प्रवीणक डायरी २०१३ – भाग २

१७ अक्टूबर २०१३, मैथिली जिन्दाबाद!!

२०१३ ई. प्रवीणक जीवन मे बड़ा महत्वपूर्ण रहल, कारण यैह ओ वर्ष थिक जाहि मे मैथिली-मिथिलाक लेल सर्वाधिक प्रयास संभव भेल। दिसम्बर २०१३ केर सब पोस्ट ‘प्रवीणक डायरी २०१३ – भाग १’ मे समेटलाक बाद आब नवम्बर २०१३ केर पोस्ट केँ एतय समेटबाक प्रयास कय रहल छी।

दिसम्बर १, २०१३ केर किछु छुटल पोस्टः

C K Lal has all rights to present himself and the participating journalists or publics have also full rights to accept or reject the presented ideologies. Let there be no ‘reaction’ on one another in way ‘humanity’ does not permit. The way he has been forced to leave the presentation of his paper is really condemnable and invites reactions from the marginalized community of Madhesh who think that such scholars are their voice and only they can advocate for overcoming the long suppressions by those ruled over the country without granting justice and equal rights. Even in the news coverage we see “Indians not to get Nepalese citizenship is Mahendravaad” is made the basis to reject the basic rights of the people living in Terai. However, now, by virtue of new acts be those interims or whatever agreed among the stakeholders for granting equal rights to the peoples of Nepal must be appreciated and we must maintain harmony of brotherhood among all. Let’s not be prejudiced to feel racism or behave as a racist. Even if the protest was necessary, the guys participating could have walked out of the room who truly felt bad of hearing him or his ideas, but should not have hooted to insult a scholar. This is a condemnable violence. I truly feel sorry and see such things are going to cost to our country somehow. May peace prevail! Please let political forces with new mandates work ahead. Harih Harah!!

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देखो कैसा परिस्थिति है!

धिया सियाका पुरुषोत्तम रामके पराक्रम देखने उपरान्त जनकजी महाराज लोक तथा परलोकमें प्रसिद्ध विवाहोत्सव करके सीता और रामका विवाह सम्पन्न कराते हैं, इन्द्रसहित समस्त देवलोक इस पवित्र विवाहोत्सवका सौभाग्यशाली साक्षी बनकर अपनेको कृतार्थ मानते हैं, अवध नरेश दशरथ जनक जैसा समृद्ध समधी और सियासहित चारों मिथिला राजकुमारी बधू पाकर गद्गद् हैं, विशाल दहेज और दान सहित विदाई करके मिथिलाकी धियाओंको अवधकी युवराज्ञी बनाकर भेजा जाता है। तेज घटनाक्रममें युवराजाधिराज पद ग्रहणसे ठीक पहले रामको माता कैकेयीके प्रेरणासे पिता महाराजा दशरथके द्वारा वनगमनके लिये और १४ वर्षके वनवासका कठोर आदेश दिया जाता है। मिथिलाकी सुकोमल किशोरी सिया अपने पतिका पितावचनानुरागी जैसा सर्वोच्च आदर्श देखते हुए खुदके लिये सर्वथा उचित सर्वोपरि धर्म पतिअनुगामिनी बनना समझ जिद्द करते हुए पतिके साथ वनगमन-वनवासका फैसला करके महान त्यागका अमिट उदाहरण प्रस्तुत करती है – और पूरा रामायणमें पहले सीता ही सीता है, फिर राम और सारे चरित्रोंका वही भूमिका है जो केन्द्रमें सीताके इर्द-गिर्द ही घूम रहा है। कहना जरुरी नहीं है कि एक ब्रह्मके दो अलग रूप – एक नारी, एक पुरुष और फिर मानवी चरित्रका प्रस्तुति माता सतीको भी मायामंडित करनेवाला प्रस्तुति और फिर रावण जैसा प्रकाण्ड रणविजयीको रणमें हराकर अपहृत सीताको दानवी चंगूलसे मुक्त कराकर अयोध्या आना; परन्तु फिर प्रकृतिकी विभिन्न लीला – सीताको दुबारा वनवासपर भेजना – और कितनी सारी चरित्र पुन: सीताके इर्द-गिर्दही रामको पौरुषिक लीला करनेके लिये परिस्थितियाँ दिखाते हुए एक समय ऐसा आना की सीता अपना अन्तिम त्यागको स्थापित करनेके लिये दैविक लीला करती है और पृथ्वी मैयासे खुदको गोदमे लेनेके लिये अनुनय-विनय करती है – धरा मैयाका हृदय धिया सियाकी पुकार सुनते ही धडक्का-साथ फट पडती है और मैथिली-लीला समाप्त हो जाता है… पीछेसे रामसहित समस्त अयोध्या ‘हा सीते – हा सीते’ करके विलाप भर करते रह जाते हैं। और स्थापित हो जाता है अमिट नाम – “सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम”। हे धराधाम, मिथिला!! क्या भारतवर्षमें तुम्हें भी भूगर्भमें समानेके लिये मजबूर होना तय है?

हरि: हर:!!

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जन्तर-मन्तरपर ५ दिसम्बर अयबाक अपील सन्दर्भमे:

मिथिला लेल प्राइवेट मेम्बरकेर बिल – संसदमे!

जाहि लेल ५ दिसम्बर बेसी संख्यामे जुटबाक अनुरोध कैल जा रहल अछि तेकर भूमिका स्पष्ट करब जरुरी बुझाइछ।

सरकार द्वारा कानून बनेबाक लेल जे विधेयक बहस करबा लेल संसदमे राखल जाइछ तेकरा गवर्नमेन्ट बिल कहल जाइछ (वेस्टमिन्स्टर सिस्टम – जेकरा भारतीय संविधानसेहो अनुसरण करैछ) आ जे कैबिनेटसँ इतर सरकारक सहयोगी वा विरोधी पक्षक सदस्य द्वारा राखल जाइछ तेकरा प्राइवेट मेम्बर बिल मानल जाइछ। १९४७ केर तुरन्त बाद जखन मिथिला राज्यक माँग भारतीय संसदमे पास नहि भेल आ फेर राज्य गठन आयोग द्वारा सेहो १९५६ मे आरो-आरो नव राज्य गठन होयबा समय सेहो एकरा नकारल गेल तेकर बादसँ आधिकारिक बहस भारतीय संसदमे एहिपर नहि भेल अछि। ताहि लेल दरभंगासँ भाजपा संसद कीर्ति झा आजाद एहि विषयपर गंभीरतापूर्ण संज्ञान लैत बौद्धिकतासँ भरल ऐतिहासिकता आ उपलब्ध दस्तावेज सबकेँ समेटने अपना दिशिसँ मिथिलाक अस्मिताक रक्षा लेल डेग उठौलनि आ एहि क्रममे हुनका द्वारा प्रस्तुत बिल “बिहार झारखंड पुनर्संयोजन विधेयक २०१३” (The Bihar Jharkhand Reorganization Bill, 2013) संसदमे बहस लेल प्रस्तावित कैल गेल अछि। विधान अनुरूप कोनो बिलपर बहस लेल राष्ट्रपतिक मंजूरी आवश्यक रहनाय आ फेर समुचित तारीख दैत एहिपर बहस केनाय आ यदि सदन एकरा मंजूर करैत अछि तँ संविधानमे प्रविष्टि केनाय – यैह होइछ प्राइवेट मेम्बर बिल।

जेना ई बुझल अछि जे मिथिला राज्यक माँग भारतक स्वतंत्रता व ताहू सँ पूर्वहिसँ कैल जा रहल अछि – कारण बस एकटा जे “मिथिला अपना-आपमे परिपूर्ण इतिहास, भूगोल, संस्कृति, भाषा, साहित्य, संसाधन, समाजिकता आ सब आधारपर राज्य बनबाक लेल औचित्यपूर्ण अछि” आ भारतीय गणतंत्रमे राज्य बनबाक जे आधार छैक तेकरा पूरा करैत अछि…. दुर्भाग्यवश अंग्रेजक समयमे प्रान्त गठन करबा समय मिथिला लेल पूरा अध्ययनक बावजूद बस किछेक खयाली कल्पनासँ एकरा मिश्रितरूपमे ‘बिहार’ राज्य संग राखि देल गेल छल, मुदा बिहारसँ पहिले उडीसाक मुक्ति (१९३६) आ फेर झारखंडक मुक्ति (२०००) मे कैल गेल यद्यपि मिथिलाक माँग ताहू सबसँ पुरान रहितो एहिठामक लोकसंस्कृतिक संपन्नता आ लोकमानसक सहिष्णुताकेँ कमजोरी मानि बस सब दिन संग रहबाक लेल अनुशंसा कैल गेल… परञ्च जे विकास करबाक चाही से नहि कैल गेल, जे पोषण करबाक चाही सेहो नहि कैल गेल… उल्टा जेहो पूर्वाधार एहिठाम विकसित छल तेकरो धीरे-धीरे मटियामेट कय देल गेल। बिहारक शासनमे सब दिन मिथिला क्षेत्र उपेक्षित रहि गेल। एक तऽ प्रकृतिक प्रकोप जे बाढिक संग-संग सूखाक दंश, ऊपरसँ कोनो वैज्ञानिक वा विकसित प्रबंधन नहि कय बस दमन आ उपेक्षाक चाप थोपि मिथिलाक लोकमानसकेँ आन-आन राज्य जाय सस्ता मजदूरी आ चाकरीसँ जीवन-यापन करबाक लेल बाध्य कैल गेल। परिणामस्वरूप एहि ठामक विकसित आ सुसभ्य परंपरा सब सेहो ध्वस्त भेल, लोकसंस्कृतिक मृत्यु होमय लागल आ आब मिथिला मात्र रामायणक पन्नामे नहि रहि जाय से डर बौद्धिक स्तरपर स्पष्ट होमय लागल। तखन तऽ जे विधायक (जनप्रतिनिधि) एहिठामसँ चुनाइत छथि आ केन्द्र व राज्यमे जाइत छथि हुनकहि पर भार रहल जे मिथिलाकेँ कोना संरक्षित राखि सकता – लेकिन जाहि तरहक नीतिसँ मिथिलाकेँ विकास लेल सोचल गेल ताहिसँ उपेक्षा आ पिछडापण नित्यदिन बढिते गेल। हालत बेकाबू अछि, लोकपलायन चरमपर अछि, शिक्षा, उद्योग, कृषि, प्रशासन सब किछु चौपट देखाइत अछि। बिना राज्य बनने कोनो तरहक सुधारक गुंजाइश न्यून बुझाइछ।

हलाँकि भारतमे लगभग ३०० सँ ऊपर प्राइवेट मेम्बर बिल आइ धरि आयल, ताहिमे सँ बिना बहस केने कतेक रास गट्टरमे फेका गेल तऽ लगभग १४ टा विधानक रूपमे सेहो स्वीकृति पौलक। एहि बिलक भविष्य जे किछु होउ से फलदाता बुझैथ, लेकिन एक सशक्त-जागरुक चेतनशील मैथिलक ई कर्तब्य बुझापछ जे अपन राजनैतिक अधिकार लेल एना हाथ-पर-हाथ धेने नहि बैसैथ आ अपन अधिकार लेल आवाज धरि जरुर उठबैथ। यदि भारतीय गणतंत्रमे मिथिलाक मृत्यु तय छैक तऽ भारतक भविष्यनिर्माता सब जानैथ, लेकिन एक “मैथिल” लेल अपन भागक कर्तब्य निर्वाह करबाक जरुरत देखैत अपील कैल जा रहल अछि जे जरुर बेसी सऽ बेसी संख्यामे जन्तर-मन्तरपर ओहि बिलकेर समर्थन लेल राजनैतिक समर्थन जुटेबाक उद्देश्यसँ आ मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा राखल गेल धरनामे सद्भाव-सौहार्द्रसंग सहभागिता लेल सेहो हम सब पहुँची। अपन अधिकार लेल संघर्ष करहे टा पडैत छैक, बैसल कतहु सँ कोनो सम्मान वा स्वाभिमान प्राप्त नहि भऽ सकैत छैक, ई आत्मसात करैत हम सब एकजुटता प्रदर्शन करी।

याद रहय – ५ दिसम्बर, २०१३, स्थान जन्तर-मन्तर, समय दिनक १० बजेसँ।

हरि: हर:!!

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आत्मबोध

दू फूट सेहो नहि कहल जा सकैत छैक ओकरा, लेकिन गप बाजत ओजनदार बिखिन्न! किऐक तँ माय-बाप ओकरामे यैह संस्कार देने छैक, भले नाम भगवतीक लेत लेकिन अगबे बीखे बाजत, सेहो बिन बुझने-सुझने जे कोन दर्दसँ आ मेहनतसँ कोनो मुकामपर पहुँचल जाइत छैक। यैह नीति रहलैक अछि, कर नहि कर, मुँह धरि खूब चमको आ पक्कोमैंयाँ बनि बात धरि खूब बनो। 

नवकापर यानि आइ-काल्हिक २-फूटा सब तँ जनमिते मोबाइल अपरेट कय लैत छैक तँ ओकर आबयवाला समयमे आरो गंभीर घाव करयवाला बोल-वचन औतैक। देखैत न रहीं! 

आब यदि इज्जत बचेबाक छौक प्रवीण तऽ चुपचाप अपन काज करे, अपन असल भक्ति प्रदर्शन करबाक लेल नहि, बस करैत आगू बढि जेबाक लेल बनो।

हरि: हर:!!

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३० नवम्बर २०१३

हमारे देशमें विद्वानोंका कमी नहीं है, बातें लंबा कर लेने से यदि हम विद्वान् और राष्ट्रको समझे वगैर केवल राष्ट्रके समग्ररूपकी चर्चा भर कर लेने से राष्ट्रवादी बन जाते तो हमारा हिन्दुस्तान कभी निकम्मों और भ्रष्ट जनप्रतिनिधियोंको कभी नहीं चुनता। जिन्हें गणतंत्रका मतलब तक नहीं पता वो और जो मातृभूमिकी महक भी नहीं समझते वो भी खोखली ‘वन्दे मातरम्’ कहकर चमकने चले आते हैं। अजी! पहले समझो कि जिस भारतवर्षके पैदाईश हो उसका इतिहास क्या है। कैसा राष्ट्रवाद यहाँ संभव है। क्यों चले आते हो हमें समझाने की प्रांत, उपप्रांत और हिन्द क्या है? यदि समझा सकते हो तो समझाओ कि गणतंत्र क्या है। भारतमे किसका शासन है। राज्य क्या होता है। आदि! हरि: हर:!!

(संजीव सिन्हाजी के निम्न पोस्टपर कुछ नये भारतीय विद्वानोंके प्रति प्रकट कथ्य!)

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राजनाथजीकेँ हृदयसँ नमन आ मिथिला लेल सारगर्भित कार्य करनिहार मिरानिसेकेँ सेहो हृदयसँ धन्यवाद। एक समय आओत जखन यैह युवाशक्ति समस्त दलीय राजनीतिज्ञसँ मिथिला राज्यकेर स्थापना करबैत भारतीय गणतंत्रकेर मानवर्धन करत। राजेशजी, संजीवजी आ समस्त प्रतिनिधिमंडलकेर एहि जाग्रत डेग लेल फेरो धन्यवाद। हरि: हर:!!

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सामा-चकेवापर राखल गेल ई समारोह शिव शक्ति सोसाइटी आइ ६ वर्ष सँ निरन्तर करैत आबि रहल छथि आ एहिमे समस्त भारतीय समाजक विभिन्न संस्कृतिक लोक संग सहकार्य करैत ओहि ठामक स्थानिय विधायक, संसद, मैथिल मुख्य व्यक्तित्व व साधारण आमजन – सबहक उत्साह दर्शनीय छल।

हरि: हर:!!

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हमरा बहुत कष्ट पहुँचैत अछि जखन मिथिलाक कतेको गैर ब्राह्मण आ आजुक दौरमे तँ कतेको ब्राह्मण किशोर सेहो एक मैथिल रहैत हिन्दीक पोस्टसँ अपन भागीदारीक महत्त्व बेसी बेहतर बुझैत छथि…. आ फोटो, विषय, क्रियाकलाप आदि सेहो बहुत फूहर रखैत छथि….

हम जेनरली किनको अपन दोस्त बनबैत छी, खास कऽ मैथिलकेँ…. लेकिन एहि तरहक विषयवस्तुमे जखन ओ सब हमरा टैग करैत छथि आ हम ई देखैत छी जे अपन मिथिलाक रहैत हुनकामे संस्कार ढंगसँ विकास नहि कय रहल अछि तऽ बहुत तकलीफ पबैत छी।

बिहारमे जाहि तरहक शिक्षा आ जाहि तरहक राजनीतिक संस्कृतिसँ पिछडल जाति-वर्णक विद्यार्थीवर्गमे कोनो तरहक संस्कार प्रवर्धनक प्रयास नहि कैल गेल अछि, ताहि हेतु हम हृदयसँ मैथिल अभियानी आ राजनीतिकर्मीसँ निवेदन करब जे अगर मिथिला स्वराज्य प्राप्त होइत अछि तऽ एहि दिशामे जरुर कार्य करैत विदिन ५ वर्षमे समुचित संस्कार प्रवर्धनक कार्य करैत समस्त पिछडावर्ग, दलित आ जनजातिय समूहमे आधारगत समस्याक निदान प्राथमिकतासँ करैत जीवन-स्तरमे उल्लेखणीय सुधार जरुर कैल जायत।

जय मैथिली! जय मिथिला!

हरि: हर:!!

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मिथिला लेल समर्पित मिथिला आवाज सहित मिथिलामे संचालित विभिन्न पत्र-पत्रिका जेना हिन्दुस्तान, प्रभात खबड, दैनिक जागरण, आदि समाचार पत्रक ब्युरो प्रमुखकेर नंबर जिनका लग हो तिनकासँ अनुरोध जे हालहि विगतमे कैल गेल मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा प्रखर प्रयास देशक राजधानीमे जे सब भेल अछि ताहिपर समाचार जरुर प्रकाशित करबाबी। जाहि बातक समाचार प्रकाशित हेबाक चाही ताहिपर किनको ध्यान शायद नहि जा रहल अछि…. कारण एक्के दिशामे सबहक ध्यान टंगा जाइत अछि आ मिडियाक प्रभार लेने नेतृत्वकर्ता शायद ई बिसैर जाइत छथि जे मिथिलामे लोक मुँह बाबि एकर इन्तजार करिते रहि जाइत अछि। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह जी संग भेल भेटघाँट, रावतजी संग भेल भेंटघाँट, कीर्तिजी संग भेल भेंटघाँट… भविष्यमे राहुलजी संग होयत भेंटघाँट, प्रकाश करातजी, मुलायमजी, शरदजी आ सब दलक प्रमुख सबसँ मिरानिसे सहित विभिन्न मिथिलावादी संगठन सब निरन्तर भेटघाँट करैत आगामी “बिहार झारखंड पुनर्संयोजन बिल २०१३” लेल समर्थन जुटेबा समान महत्त्वपूर्ण प्रयासकेँ विस्तार चाही, से निवेदन करैत छी जे प्रवक्ता अनुपजी व अन्य एहि दिशामे सेहो कार्य जरुर करैथ।

हरि: हर:!!

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नोएडा सेक्टर ७१ मे भेल समारोह द्वारा प्रस्तुत हमर एक छोट आइटम – मिथिला लेल समर्पित!

संगमे मित्र राजेश झा (मिरानिसे अध्यक्ष), संजय झा (मिथिलावासी सोसाइटी संस्थापक अध्यक्ष), मदन ठाकुर (दहेज मुक्त मिथिला – दिल्ली संयोजक), अनिल त्रिपाठी (वस्ती) आ शिवशक्ति सोसाइटीक ठाकुरजी, शर्माजी सहित बहुत रास मिथिला विभुति आ दिल्ली-नोएडा समाजसेवी लोकनि!

हरि: हर:!!

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SMS Campaigning for December 5 Demonstration at Jantar Mantar – Delhi for supporting the demand of Mithila Rajya:

SMS:
After 1947-56, Indian Parliament is going to discuss the need of Mithila State through Bihar Jharkhand Reorganization Bill 2013 in winter session business hour of house as per recommendation of Honorable President of India. And, on house opening day, i.e. December 5, 2013 we all Maithils plan to launch a massive demonstration for our Swarajya. Kindly join us at Jantar-Mantar sharp at 10 am and support the demand of Mithila Rajya. More delay will omit our identity and constitutional rights, let all parliamentarian realize this and pass a bill to form a separate Mithila State in republic of India. Kindly forward this mail to 5 or more of your friends to support us. – Coordination Committee – Mithila Rajya!!

उपरोक्त एस.एम.एस. अपन-अपन मित्र व परिचितकेँ पठाबी।

हरि: हर:!!

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मिथिलाक माटिसँ एक-स-एक विभुतिकेर जन्म भेल अछि आ हम सब गर्व करी जे वर्तमान युगकेर अवतार आ साक्षात प्रस्तोता महेन्द्र मलंगियाजी जिनक रचित नाटक स्थापिते टा नहि अपितु समाज तथा देशकेँ समुचित मार्गदर्शन सेहो करबैत अछि – हिनका बेर-बेर प्रणाम!!

हरि: हर:!!

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Parmeshwar Kapari Sir,

अपनेक आशीर्वाद भेटल जे एहि रचनाकेँ पसिन केलहुँ, अपनेक सुझाव सेहो समय-समय भेटैत रहल अछि आ आगुओ जरुर दी। नहि जाइन हमरा केकर श्राप लागल अछि जे एखन धरि एकोटा पुस्तक प्रकाशित नहि करा सकलहुँ अछि। डर होइत अछि जे केहेन भेल नहि भेल…. आ जतय छी ताहिठाम बहुत रास सहयोग सेहो उपलब्ध नहि रहबाक कारणे मजबूर छी। लेकिन आब मोन होइत अछि जे जेहने-तेहने एगो प्रकाशित करी।

कि कहैत छी अपने?

हरि: हर:!!

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मिथिला राज्यक माँगपर पहिले दाँत बिदोरयवाला मैथिलक आँखि खुलल!

पहिले लिपि मरि गेल। फेर भाषाक बारी आयल, ओकरो मारबाक योजना विभिन्न उपायसँ कैल गेल। लेकिन अमरतत्त्व ओ साहित्यिक कीर्तिक समुद्री गहिराईसँ पहिले साहित्य अकादमी, फेर मैथिली अकादमी आ अन्ततोगत्वा संविधानक अष्टम् अनुसूचीक भाषा बनि मैथिली भारतीय संविधानक गहना प्रमाणित भेल।

मुदा ई कि? मिथिलादेशसँ परिणति आइ मिथिलाँचलमे सिमैट रहि गेल। भौगोलिक परिवर्तन एतेक रास षड्यंत्र आ गृहशूर मैथिलक कुरहैरिक बेंट बनि स्वजाति लकडी अर्थात् मैथिलहिकेँ कटबाक अपराधपूर्ण आ संकुचित भावनाक चपेटमे दरभंगा-मधुबनी टा मिथिला, एतुके वासीक भाषा मैथिली आ बाकी कियो कुशिक तऽ कियो बज्जिक तऽ कियो अंगिक तऽ कियो सीमांचली आ विभिन्न नव भौगोलिक पहिचानसँ आक्रान्त करैत मिथिलादेशकेँ खण्डित करैत एहिठाम बिहारी उपनिवेशी शासनकेँ स्थापित करबाक लेल कोनो विकास नहि कय उलटे एहि ठामक पूर्वविकसित पूर्वाधार आ आर्थिक स्तम्भकेँ ध्वस्त होयबा लेल छोडि देल गेल। जातिपातिमे समाजकेँ बाँटि मिथिलाक जनमानसक आपसी सौहार्द्रताकेँ सामन्ती व्यवस्थाक बहन्ने तेनाक तोडि देल गेल जे आब ई पूर्णरूपेण बिलायल संस्कृति बनि जाय। लोक पलायन करयपर मजबूर बनि गेल। गामसँ देश बनबाक ओ स्थापित पूर्ण सत्यकेँ मजाक प्रमाणित करैत मिथिलाकेँ शून्न-मसान बना देल गेल।

मिथिला मुदा रामायणमे मुख्य अभिनेत्री सीताक चलते नहि मरत तऽ कतहु सँ हवा चलल जे सीता विदेशी छलीह। ओ राम संग विवाहित भेलीह तखन भारतमे पूज्य बनि गेलीह। हलाँकि ई बात अफवाह आ केकरो मनगढंत बात रहल से कहि बादमे नकारल गेल, लेकिन साक्ष्य तऽ सब दिन यैह कहलक अछि जे भारतीय गणतंत्रमे मिथिलाक राज्यरूपमे स्थापित हेबाक मजबूत आधार रहितो आखिर एकरा बिहारक उपनिवेश मानि लेल गेल, पहिले बंगालमे आ फेर बिहारमे – आजुक संख्याबलकेर आधार मानि अंदाज लगायब तँ निकट भविष्यमे पूर्वाञ्चलमे एकरा गाँसि देल जायत तँ अतिश्योक्तिपूर्ण नहि होयत कारण पूर्वाञ्चलक नामपर दिल्लीमे पूर्वाञ्चलीकेँ खूब रिझायल-मनायल जाइत अछि जखन कि मैथिलक मुँहतक्की करबाक प्रकृति ओ प्रवृत्तिक कारणे आपसी खंडित अवस्थाक सृजना आ यैह कमजोरीसँ दोसर फाइदा उठबैत रहबाक बात पन्द्रहम शताब्दीसँ आइ एकैसम शताब्दीतक एतुका लोक ओ संस्कृति बिना कोनो राजनैतिक संरक्षण कोहुना जीबित अछि, बरु मरले बुझबामे सेहो गलती नहि होयत।

बहुल्य जनमानस गरीबी आ भूखमरीसँ उबरबाक लेल बाध्य अछि तऽ मध्यमवर्गीय आ उच्चवर्गीय जनमानसमे राजनैतिक जनचेतना मात्र पिछलग्गू बनि कोहुना जीबित रहबाक आदतिमे देखल जा रहल छैक। लेकिन जनचेतना सुसुप्तावस्थामे चीरकाल धरि नहि रहि सकैत छैक, सनातन सत्य यैह कहैत छैक। कोनो न कोनो रूपमे जागृति सेहो अपन अलख-पसाइर रहल अछि। कहि सकैत छी, युवा रक्त आब फरफराइत पिंजडासँ निकलबाक लेल आतुर छैक। कहियो ई कहि मिथिलाकेँ नकारबाक गुणधर्मसँ बान्हल भारतीय राजनीति आब सोचय लेल मजबूर छैक जे मिथिलाकेँ नहि कोन आधारपर कहब। किऐक तँ जेकरा मिथिलाक अगडावर्गक विकसित होयबाक आ बाकीक पिछडल होयबाक बात कहि जातीय-विभेद कहि न्याय दियेबाक भरोस दैत केवल सत्ता-उपासना करैत अपहेलित राखल गेलैक सेहो ई आइ ६६ वर्षक स्वतंत्र भारतमे केहेन न्याय आ केहेन विकास होइत छैक तेकर भुक्तभोगी बनि देख लेलकैक। जखन पहिचाने ऊपर बट्टा तखन बाकी कोना भेटत सट्ठा? आपसी टूटफूटसँ आरो भेल नुकसानी आ बाल-बच्चा-परिवार सब तितर-बितर होइत अपन संस्कृतिक वजनसँ नितान्त दूर कतहु गुलामीक जीवन जीबय लेल बाध्य भेल अछि, आ ओम्हर वृद्ध-वृद्धा दम तोडि रहल अछि, कोनो सामंजस्यता नहि। अफरातफरीसँ भरल मैथिलक जीवन!

तखन स्वराज्यक आवश्यकता अछि – हमर नजरि खुलि गेल। हम तैयार छी। अहाँक संग छी। बलिदान चाही तैयो आ स्वस्फुरित विकास चाही तैयो! जय मिथिला – जय जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

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अपने लोकनिक बहुत धन्यवाद अछि। जाबत एम्हर वृहत तैयारी लेल नाम, नंबर आ इमेलकेर संकलन कय रहल छी ताबत अपने लोकनि सँ निवेदन जे ५ दिसम्बर – जन्तर-मन्तर पर होमय जा रहल धरना-प्रदर्शन लेल तैयारी करू। एहि बेरुक धरनाक बड पैघ महत्त्व एहि लेल छैक जे आइ लगभग ५७ वर्षक बाद भारतीय संसदमे मिथिला लेल “बिहार-झारखंड पुनर्संयोजन विधेयक – २०१३” पर चर्चा होयबाक बात छैक आ हमरा लोकनि अपन पहिचानकेँ संविधान द्वारा स्थापित करबाक लेल सजग रहब तखनहि हमर मेटाइत सभ्यता आ संस्कृतिक रक्षा भऽ सकत, पलायन रुकत, स्वरोजगार बढत, समृद्धि आओत, पिछडल समाजकेँ आगू बढबाक मौका भेटत, भूमि-संरक्षण, कृषि, सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पर्यटन – सब क्षेत्रमे स्वराज्य टा समाधान निकालत। भीख नहि अधिकार चाही, हमरा मिथिला राज्य चाही। हरि: हर:!!

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Glad to see our leaders – the leading youths of Mithila!!

Mithila’s stature remains in your hands and unless it is not honored constitutionally, you cannot alone keep fighting in different manners to protect mithilaism.

Indeed, as Bhavesh Nandan Jee alone can show us what truly our Mithila and its valuable culture is…. as Amar Nath Jee alone can show us what event management and sincerely planned actions can give us…. as Rajesh Jee can show us vitally how things can execute and how far is President of India or the parliamentarians are from us….. and undoubtedly with the best of his presence of mind and brilliant deliveries what Vijay Jee can fly the Jet of Mithila and some more guys are yet to fit in the frame: Hemant Jee, Praveen Jee, Sanjay Jee, Madan Kumar Jee, Rishi Kumar Jee, Prakash Jee, Neeraj Jee, Shrichand Jee, Kavi Ekant Rajiv Jee, Pawan Jee and very hard to recall all at once – there are at least 100 youths at Delhi who can change the fate of Mithila anytime but subject to their only oath – we will remain united without infighting as lions do in their dens and we will at once reach to anywhere as time may demand.

Remember guys! You have to come close like this on December 5, 2013 as the bill on Mithila is going to be argued in Parliament and we must show outside it that negative reply further would dishearten us and we may truly convert from peace to violence and if need be we would go for indefinite closures too.

Harih Harah!!

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चूँकि दिसम्बर अन्तिम सप्ताहसँ लैत फरबरी तक ३ टा महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम होमय जा रहल अछि – १ विराटनगरमे समारोह, २ दरभंगामे महासम्मेलन आ ३ गुवाहाटीमे कार्यकर्ता-अभियानीक कन्फ्रेन्स –

लक्ष्य अछि: समस्त संसारक मैथिल बुद्धिजीवीकेँ जोडनाय!

तऽ नहि बिसरू – अपन नाम सहित परिचित मैथिली-मिथिला अभियानीक सम्पर्क सूत्र हमरा मेल सऽ चाही:

[email protected]

प्रवीण ना. चौधरी
महासचिव, मैथिली सेवा समिति,
मिश्रा कुञ्ज, घोघापुल चौक,
विराटनगर, नेपाल।
फोन: ००९७७-९८५२०२२९८१.

