अमर संस्कृतिविद् चतुर्भुज आशावादी – एक यथार्थ युगपुरुष

विशिष्ट व्यक्तित्व परिचयः युगपुरुष चतुर्भुज आशावादी

– प्रवीण नारायण चौधरी

नेपालक प्रसिद्ध संस्कृतिविद् – अभियानी – कलाकार – निर्देशक – अन्वेषणकर्ता – राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय अनेकानेक कार्यक्रमक आयोजनकर्ताक संग-संग ‘एकल भाषा एकल भेष’ केर नेपालक कड़ा संवैधानिक व्यवस्थाक बावजूद लोकसंस्कृति-लोककला-लोकअभिनय प्रति असीम स्नेह रखनिहार आर सांस्कृतिक आयोजन मे नेपाली भाषा-संस्कृतिक कला-नृत्य आदिक संग मैथिली, राजवंशी, थारू, आदि विभिन्न लोकभाषा-संस्कृति केर कलाकार सबकेँ आगू बढेबाक महत्वपूर्ण कार्य कयलनि – हुनक पूरा नाम चतुर्भुज पौड़ेल ‘आशावादी’ थिक, मुदा चतुर्भुज आशावादी सँ ओ नेपाल, भारत सहित रुस, चीन, थाईलैन्ड आदि देश मे नेपालक कला-साहित्यसेवी ओ संस्कृतिविद् केर रूप मे प्रसिद्धि पेलनि।
 
हिनक जन्म १९४५ ई. अर्थात् २००१ विक्रम संवत् साल केर अगहन १ गते नेपालक राजधानी काठमान्डुक शान्तिगोरेटो, चावहिल नामक स्थानपर भेलन्हि। मात्र ६ वर्षक बाल्यकाल सँ नृत्य, गायन तथा अभिनय क्षेत्रमे प्रवेश करैत अपना भीतर एक महान कलाकार रहबाक संकेत दय देने छलाह। कहल जाएत अछि जे अपन बाल-सखा सभक संग अन्य खेलकूदक बदला ई नृत्य, गायन, अभिनय केर खेल खेलेनाय बेसी पसीन करैत छलाह। स्वयं मादल (नेपालीभाषामे ढोलकक नाम) बजबैत अपन बालसखा सबसँ गाबय आ नाचय लेल प्रेरित करबाक कतेको रास स्मृति हिनका बच्चे सँ चिन्हनिहार लोक सब कहैत अछि।
 
हिनक पिता स्व. अच्युतानन्द पौड़ेल नेपालक शाहवंशीय राजदरबार मे खरदारक पदपर कार्यरत रहैत दरबारहि सँ पारितोषिक स्वरूप मोरंग जिलामे बसोवास योग्य भूमि पाबि परिवारक लोककेँ विराटनगरमे बसौने छलाह। चतुर्भुज आशावादीक प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा सेहो विराटनगरक आदर्श विद्यालय सँ तथा माध्यमिक परीक्षा पास कयला उत्तर एहि ठामक एकमात्र महाविद्यालय महेन्द्र मोरंग आदर्श बहुमुखी केन्द्रीय कैम्पस सँ प्रवेशिका तह धरि पढाई कयलन्हि।
 
अपन कला प्रस्तुति सँ कनिकबे समयमे बहुत प्रसिद्धि हासिल कयनिहार कलाकार चतुर्भुज आशावादी केँ राजा महेन्द्रक राज्याभिषेक पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रममे मोरंग जिलाक प्रतिनिधि कलाकारक रूप मे सहभागिता वि.सं. २०१३ मे भेल छल। तहिना बहुत कम्मे उमेर सँ अपन गुरु संतोष राई संग विभिन्न विद्यालय तथा महाविद्यालय सहित अन्य स्थान सभपर कलाकार सबकेँ प्रशिक्षण देबाक काज सेहो ओ करब आरम्भ कय देलनि। हिनक गुरु यदि पुरुष कलाकारकेँ सिखबथि त आशावादीजी महिला कलाकारकेँ नाचक गुर सिखबथि, आ जँ गुरु महिलाकेँ त शिष्य आशावादी पुरुषकेँ सिखबैत छलाह।
 
