मिथिलावादक मूल शत्रु के? निष्क्रियता आ शिथिलता या राजनीतिक नैराश्यता?

विचार

– प्रवीण नारायण चौधरी

यथार्थ चिन्तन वर्सेज खोखला-ढकोसला ‘ईज्म’
 
हमर मिथिलावासी केँ जेहेन माटि-पानि-आवोहवा भेटल छन्हि ताहि मे सवा कट्ठाक उपज सँ ओ आत्मसन्तोषक संग जीवन निर्वाह कय सकैत छथि, मुदा अयाची मिश्र केर बाद एखन धरि दोसर किनको नाम एहि आत्मसन्तुष्टक सूची मे नहि देखल गेल अछि। गाम-गाम घुमला सँ विदेह रूप मे बहुत गृहस्थ एखनहुँ देखाइत छथि, लेकिन हुनकर जीवनक सन्देश अयाची जेकाँ याचना नहि कय जतबे अछि ततबे मे सदिखन प्रसन्न रहबाक स्थिति नहि देखाइत अछि। किंवा, हमर अध्ययन ततेक नहि भेल यैह कही एखन। कारण मिथिलाक लोकक दिमाग सँ फेर एहि पर अपन-अपन गामक किछु उदाहरण दय केँ झगड़ा (विवाद) उठा देल जायत, से एखन हमर स्वास्थ्य अनुकूल नहि अछि जे हम ओहि झगड़ा मे सकब। तैँ, आगाँ किनको उदाहरण भेटय त राखि सकैत छी, कृपया विवाद नहि करब।
 
एखन भारत मे चुनाव केर बेर छैक। किछु मिथिलावादी मित्र एहि चुनाव मे मिथिलावादक नारा लगबैत उम्मीदवारी सेहो देने छथि। ओ लोकनि फेसबुक सँ एकटा पोस्ट दैत मिथिलावादी उम्मीदवार लेल समर्थन सेहो मांगि रहल छथि। बाकी कोनो नीति, सिद्धान्त, संगठन, बूथ मैनेजमेन्ट, एजेन्डा… ई सब किछु कतहु नहि देखाइत अछि। देखेबो केना करत! खाली नाम टा लेल चुनाव बेर मे उम्मीदवारी दैत छथिन, बाकी कहियो मिथिलावाद केर राजनीति मे स्थापित करिते नहि छथिन। कहलाक बादो हुनका लोकनि अपन बुद्धिक गुमान मे तेना चूर रहैत छथिन जे कहनाइयो पानि मे जाइत अछि। मिथिला मे जेना सब फल फरैत अछि आर रस बढि गेलाक बाद फट्टो बनि जाइत अछि, एतय विद्वान् लोकनि बेसी अहाँ केँ फट्टो टा नजरि पड़ैत छथि। ताहि चलते मिथिलाक यथार्थता आ खोखला ईज्म मे फर्क साफ झलैक पड़ैत अछि।
 
आब देखू जे २०१३ मे साल भरि तरह-तरह केर कार्यक्रम कयला उत्तर स्थिति अनुकूल बनलाक बाद २०१४ मे एहि लेल राजनीतिक अवतरण केर प्रयासक मादे ‘मिथिला राज्य निर्माणः दशा ओ दिशा’ विषय पर १९ जनवरी २०१४ केँ राजधानी दिल्ली मे एकटा संगोष्ठीक आयोजन कयल गेल। ओहि मे मोटामोटी सब दलक मैथिल नेता केँ – हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई – जे जतेक छलाह सब केँ बजायल गेलनि। सब पर ई जिम्मेदारी देल गेलनि जे अपने लोकनि एहि वाद केँ अपनाबी तथा एकरा संग लय केँ आगू बढी। किछुए मास बाद चुनाव भेल। अपने मे आरोप-प्रत्यारोप कय हमरा लोकनि तेना टूटि गेलहुँ जे फेर २ वर्षक बादे होश भऽसकल। २०१६ मे हमरा लोकनि फेर पटना चिन्तन शिविर मे एकजूट भेलहुँ आ नवम्बर मे एक गोट अधिवेशनक घोषणा कयलहुँ। मुदा ओतय सेहो पद लेल लड़निहार-मरनिहारक फेरा मे तेना फँसल जे बात बिगैड़ गेल। तेकर बादो संघर्ष जारी रहल। सम्हारबाक खूब प्रयत्न भेल, मुदा….. यथार्थ स्थिति मे एकजूटता बिल्कुल नहि बनि सकल। आर, आब २०१९ केर जनवरी मे फेर सँ मोन पाड़ल गेलनि किछु समझदार आ यथार्थ चिन्तक लोकनि केँ…. कहल गेलनिः
 
