विद्यानन्द बेदर्दी – नेतृत्व कला सँ सम्पन्न युवा लेखक-कवि-गजलकार

विशिष्ट व्यक्तित्व परिचयः युवा कवि-लेखक-गजलकार संग छात्र नेता आ मैथिली भाषा-संस्कृति अभियन्ता ‘विद्यानन्द बेदर्दी’

नेतृत्व केनाय एकटा कला थिकैक। ई कला बच्चे उमेर सँ व्यक्ति मे विकसित होबय लगैत छैक। एहने एक गोट बच्चा हमरा भेटल छल विराटनगर मे ‘विद्यानन्द बेदर्दी’। विद्यालय कालहि सँ एहि बच्चा मे लेखनी कला विकसित भ’ गेल छलैक। लेखन मे जेकर रुचि जागि गेल ओकर परिचिति जल्दिये दहोंदिश पसरनाय शुरू भऽ जाइत छैक। मैथिलीक गतिविधि मे जहिया ई बच्चा संग भेंट भेल, ताहि सँ पहिनहि सँ फेसबुक जेहेन सामाजिक संजाल मे एकर लेखनीक विशिष्टता मन मोहने रहय। भेंट भेलाक बाद बच्चाक रुचि मे मैथिली प्रति सेवाक ललक देखि ई विश्वास बढि गेल जे एकरा मे नेतृत्व क्षमता सेहो विकसित हेतैक। विराटनगर सँ ‘प्लस २’ पास कय काठमान्डू चलि गेल, इंजीनियरिंग केर तैयारी पूरा केलक। आर प्रतियोगिता परीक्षा मे बैसल तऽ एक्के बेरक प्रयास मे अप्पन नाम सेहो निकालि लेलक। स्पष्टे अछि जे पढाई मे सेहो ओकर प्रतिभा बहुत प्रशंसनीय छलैक। आर, एखन ओ धरान स्थित पुर्वाञ्चल इंजीनियरिंग कैम्पस मे तेसर वर्षक छात्र रहैत ओतय सेहो अपना भीतर रहल साहित्य सेवाक ललक संग नेतृत्व क्षमता केँ एक गोट छात्र नेताक रूप मे सम्हारि रहल अछि।
 
सभक लाड़-प्यार भेटैत रहलैक अछि ‘विद्यानन्द बेदर्दी’ केँ। सप्तरी जिलाक राजविराज सँ बेस जुड़ाव रहलैक। ओतय वरिष्ठ लेखक आ शिक्षाविद् देवेन्द्र मिश्र केर सान्निध्य सँ लैत एक सँ बढिकय एक अभियानी, संचारकर्मी, लेखक-साहित्यकार आ युवा साहित्यिक-सांस्कृतिक अभियन्ता लोकनिक संगत विद्यानन्द केर अलौकिक सम्पदा मे गानल जा सकैछ। जा धरि विराटनगर मे रहल, हरेक गतिविधि मे स्वयंसेवक केर रूप मे सहयोग लेल अग्रसर रहल छल। जखन जाय लागल छल त हमरा बड़ा उदास लागय लागल…. विद्यानन्द गेलाक बाद ओकर मित्र नारायण मधुशाला सहित किछु आरो छात्र सब तितिर-बितिर भऽ गेल। विराटनगर मे एहि छात्र आ युवा मैथिलीकर्मी सभ केँ संग लैत जेना ३ बेर अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली अभियान कयलहुँ से करबाक हिम्मत आब नहि भऽ रहल अछि। लेकिन विद्यानन्द आ गजेन्द्र गजुर सहित कतेको रास मित्र आ युवा अभियन्ता लोकनि एखन क्रान्ति सप्तरी जिला मे शिफ्ट कय देलक तेना बुझाइत अछि। समय-समय पर खबरि अपनहुँ लोकनि पढिते होयब, एकरा लोकनि द्वारा आयोजित कतेको रास अभियान बड़का-बड़का आलोचक केँ मुंह पर ताला लगेबाक लेल सक्षम होइत अछि। आब त स्वयं देवेन्द्र मिश्र सर संग सुभाष विरपुरिया भाइ आ अनेकों नव-पुरान स्वयंसेवी लोकनिक बेजोड़ संगम बनि गेल छैक। मिलाफ – मिथिला साहित्य कला प्रतिष्ठान नेपाल केर बैनर मे विगत २ वर्ष सँ लगातार जमीनी अभियान चलाकय मिथिलाक आमजन मे भाषा आ साहित्यक संग लोककला, संस्कृति, आदिक प्रचार-प्रसार कय रहल छथि सब कियो।
 