२०१५ वि.सं. साल सँ मोरंग आ झापा जिला सहित वर्तमान सुनसरी जिलाक विभिन्न गाम सब मे कलाकारक टोली सहित जा-जाकय सांस्कृतिक कार्यक्रम सभक प्रदर्शन मार्फत लोक-समाजकेँ कलाकारिताक क्षेत्र सँ जोड़ैत स्थानीय ग्रामीण नृत्य सभक अन्वेषण करबाक अभियान सेहो ओ शुरु कयने छलाह। नेपालक कलाक्षेत्र, रंगकर्म, सिनेमा, टेलिविजन, रेडियो आदि मे हिनकर सिखाओल कलाकार एखनहुँ प्रशस्त मात्रा मे भेटैत अछि।
 
२०१७ वि.सं. साल मे विभिन्न ग्रामीण लोकनाचक संग नाटक ‘निर्माण’ संग नेपालक विभिन्न स्थानपर अभियान संचालन कयलन्हि। ताहि क्रम मे विराटनगर, ईटहरी, इनरुवा, राजविराज, लहान, सिरहा, जनकपुर, जलेश्वर, विरगंज, कलैया, गौर, हेटौडा तथा काठमांडू मे महीनों दिन धरि प्रदर्शन जारी रहल छल। काठमांडूमे सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा नाटक प्रदर्शनक लेल संस्कृति विभाग द्वारा वांछित सहयोग सेहो प्राप्त भेल छलन्हि, जेकर संस्मरण स्वयं आशावादी अपन आत्मकथा मे वर्णन करैत छलाह।
 
२०१९ वि.सं. साल मे भानु मोरंग संस्कृति समितिक गठन कय ताहि माध्यम सँ २०१९ साल मे मेची अञ्चल – झापा जिलाक विभिन्न गाम –
इलाम, पाँचथर, फिदिम जिलाक विभिन्न गाम धनकुटा, तेह्रथुम, ओखलढुङ्गा, भोजपुर, उदयपुर, सपरी आदिक गाम सबमे ६ जनाक टोली सहित पैदल भ्रमण कय गाम-गाम मे ग्रामीण लोकनाच सभक खोज आ शिक्षा ग्रहण करैत २०२० साल मे कोसी अञ्चलक विभिन्न जिला सबमे सांस्कृतिक कार्यक्रमक प्रस्तुति सहित राष्ट्रीय स्तरपर आयोजित संस्कृति विभागद्वारा आयोजित महोत्सवमे सेहो ताहि लोकनाच सभक प्रस्तुति कयलन्हि।
 
ई क्रम नेपालक अन्य अञ्चल यथा सागरमाथा, जनकपुर, आदि मे क्रमशः २०२१, २०२२ तथा २०२३ धरि मे नेपालक लगभग समस्त भागमे अपन सिखनीहार आ सिखेनिहार कलाकारक टोली सहित भ्रमण करैत ग्रामीण भाग मे प्रचलित लोकनृत्य आ गीत-संगीत सभ सिखैत अपन विज्ञ कलाकार मार्फत आर ओहि क्षेत्रक कलाकार सबकेँ पर्यन्त समेटैत राष्ट्रीय स्तरपर ओकरा विस्तार देबाक आ प्रख्यात बनेबाक अनुपम योगदान समूचा नेपालदेशमे एकमात्र कलाकार चतुर्भुज आशावादी द्वारा कयल गेल। २०२२ साल मे नेपालक कला-प्रतिनिधि बनि अपनहि एक शिष्या वृन्दा थापा संग सोवियत रुस केर भ्रमण पर दुइ देशक बीच केर सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम मे भाग लेलनि। एहि वर्ष श्री आशावादी भारतक नेपालीभाषी बहुल्य क्षेत्र दार्जिलिंग तथा खर्सांग सेहो भ्रमण कयलनि जतय हिनकर कला प्रस्तुतिक भरपूर सराहना करबाक संग-संग अनेकों स्थानीय कलाकार द्वारा प्रशिक्षण लेबाक लेल विशेष कैम्प सेहो लगायल गेल रहन्हि।
 