“प्रस्ताव पत्र
 
अपनेक समक्ष एक निरपेक्ष चिन्तक आ मिथिला पहिचान समर्थक केर रूप मे ई प्रस्ताव प्रस्तुत कय रहल छी।
 
एखन हमरा लोकनि बाहर मे संजीव सिन्हाजीक वाल पर किछु चर्चा कय रहल छलहुँ आ सच मे ५ वर्ष पूरा भेल पूर्वक जुड़ाव केर… आर आगामी समय आम-निर्वाचन अछि देश मे, तऽ कियैक नहि एहि दिशा मे निम्न बुँदा लेल हम सब एकटा संगोष्ठी २०१४ जेकाँ अहु वर्ष करी।
 
१. “मिथिला राज्य निर्माणक औचित्य, आवश्यकता, समय-सीमा” विषय पर संगोष्ठी यथाशीघ्र दिल्ली मे राखल जाय।
 
२. एकर आयोजन सेहो ‘मिथिला राज्य निर्माण सेना’ केर बैनर अथवा कोनो निरपेक्ष मिथिला लेल चिन्तन करयवला संस्था द्वारा कयल जाय।
 
३. दरभंगा अधिवेशन सँ तय कयल गेल कार्यसमितिक समस्त सदस्य केँ ई जानकारी देबाक भार सक्षम नेतृत्वकर्ता करता, संगहि संगोष्ठीक संयोजनक भार सेहो हुनकहि पर रहतनि।
 
४. एहि कार्यक्रम मे मिरानिसे केर पूर्व सँ लैत आइ धरिक सम्पूर्ण सदस्य किंवा संयोजनकर्ताक मुताबिक आरो सक्रिय आ सहयोगी महिला-पुरूष केँ आमंत्रित कयल जाय।
 
५. वक्ताक रूप मे प्रत्येक राष्ट्रीय राजनीतिक दल केर प्रवक्ता केँ आमन्त्रित कयल जाय। आमन्त्रण मे ‘मिथिला राज्य केर मांग देशक स्वतंत्रताकाल सँ लम्बित रहबाक आ बिहार राज्य मे एकर आर्थिक, सांस्कृतिक विकास समुचित नहि होयबाक विषय रखैत सब राजनीतिक दल केर चुनावी घोषणा पत्र मे एहि दिशा मे विशेष रूप सँ विकास पैकेज, पर्यटन, उद्योग, कृषि, सिंचाई, शिक्षा आदिक क्षेत्र मे केन्द्र आ राज्यक विशेष योजना आ बजट प्रावधान आदिक विन्दु पर मांग सहितक बात करैत कार्यक्रम मे सहभागिता लेल आमन्त्रित करब। एहि तरहें ओ लोकनि विशेष तैयारीक संग औता आ अपन-अपन चुनावी घोषणापत्र मे सेहो नीक सँ विषय केँ समेटता।
 
६. मैथिली-मिथिलाक विभिन्न आयोजन सँ संकलित महत्वपूर्ण व्यक्तित्व लोकनिक नाम सँ सेहो आमन्त्रण पत्र लिखबाक आ संगोष्ठी लगभग ३ घन्टा अवधिक राखब, जाहि मे आयोजक संस्थाक दिश सँ ५ वक्ता, विज्ञ विशेषज्ञ मैथिल विद्वान-अभियानी दिश सँ ५ आ राजनीतिक दल केर प्रतिनिधि केर ५ वक्ता सँ संबोधन लेबाक अछि।
 
७. संचार क्षेत्र मे एकरा नीक सँ प्रकाशित करबाक लेल कार्यक्रम सँ एक दिन पूर्व मैथिली जर्नलिस्ट एसोशियेशन संग डिनर पर चर्चा राखल जा सकैत अछि आर हुनका सभक बढि-चढिकय सहभागिता लेल जा सकैत अछि।
 
शेष, एहि सब विन्दु पर एखन अपने सब विचार करी। फेर जेना जे निर्णय करब ताहि गुणे आगू बढी।
 
हरिः हरः!!”
 
ई प्रस्ताव बहुतो समझदार आ होशियार नेतृत्वकर्ता एवं एक्जीक्युटिव केँ देल गेलनि… परञ्च परिणाम शून्य रहल। तखन २०१९ मे चुनाव मे सहभागी जे सब छथि तिनका ‘मिथिलावाद’ केर नाम पर गोटेक विचारक लोकनि समर्थन चाहि रहला अछि। यथार्थता मे जँ निष्क्रियता मात्र नियति रहत त कहू मिथिलावाद केँ कोना स्थापित कयल जा सकत?
 
हरिः हरः!!