हरि: हर:!!

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२९ नवम्बर २०१३

मिथिलाक शुभ-दिन!

आब सही सँ देखब तँ मिथिलाक समाचार लेल एक अनुभवी टोली द्वारा टटका-समाचार संकलन लेल मिडिया अछि, बडका-बडका नेता सँ डील फाइनल करबाक लेल मिथिलाक युवा पीढीक नेता तैयार छथि, गहराईमे बहुत तरहक बात लेल सेहो बुजुर्ग अनुभवी नेतृत्वकर्ता सब तत्परता संग काज करिते आबि रहल छथि, भाषा-संस्कृतिसंग जुडल काज करैत आबि रहल संघ-संस्था सब सेहो मिथिला राज्यक मुद्दाकेँ आब समर्थन देबय लागल छथि…. आपसी खंडी-खंडी आ चैत-चैत सेहो कम पडल लागल अछि… सबटा मिलायकेँ आब मिथिलाक शुभ-दिन आबय लागल बुझाइत अछि। 

हरि: हर:!!

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बहुत अफसोस भऽ रहल अछि जे गछलाक बावजूद एको दिन समय नहि निकालि सकलहुँ, हम बहुत लज्जित छी अभामिपा! गुवाहाटीक कार्यक्रम बनि गेल आ फेर १ या २ केँ दिल्ली चलि जायब। ५ केँ दिल्लीक जन्तर-मन्तरपर वृहत अनशन हो ताहिलेल भगवतीसँ प्रार्थना करैत छी। अपनेक यात्राक सफलता लेल शुभकामना दैत छी। हरि: हर:!!

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हम समस्त मिथिलावासी मैथिल एकजुट स्वरमे अपन समर्थन देबाक लेल ५ दिसम्बर संसदक शीतकालीन सत्रक प्रथम दिन अपना-अपना संस्था व समूह संग जंतर-मंतरपर एकत्रित होइत एहि मुद्दाकेँ व्यापकता प्रदान करी। एहिमे कतहु दू मत नहि छैक जे नेतृत्वक भूमिका मे कतेको रास संस्था, व्यक्ति, समूह, आदि अछि मुदा मुद्दा एकमात्र ‘मिथिला राज्य’ टा छैक आ एहि लेल एकजुटता प्रदर्शनक समयमे हम सब मात्र मिथिला राज्यकेर समर्थनमे समर्थक टा छी आ मिथिलाक हेराइत अस्मिताक संरक्षण लेल, मिथिलाक चौतरफा विकास लेल, मिथिला खत्म होइत लोक-संस्कृति आ लोक-पलायनकेँ नियंत्रित राखय लेल अपन उपस्थिति जरुर दिल्लीक जन्तर-मन्तरपर आरो लोकसमूहकेँ समेटैत दी। समय १० बजेसँ, स्थान जन्तर-मन्तर, संसद मार्ग, नयी दिल्ली।

मिथिलावासी एक हो! एक हो!! एक हो!!

एकमात्र संकल्प ध्यानमे!
मिथिला राज्य हो संविधानमे!!

भीख नहि अधिकार चाही!
हमरा मिथिला राज्य चाही!!

जय मिथिला! जय जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

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अत्यन्त प्रसन्नताक खबडि आ युवा सहित समस्त मैथिल एकताक जीत। यैह शैलीपर जखन समग्र आन्दोलन चलतैक तँ स्वराज्य दूर नहि छैक। देखाबासँ नितान्त दूर गंभीर कार्यशैली संग आगू बढबाक जरुरतिकेँ बल भेटल। जय मिथिला! जय जय मिथिला!! हरि: हर:!!

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२८ नवम्बर २०१३

हवाहवाई तो संजयजीका वर्तमान राजनीतिक दलने ऐसा चलाया कि संजयजी सहित सारे हवाहवाई नेताओंके लफ्ज हवाबाजीके अलावा शायद ही कुछ और कभी समझ सकेगा…. लेकिन सच्चाई छुप नहीं सकती बनाबटके ऊसूलोंसे वाली कहावत चरितार्थ होकर ही रहता है। जब किसी प्रदेशका शिक्षा व्यवस्था ऐसा हो जैसा कि रिपोर्टमे दिखाया गया है तो क्यों न ऐसे दलके हवाहवाई नेता मिथिला राज्यकी माँगको हवाहवाई करार दें?

हरि: हर:!!

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प्रिय रावतजी,

आदरणीय अध्यक्ष महोदय (विजयचन्द्र बाबु)को लिखे पत्रोंके अनुसार यदि आपने ऐसा बयान नहीं दिया है तो आपको चाहिये कि सरेआम मिडियामें आकर अपना स्पष्टीकरण दें। ‘मैंने ऐसा कोई बयान दिया ही नहीं है….” यानि कि आपने सीताजीकी तूलना सोनियाजी के विदेशी होने जैसे बातोंसे नहीं किये हैं। बस, जरुरत यही है कि न्युज चैनलों और मिडियाओंके द्वारा अपने बयानोंको तोड-मरोडकर रखने जैसी बातें या जो भी सही है वो जरुर कहिये और साथ ही यह भी कहिये कि आपके नजर से मिथिला और मैथिलीके साथ-साथ भारतीय गणतंत्रतामे नये राज्योंकी अवधारणा क्या है। आपका धन्यवाद!

हरि: हर:!!

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क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि ऐसे-ऐसे अनेकों समस्यासे समूचा मिथिला क्षेत्र आक्रान्त है? यहाँपर फिलहाल तो जदयू और भाजपाके आपसी बदला लेनेके नीतिसे आमजनोंका इतना बडा नुकसान हो रहा है कि उसे पूरा-पूरा रख पाना हमारे लिये संभव नहीं होगा। कृषि, खाद-बीज वितरण, डीजल सब्सिडी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ-साथ पंचायती स्तरपर किये जा रहे विकास – इन सारे-के-सारे कामोंपर केवल दलालोंका कब्जा है। हमें ऐसे दमनके विरुद्ध भी जमीनी संघर्ष करना पडेगा। स्वराज्यका मतलब यह कतइ नहीं है कि भ्रष्ट तंत्र लेकर हम अपना पिछडापणको दूर कर लेंगे…. मिथिला राज्य बननेकी प्रक्रियाके साथ-साथ हमें खुद इन चीजोंके लिये भी जगना होगा, तभी ये भडुवे किस्मके सरकारी और पंचायती दलालोंको हमारा सही-सही परवाह करनेके लिये चिन्ता होगा, वरना ऐसे ही हमारे हक और अधिकारपर उपनिवेशी शासकोंका कब्जा रहेगा।

हरि: हर:!!

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हमें ध्यान देना चाहिये कि वर्तमान सरकार, प्रशासन, मिडिया हमारे समस्याओंको कैसे निबटा रहे हैं। आन्दोलनमें हमें ख्याल रखना होगा कि हमारे अलग-अलग प्रकोष्ठ बने हैं या नहीं। और सभीके लिये कुछ खास जिम्मेदारी दिया गया है या नहीं। यदि हमारे कुछ नेतागण वरिष्ठ दलीय नेताओंसे मिल रहे हैं तो हमारे पास बानरी सेनाओंके द्वारा ऐसे अभियान भी चलाये जा रहे हैं जिससे जन-जनमें हमसे जुडनेका ललक पैदा हो रहा है। भले हम कभी किसी गंदे नालीको ही क्यों न साफ कर रहे हैं या फिर हमारे गाँवोंके किसी कुंभीग्रस्त तालाबोंकी सफाई या सडकोंके किनारे वृक्षारोपण या विद्यालयोंमें औचक जाकर वहाँ बच्चोंको किस तरहसे शिक्षा दिया जा रहा है यह सब देखना और ऐसे हजारों सामाजिक सरोकारके मुद्दे हैं जिनसे हम जमीनी तौरपर लोगोंके बीच अपना संस्थागत पहचान बना सकते हैं। इन सभी बातोंके साथ हम स्वराज्यकी बातें करें तो सफलता दूर नहीं है।

हरि: हर:!!

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बेहद शर्मनाक है ये! यदि हम वादा करके चुनाव मे जनतासे जनादेश पाते हैं, सत्ता की डोरी थामकर सारथि बनकर राज्यकी रथको हाँकते हैं और फिरसे मनमानी करके जनताकी खजानाको अपने ढंगसे बेतरतीब तौर-तरीकेसे व्यवस्थापन करते हैं तो भारतकी संविधान क्यों चुप रहती है? क्यों नहीं ऐसे वादाखिलाफोंपर न्यायपालिका और अन्य स्वायत्त संस्था कार्रबाई करती है? हरि: हर:!!

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हम अक्षम छी लेकिन जिज्ञासू छी – आइ धरि संजयजी द्वारा उठायल गेल विकासी मुद्दा कतेक पूरा भेल। हम मानैत छी – ठेंगहामे कमला-बलानपर जे पूल छल तेकरा ध्वस्त भेना आइ लगभग २६ वर्ष होमय जा रहल अछि, ताहिठाम सेहो हिनकर नाम सहित मुख्यमंत्री द्वारा शिलान्यास केना आइ कम सऽ कम २ वर्ष होमय जा रहल अछि लेकिन काज नदारद अछि। तहिना मिथिला पेन्टिंग इन्स्टीच्युट सौराठ मे केना लगभग २ वर्ष पूरा होवयवाला अछि…. लेकिन काज नदारद अछि। कला-संस्कृतिकेर संरक्षणमे राजनगर, उच्चैठ, कल्याणेश्वर, कपिलेश्वर, सोमनाथ, माधवेश्वर लगायत कतेको रास पर्यटन सर्किटमे पास अछि… लेकिन काज नदारद….! हालहि बलिराजगढमे सेहो खुदाइकेर बात कैल गेल अछि, बस बातहि टा! एहेन कतेको रास पूल, स्लूइस गेट आ नहर सहित ग्रामीन सडक, विद्यालय, सामुदायिक भवन, आदिक लेखा-जोखा मात्र दरभंगा आ मधुबनी दू जिलामे हमरा नजरि मे पडि रहल अछि जतय शिलान्यास जरुर भेटत, काज नदारद। कतेक रास जे काजो कैल गेल अछि मानू जे सरकारी खजानाकेँ हल्लूक करबाक दृष्टिकोण हावी हो। तखन जनता तँ दारुक पाउचमे आ बिहारी खरातमे वोट लूटबैत अछि, खजानासँ लूटल धनके बन्दोवस्ती नीकसँ जनैत छी… देखी जे ऐगला चुनावमे के बाजी मारैत अछि। लेकिन आब एक खतरा बढि गेल अछि। मिथिलावादी जागि अछि। गाम-गाम रथ आ पदयात्रा करैत सबकेँ बुझा रहल अछि जे सावधान – वोट ओकरे जे स्वराज्यके बात करय। एहेन बेवकूफ आ महात्त्वाकांक्षीके कथमपि नहि जे स्वराज्यविरुद्ध बात करत आ केन्द्रमे सेहो मिथिलाक कमजोर प्रतिनिधित्व दल-बदलू प्रवृत्तिसँ देत। हरि: हर:!!

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कठोरवाणी (आलोचना)

(डा. धनाकर ठाकुर जीक अगुवाई मे सम्पन्न २६म अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन पर केन्द्रित)

आ सबसँ बेसी एकजूटताक भंग करनिहार स्वयं डा. धनाकर ठाकुर – मात्र अपना टा केँ नैतिकताक संग देखैत छथि आ बाकी कियो चोर, कियो डाकू, कियो अशिष्ट, कियो अनुशासनहीन, कियो दरभंगिया, कियो चाइनीज जासूस, कियो कि तँ कियो कि…. संगठनहीन सब कियो आ मात्र अपन संगठन आ शक्तिकेँ परिपूर्ण माननिहार…. सब कियो हुनका सोझाँ जाउ आ ब्रह्मलीन बनू तखनहि टा जे मिथिला बनत से मान्य होयत…. वरना ओ तमशा जेता आ मिथिलामे कोसी पूब फारबिसगंजकेँ राजधानी बनबैत कोनो नव राज्यकेर माँग शुरु कय देता…. अररिया, पुर्णियां, कटिहार, आदि किछु जिला हुनका समर्थन सेहो दऽ देतैन… आदि घूरकी दैत एकताक प्रयासकेँ ओहिना हवामे उडा देता जेना एकमात्र पक्कोमैंयाँ बाकीक सतभैयाँकेँ अहं केर कारण मोजर नहि देबाक एक कहबी छैक। माफी चाहब, हमर ई कठोर व्यंग्य हुनका दु:ख पहुँचाबय लेल नहि, बल्कि चुनौतीपूर्ण ढंग सँ मिथिला निर्माण करबाक लेल सकारात्मक सोच बनाबय लेल अछि। जाहि तरहें “मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति” दुनू पूर्वक मंचकेँ एक करैत बाकी समस्त मंचकेँ एक करबाक लेल अछि आ ताहिमे सत्यनारायण महतो, प्रो. उदय शंकर मिश्र, जोगी जनक कुशवाहा, डा. अरुण यादव आदिक समर्थन देखैत अपन मनमानी मिथिला राज्य निर्माण सेनाक लोकप्रियता देखैत ओकरहि सबहक नाम-चोरी करैत वैह अपराध अपने करब जे फेर एक नव संगठन “मिथिला राज्य निर्माण समिति”केँ जन्म देब…. ई सब मिथिलाक आन्दोलनकेँ हास्यास्पद आ कमजोर बनेबाक षड्यन्त्र टा बुझाइछ, सार्थक काज एकदम नहि। तखन तऽ एलबम आ पिकनिककेर फोटो आ पेपर कटिंगसँ यदि राज्य बनि जाय तँ हमहीं बेवकूफ छी आ अपने महान छी, लागल रहू। काज सिखबाक हो तँ मिथिला राज्य निर्माण सेना सँ सिखू। हरि: हर:!!

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एक रामनरेशजी सबहक गद्दारीकेँ उघार करयमे सक्षम भेलाह, मोन बुझू जे प्रसन्न भऽ गेल। विनोद कक्काकेँ मेरचाइ लागब स्वाभाविके छन्हि, कारण ओ ई गलती जरुर केने छथि। आर लोककेँ शायद एखन धिया-पुता नहि भेलैन अछि। एक मैथिल यदि अपन घरमे सेहो हिन्दी आ अंग्रेजी बजबाक फैशन अपनाबैत छथि तँ पक्का ओ मैथिली अभियानीक दृष्टिकोणसँ गद्दार छथि।

साहित्यिक दृष्टिकोण:

गद्दार शब्द संज्ञा आ एकर अर्थ पीठपर छूडा मारनिहार – धोखा देनिहार होइछ।

रामनरेशजीक निम्न भावना:
“भारतवर्ष में दुटा बिमारी बड्ड गंभीर अछि :-1)यूपी आ बिहारक लोक अपन बच्चा सँ हिन्दी बाजै में गौरवान्वित महसूस करै छथि !
2) बंबई-दिल्लीक स्थानीय लोक अपन कुत्ता सँ अंगरेजी बाजै में गौरवान्वित महसूस करै छथि !

हे जानकी ! माए आब अपन भाषा संस्कृति के बचाबै क लेल अपने पुनः अवतरित होईयौ,नै त किछु गद्दार मैथिलक कारणे अहाँक भाषा आ संस्कृति दुनिया सँ विलीन भ जायत !”

जाहिसँ पूर्ण सहमति पहिले प्रकट कय चुकल छी, मुदा कूतर्कसँ एतय अनेको रास विद्वान् बलजोरी एक प्रतिबद्ध मैथिल अभियानीकेँ दुराचारी आ असमाजिक कहि दुत्कारैत देखा रहल छथि, बहिष्कार आ एकघारा, नांङ्गैर कटौनाइ, आदि तुच्छ टिप्पणी आदि कय रहल छथि…. तिनकर सामंतवादी मानसिकता आजुक मिथिला अस्मिता रक्षा लेल संघर्ष परिस्थितिमे कथमपि स्थापित नहि होयत। स्मरण रहय, यैह सामंती मानसिकतासँ लोकमानसमे एक गलत तथ्य स्थापित भेल जे मैथिल माने मिथिलाक ब्राह्मण आ मैथिली माने मिथिलाक ब्राह्मणक भाषा। 

इतिहास गवाह अछि जे राजा हरसिंह देव मिथिलामे पंजी प्रथाक उद्बोधन कयलनि आ हरेक मिथिलावासीक जातिक आगु पहिले मैथिल जोडलनि। इतिहास गवाह अछि जे जखन विद्यापति समान प्रखर संस्कृत विद्वान आमजनक भाषा ‘अवहट्ट’ यानि प्राकृत-मिश्रित संस्कृत ताहि दिनक मैथिलीमे लिखब शुरु कयलनि तँ पंडित केशव मिश्र समान उद्भट्ट विद्वान् आ विद्यापतिक आलोचक हुनका ब्राह्मणविरोधी कहि संस्कृतभाषाक मृत्युक कारक कहि अपमान तक कयलाह…. लेकिन समयांतरालमे वैह मैथिल मात्र ब्राह्मण बनि गेला कारण पंजी प्रथा आइयो यदि कनिको बचल छैक तँ ओ मात्र ब्राह्मण जाति टा मे आ आब जखन संस्कृत दुर्लभ भाषा बनि गेल अछि तँ मैथिलीक ब्राह्मी भाषिकाकेँ शुद्ध मैथिली कहि विद्वेषतापूर्वक मैथिलीकेँ सेहो आरक्षित भाषा कहि लगभग १०० वर्ष धरि एकरा सदा-सदाक लेल मारबाक कूचेष्टा करैत पाछू राखल गेल। जे विद्वान् भेलाह बेसी ब्राह्मणे टा आ यदि कियो गैरब्राह्मण लिखबो केलाह तँ हुनकर लेखनशैलीपर आ भाषाक लचकपर मात्र किछु बेईमान पंडितजनक टिप्पणीसँ मैथिली मात्र ब्राह्मणक भाषा बनय लेल बदनाम बनि गेल।

उपरोक्त वार्ता अपने-आपमे एक उदाहरण थीक जे राम नरेश शर्मा – एक मैथिल कमार लेकिन शिक्षित आ दीक्षित मानू जे बहुतो ब्राह्मणोमे तेहेन कलापूर्णता आ संपूर्णता नहि अछि तिनका संग बकचुइत करबामे कोन तरहें ओहने बेईमानीपूर्ण मानसिकताकेँ राखल गेल अछि से स्वत: प्रमाणित करैत अछि जे आइ मैथिली किऐक पाछू अछि, मैथिल कोना आपसमे टूटल छथि। किऐक बिहारी जातिक नेता सब हिनका लोकनिकेँ आपसमे टूटल देखि अपन खरात आ पाउच बाँटैत मात्र किछु टाकामे वोट कीनि हरेक ५ वर्षतक हिनका सबपर बिहारी राज चलबैत अछि। लज्जास्पद बात थीक, आ ओहेन विद्वान् केँ चुरुक भरि पाइनमे डूबि मरबाक चाही।

हरि: हर:!!

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आब हिनकर कि कैल जाय?

भाजपाक हुकुमदेवजी होइथ वा होइथ काँग्रेसक हरीश रावत – मिथिला विरोधी बयानपर हुनकर विरोध तय अछि। मिथिलाक धरतीपर आ राजधानी दिल्लीमे सेहो आ संगहि पृथ्वीलोकसँ स्वर्गलोक तक सेहो हुनकर फझीहत लिखल छन्हि। आब सोझाँ आयल छथि दलबदलू आ शिलापट्ट लगाबयमे माहिर जदयू नेता संजय झा – हिनकर जइमकय विरोध हेबाक चाही जे ई मिथिला राज्यक माँगकेँ “हवाहवाई” कहि मजाक उडौलनि अछि। जाहि मिथिलापुत्रसँ हमरा लोकनि किछु नीक आशा राखैत छी तिनकर एहेन विवादास्पद बयानसँ हिनकर अपन आत्मसम्मान तऽ जे हेराइत छन्हि से छन्हिये, लेकिन एहि लेल मिथिलावादी जनसमूह हिनका कथमपि वर्दाश्त नहि कय सकैत अछि। हम अनुरोध करैत छी समस्त अभियानीसँ जे एहेन बूरीत्व-भरल बयानक नहि मात्र विरोध कैल जाय बल्कि संजयजीकेँ कारी झंडा सेहो देखायल जाय।

हरि: हर:!!

Rajesh Jha Sanjeev Jha EX Mla Hemant Jha Hemant Mishra Shyam Jha Sanjay Jha Pankaj Jha Pankaj Prasoon Praveen Mishra Vijay Jha Ram Naresh Sharma Ram Narayan Jha Karn Anil Ankit Rai Deepak Kumar Kha Maithil Shyam Jha Anup Kumar Maithil Lalbabu Sharma Sanjay Mishra Sanjay Kumar

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सब गोटाकेँ हृदयसँ नमन – अहिना आपसी प्रेम आ सद्भावना बाँटैत मिथिलाक अस्मिता रक्षार्थ अपन-अपन सुन्दरतम योगदान दैत रहियौक, मिथिलाक जयकारा होइत रहतैक आ तही बलपर ई शायद सनातन संस्कृतिक अभिन्न हिस्सा आइ धरि बनल रहल अछि। हरि: हर:!!

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२७ नवम्बर २०१३

Strategies and effective executions make true leaders. I am proud to say that our young leaders (MRNS – a youth organization committed to conserve Mithila) have started hitting the goals with fantastic inter-cooperation. Also our umbrella organizations are planning superior plans and executions. Altogether 2014 is going to show us brilliant unity that would surely win the excellence for Mithila! Kudos Maithils’ unity

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२४ नवम्बर २०१३

आप वैसे चाटुकारितापूर्ण ढंगसे छिछोरापन दिखानेवाले नेताओंके बातोंसे इतना दुर तक न सोचें। भारतवर्षका जनक जानकीके मिथिलाको आजाद ही समझें, भारतको आजादी दिलानेवाली सारे आध्यात्मिक बल, न्याय, सांख्य, आदि के साथ भारतको बनानेमें मिथिलावासियोंका योगदान देखें और ऐसे क्षूद्र नेताओंकी करणीसे हो रहा भारत निर्माण पर गौर करें। लेकिन जल्द मिथिला राज्य बनेगा और फिर से भारत गौरवान्वित होना ही है।

हरि: हर:!!

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हो विजयजी! तर समयको पनि धेरै महत्त्व छ। हाम्रा साना-साना बाल-बालिकाहरुको भविष्य यस्तो पोलिटीकल रिफ्टले गर्दा गंभीर खतरामा पर्दै गएको अनुभूति एउटा शिक्षक र मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोणवाट मैले बुझेको छु। पार्टी जुनै पनि जितेर पनि मुद्दालाई ओझेलमा पार्न सक्दैन। तर पछिल्लो समयमा देखाएको जिद्दीपूर्ण व्यवहार र सहमतिमा न आउने प्रवृत्तिले गर्दा आज संविधानसभा १ ले जिताएको दलहरुलाई निराशाजनक स्थिति उनीहरुको आफ्नै व्यवहार र चरित्रले गर्दा देखाएको छ। पहिला पनि यदि सर्वसहमतिवाट उनीहरुले चाहेको भए संविधान दिएर देशलाई विकास तिर अगाडि लान सक्थ्यो। तर घोर जिद्दीपना र अदूरदर्शिताले जसरी आम नेपाली जनमानसको भविष्य संग खिलवाड गरियो त्यसवाट आहत आम जनताले यस पाली जनादेश देशको पुरानो-अनुभवी तर नयां राजनीतिक शक्तिहरुवाट “यथास्थितिवादी – गणतंत्र विरोधी” वाट संबोधित लाई नै दिएकोछ। अब जित्ने दलहरुको जिम्मेवारी अझ बढी भएको र देशलाई गरेको वादा अनुसार संविधान समयमै बनाएर आर्थिक विकास तिर बढाउने भएको छ। धेरै आकलन-अवकलन गरेर आम जनता माथा खपाउंदैन, तर हार्ने दल र शक्तिहरु आफ्नो समीक्षा, चुनाव आयोगवाट भएको धेरै किसिमका तकनीकी त्रुटिहरु र आगामी समयको लागि अझ सशक्त योजनाहरु बनाउनु चाहि आवश्यक छ।

हरि: हर:!!

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Absolutely!!

The national parties are given the mandates with all issues standing as these are and to address these responsibly through writing a fair and perfect constitution for Nepal. The issues of organizing states, official and national languages, mode of government, and everything can be decided with two-third majority easily and that is why the people of Nepal given the mandates to major democratic parties having enough experiences of running the state at least more than others. Others were also given the chance by the people of Nepal through the CA 1 itself, seeing their desperation and failures, peoples reserved the right to reject them and elect those remained refrained from giving the country their fullest. Let Nepali Congress and UML do the job within stipulated time.

All parties who remained in rule for a long time during recent period of transitional phase, be that Unified Maoist or Madheshvaadi or others must cooperate as a responsible allies and form the government of national consensus to let countrymen overcome the transitional phase within 1 year as said to be sufficient for writing the constitutions in Nepal. Let true federalism prevail – let natural justices to different cultures, histories, geographies and societies feel justice and that is all.

All the best and congratulations to all those won and all those who lost their seats in tough fightings! Let country win finally.

Harih Harah!!

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मिथिलाक नवपीढी सेहो भ्रमित अछि, कोना नहि होयत…. जखन एक मंत्री स्वयं भारतक इतिहास १९४७ सँ वा ओहि सऽ किछु पूर्व सँ बुझैत सीताजीकेँ विदेशी कहि सोनियाजीकेँ चाटुकारिता करैत अछि तखन मनीष मिश्र या श्रुति ठाकुर आदिक मैथिलीसँ दूर मिथिलाक कोनो रहस्य या भारतक अभिन्न अंग पर कतेक ज्ञान भऽ सकैत छैक? खैर, शायद उपरोक्त नोट किछु काजक हो, ओकर संग-संग आरो बहुत रास नोट्स शायद हमरा लोकनिक नया पीढी लेल काजक होयत से विश्वास अछि। हिन्दीमे सेहो किछु अछि आ जरुरत अनुरूप अंग्रेजीमे सेहो अछि। हरि: एव हर:!!

https://www.facebook.com/notes/pravin-narayan-choudhary/%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%80-%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A4%BF-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%95-%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%A8%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%95-%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%A4-%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A4%BF/764141546933092

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एकतामे बल होइत छैक, मंत्रीक सहायक सम्पर्क करैत प्रवीण मिश्राजी सँ कहलैन कि ई बयान हुनकर नहि थीक। देखी! काल्हि अहाँ सब जखन भेट करय जेबैन तखन हुनकर प्रतिनिधि (कारण मंत्री स्वयं मध्य प्रदेशमे छथि) एहिपर कि कहैत छथि।

हरि: हर:!!

Vikas Kumar Praveen Mishra Pankaj Jha Pankaj Prasoon Rajesh Jha Rajesh Rai Sanjay Mishra Sanjay Kumar Sanjaya Kumar ChoudharyPriyadarshi Pathak Murari

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२३ नवम्बर २०१३

एक समयमे रावतजी अपन पत्नी रेणुका लेल चुनाव प्रचार करैत हुनकर सीता आ द्रौपदी समान हेबाक बात सेहो केने छलाह जेना हुनकर पूर्वक विचारसँ स्पष्ट होइत अछि, लेकिन महात्त्वाकांक्षा आ वर्तमान राजनीतिक दलमे हाइ कमाण्डकेर प्रति कोन तरहक आस्था रखबाक दबाव हिनका सीता समान प्रात:स्मरणीय पतिव्रता धर्मकेर शिरोमणि आ ब्रह्माजी द्वारा बाकायदा सभामे पारित सर्वश्रेष्ठ सुन्दरी देवी सीताकेँ भारतमे छद्म राजनीति वास्ते विदेशी कहि देनाय कतेक पैघ अपराध थिकैक से मनन करब जरुरी अछि।

मानैत छी जे मैथिल सहिष्णु छथि ताहि हेतु बिहार निर्माणकालसँ हिनका लोकनिक माँगकेँ दरकिनार करैत कतेको बेर वीभत्स षड्यन्त्र करैत लिपि, भाषा, संस्कृति आदि सबहक हत्या कैल गेल अछि जेकर जैडमे केवल यैह बात छैक जे सुगौली संधिक परिणामस्वरूप आइ मिथिला दू देश बीच बँटल छैक आ दुनू कात मिथिलाकेँ सदा-सदा लेल सुता देबाक विचार जेना वर्तमान शासन पद्धति लेल नियोजित विचार हो तेना बुझाइत छैक।

समय बदैल रहल छैक। आइ नेपालक संविधान सभा चुनाव परिणाम स्पष्टरूपमे देखा रहल छैक जे बनाबटीपनाकेँ जनता स्वीकार नहि करत। प्राकृतिक न्याय चाही, संघीयता चाही, लोकतंत्र चाही, मिथिला राज्य चाही। जेना पहिले सेहो कहने रही, स्पष्ट करी जे मिथिलापर सहमति राखयवाला दल आइ जनमत पौलक आ हम सब आशा राखी जे नेपालमे संघीयता मिथिला राज्य नाम्ना पहिले ईंटापर हेतैक। भारत समान जेठ गणतंत्र सेहो अपन चूकपर ध्यान देत आ मिथिला राज्यकेर मान्यता दैत संसारक एक विलक्षण संस्कृति, इतिहास, समाजिकता, भूगोलकेँ संवैधानिक सम्मान ओहिना देतैक जेना कतेको बेलना बेललाक बाद अटलजीक नेतृत्वमे रहल सरकार मैथिलीकेँ संविधान आठम अनुसूचीमे मान्यता प्रदान केलाह। जखन कि आइयो बिहार सरकार मैथिलीक माध्यमसँ शिक्षा प्रदान करबाक जोगार नहि सेट करैत अछि…. उच्च न्यायालयकेर निर्देश तककेँ दरकिनार करैत मैथिली पढबाक व्यवस्था तक नहि करैत अछि…. मैथिली शिक्षककेर नियुक्ति तक नहि करैत अछि आ सीधा-सीधा ई समाद दऽ रहल अछि जे कोहुना मिथिला-मैथिली मरय।

जागू मैथिल! नहि तँ पहिचान मेटि जायत।

हरि: हर:!!