प्रशंसा ओकरे होइत छैक जेकर काज महत्वपूर्ण हो – आइ जखन समाचार पढलहुँ जे शहर सँ गाम दिश ई साहित्यिक-सांस्कृतिक अभियान पहुँचब शुरू कय देलक, तखन बर्बस मुंह सँ ‘वाह-वाह’ निकलब शुरू भऽ गेल। विद्यानन्द केँ कहलियैक, “बहुत नीक काज कय रहल छी अहाँ सब। ई भेलैक काज।” त जबाब दैत कहलक, “हँ, आब योजनावद्ध काज सब सेहो करबाक अछि। सप्तरीक सब गाउँपालिकामे मिलाफके शाखा विस्तार करब।” हम फेर कहलियैक, “बहुत उचित बात कहलहुँ। खाली गप मारि देला स काज कम आ हल्ला ‘बाभन-कायस्थ’ वला बेसी होइत छैक। यैह जमीन पर जा कय सब केँ जगेनाय आ बुझेनाय जरूरी छैक जे बड़का कहेनिहार कहियो नहि करत…. बस ओ अपने मे मस्त रहयवला आलीशान सुविधा मे मगन रहत। ताहि लेल ई जिम्मेवारी स्वयं हम सब जे पाछाँ पड़ल लोक केँ प्रेम करैत छी, ओकरा करय पड़त।” विद्यानन्द कहैत अछि, “सप्तरी पूरा करब पहिल लक्ष्य अछि। तकर बाद आन आन जिलामे सेहो करब। अहाँ सभक मार्गदर्शन आ उत्साहवर्धन लेल सदैव आभारी रहब अपनेक।” पुनः हमर जबाब छल, “बहुत सुन्दर योजना। आगू बढैत रहू। २-३ टा बात पर सदिखन ध्यान दीः *दहेज मुक्त मिथिला केर शपथ सब ठाम लोक सब सँ जरूर लियाबी। *स्वच्छता मे रहनाय आ साफ-सुथड़ा रहला सँ बीमारी सँ बचबाक संग-संग धिया-पुता मे उच्च संस्कार अबैत छैक। ई जन-जन केँ सिखेनाय, बच्चा सब केँ खास कय केँ। *मैथिली भाषा मे बजनाय, लिखनाय आ पढनाय – ई बहुत आवश्यक छैक। जँ नहि करत त ओकरा दोसर भाषाक गुलाम बनिकय अपन निजता सँ दूर रहय पड़तैक, जे गलत बात भेल। नेपाल मे मधेशी केर दुर्गति केर मुख्य कारण ई थिक। युवा कवि-गजलकार आ साहित्यिक-सांस्कृतिक अभियन्ता विद्यानन्द बेदर्दी पुनः अपन प्रतिबद्धता प्रकट करैत कहलक, “जी, जरूर।”
 
हृदय सँ शुभकामना विद्यानन्द! समस्त युवा अभियानी! भाषा एकमात्र ओ आधार थिक जेकर महत्व जन-जन केँ बुझय पड़त, विकासक पहिल सूत्र एतहि सँ आरम्भ होइत अछि।
 
हरिः हरः!!