मिथिलाक कर्मठ सपुत – मैथिली दर्पण केर प्रकाशक दीपक झा संग साक्षात्कार

साक्षात्कारः दीपक झा, प्रकाशक, मैथिली दर्पण, मुम्बई

सम्मान ग्रहण करैत मैथिली दर्पण केर प्रकाशक ‘दीपक झा’ पृष्ठभूमि मे मैथिलीक नामी-गिरामी सर्जक लोकनि।

मिथिला सब दिन ऋषि-मुनिक धरती रहल। एतय जे कियो राजा भेलाह ओ प्रजाप्रेमी, प्रजाक हित मे सदिखन कार्य करबाक कारण अपन देहोक सुधि-बुधि बिसरा जाएत रहलन्हि तैँ ‘विदेह’ कहेलाह। – ई आख्यान् भारतक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी अपन हालहि संपन्न प्राचीन मिथिलाक सांस्कृतिक राजधानी वर्तमान नेपालक प्रदेश २ केर राजधानी ‘जनकपुर’ मे जानकीजीक दर्शन उपरान्त एक भव्य नागरिक अभिनन्दन समारोह मे लाखों मिथिला जनमानस सँ संबोधित करैत बजलाह।

 
त कि आइ ई मिथिलाक धरातल पर ऋषि-मुनि सब विलोपित भऽ गेल छथि? कि आब एहि मिथिलाक शुचिता आ प्रतिष्ठा दाँव पर लागि गेल अछि? कि आइ ई धराधाम विदेहविहीन अछि? एक संग कय गोट सवाल उठैत अछि जखन मिथिलाक समृद्ध साहित्य केँ मोन पाड़ैत वर्तमान विपन्नता पर हम सब नजरि दैत छी। किछु त समस्या अछि, नहि तँ विपन्नता कियैक देखाएत! आर एहि सब खोज मे नित्य जानकीक विशेष दूत सब आप-स-आप मिथिलाक काज मे लगैत छथि। एहने एकटा विशेष दूत छथि, नाम थिकन्हि दीपक झा, प्रवासक जीवन मे मुम्बई मे रहैत छथि। आउ हुनका संग साक्षात्कार करी।
समग्र मे मैथिली जिन्दाबाद केर प्रकाशन सँ लैत भाषा-संस्कृतिक विकास संग मैथिल पहिचान केँ स्थापित करबाक लेल दीपक जी महत्वपूर्ण यात्रा करैत आबि रहला अछि, पत्रिकाक प्रचार-प्रसार आ मैथिली भाषाक पठन संस्कृति मे उच्च योगदान पुनःस्थापित कय रहला अछि, संगहि समाज आ युवाक विकास लेल सेहो उल्लेखनीय भूमिका निर्वहन मे वर्तमान युवा पीढी केँ नेतृत्व दैत आबि रहल छथि दीपक झा। 
 
हमः अपन परिचय मैथिल जनमानस सँ कोना देबय लेल चाहब?
 
दीपकजीः हमर नाम दीपक कुमार झा, हमर पितामह श्री रमानन्द झा (सरकार), पिता श्री विनोद झा । हमर जन्म १७ दिसम्बर १९८१ कऽ मिथिलाक कलिगाॅव, भरवाड़ा, जिला दरभंगा मिथिला मे भेल। अध्ययन दरभंगा मे केलहुॅ। रोजगारक खोज मे मुम्बई एलहुॅ। प्रारम्भ मे एकटा कम्पनी मे जे फिल्म, सिरियल आदि बनबैत छल, ओहिमे एकाउन्टेन्ट के रुपमे काज प्रारम्भ केलहुॅ। क्रमश: प्रगति होइत रहल आ एखन “टेलेटेल मिडिया प्राइवेट लिमिटेड” नामक कम्पनी जे फिल्म जगतमे प्रतिष्ठित कम्पनी मानल जाइत अछि, ओहिमे सी०ई०ओ० के रुपमे कार्यरत छी। अपन परिवारक संग मुम्बई मे रहैत छी। मिथिला मैथिलीक प्रति अपन दायित्वक निर्वहन यथासम्भव करबाक प्रयास करैत रहैत छी।
 
हमः युवातुर मैथिल मे रोजगारक अभाव एक पैघ समस्या देखाएत अछि। महानगर मुम्बई मे सेहो मिथिलाक युवातुर विभिन्न रोजगार मे देखाएत हेताह। अहाँ सेहो मुम्बई मे रोजगारहि लेल गेलहुँ। एहि समस्याक निदान कोना संभव छैक?
 