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बहुत नीक लागल ई समीक्षा पढिकय आ किसलय कृष्णजी संग सहमति रखैत मनीषजी सँ आगुओ एहि तरहें अपन विशिष्ट समीक्षा पढबाक अवसर दैत रहैथ से अनुरोध अछि।

स्वयं एहि पूर्ण कार्यक्रमक एक दर्शक आ विषयपर संबोधन करनिहारमे सहभागी रहि अपन जीवनक एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य मैथिली-सेवा व मिथिला-संरक्षणमे कय सकलहुँ ताहिसँ आयोजक सहित ईश्वरकेँ बेर-बेर आभार व धन्यवाद प्रकट करय चाहैत छी।

कार्यक्रममे बहुत रास गंभीर विषयपर चर्चा छल, अपन संस्कृतिक पूर्ण परिचायक व स्वाभिमान प्रवर्धक प्रदर्शनी छल आ सबसऽ बेसी महत्त्वपूर्ण एक पूर्ण आ दीर्घकालीन स्मरणीय सोचक संग संयोजन आ आयोजन छल जे सब हमरा सहित बहुतोकेँ खूब प्रभावित केलक।

हमर अभियानमे अध्यक्ष श्री विजय चन्द्र बाबुक सहयोग लेल आश्वासन लेकिन सशर्त अपन अन्तरात्माक बातकेँ सही साबित करैत आयल जे वगैर एकता सत्रह मंचसँ सत्रह तरहक कार्यक्रमक कोनो सार्थकता नहि होयत, ताहि लेल एक मंच, एक निर्णय आ एक लक्ष्य मे हुनकर संग भेटत से बहुत प्रभावित केलक। जरुर जाहि एकताक प्रयास हम करैत आबि रहल छी तेकरा पुष्ट कैल गेल, हम गछैत छी जे आगामी समयमे वृहत एकता बिना कोनो उपलब्धि नहि भेटैत देखि हम सब ओहिना करब जे अपने आदेश कयलहुँ अछि। भले हमरा लोकनि विभिन्न मंचपर रहब, लेकिन आपसी सल्लाह-मशवरासँ मुद्दागत एकता सहित आगू बढैत रहब।

आगामी समयमे विश्व मैथिल संघ तथा गाजियाबाद मैथिल समाज द्वारा सेहो मिथिला महोत्सवकेर योजना अछि आ आपसी सहकार्यसँ ओहो कार्यक्रममे राजनैतिक जनचेतना जागृतिक उद्देश्यसँ परिचर्चा जरुर हो से शुभकामना दैत छी।

हरि: हर:!!

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सीक, सोन, संठी, आ कतेको रास विलक्षण मिथिलाक लोक-संस्कृतिसँ संकलित सामग्री सबहक विशेष प्रदर्शनीक संग कैल गेल “मिथिला महोत्सव” अखिल भारतीय मिथिला संघ द्वारा समस्त प्रवासी मिथिलावासी लेल अनुकरणीय छल। कार्यक्रमकेर विलक्षण संयोजन आ सहयोग लेल ऋषि झा, किसलय कृष्ण, मुकेशजी, प्रकाशजी, पवनजी सहित समस्त मैलोरंग आ अभामिस प्रति बेर-बेर आभार प्रकट करैत छी।

हरि: हर:!!

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हुनका अहाँ सँ बहुत बेसी मैथिली आ अंग्रेजी दुनू अबैत छन्हि आ हम सब हुनका माथपर बैसेने छियैन आ रहबैन…. कारण अहाँ मात्र गप टा जनैत छी आ कार्यकर्ता-नेतृत्वकर्ता मिथिला समाजक लोककेँ उत्साहवर्धन तऽ दूर मात्र गपचोदन दैत रहबाक अहाँक पोखरौनी-आदतिसँ हम नीक जेकाँ परिचित छी मयंक बाबु। ताहि हेतु अपन गपचोदन दुबारा अपनहि पढबाक लेल देबैक। खबडदार जे कहियो कोनो मिथिला सिपाहीक भाषापर – वा शैलीपर आक्रमण केलहुँ तऽ! अहाँ हमरा सँ सदा-सदाक लेल दूर भऽ जायब। हरि: हर:!!

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मिडियाकेँ सेहो धन्यवाद जे एहि मुद्दाक संज्ञान लेलनि। मिथिला राज्य निर्माण सेनाकेँ हृदयसँ बधाई जे एतेक महत्त्वपूर्ण मुद्दाकेँ उठेलैन आ समस्त मिथिलावासीकेँ जगेबाक एक अति महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान केलैन अछि।

सीताक अपमान – मिथिलाक अपमान आ यैह बातक आभान जे कोना-कोना काँग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलक वैमनस्यतासँ मिथिला दू देशक बीच विभाजित रहबाक कारणे गणतंत्रक अभिन्न अंग रहितो राजकीय पहिचानसँ वंचित अछि।

जागू मिथिलावासी, नहि तँ पहिचान मेटि जायत!

वाह चन्दनजी! सियाजीक स्तुतिसँ हृदय गदगद कय देलहुँ। माँ केर आशीर्वाद सँ अहाँ सबहक काल्हिक कार्यक्रम बहुत दूर तक संदेश पठायत। आउ, एक बेर मनन करी सिया-स्तुतिकेर!

जानकी -मंगल / तुलसीदास
(सीता – स्तुति)
भई प्रगट कुमारी भूमि-विदारी जन हितकारी भयहारी।
अतुलित छबि भारी मुनि-मनहारी जनकदुलारी सुकुमारी॥

सुन्दर सिंहासन तेहिं पर आसन कोटि हुताशन द्युतिकारी।
सिर छत्र बिराजै सखि संग भ्राजै निज -निज कारज करधारी॥

सुर सिद्ध सुजाना हनै निशाना चढ़े बिमाना समुदाई।
बरषहिं बहुफूला मंगल मूला अनुकूला सिय गुन गाई॥

देखहिं सब ठाढ़े लोचन गाढ़ें सुख बाढ़े उर अधिकाई।
अस्तुति मुनि करहीं आनन्द भरहीं पायन्ह परहीं हरषाई॥

ऋषि नारद आये नाम सुनाये सुनि सुख पाये नृप ज्ञानी।
सीता अस नामा पूरन कामा सब सुखधामा गुन खानी॥

सिय सन मुनिराई विनय सुनाई सतय सुहाई मृदुबानी।
लालनि तन लीजै चरित सुकीजै यह सुख दीजै नृपरानी॥

सुनि मुनिबर बानी सिय मुसकानी लीला ठानी सुखदाई।
सोवत जनु जागीं रोवन लागीं नृप बड़भागी उर लाई॥

दम्पति अनुरागेउ प्रेम सुपागेउ यह सुख लायउँ मनलाई।
अस्तुति सिय केरी प्रेमलतेरी बरनि सुचेरी सिर नाई॥

दोहा-
निज इच्छा मखभूमि ते प्रगट भईं सिय आय।
चरित किये पावन परम बरधन मोद निकाय।।

(इति जानकी-मंगल)

ॐ तत्सत्!!

हरि: हर:!!

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अपील
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दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, व एनसीआरसँ जुडल समस्त मैथिल अभियानीसंग निवेदन अछि जे २४ नवम्बर यानि काल्हि रवि दिन ठीक २ बजे कनाट-प्लेसकेर इन्डियन काफी हाउस (आइसीएच) पर जमा होइत मिथिलाक मूल संस्कृतिपर वरिष्ठ काँग्रेसी नेता, केन्द्रिय जल संसाधन मंत्री हरीश रावतकेर आपत्तिजनक बयानकेर विरोधमे निन्दा प्रस्तावक संग एक सामूहिक विरोध मार्च मंत्रीक घरतक करैत ओतहि ‘मिथिला राज्य निर्माण सेना‘ द्वारा पुतला-दहनकेर कार्यक्रम सेहो राखल गेल अछि ताहिमे सहभागी बनी।

स्मरण रहय – वर्तमान मात्र १०१ वर्षक उपनिवेशी पहिचान यानि ‘बिहारी’ बनि मैथिलसँ इतर मिथिलासँ दूर प्रवासपर रहल लेल मजबूर अपने समस्त मिथिलावासी जे आइ विभिन्न तरहे मजदूरी आ रोजी कमाइत अपन लोक-संस्कृतिसँ बहुत दूर बनल छी, तिनकर जैड यानि मिथिलाक पहिल अमरतत्त्व यानि सीताकेँ विदेशी कहि अपमान कैल गेल अछि आ काल्हि (भविष्यमे) कहिया अहुँसबकेँ मिथिला-रिफ्यूजी कहि शरणार्थी जेकाँ व्यवहार होयत तेकर एक छोट संकेत टा छी ई।

भारतीय काँग्रेस पार्टीक ई आधिकारिक टिप्पणी थीक वा हरीश रावत अपन निजी महात्त्वाकांक्षाक पूरा करबाक लेल अपन पार्टी अध्यक्षा सोनिया गाँधीकेँ प्रसन्न करय लेल एहि तरहें घटिया चमचागिरी करैत भारत सहित समस्त संसारमे पसरल लगभग सात करोड मैथिलकेँ अपन मूल पहिचानपर प्रश्न ठाड्ह कयलनि अछि। मिथिला सुगौली संधिक परिणामस्वरूप आइ दू देशमे भले किऐक नहि हो, वर्तमान जनकपुर नेपालमे किऐक नहि हो आ सीताक जन्मस्थली भारतक सीतामढीमे पुनौराधाम किऐक नहि हो…. धन्य मिथिला जे दुनू देशमे खूलल सीमाना आ अपन देश समान बुझाइत जेहेन सौहार्द्र कायम अछि… ताहिमे सेहो देशी-विदेशी कहि अपन क्षूद्र मानसिकताक प्रदर्शन मिथिलाक पहिचानपर स्थायी ग्रहण लगेबाक एक षड्यन्त्रपूर्ण नीति थीक। एहि लेल सगर संसारकेर मैथिल एक होइथ आ एहेन बेईमान मानसिकताकेर करारा विरोध करैथ।

जनतब हो जे हिन्दू जनजागृति समिति एहि तरहक बयानकेँ राष्ट्रीय प्रश्नमे समेटलक अछि आ हरीश रावतक सीताकेर विदेशी होयबाक आ सोनिया गाँधीसंग कैल जा रहल तूलनाकेँ धिक्कारलक अछि। एहि सन्दर्भ विभिन्न तरहक निन्दा करैत बुद्धिजीवी-विद्वान् आदिकेर सेहो अनेको बयान विभिन्न पत्र-पत्रिका आदिमे आयल अछि। लेकिन मिथिलाक पहिचानकेर संरक्षण लेल प्रतिबद्ध विभिन्न अभियानी द्वारा समग्र सहयोगमे कमजोरी रहलाक चलतबे आइ तुरन्त कोनो प्रतिक्रिया आ सेहो राष्ट्रीय मिडिया सबहक ध्यान आकर्षण करैत नहि कैल जा सकल अछि, तथापि उपरोक्त विरोध कार्यक्रम राखल गेल अछि आ अपनेक एकजूटतासँ नहि मात्र विरोध आ निन्दा प्रकट कैल जायत बल्कि आगामी समय लेल सेहो अपन संवैधानिक अधिकार लेल योजनाबद्ध तरीकासँ कार्य करबाक उत्साह भेटत। अपने जरुर सहभागी बनी।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

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सीताजीकेँ विदेशी कहबाक बात समस्त हिन्दूजागृति समाज लेल एक राष्ट्रीय प्रश्नक रूपमे सोझाँ आयल अछि। लेकिन स्वयं मैथिल यानि मिथिलावासीकेँ अपन मूल-संस्कृतिपर एहेन बेईमान मंशाय-आशयसंग कैल गेल हमलासँ आखिर फरक किऐक नहि पडैत छन्हि? सोझ सवाल छैक। जाबत लोक अपन राजनैतिक अधिकार लेल जाग्रत नहि रहत, ओकर समस्त संस्कृतिकेँ नहि मात्र बिसरायल जेतैक बल्कि ओकरा पहिचानविहीनताक वीभत्स रोगसँ ग्रसित कराय समस्त मिथिला संस्कृतिकेँ मेटेबाक योजनाकेँ सफल सेहो बनायल जेतैक। हरि: हर:!!

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ई बहुत दुखद परिस्थितिक द्योतक थीक जे मिथिलापुत्री जानकी, दुलारी किशोरी, सिया धिया, वा रामस्य भार्या:, जनकनन्दिनी सीताक विषयमे भारतक एक वरिष्ठ राजनीतिकर्मी आ सेहो भारतक एकमात्र पुरान राजनीतिक दलक सेहो वरिष्ठ नेता आ वर्तमान केन्द्रिय सरकारक एक महत्त्वपूर्ण ओहदेदार मंत्री…. हरीश रावत एहेन क्षूद्र बयान देलनि जे सीता नेपाल यानि विदेशसँ छलीह आ भारतक रामसंग विवाह केलनि तखन भारतीय भेली…. कि ई राजनेता आब नव इतिहास लिखय जा रहल छथि? कि पौराणिक राज-व्यवस्थामे रहल मिथिला, कोसल/अवध, काशी, आदि समस्त भारतवर्षीय राज्य पर वर्तमान देशीय व्यवस्थासँ तूलना आ अपन दलीय दलदलपूर्ण राजनीतिमे घीच्चम-तीरा करैत आजुक ६ करोड मैथिल जे भारतमे रहि रहल छथि तिनकर मूलकेँ ललकार नहि तँ दोसर आन कि भऽ सकैत छैक? एहि लेल मिथिलावादी अभियानी लोकनि द्वारा उठायल गेल डेगसँ हम समस्त मैथिल ऐक्यता रखैत वर्तमान भारत ओ नेपालक सीमा व संप्रभुताकेँ सम्मान करैत सीता ओ रामकेर परिप्रेक्ष्यमे देशी-विदेशी कहि मतदाता व सामान्य जनताकेँ बहकावामे देबाक नीतिकेँ भर्त्सना आ विरोध प्रकट करैत छी।

मिथिला आन्दोलनीसँ निवेदन जे काफी हाउसपर पुतला दहन करबाक कैम्पेनिंग कनेक अटपटा नीति देखबैत अछि…. हलाँकि अपने लोकनिक २४ तारीखवला विरोध लेल ओ जगह मात्र जुटानीलेल संकेत बुझाइछ…. तदापि ताहि लेल ई गैदरिंग विन्दु जन्तर-मन्तर समस्त विरोध अभियानलेल निर्धारित विन्दुकेँ आगू सऽ अपनाबी आ मात्र पुतला-दहन करब टा नहि, बल्कि सरोकारवालामे मंत्री स्वयं, हुनक दल, विरोधी दल आ मिडिया सबकेँ एहि लेल ज्ञापन धरि जरुर दी।

हरि: हर:!!

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२० नवम्बर २०१३

जो सम्पदा नीच गृह सोभा – सो बिरंचि सुरनायक मोहा!!

जी! ई सत्य यैह मिथिलाक थिकैक। जतय डोम जातिक घरमे रत्नजडित बर्तन-बासन आ राजमहल सदृश निवास-स्थल जतय प्रकाश आ सजाबट एहेन जाहिकेँ देखि सुरनायक इन्द्र सेहो भ्रमित होइत राजमहल बुइझ प्रवेश करैत विवाहस्थल (भगवान् राम व सीताक) विषयमे पूछैत छथि…. जखन परिचय भेटैत छन्हि जे महाराज हम तऽ डोम जातिक थिकहुँ आ हमर शान-ओ-शौकत बस मिथिला राज्यक सम्पन्नतासँ अछि। महाराजक सम्पत्ति तऽ जे – से, आमजन सेहो ओतबी समृद्ध छथि जतय एक बेर लोक जाहि बासनक उपयोग कय लैत अछि दोबारा ओकरा तेकर जरुरत नहि पडैत छैक… आ हम तऽ डोम जातिक छी, साफ-सफाई राखब हमर कर्तब्य होइछ, से ओ ऐँठ-कूठ उठा अनैत छी ताहिसँ हमरो लग सरकारक दयासऽ कोनो कमी नहि अछि।

से मिथिला आइ अपन पहिचान लेल काइन रहल अछि आ एहिठामक लोक दरिद्र बनि दर-दर भटैक रहल छथि। 

हरि: एव हर:!!

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मैथिलीमे काज करू, मैथिलीमे काज करबाउ, ब्राह्मणवर्गसँ इतर सेहो मैथिली साहित्यक ईमानदार सृजनशीलताकेर पोषण करू। मात्र विभेद केर बात करैत आइग केँ आरो नहि भडकाउ, वरन् बजाउ आम मैथिलकेँ आ करबाउ मैथिलीक सेवा, तखनहि हेतैक मैथिलीक सनातन सुधाक प्रवर्धन। हरि: हर:!!

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पिछलग्गू आ चमचा-बेलचा मिथिला राज्य केर आन्दोलनमे न्यून भेटत। कारण जे लागल छथि हुनका मे ततेक सामर्थ्य वा स्रोत नहि जे कतहुसँ लूटता आ चमचा-बेलचाकेँ पोसता आ तखन मिथिला लेल जयकारा लगबौता। एक बेटा बैजु मे ओ ताकत अछि जे अपन जवानी सऽ एखन धरि विभिन्न तरहक व्यवसाय करैत हजारोंकेँ रोजगार देलक आ कतेको ठाम कन्ट्रोवर्सीज केर काँटी मारलक वा मरबौलक….. मिथिलाक आम व्यवहारमे उदीयमान सूर्यरूपी व्यक्तित्वकेँ कील ठोकैत जीसस जेकाँ शहीद करबाक बात बुझले अछि। तदापि ओ कन्ट्रोवर्सीजसँ बड बेसी आगू खुलेआम यदि कियो मिथिला राज्यकेर प्रस्ताव संग बोल्डली आ ब्युटीफूली पब्लिकमे प्रचार‍-प्रसारक संग भारत सरकारकेँ निरन्तर माँग केर विषय अवगत करबैत अछि, ताहि लेल हमरा सबहक लेल प्रणम्य अछि। व्यक्तिगतरूपे हम जतेक लोककेँ चिन्हलौं आ करैत देखलहुँ ताहिमे बैजुक जोडा आइ धरि केओ दोसर नहि देखायल अछि। भभाराबाजी आ मुँहपुरखाई देखेनिहारक तऽ मिथिलामे कहियो कमी नहि रहि गेल। हम अही भभाराबाज आ बाप-दादाक नाम बेचनिहार क्षूद्र मानसिकताक नील-टीनोपालकेँ पदलोलूप-लालचीक संज्ञा देने छी आ बस एकरा सबसँ केवल आन्दोलनकेँ बचाबय चाहैत छी। बाकी, सब ठीक अछि। हरि: हर:!!

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वास्तवमे यैह अभियान आ जन‍-सम्पर्क आ सेहो नि:स्वार्थ भावनासँ जेना अहाँ सब करैत आबि रहल छी, वैह टा टार्गेट २०१४ मे सार्थक उपलब्धि देत। मिरानिसे केन्द्रिय समितिक एहि डेग लेल हृदयसँ बधाई। दिल्ली समूचा मिथिलाकेँ मानू जे समेटने अछि। सब कमौआ आ प्रवासक दर्द बुझनिहार दिल्ली एनसीआर मे छथि। जेना देखबे केलियैक “अखिल भारतीय मिथिला संघ” समान जेठ संस्था आ शिव-शक्ति सोसाइटी समान नोएडा-७१ केर नव लेकिन मिथिला लेल प्रतिबद्ध संस्था…. तहिना हरेक गली आ नगर‍-डगरपर मिथिला दिल्लीमे अछि आ जरुरत छैक जे राजेशजी, हेमन्तजी, विजयजी, संजयजी, कमलेशजी, सैलेशजी, विकासजी, कविजी, अनिलजी आ समस्त युवा-पीढी नेतृत्वकर्ता पूर्ण जागृति आ समर्पणसँ मिथिलालेल वांछित समग्र संघ तैयार करी। लेकिन चेतावनी वैह पुरान जे अहाँ केकरो माइनस आ केकरो व्यक्तिगत चरित्रप्रमाणपत्र दैत अपन वजनकेँ अपनहि कम नहि करू। फेर दिसम्बर ५ केर तैयारीमे सेहो अपन-अपन बेस्ट दियौक, कारण मिथिला एक्कहि थिकैक जे अहाँ बनेबैक वा ओ बनौता…. अहाँ आ ओकरामे कोनो भेद-विभेद नहि राखब। व्यक्तिगत तौरपर हमरा सऽ अहाँकेँ वा अहाँसँ हमरा….. कतहु किछु नोकसानी भेल होयत। लेकिन जतय सवाल मिथिलाके छैक, हम सब एक रही, एक छी, एकहि रहब।

विश्व मैथिल संघ द्वारा जे आयोजित १४ दिसम्बरकेर विद्यापति स्मृति पर्व समारोह अछि ताहिमे प्रथम सत्र एक विचार गोष्ठी जरुर राखल जाय आ विषय सर्वसम्मतिसँ चुनल जाय मुदा समस्त दिल्लीमे कार्यरत संस्थाक प्रमुख अधिकारीकेर सहभागिता सुनिश्चित हो तेकर प्रयास जरुर करब।

जय मिथिला! जय जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

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१९ नवम्बर २०१३

एहि कार्यक्रममे सेहो हम जरुर उपस्थित होयब, बाकी जे दिल्लीमे छी ओ जरुर एहिमे सहभागी बनी आ ताहू सऽ पूर्व ई निर्णय करी जे दिल्लीक ३० लाख मैथिल मतदाता द्वारा कम सऽ कम १० गो विधायक अपन पसिनक चूनि विधानसभामे पठाबी। हरि: हर:!!

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हम जानकारी देबय चाहब हे परसू हम गुवाहाटी आबि रहल छी, गणेशजी मिथिला राज्य निर्माण सेना लेल कार्य शुरु कय देने छथि….. आब हमरा सामाजिक कार्य लेल काज करबाक अछि, अर्थात् जे दहेज मुक्त मिथिला स़़ँ जुडैत कार्य करब से भेट दी। हरि: हर:!!

हरि: हर:!!

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हमरा सऽ यदि कियो पूछी जे अहाँक दिल्ली यात्रा केहेन रहल तँ हम मात्र एक बात कहब जे हमर कर्तब्य हम पूरा कएल आ से करबाको छल, किसलय कृष्ण केर कहब छलन्हि जे भाइ ई एक एहेन कार्यक्रम होयत जे परंपरा बदलत…. बेशक एहि बेर संयोजन लेल धन्यवाद दी ऋषिजीकेँ आ समस्त टोलीकेँ। ई निश्चितरूपमे एक पूर्ण मिथिला महोत्सव छल भाइ। पहिले चिन्तन गोष्ठी, फेर सांस्कृतिक कार्यक्रम आ तेकर बाद छल मिथिला फिल्म महोत्सव आ समिक्षा। हरि: हर:!!

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अपन पहचान

जे बिसैर गेल के जननी हमर
के बाप हमर जे बिसैर गेल
कि भाषा हमर कि संस्कृति हमर
जे बिसैर गेल कि शैली हमर
कि पहिरन हमर ओ कि बाजत
ओ थिक जे केकर – ओ थिक जे हमर?

चाहे मैथिल हो या अन्य केओ
अपन पहचानक रक्षा करय
अपन मायक ओ कर्ज भरय
अपन मातृभूमिक सेवामें
ओ कर्म करय तखनहि मरय
नहि कि केवल गुलामीके
गीत गाबय कोनो
मातृभक्त सऽ जड़य!

बड़ सुनलहुँ बड़का बोलीके
बड़ देखलहुँ डेन फरकाबैत
मोथीके पकैड़ अन्तमें बाजय
छोड़ झाड़ मोरा डूबय दे
छोड़ू मिथ्याके आडंबर
जौँ अछि ताकत तऽ गछू
हे माय! हे मिथिला!
हम अहाँके छी, अहींके रहब!
बस कर्जमुक्त मोरा होबय दे!

हरिः हरः!

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श्याम सुन्दरजी द्वारा पठायल गेल समीक्षा देखि हृदय आनन्दित भेल….. लेकिन किछु बात मिरानिसे संस्थापन पक्ष (सदस्य विवरण) आदि पढि संगठनमे झूठ विवरण अध्यक्ष महोदय तक पहुँचल अछि…. तदापि कोनो बात नहि। कार्यक्रमसँ मैथिली भाषा प्रति जन-प्रतिनिधि (स्थानीय) केर प्रतिबद्धता प्रशंसनीय आ कार्यक्रमकेर सार्थकता देखायल। लेकिन राज्य किऐक आ ताहि लेल कोन तरहक जुड़ाव बनत, कोन तरहे आन्दोलन हरेक पंचायतमे हर मुखिया द्वारा अपन-अपन क्षेत्रक जिम्मेवारी लेल जायत से सब नहि देखायल….. मिरानिसे सदस्यकेँ संबोधन अनिवार्य हो…. कारण हुनका लोकनिक भावना सँ गामक लोककेँ भावनात्मक जुड़ाव करब जरुरी अछि। संगहि, आन्दोलनकेर निरन्तरता लेल जन-सहभागिता अर्थात आन्दोलन लेल अर्थ संकलनक भार सेहो स्थानीय स्वशासन पद्धतिकेँ सुम्पित करबाक दृष्टिकोण जरुरी अछि। हरिः हरः!!

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१६ नवम्बर २०१३

What is our culture and who we are – perhaps we know ourselves as Maithil belonging to mystic land of Mithila only when a celebration day comes. Don’t miss the moment o younger guys, it fills you with real inner strength and also the very true ‘self-realization’ too. Let’s meet at Mavlankar Hall today, tomorrow I will leave by morning train and will not be able to attend the program, although I will miss it badly.

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आब काल्हिक समारोह “मिथिला महोत्सव” जे मावलंकर भवन, दिल्लीमे अखिल भारतीय मिथिला संघ द्वारा आयोजित अछि, काल्हि ११ बजे भोरे एकर उद्घाटन होयत ताहिमे हम सब बैढ-चैढकय सहभागी बनी आ समारोह जे आजुक मिथिला संस्कृतिलेल रामबाणकेर कार्य करैत अछि तेकर दर्शन कय लाभार्थी बनी। तैयारी पूरा भेल! शुभ रात्रि!!

हरिः हरः!!

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प्रीतमकेर स्मृतिमे

बात मोनक प्रिये, लिखि छोड़ि एतय
अहाँ लिखू कोना दूर कानैत छी!!
बस सोचिये प्रिये मोन बौसी एतय
अहाँ लिखू कोन मन रिझाबैत छी!!

देश छूटल हमर रोजीरोटी कमाय
फेर कोना कही जे अभागल छी,
नेह कसकल प्रिये एकसर हम एतय
फेर कोन सही बड़ असह दुखि छी,

बात अपन कहू, होऽऽऽ बात अपन कहू, मोन मानय एतय,
अहाँ लिखू कोना दिन बिताबैत छी!!
बात मोनक प्रिये……

ई विधाता लिखल आ कि दाता लिखल
कि कही ई रहस्यो न जानैत छी,
खेत अपन उपैट गेलि अन्नपूर्णा
बस दरिद्राक फेरीमे फाँगैत छी,

एना दिने जरल, होऽऽऽ एना दिने जरल, देखू प्रीतम एतय,
अहाँ लिखू कोन मन मनाबैत छी!!
बात मोनक प्रिये……

Baat monak priya likhi chhori etay
Aha likhu kona dur kaanait chhi!!

Bas sochiye priya mon bausee etay
Aha likhu kona man rijhaabait chhi!!

Desh chhootal hamar – rojee roti kamai
Fer kona kahu ham abhaagal chhi,
Neh kasakal priya – eksari ham etay
Fer kona sahi bad asah dukhi chhi,

Baat apan kahu-2 – mon maanay etay
Aha likhu kona din kaatait chhi!!

Baat monak priya……

E vidhata likhal aa ki data likhal
ki kahi e rahasyo na jaanait chhi,
Khet apan upait geli Annapoornaa
Bas daridraa ke fer me faangait chhi,

Ena dine jaral – dekhoo priyatam etay
Aha likhu kona man manaabait chhi!!

Baat monak priya……

Harih Harah!!

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मिथिला राजक खाँत

एक कान एक – दू कान दू
तीन कान तीन – चाइर कान चाइर
सब माँगय मिथिला – जय जय मिथिला!!

कियो कूदय मिरानिसे, कियो कूदय मिरासंस
कियो कूदय अभामिपा, कियो कूदय मिमुमि
सब माँगय मिथिला – जय जय मिथिला!!

केकरो मन एना, केकरो मने तेना
बनय बिगड़य, मिथिला बनय केना
सब माँगय मिथिला – जय जय मिथिला!!

बिना भोज केने दाइल बड पीबय
दोसरक चमकी आँखिमे गड़य
सब माँगय मिथिला – जय जय मिथिला!!

बेर पर गाइब, अबेर बड गाइर
मार लाठी फोरसा – लाजे दूर ढाइर
सब माँगय मिथिला – जय जय मिथिला!!

सब कियो गमलक – बुझलक दुर्गुण
हमरे सँ लैतो गानय नहि सद्गुण
सब माँगय मिथिला – जय जय मिथिला!

एक कान एक – दू कान दू
तीन कान तीन – चाइर कान चाइर
सबहक माँग मुदा – जय जय मिथिला!!

हरिः हरः!!

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मिथिला: सनातन केर सूर्यास्त (Mithila – The Setting Sun of Eternalism)

मिथिलाक लोक-संस्कृति: भूत आ वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे

मिथिला: एक छोट परिचय

जाहि मिथिलाक चर्च आदिकालसँ वेद-वेदान्त द्वारा कैल जाइत अछि ताहि संस्कृतिक आइयो जीवन्त रहबाक बात सर्वविदिते अछि। कतेको रास तत्त्व एहि सुन्दर सभ्यताक रहल अछि जेकरे बदौलत ई आइयो समस्त संसारक दृष्टिमे अपन अलग पहिचान बनौने अछि। ओ चाहे एहि माटिक उर्वरता हो वा हो पाइनिक विशेषता – लेकिन सनातन संस्कृतिमे मिथिला अपन योगदान अकाट्य निर्मित केने अछि। यदि शास्त्र-महाशास्त्रक सृजना हो या हो ऋषि-मुनि-महात्माक संग विद्वानक बेर-बेर अवतार – मिथिला बनल रहल अछि बुद्धिमताक खदान आ एतयसँ निकलैत रहल अछि मानवताकेर पोषक नीति आ सिद्धान्त – बनैत रहल अछि राष्ट्रक संग समस्त वसुधा महान। अनेको अमरतत्त्वमे रहल अछि एहिठामक लोक-संस्कृति, लोक-भाषा, लोक-परंपरा, लोक-सृजनशीलता आ लौकिक-अलौकिकता। तऽ कि ई सभ्यता ओ संस्कृति अस्त होइत सूर्य नहि?