विक्रम संवत साल २०२३ आशावादीजीक जीवन मे कला-रंगकर्मक क्षेत्र मे राष्ट्रीय स्तरक उपलब्धि दियेबाक संग-संग अपन जीवनसंगिनीक खोजकेँ सेहो विराम देलक। एहि साल हिनकर भेंट कला-काव्य-संगीत आदिमे सुन्दर अभिरुचिक संग प्रशिक्षण लय रहली माया पौड़ेल संग भेलनि जे अत्यन्त नाटकीय अन्दाजमे प्रेममे परिवर्तित भऽ अन्ततः विवाहमे परिणत भेल छल। एहि वर्ष आशावादीजीक अगुवाई मे भानु मोरंग केर टोली भारतक वर्तमान उत्तराखंड राज्य तत्कालीन उत्तरप्रदेशक पहाड़ी जिला देहरादुन मे मौजूद नेपालीभाषी सभक लेल कुल २१ दिनक भ्रमणमे दर्जन भरि सांसकृतिक आयोजन सभ प्रस्तुत कएने छल, एहि टोलीमे आशावादीजी सहित कुल ६ नेपाली कलाकारक टोली भारत गेल रहय। यैह वर्ष सम्पूर्ण नेपाल, दार्जिलिंग तथा देहरादुन केर कलाकार सबकेँ आमंत्रित करैत भानु मोरंग सांस्कृतिक समितिक बैनर अन्तर्गत राष्ट्रीय कला सम्मेलनक आयोजन कयल गेल छल, एहि सम्मेलनसँ पारित कयल गेल एक प्रतिवेदन कला तथा संस्कृतिकर्मी लोकनिक हक-हितमे राज्य द्वारा सुरक्षा-संरक्षण पेबाक निमित्त तत्कालीन राष्ट्रप्रमुख नेपालक राजा श्री ५ को सरकार समक्ष सेहो पठाओल गेल छल। कहल जाएत अछि जे एहि प्रतिवेदन मे कयल गेल विभिन्न अनुशंसा अनुरूप राज्य द्वारा कला-संस्कृति प्रति समर्पित बहुतो रास कायदा-कानून पर्यन्त निर्माण कयलक।
 
देखल जाय त नेपाल सँ कला-संस्कृतिक राजदूत जेकाँ आशावादीजी अपन कलायात्रा ता-उम्र निरंतरता मे रखलनि। एहेन कोनो वर्ष नहि जाहि मे हिनक परिकल्पना आ नेतृत्व मे सौंसे नेपाल आ भारतक ओ क्षेत्र जतय दुनू देशक संयुक्त भाषाभाषी तथा संस्कृतिक बीच सेतु निर्माण करैत दुइ मित्रराष्ट्रक मित्रताकेँ आरो बेस मजगूत बनेबाक कार्य नहि कयल गेल हो। २०२४ मे नेपालक प्रसिद्ध कलाकर्मी स्व. नारायण गोपाल, गोपाल योञ्जन, नागेन्द्र थापा सहितक टोली लय पुनः दार्जिलिंग, खर्सांग, कलिम्पोङ्ग, सिलौंग, गुआहाटी आदि पूर्वोत्तर भारतको विभिन्न स्थानमे कला-संस्कृतिक विभिन्न प्रदर्शन कएने छलाह। पुनः बीरगंजमे नेपालक समस्त १४ अंचलक कलाकार-रंगकर्मी लोकनिक संग भारतक विभिन्न भ्रमण कयल स्थानक कलाकार लोकनिक सहभागिता मे सम्पन्न करौलनि। एहि कार्यक्रमक उद्घाटन नेपालक तत्कालीन उपप्रधानमंत्री कीर्तिनिधि विष्ट द्वारा कयल गेल छल। एहु सम्मेलनसँ पारित प्रतिवेदन श्री ५ को सरकार राजा केँ सौंपल जेबाक वृत्तान्त हुनक आत्मकथा सँ प्राप्त होएत अछि।
 
