“होली विशेष”

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रचनाकार-प्रियंका संतोष झा                           
होली के संदेश।
सिलबट्टा पर रगरि रगरि क पिसलऊँ भांगक गोली
भांग पिबी मदमस्त मगन भय सब मिलि खेली होली।

बाल्टी भरि भरि रंग उझलि क एक दोसर के केलऊँ लोट पोट
खीर पूरी मालपुआ खाय,फूला फूला क पेट।

लाल पियर हरियर उज्जर चारू दिश उरल गुलाल
मनक मतभेद सब बिसरि क स्नेहक रंग में डूबल संसार।

नईं कियो गोर नई कियो कारी नई कियो गेंहूँवा रंग
रंग बिरंगी रंग लगा क सब लागय एके रंग।

रंग के नई कोनो जाति अछि नईं कोनो अछि धर्म
अपन रंग स रंगीन बना कय मिटाबय सबके भेद।

होली के संदेश ई बुझू चमड़ीक रंगक नई कोनो मोल
सबस बढिक प्रेमक रंग अछि ई सबस अनमोल।