मिथिलाक ऐतिहासिकता: सनातन होयबाक सार्थकता

मिथिलाकेर निर्माण स्वयं एक एहेन रहस्य अछि जे वैज्ञानिक दृष्टिकोणसँ सेहो अपन नामकेर सार्थकता पूर्ण करैत अछि।

चाहे सुमिरी राजा निमिकेँ जिनकर त्यागपूर्ण यजनसँ उपस्थित वरदान कहि रहल अछि जे निमि जन-जनकेर आँखिक पलकमे बसैत छथि, तहिना अछि मिथिलाक लोक-संस्कृति जे संसारकेँ अपन विलक्षणता आ विशालतासँ आकृष्ट करैत अछि।

राजा मिथि जे निमिक शरीर-मंथन सऽ उत्पन्न भेल छथि आ जिनक राजकेँ मिथिला कहि विष्णुपुराण गान करैत अछि ओहो अपन शरीर मोह आ भौतिकताक फाँस – दुनूसँ ओहिना अनासक्त रहलाह जेकर चलते विदेह कहौलाह आ मिथिलाक लोक-संस्कृतिमे अनासक्तिक संग आध्यात्मक मिश्रण ओहिना स्पष्ट अछि जेना मधुर घुलल जल-सर्वतकेर मिठास। संसार ई कहबाक लेल बाध्य अछि जे जँ वेद-वेदान्त एहि संसारसँ विलुप्त होयत तखनहु मिथिलाक लोक-परंपरा व संस्कृतिकेर अनुकरण सँ ई पुन: जीवन-प्राप्त करत।

राजा जनककेर विदेहराज बनबाक गाथा हो, याज्ञवल्क्य समान विज्ञ मार्गदर्शक हो, गार्गी-मैत्रेयी समान प्रखर आ चतुर स्त्रीगण हो, अष्टावक्र समान महान कुरूप – आठ ठामसँ टेढ रहितो जनक समान विवेकशीलकेँ आध्यात्मिकताक दर्शन आ ब्रह्मज्ञान देबामे सक्षम ज्ञानी आचार्य हो…. समस्त स्थिति व परिस्थिति सँ मिथिलाकेर अपन अलग पहिचान एहेन बुलन्द बुनियाद पर भेल अछि जेकर चर्चा मात्र शब्दमे कहियो संभव नहि होयत। एक पाँतिमे एकरा एना समेटल जा सकैत छैक जे स्वयं जगज्जननी सिया मिथिलाक पावन माटिसँ अवतरित होइत मर्यादा पुरुषोत्तम रामक भार्या बनि रावण समान (प्रखर-पंडित-ज्ञानी रहितो) अहंकारीक राम यानि त्रिभुवनपतिक सर्वोत्तम अवतारक हाथे उद्धार करौली। एतबा टा नहि, मिथिलाक धिया सिया अपन विलक्षण चारीत्रिक प्रस्तुतिसँ ब्रह्माक दरबार द्वारा निर्णीत एहि लोकसँ परलोकधरिक सर्वश्रेष्ठ पतिव्रता नारी होयबाक सौभाग्य प्राप्त केली।

यदि मध्यकालीन इतिहासपर नजैर पड़ैत अछि तैयो एहि वास्तविकताकेँ नहि नकारल जा सकैत अछि जे मिथिलामे कोनो न कोनो अदृश्य प्रकृतिक विशेष अनुकम्पा रहल अछि जाहिसँ ई संसारक एकमात्र सनातन संस्कृति थोड़ो-बहुत अपन मूल प्रकृतिक संग आइयो जीबित अछि। मिथिलामे एक सऽ बढिकऽ एक विभुतिक उत्पत्ति वास्तवमे अमरत्त्व प्रदान करबाक कार्य केलक अछि। एहि अमरतत्त्वमे साहित्य-प्रवाह मानू आकाशसँ अमृतसुधाक वृष्टि करैत आबि रहल अछि। मिथिलाक हरेक जनगणमे ओ शक्ति अछि जेकर मानि लियऽ जे जरुरत बुझैत स्वयं परमेश्वर ओकरा एहि पृथ्वीपर पठबैत छइथ! भले मिथिलावासी आइ विस्मृतिसँ अपन आत्मशक्तिकेँ बिसैर गेल किऐक नहि होइथ, हुनकामे हनुमानजी समान अपनहि शक्ति विस्मरण भेलोपर मिथिलामे जाम्बवन्तरूपी सचेतक बेर-बेर अबैत रहल छथि आ हर तरहें व्यक्तिगत, समष्टिगत आ मानवीयताक हरेक स्तरपर आत्मशक्तिकेँ पुनर्स्मृति करेबाक सुन्दर कार्य केने छथि। यैह सामर्थ्यसँ मिथिलाक भाषा चाहे संस्कृत रहल हो, प्राकृत रहल हो, अवहट्ट रहल हो या फेर आजुक मैथिली संग-संग विभिन्न उपभाषा बज्जिका, अंगिका व मिथिला उर्दू, मिथिला भोजपुरी, ठेंठी व विभिन्न अन्य हो – मिथिलामे लोक-परंपरा व ऊपर चर्च कैल अमरतत्त्वक प्रभाव सँ विशाल साहित्यिक व सांस्कृतिक संपदा निर्माणक कार्यक पुरातनकालीन समयसँ वर्तमान धरि निरंतरता मे रहि आयल अछि।

मिथिलावासी बड सहिष्णु होइत छथि। कहबी छैक जे एतुका प्रिय भोजन चुड़ा-दही-चीनी होइत छैक, जे मस्तिष्ककेँ सदैव शीतल रखैत छैक। हलाँकि आबक जुगमे बहुत पैघ परिवर्तन आबि चुकल छैक, सात्त्विकता पछैड़ गेल छैक आ राजसीक संग तामसिक किछु बेसिये हावी छैक। आध्यात्मिकता ओना सीधासीधी देखलापर कतहु हेरायल बुझा रहल छैक आ संसार अन्य संस्कृतिक संग मिथिला सेहो भौतिकवादक चांगूरमे ओझरायल बुझाइत छैक। राजा जनक कराल केर अत्याचारसँ आक्रान्त आमजन यानि मिथिलाक प्रजा मैथिल द्वारा सरेआम हत्याक बाद एहिठामक राजसत्ताक इतिहास सेहो बड स्पष्ट नहि रहि गेल छैक वा एना कही जे एहि दिशामे पूर्वज द्वारा बहुत गहिंर काज सेहो नहि कैल गेल छैक। लेकिन थोड़-बहुत जानकारी विभिन्न शोधपत्रक मार्फत आर वर्तमान पीढीक विभिन्न इतिहासकारक मार्फत भेटैत अछि जेकरा आधारपर हमरा लोकनि मिथिलाक आदिकालसँ वर्तमान समय धरिक विभिन्न बातसँ परिचित भऽ रहल छी।

कि मिथिलाक सूरज अस्त भऽ रहल अछि:

राजाविहीन संस्कृति ओहिना टूगर होइछ जेना बिना माय-बापक धियापुता। विगत १०० वर्षमे मिथिलाक शिथिलापन ओहिना स्पष्ट देखयमे आबि रहल छैक। मिथिलावासीकेर पहिचानक विशिष्टता वर्तमान गणतांत्रिक भारतमे हेराइत बुझा रहल छैक। मिथिलाक दुर्भाग्य कही जे १४म शताब्दीमे विदेशी आक्रमणसँ आक्रान्त बनैत मध्यकालीन उत्कर्षकेँ ओहिना गमेलक जेना राज्यविहीन भूगोल व इतिहास रखने अनेको संस्कृति, आ समयक अन्तरालमे आब ई सम्पन्न पौराणिकता क्षीण-क्षरणक अग्निमे दग्ध बनि रहल अछि कारण मिथिलावासीकेर पहिचान कतहु बिहारी तँ कतहु मधेशी समान बदनाम व हीनताक बोध कराबयवाला उपनिवेशी पहिचान भेट रहल अछि। नेपालक मिथिला आइ मधेशी यानि शासकवर्ग द्वारा देल गेल दोयम दर्जाक नागरिक समान हेपहा पहिचानक संबोधन तेकरा नवपर स्वीकार करबाक राजनीति भऽ रहल अछि तँ समूचा भारतसहित विश्वमे बिहारी एक हीनबोधता कराबयवाला पहिचान आइ अपन राज्यसहित भारतक आन-आन राज्यमे ताहिसँ संबोधन कैल जाइत अछि।

सोझ हिसाबे देखल जाय तऽ ई स्पष्ट अछि जे मात्र १०० वर्षक बिहारी पहिचान सँ मिथिलाक लोक आइ लगभग खतरनाक ७०% प्रवासरोगकेर शिकार आ खानाबदोश जीवनशैली अपनबैत अपनहि सुसभ्य संस्कृतिकेँ परित्याग करैत सब पारंपरिक वैज्ञानिक दैनन्दिनीसँ बहुत दूर विकृत संस्कारकेँ अपनेबाक लेल सेहो बाध्य बनि रहल अछि। प्रवासक जीवनयापनक लहक-चहक शुरुआती समयमे लोभाबयवाला होइछ जखन कि किछु शतक प्रवासक उपरान्त ब्रजस्थ मैथिल जे आइ सऽ लगभग ७-८ सय वर्ष पूर्व मथुरा-वृन्दावन प्रवास मे बसि गेल छलाह आ आइ स्वयंकेर मूलसँ बिछुड़ल एकमात्र “मैथिल”, हम जोर दैत कहय चाहब जे मात्र एक पहचान “मैथिल” लेल संघर्षरत छथि….. वैह हाल मिथिलाक वर्तमान ७०% मे सँ नहियो किछु तऽ ६०% वर्णसंकर संस्कृति दुष्प्रभावसँ रोगग्रस्त होयबाक आशंकाक पुष्टि कय रहल अछि। चूँकि यैह मिथिलाक सिया आ गौरीक नैहरा प्रति स्नेहकेर आशीषसँ विभिन्न संस्था आ संगठन द्वारा बेर-बेर सुमिरित महान विद्वान् विभुतिक गान आदिसँ मिथिला भीष्म समान इच्छामृत्युक वरदान सँ आइयो फलित-फूलित अछि, आ अपन पूर्वजक तपस्याक प्रारब्ध जे कतहु रहमे शेरे समान शान रहतौक से मिथकरूपी महासत्यकेँ भोग भोगि रहल अछि। यह अहगर सऽ भेटलाक कारणे उच्च आर्थिक वर्ग स्वार्थक कारणे संगठन सँ दूर अछि आ महान भूल कय रहल अछि तहिना विद्वान्‌ माने पेट-पोसबाक संग विलासिताक भोग धरि बनि के रहि गेल अछि। आध्यात्मिकताक तराजूमे एकरा यदि “दरिद्र मिथिला” कहि संबोधन करब तऽ बेजाय नहि हेतैक।

मिथिलारूपी सूर्यक किरणमे सनातनपन कायम या मृत्यु तय:

कतेको लोक एहि सँ विरोध सेहो रखैत छथि, ओ वर्तमान राजकीय पहिचानकेँ लिट्टी-चोखा, समोसेमे आलू – तबतक लालूकेँ कहाबतकेँ सेहो चरितार्थ करैत छथि। वर्तमान लोक संस्कृतिमे पौराणिकता लगभग चौपट भऽ गेल अछि, संगहि लोक कतेको रास देखाबटी करयवाला भौतिकवादी प्रवृत्ति जे पहिले राजा-रजवाड़ामे शायद होइत रहल से आब आमबात आ प्रतिष्ठाक विषय बनि गेल जाहिसँ नहि मात्र लोक-व्यवहारमे बनाबटी आ बनियौटीक पेड़ाइमे मिथिलाक मूल पूँजीक तेल निकैल रहल अछि बल्कि यैह कारण लोक अपन अतिथि परंपरासँ पराइत देखाइत छथि।

लौकिक व्यवहारमे फेर कोनो लोकदेवता राजा सलहेश कहिया औता तेकर प्रतीक्षा करी। वीरपुरुष आ आस्थाक केन्द्रीय अभिनेता दीना-भद्री, लोरिक, दुलरा-दयाल, ब्रह्म बाबा, डीहबार बाबाकेर फेर गोहाइर करबाक प्रतीक्षा करी। आब ओ सामूहिक गान आ नाच जाहिमे तंत्र-मंत्र शक्ति सेहो समाहित छल सेहो डाइन-जोगिनकेर जोग-टोन लगभग समाप्ते अछि, आ से भने अछि कारण विकासशील युगमे विज्ञान अपन छटा सँ केकर मन नहि मोहने हो – आब तऽ मोबाइल, कंप्युटर, टीवी, फिल्म सब किछु आमबात अछि। महिसबार, घसबाइहमे लागल सेहो कानमे दबौने ओमहर परदेशिया सिनेहिया या परिजनसँ भीड़ल अछि। ततेक नव-तरंग सब समस्त आवोहवामे धूल धूसरित छैक जे दूरी खतम भऽ गेल छैक।

लोक इन्टरनेटपर सेहो अपन जोड़ी ताइक सकैत छथि। घटक सेहो आब घूमनाइ छोड़ि कंप्युटर-इन्टरनेटसँ सब कार्य समापन तक लऽ जा लगलाह छथि। आब ओ सामूहिक गान आ नाच छूटल आ किदैन एगो गीत सब रस्ता धऽ लेने अछि जेकरा सुनला सऽ कतेको विज्ञ लोक एतबी बुझैत छथिन जे ई सब ओकरा लोकनिक पसन्द थिकैक जेकरा बड़का लोक नहि बुइझ सकैत छी। यानि आब यदि बड़का छोटकामे भेद बचि गेल अछि तऽ ओ मात्र शिक्षा आ संस्कारक अन्तरक कारण….. सब किछु बुझितो जेना विभेद पालनमे समस्त मिथिला अन्हरायल अछि। केकरोपर केकरो विश्वास नहि!

जातीय तूलना, सामर्थ्यक तूलना, ऊँचाई केर तूलना, संस्कारक तूलनासँ इतर अनेको प्रकारक तूलना आ बस एक-दोसरक खींचाइ, यैह न देखयमे अबैत अछि मिथिला? आ एकरे फायदासँ घर सऽ लऽ कऽ बाहर धरि सब मिथिलाक अस्मिताक लीलामी करयपर उतारू अछि। आब सामूहिक कल्याण हेतु पाइन पड़य ताहि लेल, पावैन तिहारमे नाटक आ कला आदिक प्रदर्शन हो से सब बन्द आर्केस्ट्राक दौड़ आ ताहिपर सऽ बिहारक शासन-प्रणाली द्वारा पसीखाना, भांगक पेड़ा सँ प्रगति पबैत आब गाम-गाम शराब आ जुआखाना सहित पेस्तौल-बन्दूक सेहो मिथिलाक चीर शान्त अन्हरिया राइतकेँ खूनी आवाजसँ त्रसित कय रहल अछि।

चोर-पूलिस दू छी आ कि एक छी ताहि प्रकारक शासन प्रणालीमे लोकमानस भ्रमित बस कोहुना पैसावाला बनबाका राइतक राइते करोड़पति बनबाक घूड़दौरमे सहभागी अछि। नट-नटिन, जट-जटिन, कमला-स्नान, झिझिया, झरनी, लाठी, कुश्ती, राजा-कब्बड्डी, चैत-चिक्का, गुरकुनिया, पाइन-पकड़, सहित सैकड़ो मैथिलपन तऽ मृत्युक प्राप्त भेल….

रामवाण इलाज: सांस्कृतिक समारोह

तखन तऽ समारोह सँ हमरा लोकनि जतबी किछु देखैत छी वैह हमर संस्कृति आ ओहीपर हमरा जे किछु स्वाभिमान बचि गेल अछि। तथापि मलंगियाजी समान वर्तमान नाटककार, सरसजी समान महान गीतकार आ डा. देवेन्द्र बाबु सनक विद्वान्‌ हमरा सबहक बीच ओहि अमरतत्त्वकेँ अपन कलमक शोणितसँ आइयो जीवनरूपी कोरा-कागजकेँ प्रेरणा-प्रदान करिते छथि, रिजवीजी आ वारसीजी समान महान नायक आइयो मैथिली आ मिथिला-उर्दूक व्याख्यान करिते छथि, सुखदेव पासवान, राम विलास, हुकुमदेव यादव, कीर्ति आजाद, जय नारायण निषाद, पप्पू यादव, आनन्द मोहन, रंजिता, पूनम, दमयन्ती सहित अनेको धरतीपुत्र-पुत्री मिथिलासऽ बाहर पटना-दिल्ली हिलबिते छथि…. मिथिला जिबैत रहती कारण सुदर्शन सहित अटलजी आ इन्दिराजीकेँ प्रिय लगबे केलनि अछि, वर्तमानमे मोदीजी आ राहुलजी सेहो मिथिलासऽ सिनेह रखिते छथि…. नितीशजी राजनीतिक दलमे सबसऽ पहिले छोट राज्य आ मिथिला राज्यकेर औचित्यदर्शन करैत बिहार गीतमे मिथिलाक उपेक्षा सऽ इशारा कय देने छथि। बिहारमे मिथिलाक विकास नहि भऽ सकैत अछि। केन्द्रक विशेष आर्थिक पैकेज भले मिथिलाक नामपर लेल गेल हो, लेकिन उपयोग करबाक लेल मिथिलासँ पहिने आरो बहुत जगह बिहारमे छूटले छैक। तखन आब देखी जे मैथिल जनमानस एहि सत्यकेँ कहिया स्वीकार करैत छथि आ कोन तरहे आगामी समयमे जनप्रतिनिधि चुनैत छथि जे मिथिला लेल आवाज उठेता। माइर कम बपरहाइर बेसी तँ १९०५ सँ – बिहारक निर्माण पूर्वहि जहिया अंग्रेज द्वारा नव प्रान्त गठन करबाक सुरसार शुरु भेल छल, ग्रियर्सनक आलेखपर आधारित मिथिला राज्यक वर्तमान माँग भूगोल मानचित्र एहि तथ्यक प्रमाणकरूपमे अछिये, फेर भारतीय काँग्रेसक १९२० सँ भेल विभिन्न अधिवेशन आ घोषणा पत्र अनुरूप भारतीय गणराज्यमे राज्यक स्वरूपलेल सिद्धान्त निरूपण द्वारा, पुनः ताहि समयक सेहो एकमात्र मजबूत आ सक्रिय राजनीतिक दल भारतीय काँग्रेसहिकेर चुनावी घोषणा पत्र पर्यन्त द्वारा मिथिलाक पक्षमे बात रखैत जे भाषाक आधारपर सबहक सम्मानकेँ संरक्षण दैत राज्य गठन होयत कहितो १९४७क बाद सिद्धान्तमे कैल गेल अचानक फेरबदल आ ताहि समय मिथिला लेल मात्र विद्वत्‌ वर्गक अग्रभूमिकाकेँ बहन्ने मिथिला राज्य मात्र उच्च-वर्गक लोककेर माँग कहि नकारब तक समस्त बात यैह देखबैत अछि जे मिथिलाक सूरज अस्तक दिशामे उन्मुख अछि। हलाँकि विभिन्न पक्ष द्वारा एहि वास्ते माँग सेहो निरन्तरता बनौने अछि जे मिथिलाक सनातनपन लेल पुनः अमरतत्त्वक कार्य करैत बुझाइत अछि। आखिर मिथिलाक अपन संस्कृति, विशाल इतिहास निश्चित भूगोल सहित भाषा, साहित्य, लिपि, समाजिकता, संसाधन, राजस्व एना कहू जे स्वराज्यलेल पूर्वक मिथिलादेशवला सब किछु वर्तमान कर-प्रणालीक गहनासँ सजल रहितो मिथिलाकेँ संवैधानिक सम्मान नहि देल गेनाय मिथिलारूपी सू्र्यक अस्त तय करैत अछि। बड मुश्किल सऽ मैथिलीकेँ पहिले १९६५ मे साहित्य अकादमी द्वारा तँ २००२-०३ मे आबि संविधानक अष्टम अनुसूचीमे एकरा उल्लेखसँ आत्मसम्मान तँ भेटल मुदा राज्यमे सरहन्नापर अदालतक निर्णय रहितो मैथिली माध्यमसँ शिक्षा देबाक इन्तजाममे असफल वर्तमान राज्य समस्त नैतिकता बिसैर मिथिलाकेँ सदा-सदाक लेल समाप्त करबाक षड्यन्त्र तऽ नहि कय रहल अछि, ई आशंका तीव्र बनैत अछि। साक्षरताकेँ ओहि निम्नतम वर्ग तक नहि जाय देल गेल अछि जेकरा शिक्षा आइयो भूत-प्रेत समान धरय दौड़ैत छैक कारण छैक जे अपन भाषाक जगह हिन्दी वा अंग्रेजीक माध्यममे पढाइ करबाक बाध्यता। वगैर शिक्षा कोनो संस्कृतिक समृद्धता कोना बचत?

जीवनशैलीक वर्तमान:

जीवनशैली गामक आ सब किछु प्रशस्त खुला ठाममे करबाक आदी मैथिल आब २८ गजमे सिमटल जा रहल अछि, कतेक केँ तऽ शायद मरलाक बादो जे चाइर गो कौड़ी फेकि जगह कठियारी गेल लोक कीन दैत छैक सेहो नहि नसीब होइत छैक। जे गाम नहि छोड़ैत अछि तेकरा कहाबतमे बहुमारा कहल जाइत छैक कारण मिथिलानी एहि मामलामे बेसी तत्परता रखैत छथिन जे चलू शहर दिशि, नहि तऽ बच्चा गाममे बूड़ि जायत। बेचार गामक बीघा बेचि शहरमे धूर नपबाबैत छथि। खेती भले परतीये पड़ल रहि जाय, लेकिन परदेशक कमाइकेर रोटी आब गाममे बहायल खेतमे पसीनाक देल स्वादसँ बेसी सुअदगर बुझाइत छैक। आब तऽ कियो गाममे रहि गेल तऽ गौआँ उलटे ओकरा अलबौका बुझय लागल अछि।

जनप्रतिनिधिकेर सोच:

ओम्हर जन-प्रतिनिधि जे गाममे पंचायतक सेवक हो वा समाजक सेवक हो तऽ अनेरौमे कतेको चिन्ता रहैत छैक, मुदा मुखिया-सरपंच-पंचायत समिति सदस्य सब संग सीट्ठी चूसैत सेहो अपनहि गामक धनकेँ फेर वैह वर्तमान शासनक भ्रष्ट व्यवस्थापनकेँ शासकतक कमीशन पहुँचाबैक संस्कृति विकास कय गेल छैक। आइयो एक इन्च जगह नहि छोड़ल गेल छैक, भले जाय-आबयमे सेहो लोककेँ अशोकर्ज किऐक नहि हो, मुदा सड़क संकीर्ण, विचारधारा संकीर्णताक द्योतक बुझाइत छैक। वोटबैंक पालिटिक्स आ जनबल संख्याबल सँ नहि कि बौद्धिकताक कतहु कोनो सम्मान छैक। जे चिक्का फाँगि गेल ओ हाकिम, जे फँसि गेल से हुकुमवासी-सुकुमवासी सब भेल। मिथिलाक लोक-संस्कृति आब बीतल इतिहास बनैत दुनियाक अन्य भ्रष्टतम संस्कृतिसँ पाछू पाँतिमे ठाड़्ह देखाइत छैक – मुदा फेर किछु रास बैजु – जोगी – गुरमैता – बुचरू – सत्यनारायण – रिजवी – रियाज – रेणु सब एहि लेल कमजोरे सही मुदा ढाल आ कृपाण लेने रणमे दौड़ल छैक। सफलता भले कष्ण अपना लग दाइब रखने होइथ, लेकिन मिथिलाक अस्त होइत सूर्य जेना ठमकल अस्त होयबामे समय धरि लऽ रहल छैक।

युवा नेतृत्वकारीमे जोश:

युवा पीढी कहैत छैक जे बूढबा सब नहि कय सकल, हमही सब आब अगुवाई करब…. द्वंद्व कायम छैक…. मुदा काजक गतिमे तीव्रता आबि रहल छैक। नहि जाइन जे हमर दृष्टि उल्टो नहि पड़ि जाय जे मिथिलारूपी सूर्य पश्चिममे डूबयसँ बिपरीत पुन: पश्चिमसँ उदित नहि होवय लगैक…. स्वराज्य शायद एहि रोगसबसँ पूर्ण मुक्ति देत, मुद्दा सब बुझय लागल छैक। राधाके नौ मन घीयो हेतैन आ राधा नचबो करती जेना बुझाइत छैक।

दृष्टिकोण आ विरोधाभास: द्वंद्व

कतेको लोक एहि सऽ विरोध सेहो रखैत छथि मुदा हमर दृष्टिकोणमे अपनहि संछिप्त अनुभवक संग ई कहि सकैत छी जे समारोह द्वारा सही मुदा मिथिलाक मूलभूत गुण आइयो ३०-४०% जीवित छैक। घातक घाव – आडम्बर, फिजूलखर्ची, फोकसबाजी, टीनहीपना, आदि सँ भले खून-रिसाव निरंतरतामे आ दिनानुदिन बढिते देखाइत छैक, तैयो विद्यापतिजी सहित विभिन्न विभुतिक स्मृति मैथिल ठाम-ठामपर कय रहल छथि, जेना आइयो विद्याधनकेँ सर्वोपरि माइन रहल छथि, जेना एखनहु मिथिलाक किसान ओहि पावन धरतीसँ बियावानी करैत संसारमे अन्नपूर्णाक प्रभाव सँ पुष्ट रखबाक कार्य कालरूपी बाढिक चपेटमे बेर-बेर जाइत देखैतो निरंतरतामे अपन अदम्य साहसक परिचय सँ कर्तव्यनिष्ठताक प्रत्यक्ष प्रमाण संसारक सोझाँ प्रस्तुत कय रहल छथि – हर तरहें यैह साहस आ मेहनत मानव समाज लेल कल्याणकारक होयबाक पुष्टि करैत छैक आ अही लेल मिथिला सनातन संस्कृतिमे गानल जाइछ जेना अनुभूति होइत छैक। एहने किछुरास ऐश्वर्य आइयो मिथिलामे केरो-पत्तापर देवलोककेँ इहा-गच्छ-इहि-अतिष्ठ कहि गोहाइर कैये लैत छैक.

लेखमे आगू समेटय योग्य विषय:

एहि लेखमे मिथिलाक जीवनशैली: विकसित सभ्यताक लोक-संस्कृतिक खास स्वरूप, दैनिक दिनचर्या, पूजापाठ विधान, गृहस्थीमे स्त्री-पुरुषक सहभागिता, लोक-पावैन, संगठन शक्ति, जागरुकता आ एकता, सामाजिक समरसता पहिने आ आब, लोक देवता आ मिथिलाक विभिन्न जातीय समाजक आस्था, आदि महत्त्वपूर्ण विन्दुपर विशेष शोधकार्य निरंतरतामे रहबाक चलते एतय राखयसँ असमर्थ छी…. लेकिन समग्रमे परिस्थिति सबहक ध्यानाकर्षण चाहि रहल कहैत हम एकरा एतहि विराम दैत छी। एहि लेख लेल पाठक ओ श्रोतासँ सुझावकेर हार्दिक आमन्त्रण अछि।

हरिः हरः!!

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१५ नवम्बर २०१३

कमलेश जी, आरटीआइ एक्सपर्ट, मिथिला राज्य निर्माण सेना संग आइ उत्तमनगरमे भेट भेल आ लगभग सब विन्दुपर चर्चा भेल। जनतब हो जे कमलेशजी स्वयं एक योगगुरु सेहो छथि आ हिनकर आकांक्षा छन्हि जे आयुर्वेदिक अस्पताल आ योग प्रशिक्षण केन्द्रकेर ठाम-ठाम संस्थान मिथिलामे स्थापित हो जाहिसँ मिथिलाक लोक स्वस्थ एवं हृष्ट-पुष्ट शरीर संग मानसिकता पाबैथ आ जेना हिनका लोकनिक ऊपरका पीढी ऋषि-मुनि छलखिन आ समूचा भारतवर्षकेँ apan yogdaan dait aayal chhathin tekar anukaran aajuk peedhi seho kay sakat. Patanjaali Yog Sutra par Maharshi Vyas ker pratham vyaakhyaan uparaant dosar vyaakhyaan Mithila ker prakaand vidwaan Kamlesh Jee ker gaam yaani Thaarhi ke praagya Vachaspati Mishra chhalaah, ehi sa prerit Kamlesh Jee vartamaan sahit bhavishya ker Mithila nirmaan me apan niji yogdaan sahit cooperative level par samast Mithilavaasi sa anurodh karait chhathi je ekjutataa aanait ehen positive and creative activities me ham sab agrasar hoi.

Mithila Rajya ker maang ker o samarthan vikash ker upeksha viruddh karait chhathi aa ehi lel yuwa ke besi jaagruk hoit appan adhikaar prati sachet karabaak prayaas me MRNS – Mithila Rajya Nirman Sena ker Technical Team Member bani sakriya yogdaan seho da rahal chhathi.

Mithila ke vikash me rajya ta samadhaan nahi varan ehi lel self-help group aa public private partnership ke pattern par o vikash lel enterprises chalebaak aavashyaktaa dekhi rahal chhathi, ehi kram me Yog aa Aayurved ke sang vibhinn anya kshetra me vartamaan peedhi ke yogdaan lel aahwaan karait chhathi.

मिथिला राज्यक संघर्षक वर्तमान स्वरूपपर हुनकर कहब छन्हि जे हम एखन एहि क्षेत्रमे नव छी तथापि एकर भार वरिष्ठ अभियानी सबपर छन्हि जे वगैर कोनो व्यक्तिवादी नाम वा पद केर फेर मे पड़ने सकारात्मक आ सार्थक विचारधारासँ समस्त युवाजनकेँ समेटैत संघर्ष तीव्र करैथ आ युवा सब द्वारा निर्मित समूह “मिथिला राज्य निर्माण सेना”केँ सहयोग करैथ आ संगहि मार्गदर्शन करैत समर्थन करैथ।

हमरा संग हुनक आजुक मिटींगमे हुनका द्वारा उठायल गेल ओ प्रश्न जे मिथिला डेस्ककेर निर्माण भेल अछी वा नहि जाहिपर हम स्वयं हुनकासँ असन्तुष्ट रही तेकर समाधान यैह भेल जे यैह प्रश्न २०११ ई. मे ४३५९ नंबर केर प्रश्न दरभंगा सांसद कीर्ति आजाद सेहो पूछने छलखिन जेकर जबाब ओहो समयमे “नहि, कोनो डेस्क मिथिला लेल नहि बनल अछि।” कहल गेल छलन्हि, संगहि कि सब काज कैल जेबाक बातपर सेहो कहल गेल je jakhan desk nahi ta kichhu karabaak prashna kaha uthait chhaik se kahi nakaaraatmak jawaab bhetal chhalanhi aa tesar prashna je kiyaik nahi banal achhi – tekar jawaab me kahal gelani je “kiyaik ta Bihar Sarakaar ehen kono maang nahi kene achhi, taahi ke chalte Mithila Desk ke establishment nahi kail gel achhi.”

Hamar asantushti ke mool kaaran confusion rahal…. kaaran ham vigat me kateko ber hinkaa lokani ke kahane rahi je Mithila Desk banal achhi. Jekar bare me Prof. Amrendra Jha sa sunane rahi aa aaiyo susuchit chhi je Smt. Malini Mehta ke charge me ehen kono desk ohinaa kaaryarat achhi jena Telangana lel Telangana Desk, Vidarbh lel Vidarbh Desk evan anya asantusht paksha sabahak represetations aadi sweekaar aasupervision kara lel vibhinn desk achhi. However, Kamlesh Jee dwara raakhal gel RTI Question jekar jawab August 02, 2013 ke Folio No. 17026/26/013-SR antargat jawab aayal achhi “No Mithila Desk is established in this ministry”. Aab sawaal uthait chhaik je Grih Mantraalay me nahi ta katay? Ekar samadhaan aai Prof. Amrendra Jha – varishth abhiyaani karataa se vishwash achhi. We will together visit him this evening. Lekin positively ham sab jorait aapas me harmonious bonds ke sang kaaj aagu badhaayab se vishwash bhetal.

Harih Harah!!

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अपील:

समस्त मिथिलावासी व विशेषरूपसँ मिथिला राज्य अभियानमे लागल प्रत्येक संघ-संस्था-व्यक्ति-समूह सँ अपील!