नेपाल राष्ट्रक राज्य संचालक द्वारा देल गेल विशेष कार्यभार वहन करैत साल २०२५ मे तराई क्षेत्र तथा मधेसक भित्री जिला सबमे सांस्कृतिक चेतना जगेबाक अभियानक अगुवाई कएने छलथि। तहिना एहि वर्ष श्री ५ को सरकारक सांस्कृतिक विभागक तरफ सँ हिनकर नेतृत्व मे कुल १० जनक एक टोली मार्फत पश्चिमाञ्चल तथा सुदूर पश्चिमाञ्चलक पहाड़ी तथा तराई भागमे लोक नृत्य, लोक गीत, लोक कथा आ भित्तचित्र सभक अन्वेषण-संकलन वास्ते कुल २ मास ६ दिनक भ्रमण करैत १८५ टा लोकगीत टेप कय, ५२ टा लोक कथाक संग्रह आ १७५ किसिम केर भित्तचित्रक संग ३५ टा लोकनाचक नोटेशन सहितक प्रतिवेदन सांस्कृतिक विभाग केँ उपलब्ध करेबाक जिकिर स्वलिखित आत्मकथा मे कएने छथि। पूर्व मे कहल गेल अनुरूप अपन जीवनक एक-एक वर्ष, एक‍-एक क्षण आ एक-एक पल कला-संस्कृति केँ समर्पित कयनिहार आशावादीजीक किछु महत्वपूर्ण योगदानक सूची वर्ष अनुरूप निम्न राखि रहल छीः
 
२०२६ – पटना, दिल्ली, देहरादुन तथा रुस केर मास्को मे सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुति-प्रदर्शन।
 
२०२७ – विराटनगर मे आयोजित कार्यक्रममे भारतक नामचीन कलाकार – राष्ट्रपति सँ सम्मानित दमयन्ती जोशी, लछु भारद्वाज, जलतरंग वादक के एल सूद, बम्बई सँ तत्कालीन गजल गायक निर्मला अरुण, कुमार साइमर, सन्तोष भट्ट, गोपीकृष्णक भाइ लोकनि मोहन कृष्ण, राजन कृष्ण, इत्यादि सहित कुल ३१ जनाक कलाकार टोलीक सहभागिता मे भव्य सांस्कृतिक आयोजन। सांस्कृतिक विभाग सँ सहकार्य आ पुनः नव प्रतिवेदन श्री ५ को सरकार समक्ष पेश।
 
२०२८ – मोरंग-सुन्सरी जिलाक गाउं विकास समिति सब मे जमीनी स्तरपर कला-संस्कृति चेतना जनजागरण अभियान – पुर्वाञ्चल १६ जिला सँ कलाकार सभ केँ आमंत्रित कय प्रशिक्षण ६ मासक लंबा प्रशिक्षण कार्यक्रम।
 
२०२९ – भारत सँ आमंत्रण पाबि मधुबनी, मकरन्दा तथा दरभंगामे मैथिली सांस्कृतिक कार्यक्रम सभक प्रदर्शन। एहि वर्ष सवारी शिविर धनकुट्टामे सांस्कृतिक कार्यक्रमक प्रस्तुति।
 
२०३०-२०३३ – एहि ३-४ वर्षक अबधिमे जनकपुर प्रवास, ओतय सक्रिय संघ-संस्थामे पर्यन्त सांस्कृतिक जनचेतना लेल सराहनीय भूमिका निभौलनि। २०३३ साल मे मेची सँ महाकाली अर्थात् नेपालक पूर्वी भाग सँ पश्चिमी भाग धरिक विभिन्न स्थानपर कार्यक्रमक प्रदर्शन।
 
