मिथिला मे औद्योगिक विकास आ रोजगारक अवसरः सरकारक नीति आ यथार्थता

मिथिला अर्थतंत्रः औद्योगिक विकास पर वैचारिक मंथन

सुनल जाइत अछि जे मिथिलादेश कहियो बड सम्पन्न आ आत्मनिर्भर छल। सीता समान ब्रह्माण्डनायिकाक ऋद्धि-सिद्धिक बाद मुगल-ब्रिटीशकालहु मे एकर सम्पन्नता आइ सँ नीक कहल जाइत अछि। भले वर्गीय विभेद आ भौतिक विपन्नता आइ सँ बेसी देखाइत छल पहिने, मुदा रेल, हवाईजहाज, , सड़क संचार, औद्योगिक पूर्वाधार आदि मे एहि ठामक संपन्नता कतहु हेरायल जेकाँ देखाइत अछि। हालांकि एक बेर फेर सड़क केर विस्तार आ विकास तऽ पटरी पर अबैत भारतीय मिथिला मे देखाइत अछि, मुदा नेपालीय मिथिला मे एखनहुँ ई विपन्नता ओहने अछि, बरसातक मौसम मे तऽ मुख्य सड़क सँ जुड़ल ग्रामीण भाग मे एनाय-गेनाय तक कठिन भऽ जाएत छैक एतय। तहिना समग्र मिथिला ओ चाहे भारत हो या नेपाल, औद्योगिक विकास सेहो शिथिल अछि, भारतीय मिथिलाक्षेत्र मे तँ जेहो पहिने छल यथा चीनी मील, पेपर मील, आदि – ओहो सब बीमार आ बन्द अवस्था मे पहुँचि गेल अछि।
 
वर्तमान समय मिथिलाक अपन कोनो राजनीतिक वजूद नहियो रहैत सांस्कृतिक, भाषिक, ऐतिहासिक आ व्यवहारिक पहिचानक आधार पर दुइ मुलुक भारत ओ नेपाल मे क्रमशः बिहार तथा प्रदेश १ व २ नाम्ना नेपाली राज्य मे आंशिक अवस्थिति अछि। नेपालक प्रदेश १ केर वर्तमान राजधानी विराटनगर केर स्थापना तऽ समस्त नेपाली मुलुके लेल पहिल औद्योगिक नगरीक रूप मे भेल छल जाहि मे मैथिलीभाषी जनमानसक बहुत पैघ योगदान रहल अछि, जेकर जिकिर मिथिलाक लोकगीतहु मे होइत रहल अछिः
 
बाबा गेलय मोरंग बाबू गेल कलकतिया
हम गेलियइ बम्बैय धेलकय कोन दुरमतिया
चुम्मन काका हौ जुम्मन काका हौ
डोमन काका हौ सोमन काका हौ
कैसे जीतय छोट-छोट मछरी
कि पोखरी मे आगि लगलय….
 
प्रसिद्ध गीतकार सियाराम झा सरस केर एहि किछु पाँति मे साबिक समय मिथिलाक लोक जँ घर सँ परदेश लेल बहराय त एहि ठाम मोरंग यानि नेपालक प्रदेश १ केर जिला मोरंग मे आबय जतय मोरंग-सुनसरी इन्डस्ट्रियल कौरिडोर अछि आर जाहि मे छोट-पैघ लगभग ५०० सँ अधिक औद्योगिक युनिट कार्यरत अछि। तहिना, भारतीय भूभागक मिथिलाक किशनगंज सँ मोतिहारी-नरकटियागंज धरि पूबे-पछिमे आ नेपालक सीमा सँ झारखण्डक सीमा धरि उत्तरे-दछिनेक भूभाग मे एकटा बरौनी आ किछ-मिछ मुजफ्फरपुर-हाजीपुर क्षेत्र केँ छोड़ि आब उद्योग-कारखाना कतहु विकसित रूप मे नहि देखाइत अछि। दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर आदि मे जे किछु चीनी मील, पेपर मील सभ छल ओ सबटा मोटामोटी बन्द भऽ गेल – आब किछु-किछु खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नव-नव राज्य सरकारक प्रोत्साहन नीति सँ चालू भऽ रहल अछि से कहि सकैत छी। बियाडा द्वारा जमीन अधिग्रहण तथा औद्योगिक कल-कारखाना लेल डेवलपमेन्ट लैन्ड प्लौट्स केर आबंटन सहित कैपिटल सब्सिडी, पावर सब्सिडी, इन्ट्रेस्ट सब्सिडी, आदिक व्यवस्था करैत निरन्तर प्रयास कयल जाइत रहल अछि। तथापि प्रगति आ विकास जाहि तिव्रता सँ होबक चाही से कतहु न कतहु बाधित अछि। हालहि २०१६ मे बिहार सरकार द्वारा घोषित नव औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति कैबिनेट द्वारा पास कयल गेल अछि जाहि मे निवेशक वास्ते कैपिटल सब्सिडीक बजाय ब्याज सब्सिडीक प्रावधान कयल गेल अछि। राज्य मे २०२१ ई. धरि निवेश करयवला उद्योग लेल ई पंचवर्षीय नीति-योजना लागू कयल गेल अछि। निवेशक केँ पांच साल तक वैट समेत राज्य सरकार द्वारा लेल जायवला समस्त टैक्स केर प्रतिपूर्ति कयल जेबाक बात एहि नीति मे आयल अछि। औद्योगिक इकाइ केँ दुइ श्रेणी – प्राथमिकता व गैर-प्राथमिकता केर श्रेणी मे बाँटल गेल अछि। निवेशक केँ सिंगल विंडो केर सुविधा देल गेल य।
 