एक तरफ युवा समूह मिथिला राज्य निर्माण सेना बेर-बेर जन-जागरण कय रहल अछि, ओतहि दोसर तरफ अखिल भारतीय मिथिला पार्टी व मिथिलांचल मुक्ति मोर्चा सहित अन्य मिथिलावादी राजनीतिक समूह आदि सेहो अपन-अपन प्रयाससँ मिथिला राज्य किऐक चाही ताहि लेल जन-जागरण आ सरकारक ध्यानाकर्षण कय रहल अछि।

एहि बीच टूटल-फूटल प्रयासकेँ आपसमे जोड़ि आरो महत्त्वपूर्ण कार्य करबाक लेल वर्षोंसँ कार्यरत मिथिला राज्य संघर्ष समिति आ अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समितिक संयुक्तरूप जाहि अन्तर्गत समस्त समूह एकजुटता बनबैत मिथिला राज्य निर्माण लेल संघर्षकेँ आरो बलवान आ सार्थक बना सकैत छथि ताहि लेल एकताबद्ध समूह “मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति” सामाजिक, राजनीतिक आ समग्र समाधानक दृष्टिकोणसँ आन्दोलनकेँ निरंतरता प्रदान कय रहल छथि।

अही बीच मुख्य समाधान हेतु समुचित प्रयास लेल दरभंगाक वर्तमान सांसद कीर्ति झा आजाद द्वारा राखल गेल बिल “बिहार झारखंड पुनर्संगठन बिल २०१३” केँ संसदक अधिनियम अन्तर्गत ११७(३) उपनियम अनुरूप आगामी शीतकालीन सत्रमे बिजनेस आवरमे बहस लेल महामहिम राष्ट्रपतिजी द्वारा स्वीकृति प्रदान कैल गेल अछि आ नियमितरूपसँ हरेक सत्रक ओपनिंग दिवसपर कैल जा रहल धरना-प्रदर्शन सेहो उपरोक्त बहसकेँ राजनैतिक दृष्टिकोणसँ बलिष्ठ बनेबाक लेल आरो संगठित आ विशाल उपस्थितिक संग करबाक नियार कैल गेल अछि। एहि लेल सब संस्था ओ समूहकेँ ५ दिसम्बर, २०१३ लेल एकजुटताक संग उपरोक्त कार्यक्रमकेर सफलता लेल सोचबाक चाही आ कम से कम दिल्लीमे उपस्थित समस्त अभियानीकेँ एहि लेल पूर्व नियार करैत अधिक सऽ अधिक संख्यामे जुटिकय अपन स्वराज्य लेल माँगकेँ समर्थन दियाबी।

हरिः हरः!!

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मुहर्रम केर शुभ अवसरपर पवित्र दाहामे हमरो तरफसँ जलार्पण! संगहि समस्त धर्मावलंबी आस्थावानकेँ एहि त्याग ओ बलिदानक पावैन सँ जीवनमे सदिखन सत्य आ मर्यादाक रक्षा हेतु सदैव तत्पर रहबाक प्रेरणाक संचरण लेल अल्लाह (ईश्वर)सँ सेहो बेर-बेर प्रार्थना!

हरिः हरः!!

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१४ नवम्बर २०१३

मिथिला लेल ईमानदारी सँ काज बिना एकता संभव नहि!

यात्रा १, तेकर बाद बिठौलीक जनसभा, फेर लगातार विभिन्न पंचायतमे जनसभा, फेर यात्रा २, फेर संयुक्त प्रयाससँ जनसभा, फेर यात्रा ३ आ फेर आजुक जनसभा….. मिथिला राज्य लेल मिथिला राज्य निर्माण सेनाक गतिशीलता सही दिशामे जा रहल अछि। जरुरत एकर छैक जे आखिर बिठौली जेकाँ कुर्सों किऐक नहि? प्रश्न उठैत छैक जे एहेन प्रयासकेर विस्तार देबाक लेल आगाँ कि कैल जाय? आ कि बेर-बेर खोखला ढाँढस टा बान्हल जाय? नहि! जबाब छैक एकमात्र – जाबत संयुक्त नहि ताबत सब कैल-धैल पाइनमे!

हरिः हरः!

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एक अभियानीक रूपमे मैथिली भाषाक प्रचार-प्रसार करबामे क्षणे आदेशात्मक तँ क्षणे अनुरोधात्मक…. चलैत रहतैक। आ संगहि चलैत रहतैक आपसी खंडी-खंडी खेल…. ओकर बात हमरा नहि स्वीकार्य, ओकर अंदाज हमरा नीक नहि लागल, ओकर तर्क घटिया>>> इत्यादि। लेकिन सेवा करनिहार अपन लक्ष्य दिशि उन्मुख रहैत आगू बढिते रहैत अछि।

हेल्लो मिथिला एक साधारण रेडियो कार्यक्रम, लेकिन हरेक मैथिलक असलियत उजागर करैत मैथिलीक हर प्रकारक महत्त्वकेँ आत्मसात करबैत अछि। राम नरेशजी केर मैथिली प्रति लोककेँ येन-केन-प्रकारेण मोड़बाक शैलीक हम कायल छी आ बहुतो लोक हिनकर प्रयासक सराहना केने बिना नहि रहि सकैत छथि। फेसबुकसँ सही लेकिन मैथिली भाषाक साहित्य सुधा जाहि मात्रामे दहोंदिशि बहि रहल अछि वैह साबित करैत अछि जे आखिर कोन दमपर मैथिली साहित्य आर बहुतो भाषासँ गहिंर इतिहासक धनी अछि।

विरोधी स्वभाव जेना एतय तहिना सगरो…. तेकर माने मैथिली कि अपन मिठास कतहु छोड़ि deli? Never!! Keep up your efforts and let people feel what is what.

Harih Harah!!

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कतबु कियो कहि देत, लेकिन स्वार्थीपना आ मिथिलाक सेवाक ढोंगसऽ मिथिलामे आइ धरि कोनो निर्माण कार्य नहि तऽ संभव भेल अछि आ नहिये आगू होयत।

दहेज मुक्त मिथिलाक आजुक कार्यक्रममे द्वारका आ नोएडा अछि, सायंकाल पुन: काली मन्दिरमे ६ बजे उपरान्त हम सब भेटी।

हरिः हरः!!

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Mithila ke real idol aa ideal Smt. Rupa Jha (w/o respected Dhirendra Premarshi) ker vijayshree lel Ma Jagadambaa sa ber-ber prarthana!! Nepal ker upcoming Constituent Assembly me Madhesh Samajwadi Party ke Samaanupaatik candidate – dear voters, help her and make her victorious.

Harih Harah!!

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There was a time when I just passed out from schooling – being a boy of Hindi medium school I wanted to learn English crazily…. now it is another time, I wish my own native language and its literature having history of at least 1000 years – also the beauty of its own script on verge of death must get special protection and true sons of Mithila must come forward to save it.

Mithila is an eternal culture, it will remain safer only and only if the language and culture both are protected. The showy Maithils often forget their own root and get lost through the ecstasy and fantasy of others…. may God help me/us not to be that sort of cheap Maithils.

Visit: www.maithili-jindabad.com and go through my pages, help Maithili win all. 

Harih Harah!!

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आइ संध्या ६ बजेसँ काली माँ मन्दिर प्रांगणमे पहिलेसँ घोषित विषयपर बैठक सम्पन्न भेल। बैठकमे प्रिय कृष्ण कुमारजी अपन नवविवाहिता भार्याक संग उपस्थित भेलाह, जनतब हो जे दहेज मुक्त मिथिलाक स्थापनाकालसँ वचनबद्ध श्री कुमार पूर्ण दहेज मुक्त विवाह कयलन्हि आ समाजकेँ अपन उर्जावान प्रेरणासँ सिक्त कयलाह। तहिना बहुत दिनसँ आपसी भेटघाँट करबाक लेल हम दुनू गोटा उत्सुक रही से संजयजी (नागदहवासी – मिथिलावासी सोसाइटीक संस्थापक) सेहो अयलाह। नि:सन्देह सदा अपन वचनकेर पक्का रहला हमर अनुज आ प्रिय सखा मदनजी अयलाह। तहिना बंगलोरमे रहैत मिथिलाक हरेक विषयमे पक्का रुचि रखनिहार आ मिथिला-मैथिली-मैथिलक संस्थापक रमणजी सेहो अयलाह। हम आ संतोषजी, प्रो. अमरेन्द्र बाबु आ प्रिय कमलेश किशोरजी सेहो पहुँचले रही। आपसी वार्ता सँ हमरा लोकनि आगामी कार्यक्रम आ योजना तय कयलहुँ।

May be tomorrow we will have a meeting at Noida, accordingly we will decide for Ghajiabad, then at Mithila Mahotsav 2013 and finally we will have a general meeting at DMM Central Office – Uttamnagar. All dates depend on our public interaction and by tomorrow we will announce the schedule. Those who missed meeting today should join us tomorrow at Noida in evening, say after 5:30 pm and or in next meetings. Do not forget, we have a very special presentation on 16th and let us try to join in all the meetings. DMM branches to open in every part of Delhi as well as in all states of India, wherever Maithils reside. Anyone interested may submit an application and get approval from the central office in this regard. We can have an MOU signed to retain the DMM branch powers and let us do services to our native land as well as to the country by freeing our society from evils of dowries. Though we are basically working for Maithils only, but no problem if we extend the programs to other communities people keeping Maithils in center to actively contribute for all. The branches opened will have full autonomy except a few legal bindings as per the set rules and regulations of DMM by-laws.

संगहि, जानकारी दी जे आगामी ५ दिसम्बर जहियासँ शीतकालीन संसद सत्र शुरु होमय जा रहल अछि तहिया मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा विशाल धरना प्रदर्शन संग मिथिला राज्यप्र विशेष चर्चा होमय जा रहल अछि जाहिमे सबहक सहभागिताक जरुरत अछि। महामहिम राष्ट्रपतिजी द्वारा सांसद कीर्ति आजाद द्वारा राखल गेल बिल “बिहार-झारखंड रिआर्गेनाइजेश्न बिल – २०१३” केँ संसदक पटलपर नियमपूर्वक बहस लेल स्वीकृति देल गेल अछि आ हर मैथिलक ई कर्तव्य बनैत अछि जे एहि बिलकेर समर्थनमे विशाल जन-समर्थन प्रदान करैत पृथक मिथिला राज्यकेर पक्षमे राजनैतिक शक्तिकेँ झुकाबी आ स्वराज्य स्थापनाक संग आर्थिक, सामाजिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक suppression ke protest kari. Please join in largest number ever gathered at Jantar-Mantar, New Delhi and help Mithila live long. If suppression continues in the way it does, there is no chance for Mithila to live longer further. Hope every native people of Mithila would understand the demand of time and come forward with strong support for the cause. More updates will be given later. Thanks/Pravin from Delhi Camp!

हरिः हरः!!

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१३ नवम्बर २०१३

Remember, time is 6 pm and my contact no. 9431228293,

Madan Kumar Thakur – 9312460150

Santosh Choudhary – 9910607720

and updates are well given by Sanjay Jha Jee, Madan Jee and all who truly think of Mithila getting out from the evil claws of dowry,

Please inform all, we will work through out day and night for a week here at Delhi and make a roadways taking our caravan to dowry free state of Mithila called “Dahej Mukt Mithila”!!

Place: CP, Delhi!!

Harih Harah!!

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Govind Jha – no. 1 aha Bihari nahi ek Maithil chhi, apan identity ke abuse nahi karu, it is my request as a Maithil friend. Do not take as if I am putting up some provoking message for anyone but telling you the truth. Mere display of such photo and feeling great and claiming to be heavier than those who have been much more decent than an imposing state identity as of Bihar which fucks off its own original culture, language, history, social harmony and all that truly were mixed to build Bihar for all….. today it has been a real abuse and thus a Maithil coming from Mithila must not endorse this saying and feel great about it. Aha sa anurodh achhi. Harih Harah!!

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Can we think of having such agency free from charges and make our country developed with original essence?

This cannot be a statement of CBI Chief, it has to be immediately withdrawn and pledge apology before the countrymen. It is not only slip of tongue but also mind and only an intoxicated guy can pass such brutal – illegal statement; at least not one Indian Hero who has to give leadership as an administrative chief. How can the bating be compared with rape and what sort of pleasure people truly attain from rape? It is very sick to hear such a shocking statement from respectable chief of CBI. Shocked and feeling so much sorry!!

Harih Harah!!

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प्रिय दिल्लीवासी प्रवासी मैथिल मित्रगण!

आइ संध्याकाल ६ बजे श्री श्री १०८ श्री काली माता मन्दिर – बाबा खड्ग सिंह मार्ग, कनाट प्लेस, नयी दिल्ली में हमरा लोकनि निम्न विषयपर बैठक रखने छी, अपने लोकनिसँ साग्रह निवेदन जे अपन कार्यालय व अनिवार्य कार्यसँ कनेक सबेरे फुर्सत निकाइल जरुर सहभागी बनी आ मिथिला मातृभूमि लेल अपन योगदान दैत मातृऋण सँ उऋण बनबाक एक छोट प्रयास करबाक भाग्य-ग्रहण करी।

विषय:

१. दहेज मुक्त मिथिला – जेकर आह्वान छैक कि हरेक मैथिल अपन घरसँ दहेजक माँगरूपकेँ प्रतिकार करैत समस्त लैंगिक विभेदकेर अन्त करैत “नहिये माँगरूपी दहेज लेब, नहि देब. नहिये धियापुताक विवाहमे माँगरूपी दहेज लेब-देब. नहिये एहेन कोनो वैवाहिक कार्यक्रममे सहभागी बनब” आ अपन गाम सहित मिथिला-मैथिलीसँ जुड़ल हर धरोहरक संरक्षणमे सहभागी बनब – संकल्प ली।

२. समस्त भारतवर्षमे मिथिला एक पौराणिक संस्कृति रहितो आइ राजनैतिकरूपसँ उपेक्षित अछि। एकर मूल कारण हमरा लोकनिक राजनैतिक सचेतनशीलताक न्यूनता आ आपसी विखंडन (चाहे धर्मक नामपर वा जातिक नामपर वा आर्थिक अवस्थाक वर्गीय-विभेदक आधारपर) संवैधानिक अधिकार प्रति उदासीनता मुख्यरूपसँ देखयमे अबैत अछि, भारतवर्षक कहियो समृद्ध संस्कृति आइ विलोप होयबाक दिशामे अग्रसर अछि…… अत: विगत क‍इएको वर्षसँ वर्तमान धरि निरंतरतामे रहल माँग जे मिथिला पृथक राज्यरूपमे स्थापित हो तेकरा वास्ते विशाल जनसमर्थन जुटेबाक लेल जनमानसमे जागृतिमूलक कार्यक्रम संग नेतृत्व प्रदान करनिहार वर्गकेँ सहयोग देबाक वास्ते आ एकता करैत एहि महत्त्वपूर्ण आन्दोलनकेँ गन्तव्य विन्दु धरि पहुँचेबाक लेल आपसी सहकार्य बढेबाक उद्देश्यसँ सामूहिक योगदान – तन, मन ओ धनसँ करय लेल आपसी विचार-विमर्श करी।

३. दिल्लीक वर्तमान विधानसभा चुनाव सहित आम निर्वाचन २०१४ लेल सेहो आपसी एकतासँ अपन राजनैतिक सामर्थ्यपर चर्चा करी।

४. Meeting with Indian National Parties – Indian National Congress, Bharatiya Janata Party, Bharatiya Communist Party and other national parties with proper delegation and representation to represent our genuine demands on floor of houses.

5. Meeting with member of parliaments, both upper and lower houses belonging to Mithila as well as Delhi and otherwise having enough stakes of Maithils, be that Mumbai, Nagpur, Varanasi, Ludhiyana, Chennai, Bangalore, Ranchi, Jamshedpur, Patna, Gaya or otherwise.

हरिः हरः!!

Attn: Madan Kumar Thakur Kislay Krishna Krishna Kumar Jha Maithil Rajesh Jha Raushan Kumar Jha Jha Chandan Kavi Ekant Rajiv Jha Anil Anand Sunil Kumar Pawan Manoj Rup Narayan Manoj Jha Shubh Narayan Jha Vibhay Kumar Jha Sunil Thakur Kaushal Kumar Kripa Nand Jha Kunal Jha Abhishek Pandey Bhavesh Nandan Kamlesh Kishor Jha Shyam Jha Raju Kumar Maithil Harsh Suraj Jha Love Durgesh Jha’love Vikas Kumar Vikash Jha Vikash Choudhary Chandra Bhushan Mishra Ram Chandra Jha Chandan JhaAvinash Chandra JhaBibhash Chandra JhaShirish Chandra Mishra Chandan SinghDipesh Chandra Sanjeeb Kumar Jha Sohan JhaHari Mohan Manish Jha Bauabhai Rishi Kumar Jha Prakash Jha Mukesh Mishra Kundan Jha Kundan Kumar Jha Sanjay Jha Sanjay Mishra Sanjay Choudhary Sanjay Jha Sanjay K Jha व अपने संग जुड़ल हरेक मैथिलकेँ सहभागी बनाबी।

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१२ नवम्बर २०१३

Will reach tonight to Delhi and will work to organize the people of Mithila for making a dowry free Mithila! And don’t forget how we can become stronger by developing our identity bonds constitutionally in India, remember GE-2014 is coming, vote for the party who agrees to support and let Mithila live as eternal as it is. Harih Harah!!

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११ नवम्बर २०१३

14 November, 2013 Bithouli (Baheri) me MRNS dwara vishal jansabhaa kail ja rahal achhi…. Ehi me sahabhaagi hoit Mithila Rajya movement ke safal banaabi. MRNS abhiyaani ke haardik shubhkaamnaa! Krupya samay nashta karait fusiye ke nautanki abhiyaani sab sang FB par samay waste nahi kay ehi kaaryakram ke safaltaa lel prayaas tej kari. Harih Harah!!

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भाजपा या कांग्रेस! तीसरा कौन? क्यों?

देश भरमें यही सोच आगे बढने लगा है कि केन्द्रमें मजबूत सरकार बनाना है तो मजबूती राष्ट्रीय दलोंको देना होगा। तीसरा मोर्चा और वोट विभाजन करना-कराना तो फिर भी गंदे राजनीतिका ही प्रभाव है।

हरि: हर:!

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मिथिलाक मानचित्र मिथिला भाषा मैथिलीक जनगणनाक आधारपर प्रान्तीय सीमा निर्धारण करबाक ब्रिटिश इण्डियाक समयसँ चलल – मिथिला राज्य या देशरूपमे भारतवर्षक हिस्सा रहल जेकर प्रमाण लोक देथु वा नहि साक्षात् वेद-वेदान्त स्वयं दैत अछि, महाभारत, रामायण, विष्णुपुराण, शिवपुराण व अनेको शास्त्रमत अखण्ड प्रमाण रूपमे विराजित अछि। आइ नहि बल्कि आइसँ सैकडों वर्ष पूर्व निर्मित विभिन्न महाशास्त्र व महाकाव्यमे सेहो मिथिलाक भूगोल निर्धारित कैल गेल अछि। तखन कवि या प्रवीण या आजुक जन्मल कोनो गिदर कोन साओनक बाढि देखि एना उताहुल होइत मानचित्र निर्णय कराबय लेल उद्यत छथि? हमरा एक रति फरिछाउ! आ भारतीय संविधान जाहि पायापर ठाड्ह छैक तेकर गंभीर दर्शन केनिहार – अध्ययन केनिहार यदि होइ तखनहि सोझाँ आबि हमरा जबाब दी। कच्चा ज्ञान आ अधजल घैल जेकाँ छिटका-छिटकी खेलाय लेल कम सऽ कम तुच्छ निराकरण सँ हमरा लोकनिकेँ बचय पडत। साहित्य सुधा द्वारा सब किछु निर्धारित अछि, दस्तावेजी सत्य नहि गौँआँकेर मानब तऽ बेलायती लोक द्वारा बनाय राखि देल गेल अछि। ओहिपर हमरा लोकनि पहिले गहिराइमे अध्ययन करी। बिना पूरा पढने वा बुझने ओछ टिप्पणी करबा सँ बची। जतेक लोक छथि, जे काज केने छथि ओ बेवकूफ नहि छलाह। बड गंभीरता सँ हरेक बातक आधार बनबैत अपन बात सरोकारवाला तक पहुँचेलैन।

जाहिपर शोध करबाक चाही से शोध करबा लेल हमरा सबहक संग समय नहि अछि, कारण “भाइ यौ! पापी पेट केर सेहो सवाल ठाड्ह अछि।…” कहब आ समय निकालि कहियो भारतीय सांसदक पुस्तकालयमे पता लगाबय तक नहि जायब जे आखिर कोन आधारपर पूर्वमे मिथिला राज्यक परिकल्पना प्रस्तुत कैल गेल छल…. कि भूगोल राखल गेल छल…. केहेन ऐतिहासिकता आ कतेक रास स्मारपत्र भारतीय राष्ट्रपति तक सुम्पल गेल अछि, तेकरा अनुरूपे मानचित्र कोन अछि… आदि! आ जखन अध्ययन करबा लेल समय नहि अछि तखन अनेरौ लेल हम कोनो तरहक स्टेटमेन्ट दैत अनावश्यक रूपमे फेसबुक पब्लिकमे सन्देह आ अविश्वास प्रसार करैत कि प्रमाणित करय चाहि रहल छी?

हरि: हर:!!

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मिथिलाक मानचित्र मिथिला भाषा मैथिलीक जनगणनाक आधारपर प्रान्तीय सीमा निर्धारण करबाक ब्रिटिश इण्डियाक समयसँ चलल – मिथिला राज्य या देशरूपमे भारतवर्षक हिस्सा रहल जेकर प्रमाण लोक देथु वा नहि साक्षात् वेद-वेदान्त स्वयं दैत अछि, महाभारत, रामायण, विष्णुपुराण, शिवपुराण व अनेको शास्त्रमत अखण्ड प्रमाण रूपमे विराजित अछि। आइ नहि बल्कि आइसँ सैकडों वर्ष पूर्व निर्मित विभिन्न महाशास्त्र व महाकाव्यमे सेहो मिथिलाक भूगोल निर्धारित कैल गेल अछि। तखन कवि या प्रवीण या आजुक जन्मल कोनो गिदर कोन साओनक बाढि देखि एना उताहुल होइत मानचित्र निर्णय कराबय लेल उद्यत छथि? हमरा एक रति फरिछाउ! आ भारतीय संविधान जाहि पायापर ठाड्ह छैक तेकर गंभीर दर्शन केनिहार – अध्ययन केनिहार यदि होइ तखनहि सोझाँ आबि हमरा जबाब दी। कच्चा ज्ञान आ अधजल घैल जेकाँ छिटका-छिटकी खेलाय लेल कम सऽ कम तुच्छ निराकरण सँ हमरा लोकनिकेँ बचय पडत। साहित्य सुधा द्वारा सब किछु निर्धारित अछि, दस्तावेजी सत्य नहि गौँआँकेर मानब तऽ बेलायती लोक द्वारा बनाय राखि देल गेल अछि। ओहिपर हमरा लोकनि पहिले गहिराइमे अध्ययन करी। बिना पूरा पढने वा बुझने ओछ टिप्पणी करबा सँ बची। जतेक लोक छथि, जे काज केने छथि ओ बेवकूफ नहि छलाह। बड गंभीरता सँ हरेक बातक आधार बनबैत अपन बात सरोकारवाला तक पहुँचेलैन।

जाहिपर शोध करबाक चाही से शोध करबा लेल हमरा सबहक संग समय नहि अछि, कारण “भाइ यौ! पापी पेट केर सेहो सवाल ठाड्ह अछि।…” कहब आ समय निकालि कहियो भारतीय सांसदक पुस्तकालयमे पता लगाबय तक नहि जायब जे आखिर कोन आधारपर पूर्वमे मिथिला राज्यक परिकल्पना प्रस्तुत कैल गेल छल…. कि भूगोल राखल गेल छल…. केहेन ऐतिहासिकता आ कतेक रास स्मारपत्र भारतीय राष्ट्रपति तक सुम्पल गेल अछि, तेकरा अनुरूपे मानचित्र कोन अछि… आदि! आ जखन अध्ययन करबा लेल समय नहि अछि तखन अनेरौ लेल हम कोनो तरहक स्टेटमेन्ट दैत अनावश्यक रूपमे फेसबुक पब्लिकमे सन्देह आ अविश्वास प्रसार करैत कि प्रमाणित करय चाहि रहल छी?

हरि: हर:!!

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मिथिला राज्य निर्माण सेना – मिथिला द्वारा बजाओल गेल जनसभा जाहिमे २७ गो पंचायतक मुखिया सहभागी होमय जा रहल छथि, एहि जनसभासँ मिथिला लेल जनजागृतिक विभिन्न पहलपर आम चर्चा आ जनमानसमे स्वराज्यक सार्थकताक संग-संग पृथक मिथिला राज्यसँ वांछित लाभ ऊपर नीक प्रकाश देल जा सकत से आशा करैत छी।

एहि सभाक आमन्त्रण देरीसँ भेटल जाबत तक दिल्लीक दिलवाली भूमिक यात्रा तय भऽ गेल अछि, लेकिन सफलताक शुभकामना आ अनलाइन अपन संबोधन करबाक स्वीकृति अही पोस्टक मार्फत सँ कय रहल छी। कार्यक्रम कोन डिजाइनपर कैल जायत तेकर विस्तृत जानकारी नहि भेटल अछि, लेकिन राजेश राय, पंकज भाइ, दीपक खाँ, संजय कुमार, रंजित कुमार सहित विभिन्न जागरुक आ समर्पित मैथिल अभियानीक सहभागिता सहित होमय जा रहल ई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम मिथिलाक धरतीकेँ आन्दोलित रखबामे सहयोग पहुँचायत, तहिना संयुक्त प्रयासक अर्थ सबहक मन-मस्तिष्कमे पहुँचत। सभा द्वारा विगतमे कैल गेल विभिन्न कार्यक्रमक समीक्षा आ भविष्य लेल संयुक्त संघर्षक माँगकेँ समस्त संस्था व अभियानी संयुक्तरूपमे सघेता से विश्वास राखि सकैत छी। ओना होशियार आ नाम-पदलोभीक कमी नहि, उर्जाकेँ जतेको खपत कय सकैत छी, थाकिकेँ फेर एकठाम एलाक बादे कोनो उपलब्धि भेटत से उम्मीद धरि कायम राखब।

चूँकि हम दिल्लीक यात्रापर जा रहल छी, किछु रास महत्त्वपूर्ण कार्य करबाक उद्देश्य हमरहु रहत आ बुद्धिजीवी-समाजसेवी-विद्वान तथा प्रवासी मैथिलक विभिन्न संगठनसँ सहकार्य करैत मिथिलाक अस्मिताक लडाईमे आगू कोना बढल जाय ताहिपर हमर ध्यानकेन्द्रित रहत। तहिना विभिन्न राष्ट्रीय राजनीतिक दलकेर अध्यक्ष महोदय तक मिथिला राज्यक माँग लेल प्रतिनिधिमंडल पहुँचय ताहि लेल सेहो प्रयासरत रहब। दिल्लीक आगामी चुनावमे सेहो मैथिलक भूमिका महत्त्वपूर्ण होमय जा रहल अछि आ एहेन समय समुचित पोलिटिकल बार्गेनिंग हेतु मिथिलावासी जागृति पाबैथ से लक्ष्य बेसी महत्त्वपूर्ण अछि।

मिथिला एहि संसारक महानतम संस्कृति ओ सभ्यताक पर्यायवाची पहिचान थीक, एकरा जोगेबाक लेल संवैधानिक संरक्षण अति आवश्यक अछि। ई बात समस्त मिथिलावासीकेँ बुझाबय पडत, जागू मैथिल नहि तँ पहिचान मेटि जायत। मिथिला महोत्सव सहित दिल्लीक विभिन्न भागमे अपने दिल्ली बसनिहार मैथिलसँ भेट होयबाक आशा सहित – प्रवीण!

हरि: हर:!!

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१० नवम्बर २०१३

जीवन-सूत्र (Life-Formula):

सत्त्वं सुखे सञ्जयति रज: कर्मणि भारत।
ज्ञानमावृत्य तु तम: प्रमादे सञ्जयत्युत॥गीता १४-९॥

भारत O descendant of Bharata (अर्जुन)
सत्त्वं Sattva (सत्त्वगुण)
सुखे to happiness (सुख)
सञ्जयति attaches (आसक्ति)
रज: Rajas (रजोगुण)
कर्मणि to action (कर्म)
उत while (हिन्दी: जबकि, मैथिली: जखनकि)
तम Tamas (तमोगुण)
तु indeed (निश्चितरूपेण)
ज्ञानम् discrimination (ज्ञान)
आवृत्य shrouding (हिन्दी: ढककर रखना, मैथिली: तरमे झाँपि रखनाय)
प्रमादे to miscomprehension (प्रमाद यानि कर्तव्यविरुद्ध निषिद्ध कर्मोंमे, जे नहि करबा योग्य कर्म अछि ताहि दिशामे)
सञ्जयति attaches (आसक्ति, बन्हन उत्पन्न केनाय)

मैथिली: अर्जुन! सत्त्वगुण सुखमे आ रजोगुण कर्ममे लगबैत अछि, जखनकि तमोगुण ज्ञानकेँ झाँपि फेर नहि करबाजोग्य कर्म (कर्तव्यविरुद्ध निषिद्ध कर्म)मे लगबैत अछि।

हिन्दी: अर्जुन! सत्त्वगुण सुखमें और रजोगुण कर्ममें लगाता है, परन्तु तमोगुण ज्ञानको ढककर फिर प्रमादमें भी लगाता है।

अंग्रेजी: English: Sattva attaches to happiness, and Rajas to action, O descendant of Bharata; while Tamas, verily, shrouding discrimination, attaches to miscomprehension.

हरि: हर:!!

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दिल्ली यात्रा आ स्मृति

पैछला बेरुक स्मृति झा चन्दनजीकेर एहि विडियोक संग-संग लगभग १५ अलग-अलग भागमे यूट्युबपर संग्रहित अछि। युवा मैथिल सेहो लगभग १ वर्ष सँ अपन जी-जान एक लगा देने छथि। व्यापकता तखनहु दूर अछि। सर्वसम्मतिसँ समर्थन देबाक अवस्था कोना बनत – चिन्तन ताहि दिशामे निरन्तर करबाक प्रयासमे छी। संयोग बढियाँ अछि जे शीतकालीन सत्रमे मिथिला राज्य निर्माण करबाक लेल माननीय सांसद कीर्ति आजाद द्वारा राखल गेल बिलपर बहस सेहो होयत। भारतीय गणराज्यकेँ आरो मजबूत करबाक लेल मिथिला राज्यक स्थापना बहुत जरुरी अछि। एहि बेर दिल्लीमे जरुर किछु महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व सबसँ भेटघाँट करबाक प्रयास सेहो करब।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

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दिल्ली पैछला अप्रीलमे गेल रही, १४ तारीख एक ऐतिहासिक दिवस छल कारण ‘विश्व मैथिल संघ’ आ खास कय श्री हेमन्त झा, श्री अनिल झा व आरो अधिकारीगण काफी उत्साहित छलाह जे मिथिला लेल किछु करबाक अछि आ तहिनामे स्थापित भऽ गेल ‘मिथिला राज्य निर्माण सेना’।

धन्यवाद झा चन्दनजीकेँ जे हरेक क्षणकेँ विडियो फाइल तैयार करैत एहि ऐतिहासिक क्षणकेँ अविस्मरणीय बनौलनि। सिलसिलेवार ओ समस्त विडियो देखबाक लेल कोनो एक फाइल खोलिते सबटा दर्शन करबाक अवसर भेटत। मिथिला आ मैथिली सँ कनिको जुडाव रखनिहारसँ निवेदन जे शान्तिपूर्ण ढंगसँ एहि समस्त चिन्तन-गंथन-मंथन गोष्ठीक दृश्य सब जरुर देखब।

पुन: भेट होइ हमरा लोकनि १४ नवम्बरसँ १७ नवम्बर धरि। सम्पर्क नंबर वैह रहत: ९४३१२२८२९३.