२०३४ – धनकुटा सवारी शिविरमे सांस्कृतिक कार्यक्रमक प्रदर्शन; सुन्सरीक ग्रामीण भागमे कला प्रशिक्षण शिविर आ कला प्रदर्शन कार्यक्रम सभक आयोजन।
 
२०३५-३६ – मोरंग तथा झापा जिलाक विभिन्न स्थान पर प्रशिक्षण शिविर आ कला प्रदर्शनक आयोजन।
 
२०३७-३८ – भानु मोरंग सांस्कृतिक समितिक शाखाक रूपमे भानु कला केन्द्रक स्थापना आ नृत्य, संगीत तथा अभिनय प्रशिक्षण तथा प्रदर्शन कार्यक आरम्भ। हरेक २ वर्षमे विभिन्न जिलाक सांस्कृतिक भ्रमण आ राजधानी काठमान्डूमे सांस्कृतिक कार्यक्रमक प्रदर्शन। ई कार्यक्रम एखन धरि अपन सेड्युल मे आयोजित होएत आबि रहल अछि।
 
२०३९ – श्री ५ महाराजाधिराज सरकार केर जन्मोत्सवमे सवारी शिविर धनकुटामे सांस्कृतिक कार्यक्रम। सांस्कृतिक संस्थान द्वारा हिनक नेतृत्वमे मुना मदन नाटकक प्रदर्शन – धनकुटा, विराटनगर, दमक, विर्तामोड, भद्रपुर, चन्द्रगढी तथा इलाम मे।
 
२०३९-४० – सांस्कृतिक संस्थानक हिमाल देखि तराई सम्म केर कार्यक्रमक नेतृत्वमे विराटनगरमे सम्पन्न।
 
२०४२ – भारतक पटना स्थित अरिपन संस्थाक आमंत्रणमे तेसर अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली नाटक प्रतियोगिता समारोह मे भाग लैत एक गोट पुरस्कार मात्र हासिल करब।
 
२०४३ – चारिम अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली नाटक प्रतियोगिता समारोह मे भाग लैत २ गोट प्रथम पुरस्कार प्राप्त करब।
 
२०४४ – भारतक राजधानी दिल्लीमे पाँचम अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली नाटक प्रतियोगिता समारोह मे भाग लैत भानु कला केन्द्रक टोली हिनकहि निर्देशन मे विशिष्ट पुरस्कार सहित कुल ८ टा पुरस्कार हासिल करबाक रेकर्ड। मैथिली अकादमी द्वारा हिनक सम्मान।
 
२०४५ – पुनः अरिपनक अगुवाई मे संपन्न छठम् अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली नाटक प्रतियोगितामे भाग लैत कुल ४ गोट पुरस्कार हासिल करब। अरिपन द्वारा हिनक सम्मान।
 
२०४७ – भानु कला केन्द्र तथा मैथिली सेवा समितिक संयुक्त आयोजन आ अरिपन पटनाक सहयोग मे विराटनगरमे सप्तम अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली नाटक प्रतियोगिता समारोहक आयोजन जाहि मे भारत सँ १२ टोली तथा नेपाल सँ ४ टोली रंगकर्मी समूहक सहभागिता। एकर संयोजन आशावादीजी आ सहयोग नेपालक सिंचाई विभाग निदेशक गुणानन्द ठाकुर द्वारा कयल गेल।
 
२०४८ – पटना, दरभंगा आ काठमांडू मे नाटक तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम।
 
२०५१-५२ – बी. पी. कोइराला फाउन्डेशनक सहयोग मे दिल्ली, मुम्बई तथा देहरादुन मे २२ जनाक टोली सहित भ्रमण तथा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमक प्रदर्शन।
 
२०५२ – नेपाली जनसम्पर्क समिति दिल्लीक आमंत्रण मे नृत्य, संगीत, प्रशिक्षण शिविर मे हिनका सहित अन्य ४ जन प्रशिक्षक नेपाल सँ सहभागी, १ महीना प्रशिक्षण उपरान्त प्रशिक्षार्थी द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत।
 
