल कैल जाय। दोसर दिशि राज्य द्वारा प्रदत्त सुविधा सेहो अपन भाग्य पर कानैत अवस्था मे अछि। एहि सँ पैघ विडंबना दोसर कि? कि राजनीति मात्र नारा लगेबा आ जनमानसक मस्तिष्क मे आइग लगा अपन छद्म लोकप्रियता लेल कैल जाइत अछि वा यथार्थ एवं सार्थक प्रगतिक संग विकास लेल? ई प्रश्न आइ मिथिला समाजक सोझाँ मुह बाबिकय ठाढ अछि।