हरि: हर:!!

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१० नवम्बर २०१३

प्रिय दिल्लीप्रवासी मैथिलगण!

आउ मित्र लोकनि, एक बेर फेर सँ दिल्लीक दिलवाली भूमिपर छूटल-बढल कार्यकेँ आगू बढाबी। एहि बेर पहिल भेट एहि समारोहमे होयत। यानि १६ आ १७ तारीख, नवम्बर! तदोपरान्त, सिलसिलेवार आ लगातार दिल्लीक विभिन्न क्षेत्रमे भेटघाँट करैत २०१४ सँ पूर्व मिथिलावासीकेँ अपन अधिकार प्रति जागरण हेतु अनुरोध करैत अभियान चलायब। दिल्लीमे कार्यरत जतेक संघ-संस्था छी तिनका सबसँ भेंट करबाक योजना अछि…. मात्र मुँह चमकेनिहार आ पदकेर लोभमे रहनिहार सँ लेकिन समयकेर बचत करायब ततबी बेर-बेर अनुरोध अछि।

कला, संस्कृति, इतिहास, लेखनी क्षेत्र, राजनीति, शिक्षा, आदि हरेक क्षेत्रमे जुडल मैथिलसँ निवेदन जे ओ अपन रुचि सँ भेटघाँट निर्धारित करैथ, कोनो पुरान सज्जन जे अपन शब्द आ काजमे अन्तर केने होइ तिनका सँ विशेष भेट करबाक योजना अछि। सोझाँसोझी फरिछेलासँ नीक फरिछाइत छैक आ किछु बात “सूचना अधिकार” केर दुरुपयोग करैत जेना आपसी एकता भंग करबाक काज कैल गेल छल तिनका “मिथिला डेस्क” सहित चिट्ठी कतेक रास कतय देल गेल से देखेबाक चुनौती सेहो अछि। आब देखी, महादेव कतेक आ कोना-कोना कार्यसिद्धि सब करबैत छथि।

आर हाँ!! एक बहुत विशेष सज्जन छथि जे दिल्लीमे घूमि-घूमि ई प्रचार कय रहल छथि जे प्रवीणजीकेँ मिरानिसेसँ एक्सपेल्ड कय देलियैन, तिनका सँ हम सेहो भेट करय लेल चाहब आ जानय चाहब जे एक्सपेल्ड करबाक सामर्थ्य या कूबत कोन पुरखा हुनका प्रदान केलखिन।  अनुरोध जे सोझाँ जरुर आबी!

हरि: हर:!!

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छैठ परमेश्वरीकेर शुभ दर्शन आ पूजन उपरान्त पुन: कर्मभूमि विराटनगर प्रवेश कय चुकल छी। लेकिन एतेक रास पावनिक मौसम बितलाक बाद आब कोन नव बहाना सँ मातृभूमिक दर्शन फेर होयत से नहि जानि…. जरुर किछु रास विवाह आदि होमय जा रहल अछि, दरभंगामे विद्यापति स्मृति पर्व समारोह…. राजविराजमे समारोह… आ ओम्हर दिल्लीमे सेहो १६ आ १७ नवंबर द्विदिवसीय समारोह…. दिल्ली यात्रा लगभग तय अछि। बस टिकट कहियाक कन्फर्म भेटैत अछि से सूचना देब। उपरोक्त समारोहमे सहभागिता महत्त्वपूर्ण होयत से विश्वासक संग! ऐगला वर्षक पावनिक मौसमक प्रतीक्षामे – अपनेक प्रवीण!

हरि: हर:!!

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गाम एलापर बहुत किछु ध्यानमे प्रवेश पबैत अछि, जेना अपन बचपन, अपन विभिन्न पक्षक स्मृतिसँ जुडल बात सब, कतेको रास श्रेष्ठ अभिभावक संग पहिले आ आजुक वर्तमान अन्तरंग पारस्परिक सम्बन्ध…. पोखैर, वंशी, माछ, हेलनाय, संगी-साथी संग रामलीला, थियेटर, नाटक, मेला…. ओह कतेक रास बात!

लेकिन समयक धारा जरुर गामक व्यवहारमे परिवर्तन देखा रहल अछि… कतेको रास नीक बात… कतेको रास फालतू बात…. एना लागि रहल अछि जे जीवनक यैह एक पक्ष छैक जे बितैत उमर संग बदलैत बुझैत छैक।

छैठक अवसरपर नाटक खेलेबाक एक परंपरा रहल छल। बहुत वर्षसँ ई परंपरा लगभग ठमकल अछि। प्रयास केने रही जे फेर एकरा लेल नवयुवकमे किछु प्रेरणा प्रदान करैत एहि महत्त्वपूर्ण दिशामे आगू बढी। लेकिन आजुक व्यवसायीकरण भेल जीवन-चर्या एहि लेल कोनो खास उपलब्धि दैत नहि बुझाइत अछि। आब मनोरंजन हो वा पावैन वा समूह निर्माण…. बस नोट आ वोट लेल मानव जीबि रहल बुझा रहल अछि। तदापि किछु रास लोक तँ आइयो छथिन जे चाहैत छथिन कि वैह पुरनके नीक छल, ओकरे पुनरावृत्ति कैल जाय। बस ओतबीमे हमहुँ रमैत छी।

हरि: हर:!!

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८ नवम्बर २०१३

हिन्दी या अंग्रेजी लिखय अबैत अछि, सही मे अबैत अछि तँ मैथिली लिखब कथमपि कठिन नहि। पूछू कोना:

हिन्दीमे जे वर्णमाला, स्वर, व्यंजन, संयुक्त, संधि, उच्चारण, मात्रा आदिक वैयाकरणिक सिद्धान्त छैक ओ संस्कृतसँ जनल छैक। आ याद राखब, मैथिली हिन्दीसँ जेठ, यानि आजुक समयमे जिबैत संस्कृत-कन्या-भाषामे मैथिली बडकी बेटी, हिन्दी छोटकी बेटी थिकैक। लेकिन जेठकीक उमर बेसी भऽ गेने यदि छोटकी मौसीमे बेसी रुचि बनय लागय तँ मायकेँ कष्ट कने-न-कने तऽ हेबे करतन्हि। ताहि लेल मायकेँ खुशी करैत मौसीकेँ खूब प्रसन्न राखू, मसियौत बहिन सब संग आइ प्रवासी मैथिलकेँ बेसी समय दिल्ली-भदोहीमे बिताबय पडैत अछि आ आब तऽ ओ मसियौत सब मिथिलाक नगर-समाजमे बेसी चमचिकनी बनि फैशन करैत छथिन ताहि हेतु मैथिल धियापुता बेसीकाल नहि जानि कि सोचि हिन्दी मौसी दिशि बेसी झूकल रहैत छथि। हे, कम सऽ कम मायकेँ जुनि कनबियौन। मौसीक नियम मायमे सेहो लगैत छैक। 

हरि: हर:!!

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७ नवम्बर २०१३

पूज्यनिया माँ हरेक वर्ष छैठ करैत अछि, आ ओकरा लेल संतान सहित समस्त गाम ओतबी प्रिय छैक ताहि कारण ओ गामहिमे ई पावैन मनबैत अछि। आर संतानरूपमे हमर ई कर्तब्य अछि जे सपरिवार मायकेर शरणमे छठि परमेश्वरीक महान पावैन मनाबय लेल पहुँची। तऽ चलू आब गाम दिशि!

हमर सम्पर्क नंबर: ९४३१२२८२९३.

प्रयास रहत जे सब अभियानीजे कियो गाम पहुँचल छी से सब मिलि फेर मिथिला लेल कनेकबो समयमे बहुत किछु सुन्दर जरुर कय सकी।

एहि बेर इच्छा अछि जे अपने लोकनि हमर गाम अबितहुँ, ओतहि आ आसपास मुहिम चलबितहुँ। बस निवेदन!

ओना हम कतहु पहुँचि जायब, परसू मात्र ३ बजे धरि लेल। ३ बजे वापसी करब जरुरी होयत।

हरि: एव हर:!!

Note: Aagu sa je kiyo comment karab o krupya Roman script me, no devanaagari facility in my mobile. 

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अटेन्सनसीकर यदि मिथिला लेल नेता चुनल जाय तँ ओकर स्टेटमेन्ट केहेन हेतैक?

ओकर प्रोफाइल पर जाउ, बा-मुश्किल १ या २ महीना के इतिहास भेटत। – १.

जे किछु इतिहास भेटत ओ स्वयं बाजत, खन मन आगाँ, खन मन पाछाँ, मन करय घूरि जाय… जपय छी ॐ नम: शिवाय… अर्थात् मिथिला ओकर मुँहपर रहत, हृदयमे ओकर पप्पाकेर पार्टी यानि चोरबा पार्टी केर समर्थन घर केने रहत। – २.

ओ मात्र लोक-समाजक ध्यानाकर्षण लेल तरह-तरहके नौटंकीपूर्ण कथ्य-कथनकेँ पुनरावृत्ति करैत रहत। अपन बाजल बात तक ओकर सिद्धान्तविहीनताक चलते याद नहि रहि सकैत छैक। – ३.

ओ प्रयास करत जे हमरे पूछ सब ठाम हो, लेकिन चोपाहपन्थीक चलते ओकरा अपनाकेँ कतहु कनेकबो पाछू छोडल बुझाइते ओ फेर अपन छीटखोपडी सँ छीट-छीट किरण प्रदर्शन करैत ओतहु सँ पलायन करत। – ४.

हरि: हर:!!

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प्रिय पाठक व मित्रगण,

छठि परमेश्वरीक पूजा-आराधना ऊपर हमर एक साक्षात्कार एफ एम रेडियो कार्यक्रम ‘साझा सरोकार’ काल्हि यानि शुक्र दिन विहान (भोरे) ८ बजे सँ ८:३० बजे धरि प्रसारण कैल जायत। एकरा दुनिया भरि इन्टरनेट द्वारा सुनल जा सकैत अछि। शायद छठि परमेश्वरीकेँ हमर ई मेहनतसँ तैयार कैल गेल आलेख पसिन पडलन्हि ताहि हेतु ई मौका हमरा आइ आदरणीय भगवान सर एवं मित्र सन्देश दास श्रेष्ठ द्वारा भेटल। जरुर लेखनी-संस्कृतिक बहुत पैघ प्रभाव एहि लोकमानसपर पडैत छैक से विश्वास आरो बलगर भेल।

लिंक: www.bfm912.com

जय मैथिली! जय मिथिला! जय नेपाल!!

हरि: हर:!!

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धरती, आकाश और पाताल – काफी सारे अजीबोगरीब घटनाएँ होना प्रकृति! अध्ययन करनेवालोंके लिये एस्टरायड एक चुनौती है। लेकिन ईश्वरके भरोसे रहनेवालोंको केवल ईश्वरका ही बडा भरोसा है। मंगलयानपर जीवन खोजनेसे ज्यादा जरुरी है कि पृथ्वीपर जीवन सुरक्षित कैसे रहे। वैज्ञानिकों का पहला फर्ज इसी ओर सोचनेका है।

हरि: हर:!!

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मित्रगण!

मुंबईसँ पंकज भाइ, राजेश भाइ, दीपकजी, रंजितजी सहित दहेज मुक्त मिथिला सँ जुडल जे कियो छैठिक अवसरपर गाम आयल छी तिनका सबसँ निवेदनजे फोन नंबर ९४३१२२८२९३ पर काल्हि १० बजेक बाद सँ १ बजे धरिमे सम्पर्क करी। हमरा लोकनि दमुमिकेर मिथिला युनिट स्थापना करबाक उद्देश्यसँ छैठिक प्रात एक मिटींग करय लेल जा रहल छी जेकर स्थान, समय आदिक जानकारी ओहि तरहें फोन द्वारा देल समयपर कय सकब।

विशेष शुभ, छैठ पवित्रता आ समर्पणक एक विलक्षण उदाहरण थिकैक, एहि लेल पहिले अपन घर व अभिभावकगणकेँ नीक सँ सहयोग करी से अनुरोध।

हरि: हर:!!

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सूचना:

समाजक सच्चा सेवक सदा समाज लेल समर्पित रहैत छथि आ सिरपर लेल भारप्रति हिनका लोकनिक संवेदनशीलता सँ समस्त विवेकशील सामाजिक सदस्यकेँ नीक प्रेरणा भेटैत छन्हि।

दहेज मुक्त मिथिला – महाराष्ट्र एहि अभियानमे निरन्तर योगदान दैत महाराष्ट्रमे रोजी-रोटीक जोगारमे प्रवास करैत मैथिलकेँ सजग बनेबाक लेल वर्तमानमे मुंबईकेर विभिन्न क्षेत्रमे सांगठनिक विस्तार कय रहल छथि।

आगामी १० नवंबर तदनुसार रवि दिन विरार (पूर्व) स्थित ‘जनकपुरधाम, फूलपाडा’मे बैसार राखल गेल अछि। समय अछि अपराह्न ३ बजे सँ। अपने समेत समस्त परिचित मैथिलकेँ एहि अभियानसँ जोडि मिथिलाकेँ दहेज मुक्त बनेबाक प्रयासकेँ सफल बनाबी।

जरुर एहि सूचनाकेँ अपन मित्र व विभिन्न मैथिल समूहक मार्फत सगरो प्रसार करी सेहो निवेदन। मिथिला निर्माणमे दहेज मुक्त मिथिलाक योगदान अविस्मरणीय अछि।

हरि: हर:!!

सम्पर्क: संजय मिश्रा – ९८२०८९६४७७

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६ नवम्बर २०१३

संभव अछि जे ई चोरी मिथिलाक जीवन्त इतिहासकेँ ख्याली इतिहास कहि सदा-सदा लेल मारबाक बिहारी अभियानक एक हिस्सा हो। जरुर एकर जाँच लेल केन्द्र सरकारक ध्यानाकर्षण आ सीबीआइ जाँचकेर हम समर्थन करैत छी। संगहि एहि लेल आवश्यक रीट दाखिला करबाक लेल प्रासंगिक प्रश्न संग बिहार सरकार आ सम्बन्धित मुलाजिमकेर मुद्दइ बनबैत न्यायाधिकरणकेर हस्तक्षेप लेल सेहो अनुशंसा करैत छी। हरि: हर:!!

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I feel proud to say that our ancestors were much more enlightened people, they were having much more positive and developing visions that we have today…. they were the ones who thought of establishing some institutions to keep their upcoming generations together, at least while attempting to conserve the heritages they created. Durgasthan being one of such example I have been seeing it since very childhood. We, the present generation, must do whatever best we can and keep it alive and dazzling with our hard efforts, labors and dedications. May such enormous strength live in everyone.

Harih Harah!!

Ram Narayan Jha Ram Uma Shankar Mishra Swapnil Ram Naresh Sharma Deepak Kumar Kha Maithil Rakesh Mishra Jha ChandanPankaj Jha Ajay Mishra MaithilRupesh Yadav Ramshankar Jha

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नेता अनुप मैथिल द्वारा हाथमे लेल गेल पहिल चुनौतीपूर्ण कार्य – ईश्वर हुनक ई संकल्प शीघ्र पूरा करैथ जे ग्राम कटका मे १५ वर्षसँ एक ट्रान्सफर्मर जडि गेलाक बाद बिजली आपूर्तिक पुनर्बहाली नहि कैल गेल छैक। ठीक अहिना कहियो कुर्सोंमे सेहो भेल छलैक, जाहि गाममे श्री बी एन ओझा तात्कालीन बिजली बोर्ड निर्देशक जिनका ओहि समय “विद्यापति स्मृति पर्व समारोह”मे मुख्य अतिथिक रूपमे गामवासी बजौने छलन्हि से विद्युत आपूर्ति सकरी सँ सीधा कुर्सों तक के उपहाररूपमे देने छलखिन…. ताहिठाम १९९० केर आसपास जे तूफान सँ छत-बिछत तार जुडाव आ ट्रान्सफर्मर जडबाक घटना घटल छलैक से अहिना दसो वर्ष धरि ठीक नहि कैल जा सकलैक…. बादमे किछु लोक गामक सब घरसँ लगभग पचासो हजार टाका घूस चन्दा करैत बिहार सरकारक भ्रष्ट हाकिमकेँ खूवौलक तेकर बाद फेर फटाफट सबटा कार्य पूरा भेलैक….। कहबाक मतलब जे मिथिलापर जाहि तरहें बिहारी राज उपनिवेशवादक बोझ देने अछि ततय गामक मर्म कम आ घूसक गर्मी बेसी होइत छैक। तखन देखा चाही जे युवा नेता अनुप मैथिल कतेक जल्दी एहि आन्दोलनमे सफल होइत छथि।

ई हुनका लेल एक सफल डेग होयत से हमरा पूर्ण विश्वास अछि आ नेता बनय लेल पूर्ण अनुभव सेहो भेटतनि तेकरो पूरा अनुमान अछि। यथार्थ भूमिका एक नेतृत्वकारी लेल यैह थिकैक जे जन-समस्या बुझैत जनताकेँ ओहिसँ निदान दियाबय। नि:सन्देह राज्यक माँग तँ अन्तिम थिकैके।

हरि: एव हर:!!

Anup Kumar Maithil Ram Naresh Sharma Ram Narayan Jha Ankit Rai Ranjeet ChoudharyModa Bahadur Ram Ranjeet Kumar JhaPrakash KamtiKislay Krishna Krishna Ajit Kumar Choudhary

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समैध पुत्र संतोष राय सहित समस्त चैटिंग-बेहाल मैथिल पुत्रसँ निवेदन जे कृपया एहि पेजकेँ लाइक करी आ अपने आप हमर अपडेट सबसँ चैटिंगकेर आनन्द उठबैत रही। एतहु जे फोटो सब दैत छिऐक तहू मे मिथिला-दर्शन हेबे टा करत, गारंटी। कृपया हमरा चैटलाइनमे बेसी तंग नहि कैल करी। अहाँक – अपन लोक – प्रवीण!

हरि: हर:!!

पुनश्च: ई मात्र हमरा सँ निजी परिचय लेल इच्छूक वास्ते बनेने छी, एकर अतिरिक्त मैथिली सिखयवाला पेज, कथा-कहानीलेल पेज आ सम्बन्धित क्षेत्रक आरो-आरो पेज सब अलग सऽ बनाओल गेल अछि, चाही तऽ कहब। प्रणाम!! _/\_

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विराटनगर मैथिल समाज सहित अन्य समस्त संस्कृति आ लोकपरंपराकेँ सदैव समर्थन देनिहार नेपालक एक महत्त्वपूर्ण राजनेता – विजय गच्छदार जी। देशक प्रगतिमे एहि तरहक सर्वहितकारी सोच रखनिहार नेताक सफलतासँ जरुर देशक अग्रगामी विकास संभव होयत। वगैर कोनो एक दल प्रति आस्था रखनिहार व्यक्तित्व देखि आ पूर्वमे कैल गेल समर्थनक आधारपर अपन सहयोग दैत छैक आ ताहि तरहक शुभकामना सेहो व्यक्त करैत छैक। समस्त संविधान सभाक अभ्यर्थी लेल सफलताक शुभकामना दैत छी। लेकिन कोनो मुद्दापर एकता वगैर आपसी फूट-फूटौवैल एक बात स्पष्ट कहि रहल छैक जे राष्ट्रहित सर्वोपरि आ ताहि क्रममे राष्ट्रीय दल रूपमे प्रसिद्धि पाबि रहल दल सब चुनावी रनमे आगाँ छैक से समस्त नेतृत्वकर्ता द्वारा आत्मसात करबाक आत्मीय निवेदनसहित – प्रवीण। हरि: हर:!!

Bhagwan Jha Parmeshwar Kapari Dhirendra Premarshi Dhirendra Kumar Jha Sujit Jha Sujit Kumar Thakur Bharat Shah Vijay Kumar Jha Bijay Mandal Bijay Karn

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छैठ परमेश्वरीक आराधना आइये सँ शुरु भऽ गेल – एहि महान पावनिक माहात्म्य आ महत्त्व आत्मसात करबाक लेल एक छोटछिन शोधकार्य निम्न आलेख द्वारा प्रस्तुत अछि।

समस्त आराधक संग एहि महान पावनिमे प्रवासी तथा प्रवाससँ मिथिला वापसी केनिहारमे विशेषरूपसँ शुभकामना जे जहिना अपन संस्कृतिकेँ जियाबय लेल हर ठाम अहाँ सब बेहाल छी किछु तहिना आब मिथिलाकेँ बचेबाक लेल सेहो आतुर होबय केर आवश्यकता अछि। अपन पहिचानक विशिष्टताक रक्षा करय जाउ, शुभकामना।

हरि: हर:!!

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पढि लियऽ विचार आ दऽ दियौन धन्यवाद!
अहाँ एक बाजब, ओ दस बजताह!
अहाँ लेफ्ट चलब, ओ राइट चलताह!!
यैह रहल अछि मैथिलक व्यवहार ओ विचार!!

हरि: हर:!!

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Attn: All Respectable Maithils – Specially The Committed Activists: Ram Narayan Jha Ram Naresh Sharma Moda Bahadur Ram Pankaj Jha Mithilesh Paswan Dineshwar Pd. Yadav Riyaj Ali Khan Uday Shankar Mishra Praveen KR Sonu Bharat Bhushan Anup Kumar Maithil Deepak Kumar Kha Maithil Sanjay Mishra Ganesh Maithil and all who truly think of Mithila and wish to do something on real ground!!

विद्यापति केर स्मृति कोनो लोक-देवता समान कैल जाइछ कारण ओ सबहक हित लेल सोचैत अपन जीवनकेँ सौंपि देलाह। हिनकर स्मृतिगानकेँ कतेको लोक कतेको तरहें देखैत अछि, लेकिन विराटनगरकेर मैथिल समाज हिनकर स्मृतिकेँ मैथिलमे सम्पूर्णता लेल, आत्मसम्मान आ पहिचानक विशिष्टताक संरक्षण लेल करैत आबि रहल अछि। एहि ठामक समारोहमे नहि केवल विद्यापति समान विद्वानकेर स्मृतिगानसँ समाजकेँ बेर-बेर एहेन प्रखर पुत्र उत्पन्न करैत मैथिलकेर महानताकेँ निरन्तरता देबाक आह्वान कैल जाइछ, बल्कि विद्याक विभिन्न रूप जेना कलासम्पन्न कवि, साहित्यकार, चित्रकार, गायक, हास्यकर्मी, रंगकर्मी, बालकलाकार, पारंपरिक संस्कृति प्रस्तोता, आदिकेँ समेटैत पूर्ण समारोह-स्वरूपमे द्विदिवसीय आयोजन कैल जाइत अछि। एहिमे सांस्कृतिक झाँकी – मिथिलाक विभिन्न रूपकेँ देखबैत…. राजनीतिक गोष्ठी, विचार-विद्वत् गोष्ठी, बाल कला प्रदर्शन, कवि-गोष्ठी, नाटक, नृत्य आ गीत-संगीत सँ परिपूर्ण कार्यक्रम जे लगभग ४८ घंटा लगातार चलैत अछि। खानपान समारोह, पुस्तक मेला, पारंपरिक कलाकृति-प्रदर्शनी, आदिक सुन्दर संयोग सेहो समारोहकेँ नव आयाम दैत रहैत अछि। एकटा राष्ट्रीय पर्व रूपमे मनाओल जायवाला एहि कार्यक्रममे हरेक बेर राष्ट्र (नेपाल) केर कोनो गरिमापूर्ण पदकेँ सुशोभित करनिहार संग-संग भारत सँ सेहो महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व लोकनिक आगमन आवश्यक रूपमे होइते टा अछि। एहि बेर नेपालमे संविधान सभा चुनाककेर कारण ई कार्यक्रम किछु देरी सँ होयबाक आशंका अछि।

हरि: हर:!!

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एहि क्लीक लेल केशवजीकेँ धन्यवाद।

वास्तवमे, आइ सँ लगभग १० वर्ष पूर्व जहिया चित्रगुप्त महाराजक पूजन समारोहमे सहभागी बनल रही आ कथा जे मैथिलीमे पंडित सुरेश चन्द्र झा द्वारा कहल गेल छल आ ओहिमे यैह बात छल जे चित्रगुप्त भगवान् केँ दुर्गाजीक पाठ-सुमिरन अपन संतान द्वारा नीक लगैत छन्हि। ताहि हेतु हम संकल्प लेने रही जे हरेक पूजा दिन अनिवार्य रूपमे पाठ पूरा करी।

हरि: हर:!!

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मैथिली फैशन करती!

देखि दुनियाकेर रंग-बिरंगी
टिकली विचरैत एहि संसार,
इच्छा छन्हि मैथिलीकेँ
फैशन हमहुँ करितहुँ यार!!

टाइट जीन्स पहिरतहुँ हमहुँ
फल्लर टीशर्ट ढीले-ढाल,
मैथिली नञि हिंङ्गलिश बजितहुँ
सिनेहिया संग डोलितहुँ गोलमाल!!

कहाँ सौम्यताक पूछ कतहु छैय
चौखैट भीतर नजैर बन्दी?
आब तऽ मन्दिर तेना बनय छैय
भितरक दर्शन सीधासीधी!!

आब कहाँ जे पति परमेश्वर
या पत्नी बस गृहलक्ष्मी?
सापिंग मौल आ कालसेन्टरसऽ
मैथिली कमालक कीमत जी!!

जीवनक नियम परिवर्तन होइ छैय
गीता सेहो कहलक ई!
जँ मैथिली चमचिकनी बनती
हिनका कोना कियो रोकतैन जी!!

हरि: हर:!!

मोरंग जिलावासी या पूर्वाञ्चल क्षेत्र (नेपाल) मे उपस्थित साहित्यिक क्षेत्रमे योगदान देनिहार आ मिथिलाक महत्त्वपूर्ण कार्य/रचना-लेख-पोथी जेकरा विश्व-स्तरपर विस्तार चाही तेकर अनुवाद हिन्दी, अंग्रेजी, नेपालीमे करनिहारसँ निवेदन जे सम्पर्क करी।

प्रवीण नारायण चौधरी
महासचिव, मैथिली सेवा समिति
मिश्रा कुञ्ज, विराटनगर,
नेपाल।
फोन: ९८५२०२२९८१.

पूर्वमे कैल कार्य रामवृक्ष बेनीपुरी केर पुस्तक ‘विद्यापतिकी पदावली’ सँ निम्न उद्धृत अंश:

(आइ एहि पुस्तककेर ग्राह्यता विश्वकेर महत्त्वपूर्ण एकेडमिशियन व एकेडेमी सबहक लेल बहुत उच्च छैक। तहिना आरो बहुते रास कार्यकेँ विस्तार प्रदान करबाक लेल मैथिली सेवा समितिक एक छोट प्रयास।)

विद्यापति जी केर किछु लेख – हिन्दी शब्दार्थ सहित
विद्यापति जी का प्रभुजी से प्रेम!

नन्दक नन्दन कदम्बेरि तरु-तर, धिरे-धिरे मुरलि बोलाब॥१॥
समय सँकेत-निकेतन ब‍इसल, बेरि-बेरि बोलि पठाब ॥२॥
सामरि, तोरा लागि, अनुखन बिकल मुरारि॥३॥
जमुनाक तिर उपवन उद्‍वेगल, फिर-फिर ततहि निहारि॥४॥
गोरस बिकनिके अब‍इत जाइत, जनि-जनि पुछ बनमारि॥५॥
तोंहे मतिमान, सुमति मधुसुदन, बचन सुनह किछु मोरा॥६॥
भन‍इ विद्यापति सुन बरजौवति, बन्दह नन्द-किसोरा॥७॥

शब्दार्थ:

नन्दक नन्द: नन्द के बेटे, श्रीकृष्ण
तर: तले, नीचे
सँकेत-निकेतन: मिलने का सांकेतिक स्थान
ब‍इसल: बैठे हुए
बेरि-बेरि: बार-बार
संकेत-स्थान में बैठे बार-बार (मिलन का समय आया जान) बार-बार बुला रहे हैं – वंशी में पुकार रहे हैं – नामसमेतं कृत-संकेतं वादयते मृदु वेणुम्‌ – गीतगोविन्द
सामरि: श्यामा, सुन्दरी – “शीते सुखोष्णसर्वाङ्गी ग्रीष्मे च सुखशीतला। तप्त-काञ्चनवर्णाभा सा स्त्री श्यामेति कथ्यते।”
तोरा लागि: तुम्हारे लिए
अनुखन: प्रतिक्षण
तिर: तट
उद्‍वेगल: उद्विग्न हुए
ततहि: उसी ओर
जनि-जनि: प्रत्येक स्त्री से
यमुना के किनारे उपवन में (भ्रमण करते हुए) व्याकुल (होकर) पुनः-पुनः उसी ओर (तुम्हारे आगमन पथ की ओर) देखते हैं, और दूध-दही बेचने को आने-जानेवाली प्रत्येक जनी से वनमाली (श्रीकृष्ण तुम्हारे विषय में) पूछते हैं।
मतिमान: समझदार
भन: कहते हैं
जौवति: युवती
बन्दह: वंदना करो

हरिः ॐ! हरि: हर:!!

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दरभंगा-मधुबनी फेसबुक खेला!
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युरेका – युरेका!!

नबका खेल के एखनहि आविष्कार केलहुँ। “दरभंगा-मधुबनी”!

खेलक पूरा जानकारी सँ पूर्व पहिले ई वार्ता पढू:

वार्ता:

हम: मधुबनीक लोक बेसी हिन्दी प्रयोग करैत मैथिलीक उपहास करैत छथि।

मयंक: दरभंगाक लोक सब सऽ बेसी हिन्दीक प्रयोग करैत

हम: मयंकजी! भऽ सकैत छैक। अहाँकेँ बेसी दरभंगेवला संग पाला पडैत होइत। लेकिन हमर जे बात अछि ओ फेसबुकपर सक्रिय मैथिल संग सम्बन्धित अछि। ओ सब हिन्दीक जेना पोसपुत सब छथि… एखनहि भारत भुषण जी जे जिला परिषद् केर उपाध्यक्ष छथि हुनकर एक अपडेट पढलहुँ जे सलहेश नाच देख रहा हूँ…. सोनु मिश्रा सेहो अपडेट लगौने छथि जे भरजुतिया पर दीदीके घर आया हूँ…. आदि… एक शेखर झा सौराठवासी कहलैन जे दिवालीका शुभकामना है…. ई सब मधुबनीवासी थिकाह… यदि अपने सब बाजी लगाबी आ एहेन मधुबनिया या दरभंगियाकेँ मैथिली छोडि हिन्दीमे राग अलापैत देखी तऽ ओतय एक-दोसरकेर नाम टैग करऽवाला गेम खेलाइत निकालि सकैत छी जे बेसी मधुबनी आ कि बेसी दरभंगा। हमरा विश्वास अछि जे हमर जिला दरभंगा अहाँक जिला मधुबनी सऽ जरुर जीत हासिल करत। खेलेबय बाजी? जे जीतत तेकरा एगो मीठा पान खुआबय पडत।  हरि: हर:!!