दीपकजीः अपने ठीक कहल! रोजगार एकटा पैघ समस्या छैक। महानगरीय जीवन शैली सेहो भिन्न छै। बहुतो मेहनती आ अपना-आपके परिस्थिति के अनुकूल बनोनिहार बहुतो युवक छोट स्तर पर काज आरम्भ कS कS अपन प्रतिभा आ परिश्रमक आधार पर काफी उन्नति केलन्हि अछि। हमहूँ बहुतो लोकके फिल्म जगत आ अन्यान्य क्षेत्रमे सेहो लगयबाक प्रयास करैत आबि रहल छी, जाहिमे सऽ बहुतो काफी उन्नति केलन्हि आ कऽ रहल छथि। किछु असफल सेहो रहलाह अछि। मुदा हमरा जनैत रोजगारक समस्याक निदान उत्तम शिक्षा, लोकमे मेहनतक प्रवृत्ति, आ अपन भविष्यक प्रति लगनशीलता के माध्यम सS सम्भव छैक। एकरा लेल मात्र महानगर दिस पलायन करब आवश्यक नहि, छोट-छोट नगर आ ग्रामीण क्षेत्रमे सेहो आजुक तकनीकी आ व्यवहारिक युगमे अपार सम्भावना छैक। आवश्यकता अछि समाज समय सापेक्ष प्रगति पथ पर अग्रसर होथि।
 
हमः मैथिली दर्पण पत्रिकाक प्रकाशन मे घरक पूँजी कतेक दिन टूटल? एखनहुँ आमद सँ प्रकाशन खर्च निकैल पबैत अछि कि?
 
दीपकजीः मैथिली दर्पणक प्रकाशक रुपमे विगत पाँच बर्ख सऽ काज करैत आबि रहल छी। एहि सऽ पूर्वहुँ श्रीमान् प्रोफेसर कृष्णकुमार झा “अन्वेषक” जीक प्रेरणा सऽ किछु पत्र-पत्रिका केँ सहयोग करैत छलौंह। अन्वेषक जीक प्रेरणा आ सहयोग सऽ हम एकर प्रकाशन प्रारम्भ कएल। प्रकाशन वितरण आदिमे बहुत खर्च होइत छैक। मैथिली पत्रकारिताक व्यावसायिकता प्राय: असम्भव लगैत अछि। हॅ सामाजिक स्वरुपमे चलाओल जाइत अछि। तदर्थ प्रयास आवश्यक। एखन किछु सामाजिक सहयोग अवश्य भेट रहल अछि, मुदा ओहि सँ खर्च निकलब सम्भव नहि।
 
हमः एहि वर्ष अहाँ मिथिला रत्न सँ सम्मानित भेलहुँ, बधाई। केहेन लागि रहल अछि?
 
प्रत्येक वर्ष आयोजित मैथिली दर्पण केर वार्षिकोत्सवक एक आयोजन मे ‘कखन हरब दुःख मोर’ केर अभिनेता फूल सिंह केँ सम्मान हस्तान्तरित करैत दीपक झा

दीपकजीः हमरा बीतल वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन मे २२/२३ दिसम्बर २०१७ कऽ मिथिला रत्न सम्मान संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री (नेपाल) माननीय जितेन्द्र कुमार देवजी केर करकमल सऽ मैथिली पत्रकारिताक क्षेत्रमे उत्कृष्ट योगदानक लेल प्राप्त भेल, आ एहि सऽ पूर्वहु विद्यापति सेवा संस्थान द्वारा १५ नवम्बर २०१६ कऽ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालयक कुलपति डा० साकेत कुशवाहाक करकमल सऽ मिथिला विभूति सम्मान प्राप्त भेल छल।

 
अन्यान्यो संस्था सभ द्वारा समय-समय पर सम्मानित कएल गेल अछि। ई सम्मान सभ हमरा मिथिला-मैथिली के लेल काज करबाक लेल प्रेरित करैत अछि। हमरा सनक युवा के सम्मानक योग्य बुझि जे सम्मान देलनि तदर्थ डा० श्री बैद्यनाथ चौधरी “बैजूबाबू” एवं संस्थागत समस्त पदाधिकारी लोकनिक प्रति आभार ज्ञापित करैत छी। भविष्य मे और अधिक उत्साह सऽ मिथिला-मैथिलीक लेल काज केनिहार संस्था सबहक सहयोगक प्रति संकल्पित छी।
 
हमः वास्तव मे सम्मान ग्रहण कयला सँ एकटा नव उर्जा भेटैत छैक। सम्मानक सम्मान हमरा लोकनि कोना करैत छी? अहाँ एहि सम्मानक रक्षा लेल आरो कि सब योजना बनेलहुँ?
 
