“मिथिला में दहेजक उत्पत्ति के कारण आ ओकर निदान”

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अखिलेश कुमार मिश्रा।                     

🌹मिथिला में दहेजक उतपत्ति के कारण और आब एकर निवारण लेल उपाय 🌹
सब सँ पहिले त दहेज की थीक से बुझनाई जरूरी।
दहेज ओहि रुपया, धन या सम्पत्ति के कहल जाइत छै जे लेन देन वर-वधू के विवाह सँ पहिले ही दुनू पक्ष के द्वारा निर्धारित कैल जाइत अछि। मिथिला में केवल कन्या पक्ष द्वारा ही वर पक्ष के दहेज देल जाइ छैन्ह।
आरम्भिक कारण: हम शास्त्र या अन्य ग्रन्थ के अध्ययन तs नै केने छी, मुदा पैघ सभ द्वारा सुनल बात हिसाबे तs कन्या के माता-पिता अप्पन पुत्री के विदा होइ काल में किछु गुप्त धन दै छलखिन्ह जे हुनकर पुत्री ओहि धन के बहुत ही संकट के स्थिति में खर्च कs सकै छलीह। चुँकि ई पूर्णतया गुप्त धन होइत छल त अहि के बारे वर अथवा वरक परिवार के अन्य सदस्य के जानकारी नै रहैत छलैन्ह। कालान्तर ई गुप्त धन गुप्त नै रहल आ वर पक्ष एकरा अप्पन अधिकार बुझ लागला। मिथिलांचल में पुस्तैनी सम्पत्ति में पुत्री के अधिकार नै देल जाइ छलैन्ह त बहुतो पिता सहर्ष अप्पन पुत्री विदाई के समय अपना हैसियत हिसाबे धन दs दै छलखिन्ह सेहो दहेज प्रथा के आरम्भिक कारण रहल।
बादक स्थिति: दहेज प्रथा बढ़ाबा के पहिल कारण जे कन्यागत जिनका लग में बेसी धन सम्पदा छैन्ह तs अप्पन पुत्रीक विवाह ओहि धन बल के आधार पर अप्पन इच्छाअनुसार ही वर पक्ष के राजी कs कs करा दै छैथि चाहे कन्या वर के लेल उपयुक्त छैथि अथवा नै। बुझु अहि तरहक धन प्रयोग एक तरह सँ घूस भेल जे कन्याक पक्ष सँ वर पक्ष के भेटैत छैन्ह जे हुनका बिना धन बाली सुयोग्य कन्या के स्थान पर धनशाली कन्या के अपनेबाक तरे भेटैत छैन्हि।
दोसर कारण जे साधारण मनुष्य के अंदर छिपल धन लोलुपता। सभ मनुष्य कें धनशाली बनक इच्छा स्वतः गुण होइत छै। अगर बिना परिश्रम के ही धन भेट जाय तs छोड़ब कियै। अहि मानसिकता सँ ग्रसित हम्मर मैथिल अप्पन पुत्रक विवाह में बडी गर्व सँ प्रस्तुत करैत छैथि।
तेसर कारण अछि एक्कर सामाजिक मान्यता। लोक जिनका पुत्र के जतेक दहेज भेटल ओहि राशि के वर गुण सँ तुलना करैत छैथि जे कि वरागत के अहि के लेल बहुत प्रोत्साहित करैत अछि।
अहि प्रथा के लाभ अथवा हानि: दहेज प्रथा के प्रचलन सँ भs सकैत अछि जे एक आध परसेंट के किछु लाभ बुझाइत होइन्ह जे हुनकर पुत्रीक विवाह एक सुयोग्य वर धन के आधार पर भेल। मुदा जँ पूरा जिंदगी के देखल जाय त हानि ही ज्यादा भेटत। अन्य जतेक कन्याक पिता छैथि जिनकर कि पुत्री सुयोग्य छतिन्ह मुदा धनाभाव में सुयोग्य वर नै भेटैत छैन्ह त बेमेल विवाह कर के लेल मजबूर भ जाइत छैथि। एक्कर विभत्स रूप त कन्या के ससुराल पक्ष सँ प्रताड़ना के रुप में सेहो देखल गेल अछि। बहुतो जगह त हत्या या आत्महत्या लेल प्रोत्साहन के रूप में सेहो उभरल अछि।
अहि कुप्रथा के निवारण कोना हैत ताहि पर सेहो प्रकाश देमय पड़त। हमरा हिसाबे त सभ सँ पहिले कन्या के ओतेक शिक्षित करू जे ओ पूर्णतया आत्मनिर्भर भ जाइथ। अप्पन विवाह के निर्णय में महत्वपूर्ण योगदान द सकैथ। दोसर उपाय अछि जे ओहि वर पक्ष कें सामाजिक बहिष्कार होबाक चाही जे दहेज देब या लेब में विश्वास करैथि। तेसर उपाय अछि सामाजिक चेतना जगेनाई जे ई प्रथा बहुत खराब अछि। अहि सँ केकरो भला नै भेल आई तक। अहि में प्रवीण भाई अग्रणी छैथि, एक्कर झण्डा बुलन्द केने छैथि। अगर साक्षात नै भ सकैत अछि त आई काल्हि सोसल मीडिया सेहो बढिया प्लेटफॉर्म अछि एक्कर नीक प्रयोग कैल जा सकैत अछि। चारिम बात जे घर पुत्र अथवा पुत्री के लालन पालन आ संपत्ति में पूर्णतया बराबरी ताकि कन्या जे कि शक्तिस्वरूपा छैथि अपना के कनिको हीन नै बुझैथि।
बेस, धन्यवाद। 🙏🌹