खेलक नाम: दरभंगा-मधुबनी

खेलक नियम: ई खेल मात्र दरभंगा-मधवनी जिलावासी टा खेला सकैत छथि, लेकिन अही तर्जपर समस्तीपुर-बेगुसराय, भागलपुर-मुंगेर, मधेपुरा-खगडिया, सहरसा-सुपौल, अररिया-किशनगंज, पुर्णिया-कटिहार, शिवहर-मुजफ्फरपुर, सीतामढी-चंपारण, देवघर-दुमका, गोड्डा-दुमका, आदि सेहो खेलायल जा सकैत छैक।

खिलाडीक संख्या: कम से कम दू या फेर २ गोधियाँ बनबैत कतबो संख्याक आपसी सहमतिसँ २ समूह मे सेहो खेला सकैत छी।

खेलक शुरुआत: कोनो एक पक्षक जिलावासी जखन हिन्दीमे बजथिन (याने फेसबुक पर पोस्ट करथिन) तऽ दोसर पक्षक खिलाडी पहिल पक्षक (परस्पर एक-दोसरक) नाम टैग करैत कमेन्ट देथिन आ ७ दिन धरि एहेन लोकक संख्या अनुरूप संख्या सेहो लिखथिन।

खेलक निर्णय: हरेक रवि दिन (यानि छुट्टीक दिन) जेकर संख्या बेसी होयत ओ जीत हासिल करता आ जीतक उपलक्ष्य एक प्रमाणपत्र आ ट्रफी सेहो भेटतनि। एहि जीतक लेल किछु पारितोषिक सेहो राखल जा सकैत छैक।

ई खेल केहेन लागल, जरुर कमेन्ट देब। 

हरि: हर:!!

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५ नवम्बर २०१३

दिनक कार्यक्रम – बहिन संग भरजुतियाक नोत आ तदोपरान्त पूर्व वर्षक भाँति अहू बेर बाबा चित्रगुप्त महाराजक प्रतिमाक समीप बैसि पूर्ण दुर्गा सप्तशतीक पाठ भेल। प्रभुजीकेँ धन्यवाद।

कनेकबा कालमे भजन संध्या सेहो होयत आ फेर दोसर शिफ्टमे तिनपैनी चित्रगुप्त पूजा पंडालमे सेहो सांस्कृतिक कार्यक्रम – भजन संध्यामे सहभागी बनब। हमरा तरफ सँ निचुलका गजल गान संग महादेव लेल समर्पित विद्यापति-गीत ‘उगना रे मोर कतय गेलाह’ प्रस्तुत करब, यदि मौका भेटत तँ।

हरि: हर:!!

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वोटक लेल किछो करबाउ!

देखियौ आयल फेर चुनाउ
चाही वोट छूछ नारा लगाउ
पाछूक बात बिसरिये जाउ
आगूक वादा झडी सजबाउ

मतदाताकेर जाति बुझाउ
जाति गुणे ओ वोट गनबाउ
सदन देश सब एके रंग
मैनजन डुगडुगी बजाउ

या बम मारू गोली लगबाउ
कोहुना लोकक मन फोडाउ
नेता माने बनियौटी केनाय
नोट लगाउ वोट खसबाउ

नियम सजिला तेना बनाउ
अपन भोगक भाग लगाउ
जनताक मूडी चूल्ही मुँहमे
अपन कूकर मौस पकाउ

सचिव गुरु बैदो तरसाउ
समाजमे गुन्डा मोछक ताउ
विकासक ठेक्का ओ भ्रष्टाचार
कमीशन धरि कूरी लगाउ

राजधर्म जन-जन फूटाउ
इतिहासोकेँ तोडिये भजाउ
जे मन लागय ओ टा नीति
चारू कात हरबिर्रो मचाउ

फूइसक नोर खुने बहाउ
सीटबीट चमचा बजबाउ
करू छिनरपन चोरी डाका
परिधान टा उज्जर लगाउ

मौका कहिया जे एहेन आउ
चौका छक्का तेहेन देखाउ
हाय रे वोट! सियारक कोट!
हड्ही-सुड्ही उमेदवारे दाउ

माँ कसम! बस जीति देखाउ
चैत-चैत चिक्कहि फँगबाउ
शान्तिक नाम अशान्ति फैलाउ
वोटक लेल किछो करबाउ।

हरि: हर:!!

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४ नवम्बर २०१३

आ आब चलि देलहुँ विद्यापति स्मृति पर्व समारोह – २०७० केर तैयारी दिशा मे! फेर भेटब।

आइ दिवालीक भोर थिकैक, आ जानवर सब जेना भाँग पिबैत अछि तहिना हमहुँ पिबैत छी… कारण जानवरा आ हमरा मे बेसी फरक नहि अछि। लेकिन लिखैत काल धरि होशमे रहैत छी। जे सब हमर भाँग-गाँजा देखनिहार छी से सब सावधान!

हरि: हर:!!

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सासुर हमर जनकपुरमें,
मधुबनी के ननिया सौस!
गाम अपन दरभंगा अछि,
पुर्णिया मौसिया सौस!
पीसी हमर बरौनीमें छै,
… … चलै अछि सगरो धौंस!
जेम्हरे देखु अपनहि लोक,
हम मिथिलाके बौस!

खगड़ियामें हमर जेठकी दीदी,
मुंगेर में दोसर पीसी!
मुजफ्फरपुरमें छथि एगो ओझा,
सीतामढी में साढू!
शायदे कोनो जिला छूटल छै… होऽऽऽ – २
चलै अछि सगरो धौंस!
जेम्हरे देखु अपनहो लोक,
हम मिथिलाके बौस!

भागलपुर के सरहोजिनी हमर,
सहरसा के छली बाबी,
मधेपुरा-सुपौल-अररिया के,
अयली एक-एक चाची,
कटिहारो में दूरका रिलेशन… होऽऽ – २
चलै अछि सगरो धौंस!
जेम्हरे देखु अपनहो लोक,
हम मिथिलाके बौस!

** – याने हरि: हर:!!
Like · · Follow Post · January 11, 2012 at 8:32am

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४ नवम्बर २०१३

कृपया कोनो पेजकेँ लाइक करबाक जरुरत बुझला टा पर लाइक करी, भीड लगेबाक लेल नहि। हम गोर लागि कय ई बात अही लेल कहि रहल छी जे केवल लाइकक संख्या देखेला सऽ एहि पेजक उद्देश्य पूरा नहि हेतैक…. यदि सहीमे अहाँ एकरा लाइक कय रहल छी तँ अपन मित्र लोकनि सहित अपनो जे मिथिलावासी छी ओ कम सऽ कम एक टा पोस्ट मैथिलीमे करू।

माफ, करब। मधुबनी मे हमर ननिया, पिसिया, मौसिया साउसकेर घर अछि आ टेढ लोक सबकेँ हम नीक जेकाँ देखने छी, चिन्हबो करैत छी। लालू गरियेलक तैँ मैथिली नहि बाजब…. मिथिला आवाजक रोशनजी अहाँ सँ मुँह लागि गेला तैँ मैथिलीकेँ दुत्कारब…. आब एहेन-एहेन बूरिपना लेल हमरा लग जबाब नहि अछि… ओना धन्यवाद मधुबनीजे इतिहास कायम करैत आइ मिथिला चित्रकलाकेँ सबसँ बेसी जीबित रखने अछि। एना मधुबनी जिलाक रहनिहार होइतो अहाँ नाम हँसायब से हमरा वर्दाश्त नहि अछि, सासूर केहनो हो प्रियगर होइत छैक, हमरो सासूरसँ प्रेम अछि। 

हरि: हर:!!

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हे यौ अहाँ!

यौ सरकार मिथिलावासी!! कम सऽ कम हमरो जे दीपावलीक शुभकामना पठबैत छी से ‘मैथिली’मे पठाउ न यौ सरकार? किऐक हमर माथमे आरो आइग फूइक रहल छी? पहिले सऽ हालत बेहाल छैक, प्रयास तेज कैल जा रहल छैक… कतेको बेर सरेआम संचारित कैल गेल छैक। राम नरेश शर्मा जी ‘मैथिली-सेवक’ अपनहिसँ सब गोटाकेँ हजारों तरीका अपनाबैत जानकारी करा रहल छथि… तैयो अपने लोकनि मखरैत छी? हे! मैथिलीक मजाक उडायब आ ई बुझब जे लक्ष्मीजी प्रसन्न भऽ जेती तऽ भूल करब। स्वयं मैथिली यानि सीताजी यैह निमिपुत्र मिथिकेर मिथिलाक माटिकेँ इज्जत दैत एक विशिष्ट पहिचान हमरा लोकनिकेँ देने छथि, आ तिनकर अपमान करैत “हैप्पी दिवाली” कहि देला सऽ कोनो हैप्पीनेस यदि आबय तँ जे बाजी लगाउ। नहिये अपने बूरि बनू आ नहिये हमरा बनाउ। हमर ‘मैथिली वाल’केँ बेइज्जत नहि करय जाउ यौ सरकार!! आग्रह।

आ जँ मैथिली बिसरा गेल हो,
मैथिली लिखयमे समस्या हो,
हिज्जे, उच्चारण, वर्ण-ज्ञान,
भाषा-शैली, लेखनी, पढनी,
कोनो तरहक विचार लेल,
याद राखू – प्रवीणक फेसबुकिया मैथिली कोचिंग सेन्टर!

बहैत चलू अपनहि भाषाकेर धारमे,
ईशक मान राखू जे पठेला संसारमे!!
सोचू किऐक नहि जन्म भेल बेलायतमे,
मिथिला धरती नसीब भेल एहि जाइतमे!

हरि: हर:!!

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ई दीपावलीक सुन्दर प्रभाव थिकैक…. सगरो फेसबुक पर सेहो दीप जेना गह-गह भरल बडि रहल अछि। जेना घरकेँ लोक सजेलक तहिना फेसबुक पेज सबहक दीपसँ जगमगा रहल छैक। आइयो भोरे उठि जखन न्युज फीडकेर दर्शन केलहुँ तँ देखायल जे मित्र सब अपना-अपना तरहें खूब प्रसन्नताक संग दिवाली मनौलनि। एहि सब बीच एकटा मर्मकेँ छूबयवाला पोस्ट सेहो पढलहुँ जाहिमे कहल गेल छल जे केकरो घर दियाबातीक बहार आ कतहु पेट भरि भोजनो पहाड…. संसारमे विभेद प्राकृतिक छैक आ जिम्मेवारी राजाक होइत छैक जे ओकर प्रजा कतहु भूखल तऽ नहि अछि। जाहि विश्वंभराक पूजा हेतु दीप जरबैत लोक हर्षोल्लासित होइत अछि हुनकर विधानमे त्रिविध कर्म – क्रियमाण, संचित व प्रारब्धक फल भोग सबहक लेल छैक। निरपेक्ष भावसँ संसारमे प्रकृतिजनित कर्म करैत चलू। लेकिन किछु रास फोटो एहि पोस्टक संग देबय जा रहल छी जे हमरा प्रभावित केलक।

फोटो १: मित्र विन्देश्वर मैथिल जे कतारमे रहैत छथि, ओतहु अपना तरहें दिवाली मनेला, भगवतीकेँ पूजा केलाह। _/|\_

फोटो २: झा चन्दन अपन आफिसमे दिवाली मनबैत, प्रभावित करयवाला ओज सहित। बहुत दिनसँ हिनकर कार्टुन जे मिथिला विशेष होइत अछि से आब जरुर भेटत कारण विश्वंभरा आबो कम सऽ कम जरुर आशीष देथिन से हमरो विश्वास अछि। बीचमे व्यस्तता बढि गेल छलन्हि। 

फोटो ३: मित्र विन्देश्वर मैथिल आ सब कियो मिलि जुलि बैचेलर लाइफमे फेस्टिवल केर टुगेदरनेसकेर मनलुभावन दृश्य। हमरो अपन जवानी याद आयल। 

फोटो ४: कुन्दन मैथिल अपन मैथिलानीक संग – मिथिलासँ दूर चहकिली कुमैर सहित दीपावलीक हैप्पीनेस एक्सप्रेस करैत। 

फोटो ५: दिल्लीक “हाँ-जी-नगरी”सँ अनुपम नाटककार-कलाकार संजय मैथिल अपन दुलरुआ छोटका बहिनोइकेँ “मैथिल भोजन” अर्थात् खेनाय कम आ छूतेनाय बेसीवला सचारक संग वर्तमान महंगाईमे सेहो मिथिलांग करैत लेकिन कानो पकडैत देखेलाह। 

फोटो ६: धीरेन्द्र भाइजी हमर छोटका भतीजाक संग…. भौजी चुनाव लैड रहल छथिन आ प्रचारक बेला गाम आबि गेल छथिन। एहिपर भाइजीक अपडेट गोपाल ठाकुरजीकेर भोजपुरिया ओ गीत – परदेशबामे किस्मत हमार बा, कि दिवालीमे मनमा अन्हार बा…. हमरा अपन दिन सबहक स्मृतिमे आनि देलक। दिवालीमे परिवारसँ दूर बड कष्ट होइत छैक… घरवाली यदि हमरासँ दूर रहैथ तऽ इम्पासिबल… बादमे शपथ खा लेने रही… एक बेर अपने दूर रही (हंगकंग)मे.. तहियो

बस, एतबीमे मस्त रहू।

हरि: हर:!!

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वाह, ई भेल सही डेग एक मैथिलक युवाकेर! ओ देखेलक असल मातृप्रेम आ केलक आह्वान दोगलइ देखेनिहारक विरुद्ध…. पहिले मातृभाषाक पिछडापण यदि दूर नहि होयत तँ राष्ट्रीयता मजबूत नहि भऽ सकैत अछि। एकरे कहल जाइत छैक गणतंत्र। अहाँ गामक लोककेँ अवहेलना कयकेँ दिल्लीक मजबूती लेल प्रेरणा कोना देबैक? बहुत सुन्दर क्रान्ति पसारनिहार छथि दीपक कुमार खाँ मैथिल आ जेना हमरा ओहि गाम आ क्षेत्र घुमबाक अवसर भेटल अछि…. अशोक मैथिल सन-सन युवा, रंजितजी सन-सन समर्पित अभियानी…. राघवजी समान कोमल, सुमधुर आ तत्पर मातृसेवक…. श्याम सुन्दर मैथिल समान कर्मठ लगारू नेता…. मिथिला लेल हो वा गामक विकास लेल हो…. चुनाव हो वा संघर्ष हो… हर तरहें सक्षम युवा आ तिनका संग देनिहार समस्त अभिभावकगण…. क्रान्तिक आगाज केनिहार रामनरेश, राजेश, नन्दलाल यादवजी, रायजी लोकनिक हम आभारी छी।

२०१३ केर दिपावलीमे सब कियो ओ दीप जरेलाह जे मिथिलापर जाइन-बुइझ लादल उपनिवेशवादक अन्हरिया मेटिये टा जेतैक। जय मैथिली! जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

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वाह, ई भेल सही डेग एक मैथिलक युवाकेर! ओ देखेलक असल मातृप्रेम आ केलक आह्वान दोगलइ देखेनिहारक विरुद्ध…. पहिले मातृभाषाक पिछडापण यदि दूर नहि होयत तँ राष्ट्रीयता मजबूत नहि भऽ सकैत अछि। एकरे कहल जाइत छैक गणतंत्र। अहाँ गामक लोककेँ अवहेलना कयकेँ दिल्लीक मजबूती लेल प्रेरणा कोना देबैक? बहुत सुन्दर क्रान्ति पसारनिहार छथि दीपक कुमार खाँ मैथिल आ जेना हमरा ओहि गाम आ क्षेत्र घुमबाक अवसर भेटल अछि…. अशोक मैथिल सन-सन युवा, रंजितजी सन-सन समर्पित अभियानी…. राघवजी समान कोमल, सुमधुर आ तत्पर मातृसेवक…. श्याम सुन्दर मैथिल समान कर्मठ लगारू नेता…. मिथिला लेल हो वा गामक विकास लेल हो…. चुनाव हो वा संघर्ष हो… हर तरहें सक्षम युवा आ तिनका संग देनिहार समस्त अभिभावकगण…. क्रान्तिक आगाज केनिहार रामनरेश, राजेश, नन्दलाल यादवजी, रायजी लोकनिक हम आभारी छी।

२०१३ केर दिपावलीमे सब कियो ओ दीप जरेलाह जे मिथिलापर जाइन-बुइझ लादल उपनिवेशवादक अन्हरिया मेटिये टा जेतैक। जय मैथिली! जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

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३ नवम्बर २०१३

महालक्ष्मी पूजन:

ध्यान:
या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी
गम्भीरावर्तनाभिस्तनभरनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया।
या लक्ष्मीर्दिव्यरूपैर्मणिगणखचितै: स्नापिता हेमकुम्भै:
सा नित्यं पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमाङ्गल्ययुक्ता॥
ॐ हिरण्यवार्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। ध्यानार्थे पुष्पाणि समर्पयामि। (ध्यान लेल फूल अर्पित करी।)

आवाहन:
सर्वलोकस्य जननीं सर्वसौख्यप्रदायिनीम्।
सर्वदेवमयीमीशां देवीमावाहयाम्यहम्॥
ॐ तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। महालक्ष्मीमावाहयामि, आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि। (आवाहन लेल फूल अर्पित करी।)

आसन:
तप्तकाञ्चनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम्।
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम्।
श्रियं देवीमुप ह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। आसनं समर्पयामि। (आसन लेल कमलक फूल अर्पित करी।)

पाद्य:
गङ्गादितीर्थसम्भुतं गन्धपुष्पादिभिर्युतम्।
पाद्यं ददाम्यहं देवि गृहाणाशु नमोऽस्तु ते॥
ॐ कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। पादयो: पाद्यं समर्पयामि। (चन्दन, फूल आदि सहित जल अर्पण करी।)

अर्घ्य:
अष्टगन्धसमायुक्तं स्वर्णपात्रप्रपूरितम्।
अर्घ्यं गृहाण मद्दत्तं महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥
ॐ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्।
तां पद्मनीमीं शरणं प्र पद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। हस्तयोरर्घ्यं समर्पयामि। (अष्टगन्धमिश्रित जल देवीकेँ हाथमे अर्पित करी।)

आचमन:
सर्वलोकस्य या शक्तिर्ब्रह्मविष्ण्वादिभि: स्तुता।
ददाम्याचमनं तस्यै महालक्ष्म्यै मनोहरम्॥
ॐ आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्व:।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मी:॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। आचमनीयं जलं समर्पयामि। (आचमन लेल जल चढाबी।)

स्नान:
मन्दाकिन्या: समानीतैर्हेमाम्भोरुहवासितै:।
स्नानं कुरुष्व देवेशि सलिलैश्च सुगन्धिभि:॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। स्नानं समर्पयामि। स्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि। (स्नानलेल जल फेर आचमन लेल जल अर्पण करी।)

दुग्ध-स्नान:
कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवनं परम्।
पावनं यज्ञहेतुश्च पय: स्नानार्थमर्पितम्॥
ॐ पय: पृथिव्यां पय ओषधीषु पयो दिव्यन्तरिक्षे पयो धा:।
पयस्वती: प्रदिश: सन्तु मह्यम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। पय:स्नानं समर्पयामि। पय:स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानण समर्पयामि। (गायकेर काँच दूधसँ स्नान कराय पुन: शुद्ध जल सँ स्ना कराबी।)

दधिस्नान:
पयसस्तु समुद्भूतं मधुराम्लं शशिप्रभम्।
दध्यानीतं मया देवि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ दधिक्राव्णो अकारिषं जिष्णोरश्वस्य वाजिन: सुरभि नो मुखा करत्प्र ण आयू‍ँ्षि तारिषत्।
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। दधिस्नानं समर्पयामि। दधिस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (दहीसँ स्नान, फेर शुद्ध जलसँ स्नान कराबी।)

घृतस्नान:
नवनीत समुत्पन्नं सर्वसंतोषकारकम्।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ घृतं घृतपावान: पिबत वसां वसापावान: पिबतान्तरिक्षस्य हविरसि स्वाहा। दिश: प्रदिश आदिशो विदिश उद्दिशो दिग्भ्य: स्वाहा॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। घृतस्नानं समर्पयामि। घृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (घी सँ स्नान आ फेर शुद्ध जलसँ स्नान कराबी।)

क्रमश:…..

हरि: हर:!!

पूर्वमे पोस्ट कैल आलेखसँ महालक्ष्मी पूजन विधि अन्तर्गत घृतस्नानसँ आगू:

मधुस्नान:
तरुपुष्पसमुद्भूतं सुस्वादु मधुरं मधु।
तेज:पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ मधु वाता ऋतायते मधु क्षरन्ति मधुमत्पार्थिव‍‍ँ्रज:। मधु द्यौरस्तु न: पिता॥ मधुमान्नो वनस्पतिर्मधुमाँ२ अस्तु सूर्य:। माध्वीर्गावो भवन्तु न:॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। मधुस्नानं समर्पयामि। मधुस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (मधुसँ स्नान आ फेर शुद्ध जलसँ स्नान कराबी।)

शर्करास्नान:
इक्षुसारसमुद्भूता शर्करा पुष्टिकारिका।
मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ अपा‌‍ँ्रसमुद्वयस‍‍ँ् सूर्ये सन्त‍‍ँ् समाहितम्। अपा‍ँ्रसस्य यो रसस्तं वो गृह्णाम्यत्तममुपयामगृहीतोऽसीन्द्राय त्वा जुष्टं गृह्णाम्येष ते योनिरिन्द्राय त्वा जुष्टताम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। शर्करास्नानं समर्पयामि, शर्करास्नानान्ते पुन: शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (शर्करासँ आ फेर शुद्ध जल सँ स्नान कराबी।)

पञ्चामृतस्नान:
पयो दधि घृतं चैव मधुशर्करयान्वितम्।
पञ्चामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ पञ्च नद्य: सरस्वतीमपि यन्ति सस्रोतस:।
सरस्वती तु पञ्चधा सो देशेऽभवत् सरित्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। पञ्चामृतस्नानं समर्पयामि, पञ्चामृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानण समर्पयामि। (पञ्चामृत स्नानसँ आ फेर शुद्ध जलसँ स्नान कराबी।)

गन्धोदकस्नान:
मलयाचलसम्भूतं चन्दनागरुसम्भवम्।
चन्दनं देवदेवेशि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नं:। गन्धोदकस्नानं समर्पयामि। (गन्धमिश्रित जलसँ स्नान कराबी।)

शुद्धोदकस्नान:
मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम्।
तदिदं कल्पितं तुभ्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (गङ्गाजल अथवा शुद्ध जलसँ स्नान कराबी।)

आचमन:
ॐ महालक्ष्म्यै नम: (आचमनक जल अर्पण करी।)

वस्त्र:
दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम्।
दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके॥
ॐ उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। वस्त्रं समर्पयामि, आचमनीयं जलं च समर्पयामि। (वस्त्र अर्पण करी, फेर आचमन लेल जल दी।)

उपवस्त्र:
कञ्चुकीमुपवस्त्रं च नानारत्नै: समन्वितम्।
गृहाण त्वं मया दत्तं मङ्गले जगदीश्वरि॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। उपवस्त्रं समर्पयामि, आचमनीयं जलं च समर्पयामि।
(कञ्चुकी आदि उत्तरीय उस्त्र चढाबी, आचमनलेल जल दी।)

मधुपर्क:
कांस्ये कांस्यने पिहितो दधिमध्वाज्यसंयुत:।
मधुपर्को मयानीत: पूजार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। मधुपर्कं समर्पयामि, आचमनीयं जलं च समर्पयामि। (काँस्यपात्रमे स्थित मधुपर्क समर्पित करी, आचमन लेल जल दी।)

आभूषण:
रत्नकङ्कणवैदूर्यमुक्ताहारादिकानि च।
सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरुष्व भो:॥
ॐ क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। नानाविधानि कुण्डलकटकादीनि आभूषणानि समर्पयामि। (आभूषण समर्पित करी।)

गन्ध:
श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्।
विलेपनं सुरश्रेष्ठे चन्दनं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्।
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोप ह्वये श्रियम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। गन्धं समर्पयामि। (अनामिका आंगुरसँ केसरमिश्रित चन्दन अर्पित करी।)

रक्तचन्दन:
रक्तचन्दनसम्मिश्रं पारिजातसमुद्भवम्।
मया दत्तं महालक्ष्मि चन्दनं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। रक्तचन्दनं समर्पयामि। (अनामिकासँ रक्तचन्दन चढाबी।)

सिन्दूर:
सिन्दूरं रक्तवर्णां च सिन्दूरतिलकप्रिये।
भक्त्या दत्तं मया देवि सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सिन्धोरिव प्राध्वने शूघनासो वात प्रमिय: पतयन्ति यह्वा:।
घृतस्य धारा अरुषो न वाजी काष्ठा भिन्दन्नूर्मिभि: पिन्वमान:॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। सिन्दूरं समर्पयामि। (देवीजीकेँ सिन्दूर चढाबी।)

कुङ्कुम:
कुङ्कुमं कामदं दिव्यं कुङ्कुमं कामरूपिणम्।
अखण्डकामसौभाग्यं कुङ्कुमं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। कुङ्कुमं समर्पयामि। (कुङ्कुम अर्पित करी।)

पुष्पसार (इतर):
तैलानि च सुगन्धीनि द्रव्याणि विविधानि च।
मया दत्तानि लेपार्थं गृहाण परमेश्वरि॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। सुगन्धितैलं पुष्पसारं च समर्पयामि। (सगन्धित तेल एवं इतर चढाबी।)

अक्षत:
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठे कुङ्कुमाक्ता: सुशोभिता:।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरि॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। अक्षतान् समर्पयामि। (कुङ्कुमयुक्त अक्षत अर्पित करी।)

पुष्प एवं पुष्पमाला:
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो।
मयानीतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ मनस: काममाकूतिं वाच: सत्यमशीमहि।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्री: श्रयतां यश:॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। पुष्पं पुष्पमालां च समर्पयामि। (देवीजीकेँ पु्ष्प ओ पुष्पमालासँ अलङ्कृत करी, यथासम्भव लाल कमलक फूलसँ।)

दूर्वा:
विष्णवादिसर्वदेवानां प्रियां सर्वसुशोभनाम्।
क्षीरसारसम्भूते दूर्वां स्वीकुरु सर्वदा॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। दूर्वाङ्कुरान् समर्पयामि। (दूर्वाङ्कुर अर्पित करी।)

अङ्गपूजा: रोली, कुङ्कुममिश्रित अक्षत व पुष्पसँ निम्न एक-एक मन्त्रसँ अङ्गपूजा करी:

ॐ चपलायै नम:, पादौ पूजयामि।
ॐ चञ्चलायै नम:, जानुनी पूजयामि।
ॐ कमलायै नम:, कटिं पूजयामि।
ॐ कात्यायन्यै नम:, नाभिं पूजयामि।
ॐ जगन्मात्रे नम:, जठरं पूजयामि।
ॐ विश्ववल्लभायै नम:, वक्ष:स्थलं पूजयामि।
ॐ कमलवासिन्यै नम:, हस्तौ पूजयामि।
ॐ पद्माननायै नम:, मुखं पूजयामि।
ॐ कमलपत्राक्ष्यै नम:, नेत्रत्रयं पूजयामि।
ॐ श्रियै नम:, शिर: पूजयामि।
ॐ महालक्ष्म्यै नम:, सर्वाङ्गं पूजयामि।

अष्टसिद्धि-पूजन
आठो दिशामे तहिना कुङ्कुमयुक्त अक्षत-पुष्पसँ:
ॐ अणिम्ने नम: (पूर्वे)
ॐ महिम्ने नम: (अग्निकोणे)
ॐ गरिम्णे नम: (दक्षिणे)
ॐ लघिम्ने नम: (नैऋत्ये)
ॐ प्राप्त्यै नम: (पश्चिमे)
ॐ प्राकाम्यै नम: (वायव्ये)
ॐ ईशितायै नम: (उत्तरे)
ॐ वशितायै नम: (ऐशान्याम्)

अष्टलक्ष्मी-पूजन
ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:
ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:
ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:
ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:
ॐ कामलक्ष्म्यै नम:
ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:
ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:
ॐ योगलक्ष्म्यै नम:

धूप:
वनस्पतिरसोद्भुतो गन्धाढ्य: सुमनोहर:।
आघ्रेय: सर्वदेवानां धूपऽयं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ कर्दमेन प्रजा भूता मयि संभव कर्दम।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम: धूपमाघ्रापयामि। (धूप आघ्रापित करी।)

दीप:
कार्पासवर्तिसंयुक्तं घृतयुक्तं मनोहरम्।
तमोनाशकरं दीपं गृहाण परमेश्वरि॥
ॐ आप: सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। दीपं दर्शयामि। (दीप देखबैत हाथ धोइ ली।)

नेवेद्य:
नैवेद्यं गृह्यतां देवि भक्ष्यभोज्यसमन्वितम्।
षड्रसैरन्वितं दव्यं लक्ष्मि देवि नमोस्तु ते॥
ॐ आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम्।
चनद्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह।
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। नैवेद्यं निवेदयामि, मध्ये पानीयम्, उत्तरापोऽशनार्थं हस्तप्रक्षालनार्थं मुखप्रक्षालनार्थं च जलं समर्पयामि।
(देवीजीकेँ नैवेद्य निवेदित करी आ जल हाथ पखारबाक लेल अर्पण करी।)

करोद्वर्तन: ॐ महालक्ष्म्यै नम: (कहैत चन्दन हाथमे उपलेपित करी।)

आचमन:
शीतलं निर्मलं तोयं कर्पूरेण सुवासितम्।
आचम्यतां जलं ह्येतत् प्रसीद परमेश्वरि॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:, आचमनीयं जलं समर्पयामि। (नैवेद्य निवेदन करबाक बाक आचमन लेल जल दी।)

ऋतुफल:
फलेन फलितं सर्वं त्रैलोक्यं सचराचरम्।
तस्मात् फलप्रदानेन पूर्णा: सन्तु मनोरथा:॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:, अखण्डऋतुफलं समर्पयामि, आचमनीयं जलं च समर्पयामि। (ऋतुफल अर्पित करी, फेर आचमन लेल जल दी।)

ताम्बूल-पूगीफल:
पूगीफलं महद्‌दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम्।
एलाचूर्णादिसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ आर्द्रा य: करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:, मुखवासार्थे ताम्बूलं समर्पयामि। (एला, लवंग, पूगीफलयुक्त ताम्बूल अर्पित करी।)

दक्षिणा:
हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसो:।
अनन्तपुण्यफलदमत: शान्तिं प्रयच्छ मे॥
ॐ तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:, दक्षिणां समर्पयामि। (दक्षिणा चढाबी।)

नीराजन:
चक्षुर्दं सर्वलोकानां तिमिरस्य निवारणम्।
आर्तिक्यं कल्पितं भक्त्या गृहाण परमेश्वरि॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:, नीराजनं समर्पयामि। (आरती करी तथा जल छोडी।)

प्रदक्षिणा:
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:, प्रदक्षिणां समर्पयामि। (प्रदक्षिणा करी।)

प्रार्थान: हाथ जोडिकय:
सुरासुरेन्द्रादिकिरीटमौक्तिकैर्युक्तं सदा यत्तव पादपङ्कजम्।
परावरं पातु वरं सुमङ्गलं नमामि भक्त्याखिलकामसिद्धये॥
भवानि त्वं महालक्ष्मी: सर्वकामप्रदायिनी।
सुपूजिता प्रसन्ना स्यान्महालक्ष्मि! नमोस्तु ते॥
नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरिप्रिये।
या गतिस्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात् त्वदर्चनात्॥
ॐ महालक्ष्म्यै नम:। प्रार्थनापूर्वकं नमस्कारान् समर्पयामि। (प्रार्थना करैत नमस्कार करी।)

अन्तमे, समर्पण:
कृतेनानेन पूजनेन भगवती महालक्ष्मीदेवी प्रीयताम, न मम।
(कहैत सब किछु भगवतीकेँ समर्पित करैत जल गिराबी।)

हरि: हर:!!