२०५४ – ५५ – संस्कृति बचाउ – राष्ट्रीयता जोगाउ नाराक संग जनचेतना कार्यक्रम नेपालक विभिन्न जिलाक कुल ५२ स्थानपर कार्यक्रमक प्रदर्शन।
 
पुरस्कारः
१. जिला क्षेत्रीय स्तरक नृत्य प्रतियोगिता सब मे कतेको बेर स्वर्ण पदक भेटलनि।
२. सांस्कृतिक विभाग, सांस्कृतिक संस्थान, खेलकुद तथा अन्य निकाय सँ राष्ट्रीय स्तरक नृत्य प्रतियोगिता मे १७ बेर शिल्ड, स्वर्ण पदक, प्रथम पुरस्कार प्राप्त।
३. अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली नाटक प्रतियोगितामे प्रथम, सर्वोत्तम अभिनेता/निर्देशक तथा विशिष्ट पुरस्कार प्राप्त।
 
सम्मान तथा कदर-पत्रः
१. २०२४ साल मे दार्जिलिंग नगर तरफ सँ सम्मानित
२. २०४२ साल मे हिडप्पा साहित्य परिवार सँ सम्मानित
३. २०४४ साल मे मैथिली अकादमी सँ सम्मानित
४. २०४४ साल मे सांस्कृतिक संस्थान द्वारा कदरपत्र तथा नगद पुरस्कार
५. २०४५ साल मे पटनाक अरिपन नामक संस्था द्वारा सम्मानित
६. २०४९ साल मे सर्वनाम पुरस्कार तथा कदरपत्र
७. २०५२ साल मे अखिल भारतीय नेपाली भाषा, केन्द्रीय समिति सँ सम्मानित
८. २०५३ साल मे इन्द्रराज्य लक्ष्मी प्राज्ञ पुरस्कार सँ सम्मानित
९. २०५४ साल मे साधनाकला केन्द्रक साधना सम्मान द्वारा सम्मानित
 
हमर व्यक्तिगत संस्मरणः
चतुर्भुज आशावादी सदिखन नव-नव कलाकार केर खोज मे रहैत छलाह। २०४५ साल पटना मे आयोजित छठम् अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली नाटक प्रतियोगिता समारोह मे भानु कला केन्द्र द्वारा प्रदर्शित महेन्द्र मलंगिया लिखित नाटक ‘पुस जाड़ कि माघ जाड़’ नामक नाटकमे सह-अभिनेताक भूमिका मे हमरो एकटा छोट भूमिका निभेबाक भार देने रहथि। ताहि समय विराटनगर केर अर्निको बोर्डिंग स्कूलमे शिक्षकक रूप मे कार्य आरम्भ कएने रही आर अपन गाम सँ कलाक्षेत्र मे जुड़ल रहबाक थोड़-बहुत जे अनुभव छल तेकरा परैखि आशावादी अंकल हमरो अपन सान्निध्य देलनि। फेर २०४७ साल मे विराटनगर मे प्रदर्शित नाटक ‘एना कतेक दिन’ मे सेहो छोट भूमिका निर्वाह कएने रही। पुनः २०४८ साल काठमांडूक नाच घर मे संभवतः एना कतेक दिन वा पुस जाड़ कि माघ जाड़ नाटकक दोबारा प्रस्तुतिमे हम छोट भूमिका निर्वाह कएने रही। एकटा अत्यन्त मिलनसार, हँसमुख आ सहृदयी अभिभावक जेकाँ अंकल केर सान्निध्य भेटब हमरा लेल एक पैघ सौभाग्य जेकाँ सिद्ध भेल। आइयो परिवारक एक सदस्य समान अपन सम्बन्ध बरकरार अछि, ई सिर्फ हुनकहि आशीर्वाद सँ संभव भेल अछि। नमन एहि महापुरुष केँ!
 
हरिः हरः!!