प्राथमिकता वाला उद्योग

खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन, छोट मशीन निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, आईटी, टेक्सटाइल, प्लास्टिक, रबर, अक्षय ऊर्जा, हेल्थ केयर, चमड़ा और इंजीनियरिंग कॉलेज केँ प्राथमिकताक श्रेणी मे राखल गेल अछि। एकर अलावे अन्य उद्योग गैर प्राथमिकता वाली सूची मे राखल गेल य।
 

इंडस्ट्रियल पार्क वास्ते २५ एकड़ जमीन

 
इंडस्ट्रियल पार्क वास्ते २५ एकड़ जमीन और आईटी पार्क लेल ३ एकड़ जमीन जरूरी छैक। इंडस्ट्रियल पार्क और आईटी पार्क लगेनिहार केँ ब्याज छूट केर सीमा ५० करोड़ छैक। फूड पार्क व टेक्सटाइल पार्क लगौनिहार केँ ब्याज सब्सिडी केर सीमा परियोजना लागत केर ३५ प्रतिशत तक छैक।
 

स्टांप ड्यूटी केर शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति

 
प्राथमिकता वाला क्षेत्र मे निवेश पर स्टांप ड्यूटी आ जमीन केर कन्वर्जन केर पूरा प्रतिपूर्तिक व्यवस्था कयल गेल य। ओत्तहि बैंक कर्ज केर सालाना ब्याज केर १०% प्रतिपूर्तिक प्रावधान छैक। ई परियोजना लागत केर ३०% या अधिकतम १० करोड़ धरि राखल गेल अछि। निवेशक लेल बिहार मे उत्पादित १५% सामान केर खरीद अनिवार्य होयत।
 

महिला, थर्ड जेंडर, एससी व एसटी केँ अतिरिक्त छूट

 
महिला, एससी-एसटी, विधवा, एसिड अटैक पीड़ित और थर्ड जेंडर केर निवेश केलापर १०% ब्याज केर अतिरिक्त १५% छूट भेटैत छैक।
 
एम्हर नेपाल केर मिथिला मे प्रदेश-२ केर सरकार द्वारा महात्वाकांक्षी नीति तथा कार्यक्रमक घोषणा कयल गेल अछि जाहि पर क्रमशः क्रियान्वयन कयल जेबाक अपेक्षा राखि सकैत छी – हालांकि नेपाल मे केन्द्र आ प्रदेश संग स्थानीय सहित तीन तह केर नेतृत्व द्वारा कयल जायवला कार्य मे तालमेल बैसायब, संविधान अनुसार नियमन होयब, संघीयता केँ समग्र रूप मे स्थापित करब – ई सब एखन आधा-अधूरा अछि कहि सकैत छी। तथापि, राज्य सत्ता संचालक लोकनि एहि दिशा मे अग्रसर अछि आर परिणाम सुखद होयबाक आशा कयल जाइत अछि।
 

प्रदेश २ केर नीति तथा कार्यक्रम केर मुख्य विन्दु

 
*चुरे क्षेत्रक संरक्षण सँ मधेशक रक्षाक नारा संग अभियान सञ्चालन
*प्रदेश सरकार मिथिला तथा मिथिला भोजपुरालगायत मधेशक सांस्कृतिक पहिचानधारी धरोहर सभक संरक्षणक लेल प्रदेश सांस्कृतिक संरक्षण केन्द्रक स्थापना
*प्रदेश सहकारी विकास बोर्ड, उखु विकास बोर्ड, डेरी विकास बोर्ड, मत्स्य विकास बोर्ड, तरकारी तथा फलफूल विकास बोर्ड केर गठन
*प्रदेशक विद्यमान आर्थिक, सामाजिक पूर्वाधार विकास, मानव विकासक अवस्था सहित सम्पूर्ण क्षेत्रक तथ्यपरक चित्र देखाबयवला आधार तथ्यांक सभक संकलन करबाक काज केँ प्राथमिकताक संग आगू बढेनाय
*भूमि बैंकक स्थापना,
*बन्दक अवस्था मे रहल सरकारी उद्योग सभक संचालन व अन्य विकास योजना
 
मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ सामाजिक संजाल मार्फत वर्तमान युगक सक्षम आ विशेषज्ञ युवा सभ सँ एहि तरहें प्रश्न राखल गेल छलः
 
भारत आ नेपाल केर मैथिल प्रोफेशनल्स यूथ सँ अनुरोधः
 
विषयः
१. वर्तमान अर्थ युग मे अछैत सब साधन मिथिला क्षेत्र मे उद्योग पाछाँ हेबाक कि कारण भऽ सकैत छैक?
२. बिहार सरकार द्वारा औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति केर जानकार, औद्योगिक लगानी मे पूँजी निवेशकर्ता लोकनि केँ उचित सलाह देनिहार व्यक्तिक परिचय संकलन।
३. मिथिला मे उपलब्ध कच्चा पदार्थ जे कि प्राथमिकता मे रहल उद्योग लेल सर्वसुलभ अछि तेकर विवरण।
 
एहि विषय व सम्बन्धित अन्य विन्दु पर कियो विज्ञ मैथिल युवा जिनका पास अनुभव हो, अथवा उद्योग लेल आवश्यक अवयव केर बारे गहींर अध्ययन हो, अथवा जे युवा औद्योगिक व्यवस्थापन मे कोनो लार्ज स्केल उद्योग आदि मे कार्यरत रहैत मिथिलाक वस्तुस्थिति सँ परिचित रहैत अपन विचार रखबाक अनुरोध कयल गेल छल।