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हे मिथिलाक सपुत आ मिथिलासँ सिनेह रखनिहार मैथिल अभियानी! जाहि धरतीसँ स्वयं जगज्जननी सियारूपी “महालक्ष्मी” अवतरित भेल छथि तही धरासँ अपन जन्म पाबि अहाँ ओहिना बड भाग्य पाबि एहि मर्तभूमि संसारमे आयल छी। एहि जीवनक सराहना शब्द मात्रमे कि जँ एक छोटो टा कार्य अपन मातृभूमि मिथिला लेल नहि कय सकी? आपसी कटुता या अहंकार तँ ओकरा होइत छैक जे बेर-बेर ‘सिया-धिया’ पर कूदृष्टि देबाक जुर्रत या लीला करैत अछि, महाविद्वान् रहितो ओ रावणे कहाइत अछि आ मर्यादा पुरुषोत्तम राम यानि शील-विचार-कौशलसँ परिपूर्ण व्यक्तित्व द्वारा ओहिना हरायल जाइत अछि जेना गीतामे देल वचनक निर्वाह हेतु स्वयं परमेश्वर समस्त ब्रह्माण्डकेर रक्षा करैत आबि रहल छथि। सब हुनकहि लीला बुझैतो हमरा लोकनि भले केहेन कटुता वा अहंकारसँ अपन रुइया समान कोमल आ कुम्हरक बतिया समान तन्नूक जीवनमर्मकेँ बेर-बेर झरकायब वा सडायब? आउ, एकटा दिया आइ मिथिलामे पुन: सिया-धियाक ओहि गरिमामयी अवतारकेँ स्मृतिमे रखैत जराबी आ शपथ खाइ जे किछु बीति जायत, रावणरूपी दानव नहि बनब…. अहंकार, लोभ आ क्रोध धरि नहि करब…. नरकगामी नहि बनब…. ईमानदारिताक संग वगैर कोनो स्वार्थकेँ अपन मातृभूमिक अस्मिता आ आदर्श लेल कार्य करब जाहिसँ नहि मात्र भारतीय गणतंत्र वा नेपाल गणतंत्रमे मिथिला राज्यरूपी तुच्छ माँग टा पूरा होयत, बल्कि संसारकेँ फेर सँ वैह शक्ति, सामर्थ्य आ जीवनशैली प्रदान करब जेकर इतिहास मिथिला मात्रकेर पहिने सँ रहल अछि।

पाहुन राम आ महादेवकेँ फेरो यैह मिथिलामे आबय पडतैन ताहि तरहक सिया आ गौरी समान धिया सहित धीर-गंभीर-विद्वान् विद्यापति, मंडन, अयाची, सलहेश, लोरिक, दीना-भद्री, बंठा वीर समेत फेरो वैह संतानकेँ आगू पोसब जे विश्वकेर सनातन कल्याण करैत आबि रहल अछि। फेरसँ वैह बिया छीटब जे स्वत: मीठ फल देबयवाला आ महान सत्कर्म सहित अतिथिक सत्कार करयवाला आ हरेक व्यवहारमे वेदकेँ जियाबयवाला कर्तब्यकेँ पूरा करत।

दीप अज्ञानताक अन्हरिया दूर करबाक लेल जरायब,
ऊक बुद्धिपर चढल गलत आवरणकेँ जराबय लेल फेरब,
दरिद्राकेँ दुर भगाबय लेल घोषणा करक वास्ते सूप पीटब,
घरक चारू कात, सत्कर्मक स्वरसँ सियाक समर्थन करब,
शुद्ध-सात्त्विक आहार पान करब जे आत्मासँ परिष्कृत होयब!

सब किछु अपनहि हाथमे छैक, जेना मोन हो तेना चाहब, तहिना करब!!

हरि: हर:!!

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पूर्वमे पोस्ट कैल आलेखसँ आगू:

नैऋत्यकोणमे राहु आ वायव्यकोणमे केतुक स्थापना करी। सबहक आवाहन करी आ यथोपचारसँ सब ग्रहक पूजा करी। एक प्रार्थना जे पूर्ण ग्रह सबहक विशेषताकेँ मनन करबाक लेल पूर्ण अछि से धरि हम राखि रहल छी:

ॐ आवाहितसूर्यादिनवग्रहेभ्यो देवेभ्यो नम:।

प्रार्थना:
ॐ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: सर्वे ग्रहा: शान्तिकरा भवन्तु॥
सूर्य: शौर्यमथेन्दुरुच्चपदवीं सन्मङ्गलं मङ्गल:
सद्बुद्धिं च बुधो गुरुश्च गुरुतां शुक्र: सुखं शं शनि:।
राहुर्बाहुबलं करोतु सततं केतु: कुलस्योन्नतिं
नित्यं प्रीतिकरा भवन्तु मम ते सर्वेऽनुकूला ग्रहा:॥

कलश-पूजन:
जमीन वा कोनो पीढी ऊपर पीठार-सिनूर सँ अहिपन करैत – अष्टदलकमल बनबैत –

भूमिक स्पर्श –
ॐ भुरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्री। पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृ‍ँ्ह पृथिवीं मा हि‍ँ्सी:॥

सप्तधान्य (जौ, धान, तिल, कँगनी, मूँग, चना, साँवा) – मूलत: गेहूँ, चावल आ जौ सँ –

धान्यप्रक्षेप –
ॐ धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्वो दानाय त्वा व्यानाय त्वा। दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो व: सविता हिरण्यपाणि: प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि॥

ताहि धान ऊपर कलश-स्थापन –
ॐ आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:।
पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा न: सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशताद्रयि:॥

कलशमे जल –
ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्कम्भसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद॥ (जल छोडू कलशमे)

कलशमे चन्दन, सर्वौषधि (मुरा, जटामाँसी, वच, कुष्ठ, शिलाजीत, हल्दी, दारुहल्दी, सठी, चम्पक, मुस्ता), दूब, पञ्चपल्लव (बरगद, गूलर, पीपल, आम, पाकड), पवित्री, सप्तमृत्तिका (घुडसाल, हाथीसाल, बाँबी, नदिक संगम-स्थल, राजाक द्वार आ गोशाला – एहि सात ठामक माटि), कलशमे सुपारी, पञ्चरत्न (सोना, हीरा, मोती, पद्मराग आ नीलम), द्रव्य, वस्त्र आ पूर्णपात्र (चाउरसँ भरल पूर्णापात्र सरवा आदि), ताहिपर सँ लाल कपडामे लपेटल मुदा मुँह देखाइत नारियल राखी। (यथासाध्य – जे जुडय से राखी।)

आवाहन वरुण देवताकेँ करैत यथोपचारसँ पूजा करी। कलशमे समस्त देवी-देवताक आवाहन करैत प्राण-प्रतिष्ठा करैत पूजा करी। पूजाक विधि गणेशजी समान सबहक पूजामे चलत।

प्रार्थना आ नमस्कार –
देवदानवसंवादे मथ्यमाने महोदधौ।
उत्पन्नोऽसि तदा कुम्भ विधृतो विष्णुना स्वयम्॥
त्वत्तोये सर्वतीर्थानि देवा: सर्वे त्वयि स्थिता:।
त्वयि तिष्ठन्ति भूतानि त्वयि प्राणा: प्रतिष्ठिता:॥
शिव: स्वयं त्वमेवासि विष्णुस्त्वं च प्रजापति:।
आदित्या वसवो रुद्रा विश्वेदेवा: सपैतृका:॥
त्वयि तिष्ठन्ति सर्वेऽपि यत: कामफलप्रदा:।
त्वत्प्रसादादिमां पूजां कर्तुमीहे जलोद्भव।
सांनिध्यं कुरु मे देव प्रसन्नो भव सर्वदा॥
नमो नमस्ते स्फटिकप्रभाय सुश्वेतहाराय सुमङ्गलाय।
सुपाशहस्ताय झषासनाय जलाधिनाथाय नमो नमस्ते॥
ॐ अपां पतये वरुणाय नम:।
ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नम:, प्रार्थनापूर्वकं नमस्कारान् समर्पयामि।

क्रमश:….

हरि: हर:!!

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२ नवम्बर २०१३

हमरा मिथिलाक कट्टर समर्थक कहू या कार्यकर्ता…. जे कहबाक हो से चलत…. आ ताहि हेतु हिन्दीक पोस्ट सबमे आ जथाभावी फोटो सबमे टैग करबाक जरुरत नहि… एहिसँ हमर सुन्दर मैथिल-तन-मन-रूपी फेसबुक पेज बर्बाद दिवाना सनके लगैत अछि जाहिसँ अपनहि घृणा होमय लगैत अछि। जँ कोनो जरुरतक बात हिन्दीमे हो, अंग्रेजीमे हो तँ जरुर चलत…. हमहुँ दैत रहैत छी… लेकिन फोटो-फाटो मिथिलाक कमी नहि आ ओकर सुन्दरताक वर्णन दोसर सँ नहि... अहाँपर बाहरी उजमाइर अछि, मजा लैत रहू, हमरा ओहेन मजामे संग लेबाक दरकार नहि।

आब जदि टैग करब तँ हम मैसेज सेहो नहि करब आ दोस्तक सूचीसँ हँटाबयके अलावे दोसर कोनो चारा नहि बचत, ताहि लेल हमरा कठोर बनयपर मजबूर नहि करू। विशेषरूपसँ छौंडा-माँरडिवाला पोस्ट सब, एकदम नहि। अहाँकेँ हिन्दी आ अंग्रेजी शुरु केना कम दिन वा किछु दिन भेल होयत, हम रिटायर्ड प्लेयर छी एहि दुहो भाषाक। कृपया बात बूझी!

हरि: हर:!!

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दिवालीपर हेल्लो मिथिलाक विशेष प्रस्तुति, बहुत प्री लागल!

जगमग ई सृष्टि तखने दिवाली छी
प्रेम चेतना जागि पडय तखने दिवाली छी

तेल आ पुरातन के हुक्का लोली बनाऊ
पलपल नव दीप जरय तखनय दिवाली छी

नेहकेर धार बहत मनक जग ज्योतिर्मय
हर्खक फूलझडी झडय तखनै दिवाली छी…

अन्न-धन लक्ष्मी आबय दरिद्रा बहार हो
रंगोली रंग भरय तखनै दिवाली छी….

राम शक्ति आगूमे रावण न जीत सकत
रावण जखने जडय तखनै दिवाली छी….

प्रेम चेतना जागि पडय तखनै दिवाली छी
जगमग ई सृष्टि करय तखनै दिवाली छी

हरि: हर:!!

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मधुर संस्मरण

हमरा सहित बहुत मैथिलक
सुच्चा-सात्त्विक मार्गदर्शक
यथार्थ नेतृत्वकर्ता व्यक्तित्व
मिथिलाक कण-कणमे रचल-बसल
हेलो मिथिलाक संचालनसँ
समग्र मिथिलामे क्रान्तिक प्रसारक
धीरेन्द्र प्रेमर्षि भाइजीक संग
आदरणीय राजेन्द्र विमलकेर गजल
“राम-शक्ति आगाँमे रावण ने टीकि सकत
रावण जखने डरए तखने दिवाली छी
प्रेम-चेतना जागि पडए तखने दिवाली छी
जगमग ई सृष्टि करए तखने दिवाली छी”
एकर अतिरिक्त लगभग ४ पाराक गीत
एकदम आधुनिक लेकिन समुचित सुमधुर
संगीत संग सुन्दर धुनमे बजबैत
पैछला वृहस्पति दिन कान्तिपुर एफ एम पर
अपन जीवनक गदहा जनम टूटल छल!

– अर्थात् जाहि ठाम जेबाक लेल करोडों मैथिल सपना देखैत होयत ताहिठाम जगज्जननी सिया आ बाबा पशुपतिनाथ हमरो जेबाक अवसर प्रदान केलैन। सचमे आधा घंटा केना निकैल गेल से बुझियो नहि सकलहुँ… डर सऽ लेकिन हालत खराब छल… कारण जतेक लोकक साक्षात्कार धीरेन्द्र भाइजी लेने छथि आ जाहि तरहें विवेकक कसौटीपर कसल, मानवताक एकमात्र धर्मसँ गाँथल प्रश्न सब सुनने रही ताहिसँ पूर्ण दबावमे रही कि अनलाइन रेडियो वार्तामे अपनाकेँ कोना प्रस्तुत कय सकब…. मैथिलक गुणजे अपना सऽ छोट लग भुबकी सेहो झाडि दैत छैक… लेकिन जेठ-श्रेष्ठ आ तेज-तर्रार अनुभवी बड भाइक सामने बिलैड बनहेमे कल्याण…. ताहि तरहक प्रकृतिसँ अपनाकेँ कमजोर बुझैत रही…. डरक विषयमे भाइजीकेँ पहिले कहि देने रहियैन…

आ बचि गेलहुँ… भने अधे घंटाक कार्यक्रममे रही… ओ आजुक कार्यक्रम जेकर विशालता भारत, नेपाल आ विश्वक हर कोणमे मैथिल लेल बेसी छैक “हेलो मिथिला” ताहिमे रहितहुँ तँ सत्रह बेर पाइन पिबय पडैत…

लेकिन संछिप्तमे बड नीक अनुभव रहल आ जरुर आब हिम्मत बढल जे दोसर बेर मौका देता भाइजी तँ हेल्लो मिथिलापर सेहो विशाल श्रोतावर्ग सबकेँ सामना कय सकब…. आ से बाबाक दया सँ एखन लगले रहत। बड दिनक बाद काठमान्डु अयबाक-जयबाक अवसर हाथ आयल अछि….!

हम हृदयसँ एहि सुनहरा मौका आ प्रियगर अनुभव लेल भाइजीकेँ धन्यवाद दैत छियन्हि आ भाइजी सहित भौजीक सफलता लेल बेर-बेर ईशसँ कामना करैत छी।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

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United we win, divided we fall!!

Same as we have fallen by various types of misleadership since 1905 – there are number of instances you take a book on journalism in Maithili and study hard for how Maithils have truly fought for their identities remain recognized in India…. 1912 was the first ever dodging they were awarded and then came assurances by Indian Congress since 1920 that state will be formed on basis of language on one hand and on another their language Maithili was rejected by the same party senior men like Dr. R. Prasad and Dr. Sachchidaanand Sinha despite note of dissent put by Dr. A. Jha in favor of Maithili….. yet again the election manifesto of Indian Congress party almost gave a consolation to Maithils and several other lingual claimants that their natural justices will come in form of state to be formed on basis of language…. however, again there were confusions and rejection of the ground and since then the confusions remain and Mithila is denied despite scholars tried their level best to get approval on basis of numerous facts, the SRC and JL Nehru Government rejected the demand. Indeed, the language Maithili was regarded in 1965 by Sahitya Academy and finally in 2002-03 the same was also regarded to be honorably placed in 8th Schedule of Indian Constitution. And, now in 2013, the bill has been tabled. The talks of town is on height and again the insiders and intruders are disturbed if Mithila will become a state and they may lose their weight-age in present politics. So, those who are real seekers must understand the gravity of the moment and continue the struggle together.

Harih Harah!!

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Every article explains what Mithila is and where, which constituencies, what geography, demography it would hold. Finally, the MP from Darbhanga has put up a bill in LS which may pop up for debate on floor in upcoming winter session. Time will come when people will know the exact essence of that. I salute to those workers of Mithila who have been striving since 1940 to get it recognized as a state of Indian Republic. I also regret and condemn the activities of insiders who for their own sake play dirty roles and mislead the agencies and common people to not connect with this genuine demand. It has been mostly from some of the cunning and foolish selfish politicians who wish to rule over Mithila through Bihar by dividing on castes and classes. Harih Harah!!

PS: Also, you can see a video in this article discussing the threat of terrorist hide outs in Mithila. Harih Harah!!

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मंगलाशंसा: आभ्युदयिक अभ्यर्थना

उदिह्युदिहि सूर्य वर्चसा माभ्युदिहि। यांश्च पश्यामि यांश्च न तेषु मा सुमतिं कृधि तवेद् विष्णो बहुधा वीर्याणि। त्वं न: पृणीहि पशुभिर्विश्वरूपै: सुधायां मा धेहि परमे व्योमन्॥१॥

हे सूर्य! उदयकेँ प्राप्त होइयौ। उदयकेँ प्राप्त होइयौ। आर अपन तेजसँ हमरा प्रकाशित करू। जेहि प्राणीकेँ हम देखैत छी आ जेकरा नहियो देखैत छी – ओ सबहक विषयमे हमरा सुमतिसहित बनाउ। अपने हमरा विभिन्न रूपवला पशु सबसँ पूर्ण करू आर परम आकाशमे हमरा अमृतमे धारण करू।

त्वं न इन्द्र महते सौभगायादब्धेभि: परि पाह्यक्तुभिस्तवेद् विष्णो बहुधा वीर्याणि। त्वं न: पृणीहि पशुभिर्विश्वरूपै: सुधायां मा धेहि परमे व्योमन्॥२॥

हे इन्द्र! अपने हमरा लोकनिकेँ पैघ सौभाग्यक लेल नहि दबयवला प्रकाश सबसँ हर तरहें सुरक्षित राखू। अपने हमरा विभिन्न रूपवला पशु सबसँ पूर्ण करू आर परम आकाशमे हमरा अमृतमे धारण करू।

त्वमिन्द्रस्त्वं महेन्द्रस्त्वं लोकस्त्वं प्रजापति:। तुभ्यं यज्ञो वि तायते तुभ्यं जुह्वति जह्वतस्तवेद् विष्णो बहुधा वीर्याणि। त्वं न: पृणीहि पशुभिर्विश्वरूपै: सुधायां मा धेहि परमे व्योमन्॥३॥

हे देव! अपने इन्द्र थिकहुँ। अपने महेन्द्र थिकहुँ। अपने लोक-प्रकाशपूर्ण थिकहुँ। अपने प्रजापालक थिकहुँ। यज्ञ अपने लेल पसारल जाइत अछि। एवं हवन करनिहार अपनेक लेल आहुति आदि दैत छथि। अपने हमरा विभिन्न रूपवला पशु सबसँ पूर्ण करू आर परम आकाशमे हमरा अमृतमे धारण करू।

असति सत् प्रतिष्ठितं सति भूतं प्रतिष्ठितम्। भूतं ह भव्यं आहितं भव्यं भूते प्रतिष्ठितं तवेद् विष्णो बहुधा वीर्याणि। त्वं न: पृणीहि पशुभिर्विश्वरूपै: सुधायां मा धेहि परमे व्योमन्॥४॥

हे देव! अपने असत् मे अर्थात् प्राकृतिक विश्वमे सत् अर्थात् आत्मा हैं, सत् मे अर्थात् आत्मामे उत्पन्न भेल जगत् थिकहुँ। भूत होनिहारमे आश्रित थिकहुँ। होनिहार भूतमे प्रतिष्ठित भेल छी। अपने हमरा विभिन्न रूपवला पशु सबसँ पूर्ण करू आर परम आकाशमे हमरा अमृतमे धारण करू।

शुक्रोऽसि भ्राजोऽसि। स यथा त्वं भ्राजता भ्राजोऽस्येवाहं भ्राजता भ्राज्यासम्॥५॥

अपने तेजस्वी छी, अपने प्रकाशमेय छी, जेना अपने तेजस्वी छी, तहिना हमहुँ तेजसँ प्रकाशित होइ।

रुचिरसि रोचोसि। स यथा त्वं रुच्या रोचोऽस्येवाहं पशुभिश्च ब्राह्मणवर्चसेन च रुचिषीय॥६॥

अपने प्रकाशमान छी, अपने देदीप्यमान् छी, जेना अपने तेजसँ तेजस्वी छी, तहिना हमहुँ पशु एवं ज्ञानक तेजसँ प्रकाशित होइ।

उद्यते नम उदायते नम उदिताय नम:। विराजे नम: स्वराजे नम: सम्राजे नम:॥७॥

उदित होनिहारकेँ नमस्कार अछि, ऊपर एनिहार लेल नमस्कार अछि, उदयकेँ प्राप्त भेलकेँ नमस्कार अछि, विशेष प्रकाशमानकेँ नमस्कार अछि, अपन तेजसँ चमकनिहारकेँ नमस्कार अछि, उत्तम प्रकाशयुक्तकेँ नमस्कार अछि।

अस्तंयते नमोऽस्तमेष्यते नमोऽस्तमिताय नम:। विराजे नम: स्वराजे नम: सम्राज्ये नम:॥८॥

अस्त होनिहारकेँ नमस्कार अछि, अस्तकेँ गेनिहारकेँ नमस्कार अछि, अस्त भेलकेँ नमस्कार अछि, विशेष तेजस्वी, उत्तम प्रकाशमान आ अपन तेजसँ प्रकाशित भेनिहारकेँ नमस्कार अछि।

स्रोत: अथर्ववेद

ॐ तत्सत्!

हरि: हर:!!

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Everybody knows the fact. Nitish Kumar , Cheif Minister Of Bihar has truly lost the same track of trust he developed with a winning alliance with BJP and thus on back foot and desperate to win the confidence of the public. But it is done with capacity and better understanding, not simply with an inner motive to keep people divided on the name of religion, castes and the so called secularism. I was a very big fan of this leader but regret to see the present frustration all around.

Harih Harah!!

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१ नवम्बर २०१३

हमरा समर्थन आइ धरि केकरो सँ माँगय नहि पडल अछि…. नहि तँ फेसबुकपर आ नहिये धरातलपर…. तखन समर्थनकेर कमी कतहु नहि खलल… जनैत छियैक किऐक? एकर एकमात्र कारण छैक जे वगैर स्वार्थ बस समर्पण भावना सँ यदि हम जनकल्याणकारी योजनापर कार्य करब तँ सबहक सहयोग भेटब साश्वत सत्य थिकैक आ एकर योगक्षेम स्वयं त्रिलोकक स्वामी देखैत छथिन। बस समर्पणमे यदि कोनो तरहक आसक्ति रहत तँ हमर हार निश्चित अछि।

एक बेर फेर याद करा दी, कारण कतहु-कतहु एहेन बात होइत रहैत छैक जे आरौ तोरी के… फल्लम्मो नेता बनबाक चेष्टा कय रहल अछि…. आ जेना धठा डेराइत इन्सेक्योरिटी संग इन्फेरियरिटीक शिकार होइत स्वयं अपन गरिमाकेँ कतहु न कतहु बट्टा लगौलाह… नहि कि हमरा तरफ सँ किनको कहियो ओहि तरहें छूपा-चुपा वार कैल गेलनि…. तहिना बहुतोमे सन्देहक अवस्था आ ताहि तरहें दिन-राति चुगलखोरी षड्यन्त्र करबाक आदति चलि पडल छल, अछि आ ओ रहबो करत, कृपया ई याद राखी:

हमरा राजनीति नहि करबाक अछि, हमरा राजनेता नहि बनबाक अछि
हम छी मैथिल मिथिलावासी, बस शुद्ध संस्कृति जोगेबाक अछि!

हमर भाषा अछि बड़ स्वच्छ शुद्ध, व्यवहार में उतारी सच के बुद्ध
अगबे गप मारय के प्रवृत्ति विरुद्ध, हम छेड़ने छी महाभारत के युद्ध!

नहि करी फुसिये के काज हम, पेपर में केवल नाम हम
नहि बल अपन न गम अपन, ईशक बनी शरणागत हम!

नहि राजक लोभ नहि ऐश्वर्यक, बस ई चाही जे मानव बनी
मानवता के सर्वोपरि धर्म मात्र, सभक लेल कल्याण चाही!

मिथिला में ऋषि-मुनि-ज्ञानीजन, सदिखन अवतरित होइत रहल
एहि बुनियाद पर जौँ फेर राज बनत, एहि लेल प्रार्थी हमहुँ बनल!

जय मैथिली! जय मिथिला!

Save Saurath Sabha – Save Mithila!

Jay Maithili – Jay Mithila!!

Harih Harah!!
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हरि: हर:!!

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झूठ-कैचर मशीन

हमरा लग एगो झूठ पकडबाक मशीन अछि…. ओकर सिस्टम छैक…

अहाँ लोकक घोषणा देखू – पैछला ६ महीनामे ६ तरहक घोषणा केने हो आ ६ मे सँ कोनो १ कूथि-पाइद सफल भेल हो ५ गो रिक्त निकैल गेल हो तँ ओकरा पूर्णरूपेण अटेन्सनसिकर मानैत झूठक पुलिन्दा बुझैत परित्याग केला सँ होइत छैक।

ओ मशीन अहाँकेँ एहि तरहें आरो बहुतो रास अन्तर्संचालन पद्धतिसँ देखा दैत अछि जे सावधान भऽ जाउ वा फेर ओहेन संगतकेँ परित्याग करू तँ भला होयत।

ओना रामचरितमानसकेर सुन्दरकाण्ड जरुर नीकसँ मनन करू, ई मशीन हमरा ओहीपर साधना करैत-करैत प्राप्त भेल छल।

हरि: हर:!!

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एक ऐतिहासिक फैसला: भारतके हितमें सर्वोच्च न्यायालयके द्वारा

कल अक्तुबर ३१ को सर्वोच्च न्यायालयके द्वारा यह ऐतिहासिक फैसला दिया गया है कि पोलिटिकल बौसके कृपासे सिविल सर्वेन्ट का पदोन्नति या कार्य करनेकी प्रतिभा कतइ प्रभावित नहीं होगी… बहुत अच्छा लगा और इसका पूरा लाभ भारत जैसी प्रजातंत्रको कुशलतापूर्वक संचालित करनेका तीनमें से एक मजबूत स्तम्भ यानि ‘प्रशासिका’को पूरा स्वतंत्रता मिलेगा ऐसा हम विश्वास कर सकते हैं और यह देशके भविष्यके लिये अच्छा होगा…. अब सेटिंग करके कमीशनखोरी भी घटेगा ऐसा मेरा विश्वास कह रहा है। पूरी बातें अरुण जेटलीजीका अपडेटमें पढो।

हरि: हर:!!

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जे नेता छैक तेकर सम्मान कहाँ कियो करैत छैक? जे नेतृत्वकेर क्षमता रखैत छैक तेकरापर तँ हमरा लोकनि अनावश्यकरूपमे अपन निजी कल्पनासँ कतेको तरहक आरोप लगबैत ओकर क्षमतापर कुँठा लगा दैत छियैक। केकरो कडा वाणीसँ घृणा तऽ केकरो गोलमटोल गपसँ तऽ केकरो कर्महीनतासँ…. सब दिन समस्याक कडी जुडले रहल अछि आ जे बिहार सरकार के चमचागिरी करैत खूब पाइ लूटैत अछि, आ थोड-बहुत लूटेबो करैत अछि, जे जाति-पातिमे समाजकेँ तोडैत अछि तेकरा हम सब चुनिकय पटा दैत छियैक – वा एना कही जे नहियो चुनैत छियैक तऽ ओ अपन छलबलसँ निर्वाचित होइत अछि ५ वर्ष तक रेलमपेल-बलधकेल शासन चलबैत अछि… फूइसक जन-प्रतिनिधि बनैत अछि आ हमरा लोकनिक नेता कहेबे करैत अछि। ओकरा बालो न मतलब रहि जाइत छैक कि मिथिला आ कि मैथिली…. बस ओकर कतेक पाइ चुनाव जितयमे आ चमचा मथरयमे खर्च भेलैक ताहिपर ओकर ध्यान रहैत छैक…. कतेक टकाकेर दारू-तारी-मलफाइ उडबैत प्रशासनसँ लैत स्थानीय स्वशासनमे लगानी भऽ रहल छैक आ कतेक माल बिहार सरकारक खजानासँ ओ कमीशन खुआबैत उडबैत अछि…. यैह तऽ थिकैक आइ ६६ वर्षसँ स्वतंत्र भारतक सरकारी शासन संचालन परंपरा आ वैह कहाइत अछि नेता। बाकी जे समाजसेवा वा स्वस्फूर्त सेवामे अपन समय, खर्च, लगानी करैत समाजमे विकास लेल छोटो टा डेग उठबैत अछि ओकरा सब दिना सबहक बात-लात सुनहे पडैत छैक, कारण ई कलियुग थिकैक। मिथिलाक आध्यात्मिक स्वरूप लेल आइयो ओकरे हस्ती चलैत छैक, आ असलियतमे वैह नेता थीक जे गृहस्थ रहितो भगवद्भक्त आ पूर्ण त्यागी अछि। अर्थात् विदेहराज जनकक प्रतिमूर्ति अछि। चिन्ता एकदम नहि करू जे मिथिला अनाथ अछि, ई हमरा-अहाँक भ्रम भऽ सकैत अछि। आइयो ई सौभाग्य मिथिले समाजक छैक जे फल्लाँ मुखिया जेकरा सब इज्जत दैत छैक – चिल्लाँ मैनजन जेकर बातकेँ कियो काटयके हिम्मत नहि कय सकैत छैक….. ओ सब मिलि हर गामक सुसंस्कार-सुशासनकेँ अपन परंपरानुसार चला रहल छथि। जरुरत छैक तऽ अपन कर्तब्य निर्धारण करैत लगानी देबाक आ दोसरक चरित्र-चित्रण कम करैत ईमानदार प्रयासकेँ प्रोत्साहन देबाक। समय आबि गेल छैक, आ काजो भऽ रहल छैक। हमर उम्मीद कहि रहल अछि जे आगामी २०१४ केर आम चुनाव तक भगवती सब किछु रास्तापर राखि देथिन। अपन-अपन प्रयासमे जरुर सब कियो लागल रहू आ एकता कोना बनैत छैक ताहिलेल कार्य करबाक शैली बुझू। हरि: हर:!!

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एहि बेरुक मिथिला ग्रामीण जागरण यात्रामे जेना गलमा गामक अनुभव भेटल – जे विद्यापति सहित विभिन्न मिथिला महिमा गानकेर टोली संग जनगणकेँ बुझेनाय बहुत आसान आ मर्मसँ भरल होइत अछि। ताहि हेतु आगामी समयमे जखन कोनो यात्राक आयोजन कियो करी तऽ जरुर ओहि अभियानमे मिथिला गानकेँ समेटैत आगू बढय जाउ। अपार सफलताक चाबी मिथिलाक महिमागानमे मात्र देखा रहल अछि। हरि: हर:!!

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