दीपकजीः अपने समुचित बात कहल! सम्मान जबाबदेही होइत छैक। कोनों समाज अपन भाषा संस्कृति सऽ जानल जाइत अछि। तैं एखन हम मैथिली दर्पणक माध्यमे भाषाक संरक्षण विकास पर काज कS रहल छी। हमर पत्रिकाक ध्येय वाक्य अछि “मिथिला-मैथिल-मैथिलीक सेतु” एकरा साकार करबाक प्रयास मे लागल छी। एहिमे देशभरिक साहित्यकार-कवि-लेखक आदिक अप्रतीम सहयोग भेट रहल अछि। आशा अछि हम एहि काजमे सफल रहब। सम्प्रति अन्वेषक जीक अगुआइ मे अपन लिपि मिथिलाक्षरक विकास लेल सेहो काज कS रहल छी।
 
हमः मुम्बई सँ मिथिला धरिक विभिन्न अभियान मे अहाँ उपस्थिति आह्लादकारी लगैत आयल अछि। कोना एतेक स्नेह आबि गेल एहि अर्थ युग मे? कहिया सँ मातृभाषा आ मातृभूमिक सेवा मे लागल छी?
 
दीपकजीः ई माय मैथिलीक अनुकम्पा छनि जे हम मिथिला-मैथिलीक लेल किछु कऽ पबैत छी। एना जखन हम मुम्बई आएल छलहुँ तखनहि सऽ कार्यक्रम सभमे भाग लैत छलहुँ। प्रारम्भहि सऽ अन्वेषण जीक सान्निध्य भेटल। ओ हमरा सदैव प्रेरित करैत रहलाह। हम एहिमे रमैत चलि गेलहुॅं। विशेष रुपमे सऽ जखन मैथिली दर्पणक प्रकाशन भेल तऽ समग्र देश आ नेपाल सहित अन्यान्यों देश सऽ लोक सभ जुड़ैत गेलाह आऽ हमर उत्साह बढ़ैत गेल। एहि कड़ी मे किछु नाम अवश्य लेबय चाहब जिनकर सभक सहयोगक बले हम एहि मुकाम धरि पहुँच सकलौंहुॅं। हमर मैथिली दर्पण परिवारक संरक्षक श्री ललित झाजी, धर्मानन्द जी, सम्पत्तिजी, अनिल मिश्रजी, श्री चन्द्रेशजी, डा० प्रतिभा जी, पवन झा जी, बी.एन.झाजी, संजय राय, रवि मंडल जी आदिक योगदान केँ बिसरल नहि जा सकैत अछि।
 
हमः ई जाति-जाति केर खेलावेला सँ मिथिला-मैथिली केँ कतेक प्रभावित मानैत छी? लोकक आरोप जे खाली झाझा एक्सप्रेस सँ मैथिली-मिथिला कतेक आगू जायत…. एहि पर अहाँक विचार कि अछि?
 
दीपकजीः हमरा जनैत मिथिला-मैथिलीक लेल जाति-पातिक कोनों महत्व नहि छैक। ई आरोप निराधार बुझना जाइत अछि जे मात्र ब्राह्मण जातिक लोक के महत्व भेटैत छैक। बहुतो ब्राह्मनेतर मैथिल दिन-राति मिथिला-मैथिलीक लेल काज करैत आबि रहल छथि। मिथिला राज्यक बात हो, मिथिलाक विकासक बात हो वा मैथिली भाषा-साहित्यक बात हो सभ क्षेत्र मे ब्राह्मणेतर मैथिल सक्रिय छथि, सम्मानित छथि। हँ, ई अवश्य जे संख्या अपेक्षाकृत कम देखल जा रहल अछि। एतदर्थ प्रयास हेबाक चाही जे सभ जातिक लोकक सहभागिता बढ़ाओल जाए।
 
हमः अन्त मे, मैथिली जिन्दाबाद केर पाठक सँ अपन अभियान आ सन्देश कि देबय चाहब?
 
दीपकजीः मैथिली जिन्दाबाद केर पाठक लोकनि सऽ हम कहय चाहबैन जे समाजमे शिक्षा-दीक्षा के प्रति जागरुक होथि। अपन भाषा-संस्कृतिक संरक्षण-संवर्धन हेतु किछु ने किछु अवश्य करथि। जॅं सभ कियो किछु ने किछु करबाक प्रयास करता तऽ समाजक विकास अवश्य हेतैक। अन्तमे मैथिली जिन्दाबाद एवं श्री प्रवीण नारायण चौधरी जीक प्रति सेहो कृतज्ञता ज्ञापित करैत छी जे हमरा साक्षात्कारक अवसर देलनि।
मैथिली भाषाक संचारकर्म केँ अपन खून-पसीनाक कमाई सँ सींचन कयनिहार ‘मैथिली दर्पण’ पत्रिकाक प्रकाशक दीपक झा केँ भरपूर सहयोग हम सब कियो जरूर करी, यैह अपेक्षाक संग हिनक सम्पर्क सूत्र राखि रहल छीः
दीपक कुमार झा, प्रकाशक – मैथिली दर्पण, मो०-९८७०४४५७६३