गिद्धों का विलुप्त होना मानव और पर्यावरण के लिए घातक

लेख - डॉ ए कुमार, एम.बी.बी.एस, एम.डी., एम पी एच (संस्थापक, पर्ज फाउंडेशन, श्रीकांन्ठ प्राइवेट लिमिटेड, अन्वी ग्रुप ऑफ एजुकेशनल ट्रस्ट, स्वामी विवेकानन्द एजुकेशनल ट्रस्ट) गिद्धों का...

“मैथिलक विवाहमे पहिने विधके प्रधानता देल जाइत छल

  शीर्षक:-- आ आब विध कम आडम्बर बेसी एकरा पर कोना अंकुश लगेल जाए" खर्चीली शादियाँ आडम्बर दिखावा। देखा-देखी आरो करब नहि रहब पाछाँ।। भs गेल आब मैथिल...

अपन संस्कार आ विधि ब्यवहार केर संग कतेक न्याय कऽ रहल छी इ सोचनीय...

शिक्षा संस्कार केर जननी होइत छैक आ संस्कार कहियो नहिं कहैत छैक जे अपन विधि ब्यवहार के त्यागि कऽ पाश्चात्य संस्कृति के अपनाबी। मुदा...

विध कम आ आडम्बर बेसी एहि पर अंकुश कोना लगाओल जाय।

#लेखनी_के_धार# आइ भोरे सs फिरन बाबा बेचैन छथि! कारण हुकर पोतीक बियाह छिएन।ओ सब बातमे अप्पन मुँह बन्द कैने छलाह आ मनेमन सोचैत छलाह नहि...

आडम्बर के पाछू विलुप्त होईत पारम्परिक विध -व्यबहार,

लेखनी के धार 🙏🏽🌹 दिनांक -1/12/23 शीर्षक - *************** कोनो भी समाज के संस्कृति ओहि समाज के संस्कार होइत अछि,जाहि मे पारम्परिक विध -व्यबहार के दर्शाओल जाईत अछि। आधुनिक...

प्रेमकथाः जबानी दीवानी

कथा - प्रवीण नारायण चौधरी जबानी दीवानी सही छय जे जबानी सब दिन एक रंगक नहि रहय छय आ मन कहियो बूढ़ नहि होइ छय। मन आत्माक...

भजू सियाराम केँ भजू

आजुक भजन (हरेक वर्ष माँ द्वारा छैठिक खरना पर किछु रचना करैत आबि रहल छी - आइ जे रचना कयल अछि से पूर्णरूपेण महाकवि तुलसीदास...

दुलरा दयाल आ बहुरा गोरहिन के कथा

लेखक: निशिकांत ठाकुर, जाले संकलन: अनिल झा बिसरैत लोकगाथा ************** नृत्य चलि रहल छल। किशोरवय राजकुमार पूर्णतया नृत्य में मग्न। नर्तक आ नृत्य दू नहि छलै एकाकार भ...

गरीब (आत्मकथा)

संस्मरण-विचार - प्रवीण नारायण चौधरी गरीब   गरीब शब्दक अर्थ होइछ - दीन, हीन, दरिद्र, निर्धन, अकिंचन, कंगाल संग एकटा अर्थ 'नम्र' सेहो कहल गेल अछि। आरो कतिपय...

आउ सब मिली नवराति मे दर्शन करी , आरती पाठ पूजन आ नमन करी।

12/10 / 2023 ज्ञानदा दी संग.... #लेखनिक_धार के अंतर्गत... शीर्षक:- "दुर्गा पूजा आब$ सॅ पहिने मूनक उत्साह आ पूजाक तैयारी " सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी...