मैथिली-हिन्दीक महान स्रष्टा – श्यामल सुमन सर केर जन्मदिन पर प्रवीण शुभकामना

शुभकामना सन्देश

– प्रवीण नारायण चौधरी

मैथिली-हिन्दीक महान स्रष्टा – श्यामल सुमन सर केर जन्मदिन पर प्रवीण शुभकामना
 
आइ सँ लगभग ९ वर्ष पूर्व – २०१२ अर्थात् २०६९ वि.सं. साल विराटनगर मे आयोजित विद्यापति स्मृति पर्व समारोह मे भेंट भेलाह एक महान कवि-गीतकार आ स्वयं सेहो मधुर कंठक धनी व्यक्तित्व श्री श्यामल सुमन। जमशेदपुर सँ आबिकय आयोजन केँ आशीर्वादित कएने रहथि। ‘ठोकलहुँ पीठ अपन अपनहि सँ…, यौ मैथिल जागू करू विचार…” जेहेन अभियानमूलक गीत-कविता सभक प्रस्तुति आइ धरि कान मे ओहिना गुंजि रहल अछि। रचनाक अपन वजन होइत छैक से एहेन-एहेन उच्चकोटिक स्रष्टा सभक रचना सँ हमरो जेहेन लेल-बकलेल श्रोता लेल बुझय योग्य होइत छैक। विद्यापति आइ धरि जे सुमिरल जाइत छथि से यैह रचनाधर्मिता आ विशेषताक कारण, जे हुनकर रचना जनसामान्य द्वारा अपना लेल गेल, आइ धरि लोक विद्यापतिक रचना गबैत स्वयं अपन आत्मा सँ भेंट करबाक अनुभूति पबैत छथि। ई कहाँ लगैत छन्हि किनको जे विद्यापति जी गाबि रहला हँ, बल्कि सब कियो यैह बुझैत छथि जे विद्यापति जी हमरे लेल ई रचना कय देलनि आ हम अपना लेल गाबि रहल छी।
 
आदरणीय सुमन सर द्वारा मैथिलीक किछु रचना हमरा दुबारा काल्हि फेसबुक पर देखायल। तरंगित भऽ गेल रही।
 
पोखरि सहित ईनार निपत्ता
 
प्रेम-पूर्ण व्यवहार निपत्ता
सहयोगी परिवार निपत्ता
गप्पक खेती बड़ उपजाऊ
जीबय के आधार निपत्ता
आपस मे झगड़ा के कारण
भेल सभक अधिकार निपत्ता
गली-सड़क तक दाबि लेने छी
पोखरि सहित ईनार निपत्ता
 
लोक समाजिक कतऽ हेरायल
बचपन के सब यार निपत्ता
घर सँ बाहर बच्चा सभहक
पढ़यबला दुआर निपत्ता
सुमन चेतना-दीप जराबय
रोकू, भेल विचार निपत्ता
 
– श्यामल सुमन
 
तीख लगैत अछि, मुदा सच रहैत अछि। साहित्य जँ सही चेहरा नहि प्रस्तुत करत त क्षय स्वाभाविके हेतैक। कवि-कथाकार केँ समाज लेल सटीक चिन्तन करय पड़ैत अछि। जँ ओ मीठे-मीठ लिखता आ खाली रजनी-सजनी मे लागि जेता त ओहिना होयत जे मंच सँ मैथिलीक बड़का हितैषी बनू आ मंच सँ उतरिते घरवाली आ बाल-बच्चा संगे हिन्दी-नेपाली झाड़िकय वीर बनबाक कुचेष्टा करू।
 
सर केर हरेक रचना मे वजन रहैत छन्हि। हरेक रचना मे धर्मपत्नी आदरणीया ‘सुमन’ केँ सेहो रखैत छथि। अपनहुँ नाम मे टाइटिल केँ साइड कय अर्धांगिनी सहित स्थापित ‘अर्धनारीश्वर’ समान छथि। हमरा ठीक सँ ई बात नहि बुझल अछि, लेकिन अन्दाज लगबैत कहि रहल छी। हरेक रचना मे ‘सुमन’ केर समाहित करब हिनकर पुरुषत्व मे नारी तत्त्वक समावेशहि सँ पूर्णता अयबाक ब्रह्मसत्य केँ स्थापित करैत बुझाइत अछि।
 
घर घर लोक जगायब हम
 
सूखल धरती मे कोशिश कऽ, जल केर स्रोत बहायब हम
अहाँ अन्हरिया जतेक बढ़ेबय, ओतबे दीप जरायब हम
रूप मनुक्खक हम्मर सभहक, पशुता छूटल नहि एखनहुँ
कोना कम हेतय वो पशुता, घर घर लोक जगायब हम
 
निज स्वारथ मे सबटा माटि, बनि कोदारि सब जमा करय
खुरपी बनिकय आस पास केर, स्वारथ केँ सहलायब हम
 
असगर खुशी अगर कतबो छी, दुई कौड़ी के मोल ओकर
कृष्ण कन्हाई नहि छी तैयो, किछु किछु खुशी लुटायब हम
 
शास्त्र मे वर्णित अपन काज सँ, लोक, देवता बनय सुमन
मृत्यु काल तक नेक कर्म सँ, जीवन सफल बनायब हम
 
– श्यामल सुमन
 
एहि तरहक सैकड़ों रचना हिनकर छन्हि। जी! प्रकाशित आ वितरित – पाठक हाथ धरि पहुँचल चीज-वस्तुक जानकारी हमरा पास नहि अछि। हम साहित्यक लोको त नहि छी! लेकिन सोशल मीडिया आ फेसबुक मे श्यामल सुमन चिर-परिचित हस्ती रूप मे देखाइत रहला अछि। जमशेदपुर मे कार्यरत, मूल ग्राम चैनपुर (सहरसा) आ मैथिली-मिथिलाक अगाध समर्थक, आलोचना पक्षक प्रबल सृजनकर्मी केर आइ जन्मदिन पर प्रवीण हृदय सँ शुभकामना दय रहल अछि। हिनका प्रणाम करैत आशीर्वाद लैत भगवती सँ प्रार्थना कय रहल अछि जे हमरा सभक एहि स्रष्टा लोकनिक स्वास्थ्य, सम्पन्नता आ समर्पण सदिखन गतिमान राखथि। सर केर किताब जल्दी-जल्दी प्रकाशित हुअय। कहि रहल छलाह जे आब अवकाशप्राप्त जीवन मे मैथिली लेल बेसी काज करता, निश्चिते! अपन घर मे जखन यश-प्रतिष्ठा भेटैत अछि, वैह टा चौजुगी जिबैत अछि। हमर पुनः पुनः शुभकामना!
 
हरिः हरः!!